04-08-2020, 01:23 PM
अब वो लोग मान गए और चले गए।
मैं अंदर दीदी के पास गया तो देखा दीदी बिस्तर पर लेटी हुई है और दीदी के पास 2 कंडोम पड़े हुए थे जो पिछले दिन मैं ले के आया था। ये देख कर मुझे अच्छा लगा कि उन लोगों ने दीदी को बिना प्रोटेक्शन के नहीं चोदा।
मैंने दीदी से कहा- दीदी … क्या सब ठीक है?
दीदी- हाँ, सब ठीक है पर इतनी चुदाई के बाद मेरी उठने की हिम्मत नहीं हो रही है। मैं नहाना चाहती हूँ पर उठने की ताकत नहीं बची है।
मैंने कहा- कोई बात नहीं दीदी, मैं आपको बाथरूम में ले जा कर नहलाता हूँ।
इतना कहकर मैंने भी अपने कपड़े खोले और नंगा होकर दीदी को उठाया और बाथरूम में ले गया। वहाँ मैंने शावर चालू किया और दीदी के बदन पर साबुन लगाने लगा और साथ में खुद को भी साबुन लगाया।
दीदी का भीगा बदन देख कर मेरा मन फिर से दीदी को चोदने का हो गया। पर मुझे पता था कि दीदी की बहुत चुदाई हो गयी है इसलिए मैंने दीदी के मुंह में अपना लण्ड डाला और दीदी के मुंह को चोद दिया।
नहाने के बाद मैंने ही दीदी को कपड़े पहनाये और मैं बाहर से खाना ले कर आया था। हम दोनों से मिलकर खाना खाया और बाद में मैंने दीदी को वो दवाई दे दी।
उसके बाद दीदी ने सारा दिन आराम किया।
रात को दीदी को सुमित का फ़ोन आ गया और दीदी डर के मुझसे कहने लगी- अब क्या करूँ?
तो मैंने कहा- उसको बोलो कि आज आपकी तबीयत खराब है और रमेश मेरे साथ है। इसलिए मैं 4-5 दिन तेरे साथ नहीं आ सकती।
दीदी ने सुमित के साथ ये सब बोल दिया और दीदी अपनी चूत और ज्यादा फड़वाने से बच गयी।
अगले दिन सुभाष को मैंने फ़ोन किया और वो भी दोपहर 2 बजे घर आ गया और उसने भी दीदी की चूत और गांड खूब मारी।
उसके बाद वो सब दीदी से दूर हो गए। हालाँकि हम दोस्तों में ऐसी गन्दी बातें तो चलती ही रहती थी। निशा दीदी की चुदाई के बाद भी हम सब दोस्तों ने कई लड़कियों को चोदा था पर मैं उनके साथ ज्यादा नहीं जाता था क्यूंकि मुझे तो घर में ही चुदाई की दुकान मिल गयी थी।
मैं अंदर दीदी के पास गया तो देखा दीदी बिस्तर पर लेटी हुई है और दीदी के पास 2 कंडोम पड़े हुए थे जो पिछले दिन मैं ले के आया था। ये देख कर मुझे अच्छा लगा कि उन लोगों ने दीदी को बिना प्रोटेक्शन के नहीं चोदा।
मैंने दीदी से कहा- दीदी … क्या सब ठीक है?
दीदी- हाँ, सब ठीक है पर इतनी चुदाई के बाद मेरी उठने की हिम्मत नहीं हो रही है। मैं नहाना चाहती हूँ पर उठने की ताकत नहीं बची है।
मैंने कहा- कोई बात नहीं दीदी, मैं आपको बाथरूम में ले जा कर नहलाता हूँ।
इतना कहकर मैंने भी अपने कपड़े खोले और नंगा होकर दीदी को उठाया और बाथरूम में ले गया। वहाँ मैंने शावर चालू किया और दीदी के बदन पर साबुन लगाने लगा और साथ में खुद को भी साबुन लगाया।
दीदी का भीगा बदन देख कर मेरा मन फिर से दीदी को चोदने का हो गया। पर मुझे पता था कि दीदी की बहुत चुदाई हो गयी है इसलिए मैंने दीदी के मुंह में अपना लण्ड डाला और दीदी के मुंह को चोद दिया।
नहाने के बाद मैंने ही दीदी को कपड़े पहनाये और मैं बाहर से खाना ले कर आया था। हम दोनों से मिलकर खाना खाया और बाद में मैंने दीदी को वो दवाई दे दी।
उसके बाद दीदी ने सारा दिन आराम किया।
रात को दीदी को सुमित का फ़ोन आ गया और दीदी डर के मुझसे कहने लगी- अब क्या करूँ?
तो मैंने कहा- उसको बोलो कि आज आपकी तबीयत खराब है और रमेश मेरे साथ है। इसलिए मैं 4-5 दिन तेरे साथ नहीं आ सकती।
दीदी ने सुमित के साथ ये सब बोल दिया और दीदी अपनी चूत और ज्यादा फड़वाने से बच गयी।
अगले दिन सुभाष को मैंने फ़ोन किया और वो भी दोपहर 2 बजे घर आ गया और उसने भी दीदी की चूत और गांड खूब मारी।
उसके बाद वो सब दीदी से दूर हो गए। हालाँकि हम दोस्तों में ऐसी गन्दी बातें तो चलती ही रहती थी। निशा दीदी की चुदाई के बाद भी हम सब दोस्तों ने कई लड़कियों को चोदा था पर मैं उनके साथ ज्यादा नहीं जाता था क्यूंकि मुझे तो घर में ही चुदाई की दुकान मिल गयी थी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
