03-08-2020, 01:27 PM
वो बेचारे क्या बोलते , सासू जी बगल में बैठी थीं , और वो एकदम खुल के मुस्करा रही थी और मेरी जेठानियों को चढ़ा रही थीं , "
मैं भी अब एकदम खुल गयी सबसे , मैंने थोड़ा सा नाम में संशोधन किया , ...
" रंडी की ,... गुड्डी "
" अरे नाम भले गुड्डी है , काम तो रंडी का ही है ,... पैदायशी खानदानी रंडी क्यों देवर जी है न ,... " अब मेरी जेठानी भी कम्मो के लेवल पर उतर आयीं थीं ,
उनके तो वैसे ही बोल नहीं फूटते थे और यहाँ दो दो भौजाइयां , ... और साथ में बगल में उनकी माँ बैठी थीं , और हम सब मिल के उन्हें रगड़ रहे थे। और मैं आग में घी डाल रही थी , रात में कमरे में तो गुड्डी का नाम लेकर इन्हे छेड़ती ही थी , पर आज सबके सामने , एकदम जबरदस्त मज़ा आ रहा था ,
" आपके देवर ने कितनी बार मुंह काला किया उस रंडी , मेरा मतलब गुड्डी के साथ। "
जेठानी ने मुस्करा के मेरी ओर देखा जैसे कह रही हों , एकदम असल देवरानी हो मेरी , पर जवाब एक बार फिर कम्मो ने दिया , उन्ही से पूछ कर ,
" बोलो न , कितने बार , .... एक दो बार में ओह छिनार क बुर की प्यास तो बुझेगी नहीं , ... लेकिन आने दो , जउने दिन पकड़ में आएगी न यह फागुन में , एही आंगन में ओके नंगे नचाउंगी , तोहरे सामने , और बाल्टी भर रंग सीधे उसकी बुर में डालूंगी तो उसकी पियास ठंडी होगी , ... "
" अरे न नाउन दूर न नहन्नी , जाके बुला लाइए न उसको , ... अब आपकी भाभी कह रही हैं , और आपकी बात तो वो रंडी , ... मेरा मतलब गुड्डी टालती नहीं , ... "
मैं भी उनकी रगड़ाई में जुट गयी।
लेकिन सासू जी ने एकदम वीटो कर दिया , बोलीं , ... अरे फ़ोन काहे को है , फिर अभी तो उसका कॉलेज चल रहा होगा , जब शाम को बाजार जाना तो एलवल हो लेना , लेकिन अभिन गुझिया , चिप्स , पापड़ बहुत काम है , ... "
और मेरी सास , मेरी जेठानी , कम्मो सब लोग किचेन के बाहर बैठ कर होली का सामान बनाने में लग गए , उन्होंने उठने की कोशिश की , तो कम्मो ने रोक लिया , खाली हमार नन्दन के साथे मुंह काला करे में लगे रहते है , चलो बैठ के काम करवाओ , ... और वो फस्स मार के बैठ गए।
मैं तो समझ रही थी , मुस्करा रही थी , इस लड़के को तो सिर्फ एक काम आता है , ... कोई बहाना बना के मुझे टुकुर टुकुर देखना , ... जहाँ वो बैठे थे , वहां से मैं किचेन में साफ़ साफ दिख रही थी , आज किचेन में खाना बनाने का काम मेरे जिम्मे था , होली के सामान बनाने का काम सास जेठानी के जिम्मे , ... "
मैंने पीढ़ा थोड़ा और सरका लिया , जिसे उन्हें और साफ़ दिख सकूँ , .. देखने का मन कर रहा है तो बेचारे का तो देखे।
सच में एकदम नदीदे थे , कभी भी उनका मन नहीं भरता था , न देखने में न ,... और कभी मैं उनका कान का पान बना के पूछती भी थी , तेरा मन नहीं भरता तो वो बेसरम साफ़ बोलता , .. नहीं , सात जनम का तो लिखवा के लाया हूँ , तो तेरी सात जनम तक तो छुट्टी नहीं ,
