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Adultery पत्नी एक्सचेंज
#15
“कुछ खास नहीं हुआ?”

“नहीं, बस वैसे ही…”

संजय की हँसी ने मुझे अनिश्चय में डाल दिया। क्या विनय ने इन्हें कुछ बताया है? या इन्होने कुछ देखा था?

“यह तो अभी भी इतनी गीली है …” उनकी उंगलियाँ मेरी योनि को टोह रही थीं, “… लगता है उसने तुम्हें काफी उत्तेजित किया होगा।”

विनय के संसर्ग की याद और संजय के स्पर्श ने मुझे सचमुच बहुत गीली कर दिया था। पर मैंने कहा, “शायद विद्या का भी यही हाल हो!”

“एक बात कहूँ?”

“बोलो?”

“पता नहीं क्यों मेरा एक चीज खाने का मन हो रहा है।”

“क्या?”

“चाकलेट!”

“चाकलेट?”

“हाँ, चाकलेट!”

“…”

“क्या तुमने हाल में खाई है?”

मैं अवाक! क्या कहूँ, “तुमको मालूम है?”

संजय ठठा कर हँस पड़े। मैं खिसिया कर उन्हें मारने लगी।

मेरे मुक्कों से बचते हुए वो बोले, “तुम्हे खानी हो तो बताना। मैं भी खिला सकता हूं।”

मैंने शर्मा कर उनकी छाती में मुंह छिपा लिया।

“तुम्हें खुश देख कर कितनी खुशी हुई बता नहीं सकता। बहुत मजा आया। विद्या भी बहुत अच्छी थी मगर तुम तुम ही हो।”
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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Messages In This Thread
RE: पत्नी एक्सचेंज - by neerathemall - 05-08-2020, 02:42 PM
REमेरी सहेली - by neerathemall - 21-08-2020, 02:25 PM



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