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Thriller कामुक अर्धांगनी
#8
मधु पूर्ण रूप से झड़ के पसीने से महकती हुई मेरे होटो को चूमते हुए बोली आप बहुत गंदे है और मुझे बिस्तर पे पलट कर मेरे लौड़े को सहलाती हुई खीच के मेरी पैंट और झांगहिय को उतार कर मेरे लड़ को चूमते हुए मुँह मैं ले के चूसने लगी और मेरा लड़ उसके लबो के बीच जीभ की कोमलता और थूक से लबरेज हो के उतलवाला हो गया और मधु समझ गयी उसका पति कभी टिक नही सकता और वो ज़ोर से चुस्ती हुई मुस्कुराई और मैं झड़ने लगा और वो चुस्ती हुए मेरा वीर्य गटकने लगी और मेरा कमज़ोर लिंग सिकुड़ गया और वो मेरे बदन पे लेट के मेरे होटो को चूसने लगी और आपने जीभ से मेरा ही वीर्य का स्वाद मुझे चखाने लागी ।


मधु की कामुकता आज और दिनों की तुलना मे कही अधिक थी ।
मैंने मधु से बोला जान मेरे मुंह मे बैठ कर मुझे चूत चटवाओगी, बड़ी रसीली है आज तेरी चूत की महक और स्वाद, वो शर्म से लाल होती बोली आज आपको क्या हुआ है इतनी जल्दी फिर से ,मै बोला बस जिस चुत मैं एक पराए मर्द ने आग लगाई हो उसका स्वाद बहुत उतेजित कर देना वाला होता है और मैं फिर से वसंत की छुवन से गीली हुई इस चूत को चाट के तुझे वही सुख दूंगा जो बिस्तर पे लौड़े से चोद के नही दे पाता और तुम प्यासी रह जाती हो।

मधु शर्म से लाल होती हुई बोली आप गंदी बाते करते है ,तोह क्या हुआ इन् बातो को सुन के तू भी झाड़ती है ना फिर सरमती क्यों है देखना एक दिन वसंत इस चूत को चोद के फाड़ देगा और तुम चर्मसुख ले के वापस आओगी और खुद ही चटवाओगी और बोलोगी देखिये न जी मेरी चुत कैसे खुल गयी और लाल हो गयी है आप चाट के देखिये ना ।

मेरी बातें सुन के मधु और कामुक होती हुई मेरे होटो पे चूत लगा के बोली बस भी किजेए और मैं उसकी चूत चाटने लगा,जीभ डाल के घुमाने लगा और ओ सिसकिया लेती मेरे पेट पर लेट गयी और मेरे मुरझाये लोडे को चाटने लगी।

मैने दोनों हाथों से उसकी गांड चौड़ी कर के गांड पे नाक रगड़ने लगा और वो अधिक उतेजना मैं आ के बोली छि वो गंदा है मत किजेए , मैं रुक के उसकी चुत को मुँह से ऊपर उठा के बोला मेरी जान ये गांड की महक इतनी नसीलि है कि क्या बताऊँ देखना वसंत चुत फाड़ के तेरी इस गांड को भी चोदेगा और तुम उसको रोक नही पाओगी क्योंकि उसके लौड़े की गुलाम बन जाओगी और वो आहा करती बोली मत बोलिये ऐसी बाते ,मैं बोलै क्यों फिर से चुत मैं खुजली होने लगी क्या वसंत की बातों से बोलो तोह बुला लेता हूं खुद चूस के उसका लंड तेरी इस चुत मैं रख दु और ओ झटके से डाल के तेरी प्यासी चुत की आग बुझा दे और चूत मैं अपना गढ़ा वीर्य भर दे और मैं लपालप चाट के तेरी चुत फिर से चुदने के लिए तैयार कर दू।


मेरी बातों को सुन के मधु ने मेरे मुँह को अपनी चूत से बंद कर दिया और रगड़ने लगी , उसकी चुत धधक रही थी कामुकता की आग में और मैं अच्छी तरह चाटे जा रहा था और वो मेरे लौड़े को बेतहाशा चूसे जा रही थी ।

उसकी हिलती गांड मेरे मुँह मैं ये बता रही थी कि वसंत की खुमारी उसके बदन मैं समा चुकी है और वो बस एक बार फिर झड़ने को तड़प रही है।
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Messages In This Thread
RE: कामुक अर्धांगनी - by kaushik02493 - 03-08-2020, 12:38 AM
RE: कामुक अर्धांगनी - by Bhavana_sonii - 24-11-2020, 11:46 PM



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