04-08-2020, 01:23 PM
मैंने दीदी को एक साल तक हर रोज़ चोदा है। हम एक साथ एक ही बिस्तर पर सोते थे। मैं रोज़ रात को दीदी की चुदाई करता था और हम दोनों नंगे ही एक दूसरे के साथ सोते थे। कभी मैं दीदी को बाथरूम में नहाते बार चोदता तो कभी रसोई में खाना बनाते बार तो कभी सफ़ाई करते वक्त।
वो एक साल मेरी ज़िन्दगी का बहुत सुन्दर साल था।
उसके बाद दीदी का कॉलेज खत्म हो गया और दीदी गाँव चली गयी और नौकरी की तलाश करने लगी। उसके बाद हम जब भी अकेले में मिलते तो मैं दीदी सेक्स का मजा लेता। कभी गाँव वाले घर में रात को मैं चुपके से दीदी के कमरे में जाता और मजे ले के वापिस अपने कमरे में वापिस हो जाता था।
कुछ साल बाद दीदी की सुमित से शादी हो गयी और मैं नौकरी लग गया था। समय के साथ हम सब दोस्त दूर हो गए और अब उनसे मिले काफी समय हो गया।
अभी भी शादी के बाद भी जब निशा दीदी अकेली मिलती है तो मैं दीदी की चूत मार लेता हूँ। फर्क बस इतना है कि अब दीदी की चूत नहीं भोसड़ा बन गया है।
वो एक साल मेरी ज़िन्दगी का बहुत सुन्दर साल था।
उसके बाद दीदी का कॉलेज खत्म हो गया और दीदी गाँव चली गयी और नौकरी की तलाश करने लगी। उसके बाद हम जब भी अकेले में मिलते तो मैं दीदी सेक्स का मजा लेता। कभी गाँव वाले घर में रात को मैं चुपके से दीदी के कमरे में जाता और मजे ले के वापिस अपने कमरे में वापिस हो जाता था।
कुछ साल बाद दीदी की सुमित से शादी हो गयी और मैं नौकरी लग गया था। समय के साथ हम सब दोस्त दूर हो गए और अब उनसे मिले काफी समय हो गया।
अभी भी शादी के बाद भी जब निशा दीदी अकेली मिलती है तो मैं दीदी की चूत मार लेता हूँ। फर्क बस इतना है कि अब दीदी की चूत नहीं भोसड़ा बन गया है।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