और मैं खुद उन्हें चूम के बोलती ,
"और आठवें मैं मैं साजन तुम सजनी ,... जितनी रगड़ाई तुम सात जनम में करोगे न उतनी मैं एक जनम में अकेले कर दूंगी तेरी , सब हिसाब रख रही हूँ , सूद के साथ साथ। "
मैं किचेन का काम भी कर रही थी और बाहर की सब बात भी सुन रही थी , बीच बीच में पलीता भी लगाती और दो भौजाइयां उनकी जिस तरह खिंचाई कर रही थीं ये भी देख रही थी ,
गुझिया का सामान बन रहा था , मेरी सास ने कम्मो को बोला , ज़रा देख ले न पहले मीठा ठीक है न ,
" तानी चख के देखा न , " कम्मो ने एक चुटकी में गुझिया का खोवा , सीधे उनके मुंह में डाल के पूछा ,
लेकिन मैं अपनी सास को मान गयी , फगुनाहट उनपर भी चढ़ रही थी ,
" अरे भौजी क ऊँगली केतना मीठ है ये मत बताना , खोआ और मीठ तो नहीं चाहिए , ... " उन्होंने उनसे पूछा।
ऊँगली थोड़ा और उनके मुंह में धँसाते कम्मो बोली , " अरे उ रंडी ,.. गुड्डी क होंठवा अस मीठ है ना , ... "
" हाँ " उन्होंने सर हिलाया और सास मेरी कम्मो सब लोग हंस पड़े , साथ में किचन में से मैं बोलीं ,
" तो चलो मान तो लिया चखे हो ,... हमार ननदिया के होंठ। "
" अरे ऊपर वाला और नीचे वाला दोनों , हमार देवर को समझती का हो , पक्का बहनचोद है , "
उनके मुंह से निकली सीधे अपने होंठों के बीच डालती कम्मो बोली। तबतक मेरी जेठानी जो स्टोर से कुछ सामान निकालने गयी थीं , वापस आ गयी , सु वो भी सब रही थी और उन्होंने भी जोड़ दिया , ...
" और हमार ननद भाइचॉद "
फिर तो दोनों उनकी भौजाइयां , डबल अटैक , ... और डबल मीनिंग तो छोड़ दीजिये असल वाली , और आज मेरी जेठानी भी एकदम कम्मो के लेवल पर
" क्यों देवर जी समोसे कैसे पंसद है , आपको , छोटे साइज वाले , ... ये देखिये हैं न एकदम गुड्डी की साइज के "
छोटे छोटे होली वाले समोसे बनाते मेरी भौजी ने चिढ़ाया ,
" अरे दबाय मीज मीज के बड़ा कर दिया , ... मिजवाती तो होगी न तुमसे , ... " कम्मो समोसा तलते बोली। "
मेरा मन भी नहीं लग रहा था , किचेन का काम जल्दी जल्दी ख़तम कर के मैं बाहर होली का सामान बनवाने पहुंची और गुझिया तलने का काम मैंने ले लिया ,
सास मुझे दे रही थीं , और उनकी दोनों भौजाइयां बचा हुआ मैदा उनके गाल में लगाने में लगी थीं ,
वो वाश बेसिन पर गए छुड़ाने , और मेरी जेठानी स्टोर से पिछली होली के बचे रंग का स्टॉक ला के मेरी सास को दिखा रही थीं , इतना बचा है आज शाम को मंगा लुंगी और , लेकिन ये पता नहीं केतना चटख होगा , ...
और मैंने सुझाव दे दिया , इनकी दोनों भौजाइयों को ,
" अरे आपके देवर हैं न चेक कर लीजिये उनके गाल पे , ... "
" बहू ठीक तो कह रही हैं , अब खाली गुझिया ही छानना है , मैं और बहू मिल कर कर लेंगे , तुम दोनों उठों न " सासू जी ने ग्रीन सिग्नल दे दिया ,
मैं भी अब एकदम खुल गयी सबसे , मैंने थोड़ा सा नाम में संशोधन किया , ...
