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पुरानी हिन्दी की मशहूर कहनियाँ
घर आकर मैंने डोरबेल बजाई तो मेरी प्रियतमा राशि मुस्कराती हुई दरवाजा खोलकर मुझे अंदर खींचने लगी. मैं समझ गया कि आज जरूर यह मस्ती के मूड में है.
दरवाजा बंद होते ही उसने मुझे दरवाजे के सहारे ही वहीं पर सटा लिया और मेरी पैंट के ऊपर से ही मेरे लंड पर हाथ फिराते हुए मेरी छाती को सूंघने लगी. मैंने भी उसकी गर्दन के ऊपर से बालों को एक तरफ किया और एक प्यारी सी पप्पी देते हुए उसकी गांड को अपने हाथों में लेकर दबा दिया.
“बहुत देर कर दी आज? मैं कब से इंतजार कर रही थी!” राशि ने नाटकीय गुस्से के साथ सवाल फेंका.
“आज काम थोड़ा ज्यादा था तो थोड़ी देर हो गई.” मैंने उसके गालों को सहलाते हुए कहा.
“ठीक है तुम जरा हाथ-मुंह धो लो, मैं तुम्हारे लिए पानी लेकर आती हूं.”
राशि मटकती हुई किचन की तरफ चली गई.

उसकी गोल मोटी गांड आज उसकी मस्तानी चाल से भी ज्यादा मस्त लग रही थी. मैंने बाथरूम में जाकर कमोड को खोला और अपना अधसोया लंड निकालकर पेशाब की धार को कमोड की तलहटी में इकट्ठा हो रखे पानी में गिराने लगा.
मैंने जल्दी से अपना मुंह धोया और बाहर आ गया.

राशि अभी किचन से वापस नहीं आई थी. मैं स्टोर रूम में चला गया और दरवाजा ढाल दिया. शर्ट के बटन खोले और बाजुओं से कमीज को उतारते हुए पीछे दरवाजे पर टांग दिया. बनियान उतारी और मेरी छाती नंगी हो गई. अपने हाथ से लंड को पैंट के ऊपर से ही सहलाया और पैंट को खोलकर पीछे की तरफ टांग दिया. कपड़े उतारने के बाद बदन में खुलापन आ गया था. मैंने सोचा कि थोड़ी खुल्लस लंड को भी दे दी जाए. मैंने अपने अंडरवियर को निकाल दिया और मेरा काला ‘लाल’ मेरी जांघों के बीच में लटकर झुलता हुआ बाहर आकर चैन की सांस लेने लगा.

मैंने दरवाजे से तौलिया उतारा और अपनी कमर पर लपेट लिया. तभी मेरे कानों में मेरी रानी की आवाज पड़ी- कहाँ गायब हो गए आते ही? तुम्हारा भी पता नहीं चलता, क्या कर रहे हो?
राशि ने जोर से आवाज़ दी.
“कपड़े बदल रहा हूँ, स्टोर रूम में हूँ.” मैंने जवाब दिया.
कपड़े उतार कर तौलिया लपेट कर बाहर आया और पूछा- क्या हुआ? कोई काम है क्या?

राशि ने बिना कोई जवाब दिए मुस्कुराकर एक हाथ की उंगलियाँ मेरे निप्पल्स पर फेरनी शुरू कीं और मेरा टॉवल निकाल कर दूसरे हाथ से लंड हिलाना शुरू किया और अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए. मैंने भी ब्लाउज के ऊपर से ही उसके चूचे मसलना शुरू किया और हम दोनों की जीभ एक दूसरे के मुंह में सैर करने लगी.
उसके अधखुले ब्लाउज के सारे बटन खोलकर उसके चूचों को कैद से आज़ाद किया और धीरे-धीरे एक हाथ को नीचे ले जाते हुए उसकी कमर सहलाते हुए पेटीकोट का नाड़ा खोला और हम दोनों सांपों की तरह नंगे एक दूसरे से लिपट गए.

