05-08-2020, 02:46 PM
जैसा की मैंने आपको अपने पहले लेख में बताया था की एक दिन मैंने एक सेक्सी फिल्म देखी थी और उत्तेजना में अमृता से मुठ मारने की जिद करने लगा था मगर अमृता ने मम्मी के डर से मेरी मुठ नहीं मारी थी और मै नाराज हो गया था | लेकिन उसी रात अमृता ने मेरी नाराजगी को दूर करने के लिए अपने सारे कपडे उतरकर अपना नंगा बदन मुझे सौंप दिया था और मै अपनी नंगी बहन को अपने बिस्तर पर बिछा देखकर बेकाबू होते हुए उस पर टूट पड़ा था | यहाँ तक की मै उसके कपडे फाड़ने लगा था | मगर उस रात मै उसकी चूत नहीं मार सका था और सिर्फ उसकी चूत को चूस चूस कर ही मैंने उसे झाड दिया था |
शायद आप सोच रहे होंगे कि आखिर मैंने उस रात को अपनी बहन को बक्श कैसे दिया और उस रात को ही उसकी चूत मार क्यों नहीं ली? लेकिन इसका कारण मै आपको बताता हूँ- उस रात मैं उसकी चूत इसलिए नहीं मार सका था क्योकि उस दिन- सबसे पहले तो मैंने टॉयलेट में मुठ मारी थी, उसके बाद दूसरी मुठ मुझे अमृता ने मार कर दी थी जब मै उस से नाराज था और तीसरी बार की मुठ अमृता ने तब मार दी थी जब हम दोनों नंगे बदन अपने बिस्तर पर थे और मैंने चूत चूस चूस कर अमृता को झाडा था | उस दिन मै तीन बार झड चूका था इसलिए मेरे लंड में हल्का हल्का दर्द भी होने लगा था और मै थक भी गया था | यही वजह थी की उस रात अमृता के नंगे बदन को जी भर के प्यार करने के बावजूद भी मै उसकी चूत नहीं मार सका और थक कर सो गया था | लेकिन कहते है जो होता है वो अच्छे के लिए ही होता है | उसके अगली सुबह मुझे जो सुकून मिला उसका एक अलग ही मानसिक एहसास था | शारीरिक सुख तो मुझे मेरी बहन से अनेकों बार मिल चुका है लेकिन जो मानसिक सुख मुझे अगली सुबह मिला था वो एक अलग ही एहसास था |
सुबह होने पर सबसे पहले तो मेरी बहन के चेहरे पर एक अलग ही संतुष्टि के भाव थे | उस रात हम दोनों ने सुहागरात तो नहीं मनायी थी मगर अमृता को देख कर ऐसा लग रहा था मनो कोई लड़की सुहागरात के बाद अपने पति के बिस्तर से उठ रही हो और उसे अपनी सुहागरात से वो सब मिला हो जो उसने कभी सपने में सोचा हो या उससे भी कही ज्यादा | सच तो ये था कि चाहे मैंने उस रात अमृता कि चूत नहीं मारी थी मगर मैंने उसको संतुष्ट करने में कोई कसर भी नहीं छोड़ी थी | उस रात जब मै उसकी चूत को चूस रहा था तो अमृता का हाल बहुत बुरा था - वो कभी तो उत्तेजना के कारण मेरे सिर को जोर जोर से अपनी चूत पर दबाती ताकि मै और भी जोर से उसकी चूत को चूसूं और कभी बालों से पकड़ कर मेरा सिर पीछे खीचती थी ताकि मै उसकी चूत को और न चूस सकूँ |उसको इस तरह से तड़पता देख कर मेरे अंदर के पुरुष को बहुत संतुष्टि मिल रही थी | इसलिए मै भी उसकी चूत को बुरी तरह चूसता ही रहा | वो जितना तड़पती थी, जितना उछलती थी, मेरे अंदर के पुरुष तो उतनी ही संतुष्टि मिलती थी | इसलिए उस रात मैंने अमृता को इस हद तक तडपाया था और उसको इतनी संतुष्टि मिली थी कि वो रात उसके लिए सुहागरात न होते हुए भी किसी सुहागरात से कम नहीं थी | दुसरे शब्दों में कहूँ तो मैंने उस रात उसे अपनी जीभ से चोद दिया था | इसलिए अगली सुबह जब अमृता ने बिस्तर छोड़ा तो ऐसा ही लग रहा था कि मानो कोई लड़की अपनी सुहागरात के बाद अपने पति के बिस्तर से उठ रही हो |
