05-03-2019, 01:02 AM
सुबह करीब आठ बजे नींद खुली तो देखा कि राशि और मैं सांपों की तरह एक दूसरे में समाये हुए फर्श पर सो रहे हैं और बाहर सूरज सिर पर चढ़ आया था. राशि को थोड़ा साइड करके मैं नंगा ही उठा और लंड की तरफ देखा. रात की चुदाई के बाद लंड में हल्की सी सूजन थी और बाकी दिनों की अपेक्षा थोड़ा मोटा भी लग रहा था.
मैंने बिना आवाज किए बाथरूम का दरवाजा खोला और लंड को हाथ में लेकर दोनों आंखें बंद करके पेशाब करने का मजा लेने लगा. मन कर रहा था कि काश राशि मेरे घुटनों के पास बैठकर अभी मेरे लंड को अपने गर्म मुंह में ले ले और मैं उसके मुंह में ही मूत लूं. मगर इस वक्त वह गहरी नींद में थी. मैंने पेशाब करने के बाद मुंह धोया और नंगा ही किचन में चला गया.
मैंने रसोई में कॉफ़ी बनायी. कॉफी लेकर बाहर आने ही वाला था कि राशि भी किचन में आ गई और उसने पीछे से मेरी पीठ पर अपने नर्म होंठों का चुम्बन देते हुए मुझे बांहों में भर लिया. मैं उसकी तरफ घूम गया तो उसने प्यार से मेरे दोनों निप्पल्स पर किस किया और कहा- जानेमन, कॉफी की क्या ज़रुरत थी, अपना लंड मुंह में डाल देते … मैं खुद ही उठ जाती!
मैंने उसके चूचों के निप्पलों को अपने अंगूठे और उंगली से पकड़ कर भींच दिया और उसके होंठों पर एक लम्बा सा, गहरा सा चुम्बन दे दिया. कॉफी लेकर हम दोनों फिर से बेडरूम की तरफ चले गए.
मैंने बिना आवाज किए बाथरूम का दरवाजा खोला और लंड को हाथ में लेकर दोनों आंखें बंद करके पेशाब करने का मजा लेने लगा. मन कर रहा था कि काश राशि मेरे घुटनों के पास बैठकर अभी मेरे लंड को अपने गर्म मुंह में ले ले और मैं उसके मुंह में ही मूत लूं. मगर इस वक्त वह गहरी नींद में थी. मैंने पेशाब करने के बाद मुंह धोया और नंगा ही किचन में चला गया.
मैंने रसोई में कॉफ़ी बनायी. कॉफी लेकर बाहर आने ही वाला था कि राशि भी किचन में आ गई और उसने पीछे से मेरी पीठ पर अपने नर्म होंठों का चुम्बन देते हुए मुझे बांहों में भर लिया. मैं उसकी तरफ घूम गया तो उसने प्यार से मेरे दोनों निप्पल्स पर किस किया और कहा- जानेमन, कॉफी की क्या ज़रुरत थी, अपना लंड मुंह में डाल देते … मैं खुद ही उठ जाती!
मैंने उसके चूचों के निप्पलों को अपने अंगूठे और उंगली से पकड़ कर भींच दिया और उसके होंठों पर एक लम्बा सा, गहरा सा चुम्बन दे दिया. कॉफी लेकर हम दोनों फिर से बेडरूम की तरफ चले गए.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