" रंडी की ,... गुड्डी "
" अरे नाम भले गुड्डी है , काम तो रंडी का ही है ,... पैदायशी खानदानी रंडी क्यों देवर जी है न ,... " अब मेरी जेठानी भी कम्मो के लेवल पर उतर आयीं थीं ,
उनके तो वैसे ही बोल नहीं फूटते थे और यहाँ दो दो भौजाइयां , ... और साथ में बगल में उनकी माँ बैठी थीं , और हम सब मिल के उन्हें रगड़ रहे थे। और मैं आग में घी डाल रही थी , रात में कमरे में तो गुड्डी का नाम लेकर इन्हे छेड़ती ही थी , पर आज सबके सामने , एकदम जबरदस्त मज़ा आ रहा था ,
" आपके देवर ने कितनी बार मुंह काला किया उस रंडी , मेरा मतलब गुड्डी के साथ। "
जेठानी ने मुस्करा के मेरी ओर देखा जैसे कह रही हों , एकदम असल देवरानी हो मेरी , पर जवाब एक बार फिर कम्मो ने दिया , उन्ही से पूछ कर ,
" बोलो न , कितने बार , .... एक दो बार में ओह छिनार क बुर की प्यास तो बुझेगी नहीं , ... लेकिन आने दो , जउने दिन पकड़ में आएगी न यह फागुन में , एही आंगन में ओके नंगे नचाउंगी , तोहरे सामने , और बाल्टी भर रंग सीधे उसकी बुर में डालूंगी तो उसकी पियास ठंडी होगी , ... "
" अरे न नाउन दूर न नहन्नी , जाके बुला लाइए न उसको , ... अब आपकी भाभी कह रही हैं , और आपकी बात तो वो रंडी , ... मेरा मतलब गुड्डी टालती नहीं , ... "
मैं भी उनकी रगड़ाई में जुट गयी।
लेकिन सासू जी ने एकदम वीटो कर दिया , बोलीं , ... अरे फ़ोन काहे को है , फिर अभी तो उसका कॉलेज चल रहा होगा , जब शाम को बाजार जाना तो एलवल हो लेना , लेकिन अभिन गुझिया , चिप्स , पापड़ बहुत काम है , ... "
और मेरी सास , मेरी जेठानी , कम्मो सब लोग किचेन के बाहर बैठ कर होली का सामान बनाने में लग गए , उन्होंने उठने की कोशिश की , तो कम्मो ने रोक लिया , खाली हमार नन्दन के साथे मुंह काला करे में लगे रहते है , चलो बैठ के काम करवाओ , ... और वो फस्स मार के बैठ गए।
मैं तो समझ रही थी , मुस्करा रही थी , इस लड़के को तो सिर्फ एक काम आता है , ... कोई बहाना बना के मुझे टुकुर टुकुर देखना , ... जहाँ वो बैठे थे , वहां से मैं किचेन में साफ़ साफ दिख रही थी , आज किचेन में खाना बनाने का काम मेरे जिम्मे था , होली के सामान बनाने का काम सास जेठानी के जिम्मे , ... "
मैंने पीढ़ा थोड़ा और सरका लिया , जिसे उन्हें और साफ़ दिख सकूँ , .. देखने का मन कर रहा है तो बेचारे का तो देखे।
सच में एकदम नदीदे थे , कभी भी उनका मन नहीं भरता था , न देखने में न ,... और कभी मैं उनका कान का पान बना के पूछती भी थी , तेरा मन नहीं भरता तो वो बेसरम साफ़ बोलता , .. नहीं , सात जनम का तो लिखवा के लाया हूँ , तो तेरी सात जनम तक तो छुट्टी नहीं ,
और मैं खुद उन्हें चूम के बोलती ,
