05-03-2019, 10:06 AM
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एकै सँग हाल नँदलाल औ गुलाल दोऊ,
दृगन गये ते भरी आनँद मढै नहीँ ।
धोय धोय हारी पदमाकर तिहारी सौँह,
अब तो उपाय एकौ चित्त मे चढै नहीँ ।
कैसी करूँ कहाँ जाऊँ कासे कहौँ कौन सुनै,
कोऊ तो निकारो जासोँ दरद बढै नहीँ ।
एरी! मेरी बीर जैसे तैसे इन आँखिन सोँ,
कढिगो अबीर पै अहीर को कढै नहीँ ।