उसकी नशीली आँखों में झाँक कर मैंने पूछा- क्या बात है, बड़ी बेचैन हो? तुम्हारे चूचे इतने उफान पर कम ही होते हैं.
राशि विस्तार से बताने लगी:
आज घर गयी थी माँ के पास दोपहर में. माँ और बाबा तो कहीं गए हुए थे पर घर पर बड़े भैया और आशा भाभी दरवाज़ा खुला छोड़ कर भूल गए और रसोई में ही चुदाई कर रहे थे. मैं थोड़ी ओट में थी तो उन दोनों ने ध्यान नहीं दिया और मैं पूरी फिल्म देखने लगी. भाभी कुतिया बन कर बड़े भैया का लंड चूस रही थी.
मैं जब गई तब शायद भाभी को लंड चूसते हुए काफी वक़्त हो गया था, तभी मेरे पहुँचने के कुछ मिनट बाद ही बड़े भैया ने अपना सारा वीर्य आशा भाभी के मुंह में छोड़ दिया और भाभी ने भी पूरा वीर्य पी लिया और लंड साफ़ करके भैया का मुंह अपनी चूचियों में घुसा दिया.
भैया भी मज़े से चूचियां चूसते रहे और कुछ 20 मिनट बाद भाभी को रसोई की स्लैब पर बैठा कर चूत चाटने लगे.
आशा भाभी की टांगें स्लैब पर चौड़ी होकर फैलती ही जा रही थीं. भैया उसकी चूत की चटाई ऐसे कर रहे थे जैसे उन्होंने कभी चूत देखी ही न हो. उफ्फ … भाभी का वह चेहरा अब मुझे याद आता है तो मेरी चूत में कुलबुली मच जाती है. वह तुम्हारे होंठों के लिए चीख पुकार करने लगती है.
भैया स्लैब पर भाभी की चूत चाटने में लगे हुए थे और मैं अपनी चूत को शांत करने की नाकाम कोशिश कर रही थी. यह हरामन मगर मेरी उंगलियों से कहां शांत होने वाली थी. फिर भी मैंने पूरी कोशिश की भैया और भाभी की फिल्म देखते हुए मजा लेने की मगर तुम्हारे लंड के अलावा इसको भला और कौन शांत कर सकता है मेरे राजा!
बहुत देर तक भैया ने भाभी की चूत अपनी जीभ से चोदी और जब तीसरी बार भाभी झड़ी तब भैया ने दोबारा अपना लंड भाभी के मुंह में दे दिया.
आशा भाभी भूखी कुतिया की तरह उस पर टूट पड़ी. कुछ ही पल बाल भैया ने लंड को भाभी के मुंह से निकलवा दिया और उसके गीले होंठों पर फिराने लगे. भैया के लंड का सुपाड़ा लाल गाजर के जैसे रंग में आ चुका था जिसको भाभी लॉलीपोप की तरह बीच-बीच में अपनी जीभ से चाट लेती थी.
भैया ने आशा के भाभी के बालों को पकड़ा और अपने लंड की गोलाई पर भाभी के होंठों को फिराने लगे. भाभी भी गंदी फिल्मों की रांड की तरह भैया के लंड को चाट कर गीला कर रही थी. जब इतने से भी मन नहीं भरा तो भाभी ने उनके लंड को अपनी आंखों पर रखवा लिया और भैया ने भाभी के चूचों को इतनी जोर से मसला कि भाभी ने भैया के चूतड़ों को कचोट दिया. आह्ह … यह देखते ही मेरी चूत ने वहीं पर पानी छोड़ दिया.
मगर मेरा दिल भी नहीं भर रहा था. ऐसी चुदाई भला मैं बीच में छोड़कर कैसे आती.

राशि आगे बताने लगी:
फिर भैया ने आशा भाभी को कुतिया बनाया और अपना लंड उसकी चूत में पेलते हुए मस्त चुदाई शुरू कर दी. भाभी की हालत गली की कुतिया के जैसी हो गई थी जो तीन-चार कुत्तों का लंड लेने के बाद अपनी जान छुड़ाती हुई भागने लगती है. भैया ने पूरी स्पीड के साथ भाभी की चूत की खुदाई चालू रखी और अचानक से उन्होंने भाभी के चूचों को अपने हाथों में भर लिया और उनकी कमर पर लेटते चले गए.
भैया ने सारा वीर्य भाभी की चूत में छोड़ दिया और दो मिनट के बाद दोनों ही शांत होकर उठ खड़े हुए.
पूरी चुदाई करने के बाद दोनों ने नंगे ही खाना बनाया और खाना खाकर पहले तो भैया ने भाभी की चूचियां चूसीं, फिर भाभी की चूत तब तक चाटते रहे जब तक वो झड़ नहीं गयी और फिर लंड पर तेल लगा कर आशा भाभी की गांड में अपना मोटा काला लंड घुसा दिया.
भाभी को देखकर मैं हैरान थी. वह बड़े आराम से भैया का लंड अपनी गांड में ले रही थी. बल्कि भाभी को इतना मजा आ रहा था कि वह बड़े भैया के चूतड़ों को पकड़ कर अपनी गांड की तरफ धकेल रही थी. भैया ने भी भाभी के बालों को पीछे की तरफ खींच रखा था जैसे भूरी घोड़ी पर काली लगाम हो.
भैया के धक्के इतने तेज थे कि पूरे किचन में थप्प-थप्प की आवाज गूंज रही थी. मगर भाभी के जिस्म और चेहरे पर शिकन नाम की कोई रेखा मुझे कहीं पर भी दिखाई नहीं दे रही थी.
भाभी भी गांड हिला-हिला कर मज़े ले रही थी, शायद भैया ने झड़ने से पहले ही लंड निकाल लिया और फिर पहले तो लंड भाभी से चुसवाया और फिर आशा भाभी की चूचियों को अपने लंड से थोड़ा सहलाया और फिर एक बार और चूत चुदाई की.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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Pahli bar bahan k sath picnic - by neerathemall - 14-02-2019, 03:18 AM
RE: पुरानी हिन्दी की मशहूर कहनियाँ - by neerathemall - 05-03-2019, 01:01 AM
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