"और आठवें मैं मैं साजन तुम सजनी ,... जितनी रगड़ाई तुम सात जनम में करोगे न उतनी मैं एक जनम में अकेले कर दूंगी तेरी , सब हिसाब रख रही हूँ , सूद के साथ साथ। "
मैं किचेन का काम भी कर रही थी और बाहर की सब बात भी सुन रही थी , बीच बीच में पलीता भी लगाती और दो भौजाइयां उनकी जिस तरह खिंचाई कर रही थीं ये भी देख रही थी ,
गुझिया का सामान बन रहा था , मेरी सास ने कम्मो को बोला , ज़रा देख ले न पहले मीठा ठीक है न ,
" तानी चख के देखा न , " कम्मो ने एक चुटकी में गुझिया का खोवा , सीधे उनके मुंह में डाल के पूछा ,
लेकिन मैं अपनी सास को मान गयी , फगुनाहट उनपर भी चढ़ रही थी ,
" अरे भौजी क ऊँगली केतना मीठ है ये मत बताना , खोआ और मीठ तो नहीं चाहिए , ... " उन्होंने उनसे पूछा।
ऊँगली थोड़ा और उनके मुंह में धँसाते कम्मो बोली , " अरे उ रंडी ,.. गुड्डी क होंठवा अस मीठ है ना , ... "
" हाँ " उन्होंने सर हिलाया और सास मेरी कम्मो सब लोग हंस पड़े , साथ में किचन में से मैं बोलीं ,
" तो चलो मान तो लिया चखे हो ,... हमार ननदिया के होंठ। "
" अरे ऊपर वाला और नीचे वाला दोनों , हमार देवर को समझती का हो , पक्का बहनचोद है , "
उनके मुंह से निकली सीधे अपने होंठों के बीच डालती कम्मो बोली। तबतक मेरी जेठानी जो स्टोर से कुछ सामान निकालने गयी थीं , वापस आ गयी , सु वो भी सब रही थी और उन्होंने भी जोड़ दिया , ...
" और हमार ननद भाइचॉद "
फिर तो दोनों उनकी भौजाइयां , डबल अटैक , ... और डबल मीनिंग तो छोड़ दीजिये असल वाली , और आज मेरी जेठानी भी एकदम कम्मो के लेवल पर
" क्यों देवर जी समोसे कैसे पंसद है , आपको , छोटे साइज वाले , ... ये देखिये हैं न एकदम गुड्डी की साइज के "
छोटे छोटे होली वाले समोसे बनाते मेरी भौजी ने चिढ़ाया ,
" अरे दबाय मीज मीज के बड़ा कर दिया , ... मिजवाती तो होगी न तुमसे , ... " कम्मो समोसा तलते बोली। "
मेरा मन भी नहीं लग रहा था , किचेन का काम जल्दी जल्दी ख़तम कर के मैं बाहर होली का सामान बनवाने पहुंची और गुझिया तलने का काम मैंने ले लिया ,
सास मुझे दे रही थीं , और उनकी दोनों भौजाइयां बचा हुआ मैदा उनके गाल में लगाने में लगी थीं ,
वो वाश बेसिन पर गए छुड़ाने , और मेरी जेठानी स्टोर से पिछली होली के बचे रंग का स्टॉक ला के मेरी सास को दिखा रही थीं , इतना बचा है आज शाम को मंगा लुंगी और , लेकिन ये पता नहीं केतना चटख होगा , ...
और मैंने सुझाव दे दिया , इनकी दोनों भौजाइयों को ,
" अरे आपके देवर हैं न चेक कर लीजिये उनके गाल पे , ... "
" बहू ठीक तो कह रही हैं , अब खाली गुझिया ही छानना है , मैं और बहू मिल कर कर लेंगे , तुम दोनों उठों न " सासू जी ने ग्रीन सिग्नल दे दिया ,