उस रात तो जो होना था वो हो चुका था लेकिन उस रात का असर दिखना अभी बाकी था -
सुबह नाश्ते की मेज पर अमृता ने मम्मी से नजर बचा कर मुझे किस्स दिया (हवा में )| मै हैरान था क्योकि आज तक मै ये सब हरकतें किया करता था और अमृता हमेशा मेरी ऐसी हरकतों से नाराज हो जाती थी क्योकि उसे मम्मी से बहुत डर लगता था | लेकिन आज सुबह सुबह खुद अमृता ने मम्मी से नजर बचा कर मुझे किस्स किया था | उस दिन अमृता ने कॉलेज की छुट्टी कर ली और इस लिए मै भी कॉलेज नहीं गया |
उस दिन तो अमृता जैसे पहले वाली अमृता ही नहीं रही | उस दिन से पहले तक मै अमृता को अकेला देख कर दबोचने की कोशिश करता था - मौका मिलते ही उसको कोने में ले कर किस्स कर देता था, कभी उसकी चूची दबा देता था, या फिर अपने लंड पर उसका हाथ रगड़ देता था मगर वो हमेशा इस बात पर गुस्सा हो जाती थी और डरती थी कि कही मम्मी न देख लें | मगर मुझे ऐसा करने में बहुत मजा आता था | लेकिन उस दिन खुद अमृता बार बार मौका देख कर मुझे किस्स कर रही थी, कभी मेरे लंड को रगड़ देती थी और खुद मेरे हाथ को अपनी चुचियो पे रख कर दबवा रही थी और जैसे ही मम्मी के आने का डर होता एक दम से अलग हो जाती थी | बल्कि एक बार तो उसने कमाल ही कर दिया - मम्मी रसोई में थीं और अमृता मेरे साथ कमरे में अकेली थी उसने मौके का फायदा उठाते हुए मेरी पेंट की चैन खोलकर मेरा लंड निकला और दो-तीन बार मुह में भी ले लिया | अभी तक तो मै अमृता की फाड़ता था मगर उस दिन वो मेरी फाड़ रही थी और मुझे बार बार मम्मी का डर सता रहा था | लेकिन फिर भी मुझे बहुत मजा आ रहा था | आज तक मुझे अपनी बहन से शारीरिक सुख तो बहुत बार मिला था मगर आज पहली बार मानसिक सुख भी मिल रहा था | आज पहली बार मुझे अमृता के एक पूर्ण स्त्री होने का या सच सच कहूँ तो - अपनी बीबी होने का एहसास हो रहा था |
शायद आप सोच रहे होंगे कि आखिर मैंने उस रात को अपनी बहन को बक्श कैसे दिया और उस रात को ही उसकी चूत मार क्यों नहीं ली? लेकिन इसका कारण मै आपको बताता हूँ- उस रात मैं उसकी चूत इसलिए नहीं मार सका था क्योकि उस दिन- सबसे पहले तो मैंने टॉयलेट में मुठ मारी थी, उसके बाद दूसरी मुठ मुझे अमृता ने मार कर दी थी जब मै उस से नाराज था और तीसरी बार की मुठ अमृता ने तब मार दी थी जब हम दोनों नंगे बदन अपने बिस्तर पर थे और मैंने चूत चूस चूस कर अमृता को झाडा था | उस दिन मै तीन बार झड चूका था इसलिए मेरे लंड में हल्का हल्का दर्द भी होने लगा था और मै थक भी गया था | यही वजह थी की उस रात अमृता के नंगे बदन को जी भर के प्यार करने के बावजूद भी मै उसकी चूत नहीं मार सका और थक कर सो गया था | लेकिन कहते है जो होता है वो अच्छे के लिए ही होता है | उसके अगली सुबह मुझे जो सुकून मिला उसका एक अलग ही मानसिक एहसास था | शारीरिक सुख तो मुझे मेरी बहन से अनेकों बार मिल चुका है लेकिन जो मानसिक सुख मुझे अगली सुबह मिला था वो एक अलग ही एहसास था |
