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Thriller कामुक अर्धांगनी
#13
मैंने जीभ से मधु को दिल खोलकर चाटने लगा और एक उंगली उसकी गांड के छेद मे हल्के हल्के रगड़ने लगा ,उसकी सिसकियां चरम पे पहुँच चुकी थी और वो बोलने लगी उँगली डालिये ना जी ,मैं बोला नहीं मधु अब वसंत ही चोदेगा मैं बस चाट कर मज़ा दूंगा अगर तुम चाहो तोह जा के प्यास बुझा आओ या यही बुला के चुदवा लो ,वो बोली ऐसा मत किजेए डालिये न अब रहा नही जाता और वो मेरे लौड़े को दांतों के बीच दबाती बोली काट लुंगी डालिये उँगली ,मैं बोला काट खाओ मधु वैसे भी किस काम का है जब तेरी आग बुझा ही नही पाता, वो लड़ को काटने लगी और मैं चुत पे दाँत लगा कर बोला मधु बोलो न वसंत से चुदेगी न उसका लोड लेगी न बोल न मेरी जान ।

वो हहहह करती चिलाती बोली हा बुला लिजेए बना दीजेए मुझे रंडी यही चाहते है ना आप की वसंत मुझे रंडी समझ चोद दे ।

मैं मधु के आग से एक दम कड़क हो गया और लोडा तन गया मधु बोली यही बातें कर के आप गरम होते हैं और तुरंत मेरे लौड़े पे बैठ गयी और बोली वसंत का नही आपके लड़ से चुत चुदवाना है और वो उछलने लागी ।

हमेशा की तरह कुछ मिनटों मैं मेरा वीर्य बह गया और मधु गुस्सा करती बोली आप बस गरम करते हैं कभी ठंडा नही करते और वीर्य भरे चुत को मेरे होटो प रगड़ के बोली चाटिए वसंत का पानी प्यासी बीवी की चुत से ।

अपनी ही वीर्य को मधु की चुत से चाट के पी गया और बोला जान इतनी आग लगी है मेरी बात मान लो वसंत से संभोग के सुख को ले आओ वैसे भी इतने बरसों की वैवाहिक जीवन मे मैंने कभी तुम्हें चर्म सुख नहीं दिया लेकिन आज खुद वो सुख तुम्हें बुला रहा है आगे बढ़ के लेती क्यों नहीं, मैं तेरा पति हु और मेरी यही तमन्ना है कि तेरी ये जिस्म की प्यास बुझते देखूं अब शर्म हया छोड़ कर खुल के मस्ती करो मेरी मधु।

वो मेरी बातें सुन के बोली सुनिए न ऐसा मत कहिए आप जैसे भी हक़ी आपके साथ मुझे कोई परेशानी नही हैं आप क्यों मुझे एक पराए मर्द की बातों से उतेजित कर रहे है।

मतलब तुम्हें वसंत की बातें उतेजित करती है ये मानती हो तुम है ना ,वो शर्म से आँखे चुराती बोली नहीं प्लीज आप ऐसा मत बोलिये और मैन मधु को खींच के बिस्तर पर लेटा के ऊपर चढ़ कर होटो को चूसते चुचियो को मसलते हुए बोला मधु सच तो यह है कि मुझे कोइ आपत्ति नहीं अगर मेरी जगह वसंत इस तरह तुम्हारे नंगे बदन पर लेटे रहे और तुम्हारे इस गुलाबी होटो को चूमे ये बड़े बड़े चुचियो को मसल दे और तुम खुद उसके लंड को अपने हाथ से अपनी गीली चूत प रख के बोलो चोदो वसंत मेरी गीली चूत और वो झटके से तेरी चुत मैं डाल के ज़ोर ज़ोर से तुझे चोदे और तुम मर्द के लौड़े से एक नहीं कई बार झाड़ती रहो और बोलो और तेज़ चोदो वसंत और तेज़।

मधु आँखे बंद कर के मुँह फेर ली और मैंने उसकी झागों को फैला के चुत प हाथ फेरने लगा और मधु एक दम गीली चुत लिए लेटी रही और मैं बोला देखो ये सबुध है कि तुम्हे अब सच मे वसंत की बातें उतेजित करती ह और ये आग वही बुझा सकता ना कि मैं और मैंने तीन उंगली डाल के आगे पीछे किया और वो बोली सुनिए जी क्या सच मे आपको बुरा नहीं लगेगा गर मैं पराये मर्द से चुदवा लू तोह ,मैं बोला लगेगा अगर तुम चोरी छुपे चुदवा आयी तोह लेकिन अगर वो सामने चोदे तोह मैं उसका लंड खुद चूस के खड़ा कर के तेरी चुत मैं डालूंगा।


मधु की कमर मेरे ही उंगलियों पे हिलने लगी उसके उतेजना चरम पे पहुच गयी और वो मेरी ही उंगलियों पे चुत दबाने लगी और मैं निप्पल चुसता मधु की कामुक्ता को निहारता रहा ।
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RE: कामुक अर्धांगनी - by kaushik02493 - 04-08-2020, 12:14 AM
RE: कामुक अर्धांगनी - by Bhavana_sonii - 24-11-2020, 11:46 PM



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