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पुरानी हिन्दी की मशहूर कहनियाँ
ऐसी स्थिति में मेरी चिंता बढ़नी स्वाभाविक थी।

शादी से पहले तो कुछ भी नहीं किया, अपनी चूत को बचा के रखा, लेकिन अब! क्या अब भी ऐसे ही जिंदगी चलती रही?

तो इतनी सुन्दर काया और तनी हुई चूचियों, उभरे हुए नितम्ब तथा मस्तानी चूत जिसकी अभी तक सील भी नहीं टूटी थी, का क्या अर्थ रह जायेगा?

यह सोच कर मैं बहुत परेशान रह रही थी।

मेरी परेशानी को देख कर मेरी भाभी ने मुझसे जब इसके बारे में पूछा तो मैंने सब कुछ खुलकर बता दिया।

इसके समाधान में उन्होंने मुझे समझाया- तुम स्वयं ही इसकी कोशिश करो, हो सकता है कि शर्मीले स्वभाव के वजह से वो ऐसे नहीं करना चाहते हों।

अगली रात मैंने ऐसा ही किया और अर्धनग्न अवस्था में उनके पास गई ताकि मुझे देख कर उनको जोश जगे तथा सम्भोग आदि की स्थिति बने, वरना बिना चुदाई के ही जीवन न गुजारना पड़े।

मेरे पति ने मेरी तनी हुई चूचियों एवं सेक्सी अंदाज को देखकर बस थोड़ी ही प्रतिक्रिया दी।

मैं समझ गई कि अब सारी स्थिति मुझे ही संभालनी पड़ेगी।

यह सोचकर मैंने लाइट बुझाकर उनके पास लेट गई और उनके कच्छे को ऊपर से ही सहलाने लगी जिससे मुझे उनके लिंग के उभार का पता चला।

काफी देर बाद मैंने कच्छे के अन्दर हिम्मत कर के अपना हाथ डाला तो पाया कि उनका लिंग पतला तथा औसत लम्बाई का था।

काफी मशक्कत के बाद उनका लिंग खड़ा हुआ जिससे मेरी उम्मीदें बढ़ चलीं कि मेरी चुदाई का रास्ता अब साफ़ हो चला था। इसके बाद मैंने उन्हें उत्तेजित किया जिससे उन्होंने मेरी चूचियों को सहलाना और मसलना शुरू किया।

यह मेरा पहला अनुभव था जोकि मुझे मदहोश किये जा रहा था। अब उन्होंने मेरी चूत की तरफ अपना हाथ फेरना चालू किया जिससे मेरी चूत धीरे-धीरे गीली होने लगी।

अब मैं समझ गई कि अब मेरी चुदाई में ज्यादा देर नहीं है। मैंने भी उनका साथ देना चालू रखा।

कच्छे को सरका कर उन्होंने मेरी चूत पर अपने लण्ड को रख कर धक्का मारा, जिससे वो थोड़ा अंदर की ओर सरकने लगे।

मुझे थोड़ी सी पीड़ा होने लगी लेकिन मैं भविष्य का रास्ता साफ़ करना चाहती थी, सो मैंने इसकी परवाह न करते हुए उनका मनोबल ऊँचा रखा।

मैंने भी अपनी तरफ से भी नितम्ब उठा कर पूरा लेने किए लिए धक्का लगाना शुरू किया, जिससे लण्ड अंदर की ओर चीरता हुआ मेरी चूत में समा गया।

इसके साथ ही खून भी निकालने लगा, जो मेरी सील टूटने का संकेत था।

उस औसत दर्जे के लण्ड से भी मेरी सील टूट गई थी।

करीब 10 मिनट में ही धक्कम पेल के बाद मेरे पति का वीर्य छूट गया और वो लण्ड बाहर निकाल कर सो गए।

मैं अभी ठीक से चुद भी नहीं पाई थी। आगे भी कुछ इसी तरह से चलता रहा।

मैंने अपने इस दर्द को फिर से भाभी को बताया जिसे उन्होंने समझते हुए सब्र से काम लेने की बात कही, लेकिन अधूरी चुदाई का दर्द मुझे परेशान कर रहा था।

एक दिन मैं भाभी के कमरे में गई, उस समय वहाँ और कोई नहीं था। वहाँ पर एक बेहद अश्लील किताब पड़ी हुई थी जिसमें चुदाई के बहुत से चित्र थे, चूत, लण्ड, चूचियों के चित्र दिखाई दे रहे थे। यह देख कर मेरे अन्दर आग सी लगने लगी, मैं यह भी भूल गई कि यहाँ पर कोई आ सकता है।

मैंने एक-एक पन्ना पलट कर काफी बारीकी से सारे चित्रों को देखा। मेरा हाथ अपने आप ही मेरी चूत पर चला गया और मैं उसे सहलाने लगी जैसे कि चुदाई की तैयारी चल रही हो।

तभी मेरी भाभी आई और मुझे रंगे हाथों पकड़ लिया।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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