सुबह होने पर सबसे पहले तो मेरी बहन के चेहरे पर एक अलग ही संतुष्टि के भाव थे | उस रात हम दोनों ने सुहागरात तो नहीं मनायी थी मगर अमृता को देख कर ऐसा लग रहा था मनो कोई लड़की सुहागरात के बाद अपने पति के बिस्तर से उठ रही हो और उसे अपनी सुहागरात से वो सब मिला हो जो उसने कभी सपने में सोचा हो या उससे भी कही ज्यादा | सच तो ये था कि चाहे मैंने उस रात अमृता कि चूत नहीं मारी थी मगर मैंने उसको संतुष्ट करने में कोई कसर भी नहीं छोड़ी थी | उस रात जब मै उसकी चूत को चूस रहा था तो अमृता का हाल बहुत बुरा था - वो कभी तो उत्तेजना के कारण मेरे सिर को जोर जोर से अपनी चूत पर दबाती ताकि मै और भी जोर से उसकी चूत को चूसूं और कभी बालों से पकड़ कर मेरा सिर पीछे खीचती थी ताकि मै उसकी चूत को और न चूस सकूँ |उसको इस तरह से तड़पता देख कर मेरे अंदर के पुरुष को बहुत संतुष्टि मिल रही थी | इसलिए मै भी उसकी चूत को बुरी तरह चूसता ही रहा | वो जितना तड़पती थी, जितना उछलती थी, मेरे अंदर के पुरुष तो उतनी ही संतुष्टि मिलती थी | इसलिए उस रात मैंने अमृता को इस हद तक तडपाया था और उसको इतनी संतुष्टि मिली थी कि वो रात उसके लिए सुहागरात न होते हुए भी किसी सुहागरात से कम नहीं थी | दुसरे शब्दों में कहूँ तो मैंने उस रात उसे अपनी जीभ से चोद दिया था | इसलिए अगली सुबह जब अमृता ने बिस्तर छोड़ा तो ऐसा ही लग रहा था कि मानो कोई लड़की अपनी सुहागरात के बाद अपने पति के बिस्तर से उठ रही हो |
उस रात तो जो होना था वो हो चुका था लेकिन उस रात का असर दिखना अभी बाकी था -
सुबह नाश्ते की मेज पर अमृता ने मम्मी से नजर बचा कर मुझे किस्स दिया (हवा में )| मै हैरान था क्योकि आज तक मै ये सब हरकतें किया करता था और अमृता हमेशा मेरी ऐसी हरकतों से नाराज हो जाती थी क्योकि उसे मम्मी से बहुत डर लगता था | लेकिन आज सुबह सुबह खुद अमृता ने मम्मी से नजर बचा कर मुझे किस्स किया था | उस दिन अमृता ने कॉलेज की छुट्टी कर ली और इस लिए मै भी कॉलेज नहीं गया |
उस दिन तो अमृता जैसे पहले वाली अमृता ही नहीं रही | उस दिन से पहले तक मै अमृता को अकेला देख कर दबोचने की कोशिश करता था - मौका मिलते ही उसको कोने में ले कर किस्स कर देता था, कभी उसकी चूची दबा देता था, या फिर अपने लंड पर उसका हाथ रगड़ देता था मगर वो हमेशा इस बात पर गुस्सा हो जाती थी और डरती थी कि कही मम्मी न देख लें | मगर मुझे ऐसा करने में बहुत मजा आता था | लेकिन उस दिन खुद अमृता बार बार मौका देख कर मुझे किस्स कर रही थी, कभी मेरे लंड को रगड़ देती थी और खुद मेरे हाथ को अपनी चुचियो पे रख कर दबवा रही थी और जैसे ही मम्मी के आने का डर होता एक दम से अलग हो जाती थी | बल्कि एक बार तो उसने कमाल ही कर दिया - मम्मी रसोई में थीं और अमृता मेरे साथ कमरे में अकेली थी उसने मौके का फायदा उठाते हुए मेरी पेंट की चैन खोलकर मेरा लंड निकला और दो-तीन बार मुह में भी ले लिया | अभी तक तो मै अमृता की फाड़ता था मगर उस दिन वो मेरी फाड़ रही थी और मुझे बार बार मम्मी का डर सता रहा था | लेकिन फिर भी मुझे बहुत मजा आ रहा था | आज तक मुझे अपनी बहन से शारीरिक सुख तो बहुत बार मिला था मगर आज पहली बार मानसिक सुख भी मिल रहा था | आज पहली बार मुझे अमृता के एक पूर्ण स्त्री होने का या सच सच कहूँ तो - अपनी बीबी होने का एहसास हो रहा था |
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.