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पुरानी हिन्दी की मशहूर कहनियाँ
आज के गेम से मेरी झिझक कम हो गई थी और भाबी मेरे से बहुत मज़ाक करने लगी थीं. अब तो वे कभी मेरे मम्मों को दबा देतीं, कभी मेरे हिप्स में चपत मार देतीं… ये अब आम बात हो गई थी. हम दोनों सहेलियों के जैसे बर्ताव करने लगे थे.

उसी रात को भाबी फिर एक साइड में ही सोईं. मैं भैया की तरफ़ वाली साइड में सो गई.

कुछ देर बाद भैया शुरू हो गए, उनका हाथ मेरे मम्मों पर आ गया. आज मैंने भी कुछ नहीं कहा. उस दिन भैया ने पहली बार मेरी पेंटी और मेरी चूत को टच किया. अब मैं तो आसमान में उड़ रही थी और भैया मेरे दोनों मम्मों पर अपनी मजबूत पकड़ बना रहे थे. मैं भी चाहती थी कि भैया आज मुझे चोद कर अपना बना लें.

कुछ ही पलों में वो मुझे पागलों की तरह चूमने लगे. मैं भी उनके बालों में हाथ फेर रही थी. भैया ने मेरा हाथ अपने लंड पर सरका दिया तो मैंने भी भैया का लंड भी टच किया. उनका लंड एकदम टाइट मोटा लंबा था.

कुछ ही देर में भैया ने मेरी ब्रा भी निकाल दी. अब मैं ऊपर से नंगी थी. नीचे मेरे जिस्म पर स्कर्ट और पेंटी थी. भैया ने वो भी निकाल दी.

अब भैया ने नीचे को होकर पहली बार मेरी क्लीन चूत पर किस किया और अपनी जीभ से मुझे चोदने लगे. मैंने भी अपने टांगें खोल दीं और चुत चटवाने का मजा लेने लगी ‘आआआहह ओह…’

मैं अपनी कामुक आवाज़ को अपने मुँह में ही रहने की कोशिश करती रही.

फिर अचानक से भाबी उठ गईं और बोलीं- यहां का एसी बहुत तेज चल रहा है, मुझे तो ठंड सी लग रही है, मैं बाहर जाकर सोती हूँ.
मैं समझ गई कि भाबी ने मुझे चुदने का पूरा मौका दे दिया है. जैसे ही भाबी गईं, भैया ने मुझे अपने ऊपर लिटा लिया और मेरी कमर और गांड पे हाथ फेरने लगे.

फिर भैया ने मेरी चूत चूसना शुरू किया मेरी मादक सिसकारियां निकल रही थीं- आआ उम्म्ह… अहह… हय… याह… आहह ओह मुऊ… उम्मईं आआहह…
मैं ये सब कर रही थी तो भैया बोले- तू तो एकदम मस्त माल हो गई है.
मैंने बोला- आप भी तो मुझे पाकर मस्त हो गए हो.

फिर भैया ने अपना लंड मेरे मुँह पर रख दिया. मैंने अपना मुँह खोल दिया और लंड को प्यार करने लगी, भैया का लंड चूसने लगी. मुझे बहुत मजा आने लगा. भैया अपने लंड से मेरा मुँह चोदने लगे.

थोड़ी देर में भैया ने कहा- ऋतु अब मैं तेरी चूत में अपना लंड डालूँगा… आज तुझे अपनी बना लूँगा.
मैं बोली- हां बना लो ना… मैं तो आपकी ही हूँ मेरे राजा भैया.
भैया बोले- एक प्रॉमिस कर आज से भैया नहीं कहेगी… तू मुझे वीरू बोलेगी.
मैंने कहा- ठीक है मेरे वीरू राजा… अब जल्दी से डाल भी दो अन्दर.

जब वीरू ने अपना लंड मेरी चूत में डाला तो मुझे दर्द भी हुआ था और ये लग रहा था कि भाबी अन्दर ना आ जाएं… और खेल न बिगड़ जाए.
कुछ देर के दर्द के बाद मैं बहुत मजे में आ गई थी. खुद नीचे से अपनी गांड उठा कर लंड ले रही थी ‘आआआहह… आअहह…’
भैया जब तेज झटके मारते थे तो मैं ‘उईईईई मम्मीं… मर गई…’ मचल कर कामुकता से बोलने लगती थी.

भैया मुझे चोदते हुए बोले- बोल… तू मेरी कुतिया है.
मैं भी बोल देती- हाँ हूँ तेरी कुतिया… साले चोद मुझे आआआहह ओह मुऊऊउउ… मम्मीममम मर गई… कितना मोटा लंड है… आअहह…’

तभी मैं एकदम से अकड़ कर फ्री हो गई थी. कुछ देर मुझे पेलने के बाद वीरू भैया भी मेरी चूत में ही झड़ गए और मेरे ऊपर ही लेटे हुए थे. मैं उनको किस करने लगीं. भैया का लंड अब भी मेरी चूत में ही था. फिर पता ही नहीं चला और हम दोनों ऐसे ही सो गए.

सुबह मुझे वीरू भैया ने जगाया और मैं उठ कर फ्रेश होने चली गई. फिर आज मैंने चाय बनाई, भाबी भैया को चाय दी.
भाबी हंस कर बोलीं- तू रात में इतना शोर क्यों मचा रही थी… आराम से सोया कर ना.
मैंने सोचा शायद मैं पकड़ी गई. तभी भाबी बोलीं- चल अब नहा ले.

मैं नहा कर आई तो भैया भाबी के होंठ चूस रही थीं. मैं उन दोनों को देख कर कमरे में आते हुए ठिठक गई. मैं खांस कर बोली- मैं बाद में आती हूँ.
भाबी अलग होते हुए बोलीं- कोई बात नहीं ननद रानी… इसमें क्या शर्म इधर आओ.
उन्होंने मुझे अपने पास बुलाया तो भैया बोले- इसको जाने दो.
तभी भाबी बोलीं- क्यों जब रात को तुम दोनों ये सब कर रहे थे, तो दिन में भी तो कर सकते हो.

मैं डर के मारे सकपकाने लगी. भाबी बोलीं- घबरा मत… सच बता क्या चाहती है तू?
अब मैं बोली- जैसा आप चाहें.
तो भाबी बोलीं- मैं तो ये चाहती हूँ कि तुझे वीरू से अभी मेरे सामने चुदवाना होगा.
मैं मन ही मन में बहुत खुश हुई. मैंने पहले मना किया. तभी भाबी ने भैया से कहा- तुम क्यों चुप हो… चोदो साली को.

वीरू ने मुझे अपनी गोद में खींच लिया और भाबी के सामने ही मुझे नंगी करके चोदने लगे.
उस दिन भैया ने मुझे 3 बार चोदा और आज इस चुदाई में भाबी भी नंगी होकर चुत चुदाई का मजा ले रही थीं.

बस इसके बाद तो जब तक मैं मौसी के घर रही समझो मेरी चुत में भैया का लंड आता जाता रहा. अब बिना लंड लिए मुझे चैन ही नहीं पड़ता है.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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