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Adultery हर ख्वाहिश पूरी की
26>
अरे लल्लाजी.. कुच्छ नही हुआ… लो इसको चूसो.. हान्ं.. शब्बाश… ऐसे ही..

मुझे अपनी चुचि से लगा कर उन्होने अपनी गांद को एक बार और दबा दिया…

अब आधे से ज़्यादा लंड उनकी चूत में सरक चुका था… लेकिन फिर से दर्द हुआ मुझे और उनकी चुचि को मूह से बाहर निकल कर कराहने लगा..

भाभी मुझे दुलारती हुई दूसरी चुचि मूह में देकर चुसवाने लगी..

कुच्छ देर बाद मुझे राहत सी हुई.. तो भाभी पूरी तरह मेरे उपर बैठ गयी और मेरा पूरा साडे सात इंच लंबा और ढाई इंच मोटा लंड अपने अंदर घोंट लिया..

मेरा दर्द अब पहले से कम था, शायद उनकी रामप्यारी ने अंदर ही अंदर अपने रस रूपी क्रीम से उसे चिकना दिया था..

अब भाभी ने मेरी छाती पर अपनी हथेलिया जमाई और अपने घुटने मोड़ कर उन्होने उठना बैठना शुरू कर दिया…

शुरू-2 में वो धीरे-2 आराम से उपर-नीचे होती रही.. फिर अपनी गति को बढ़ा दिया..

मुझे अब दर्द की जगह मज़ा आने लगा था.. और मेने भाभी के दोनो चुचे अपनी मुत्ठियों में कस लिए और ज़ोर-ज़ोर से मीँजने लगा…

भाभी कमर चलते-2 हाँफने लगी थी और उनकी स्पीड कम पड़ने लगी,

लेकिन मेरा मज़े से बुरा हाल हो रहा था, एक पल की भी देरी एक सदी के समान लग रही थी….,

सो उनकी गति कम होते देख, मेरी गांद ऑटोमॅटिकली मूव करने लगी और मे नीचे से अपनी गांद उचका-2 कर धक्के लगाने लगा.

भाभी ने अपने धक्के बंद कर दिए, अब वो अपने घुटनो पर हो गयी,



मेने नीचे से धक्कों की कमान अपने हाथ में ले ली और इतनी तेज़ी से धक्के मारने लगा, कि भाभी के मूह से हइई…..हइई…आआहह…मार्ररिइ…ऊओह…उउफफफ्फ़… जैसी आवाज़ें कमरे में गूंजने लगी….

वो मेरे धक्कों की स्पीड ज़्यादा देर तक नही झेल पाई और झड़ने लगी… पूरी तरह झड़ने के बाद वो मेरे उपर पसर गयी…

लेकिन मेरा अभी होना वाकी था, सो मे अपनी ही धुन में लगा रहा..

भाभी थोड़ी देर में फिरसे गरम हो गयी.. और फिरसे उनके मूह से ऐसे ही मादक किलकरियाँ निकलने लगी…

आखिकार मेने जिंदगी की पहली चुदाई का आनंद पा ही लिया… मेरे अण्डों से बहता हुआ लावा लंड के रास्ते आने लगा…

और मे बुरी तरह हुनकाआररर… भरते हुए भाभी की चूत में झड़ने लगा…

मेरी पिचकारी इतनी तेज़ी से निकली कि उसकी धार की तेज़ी उन्होने अपनी बच्चेदानी के अंदर तक महसूस की और उसके एहसास से वो फिर बुरी तरह से झड गयी…

मेरी कमर हवा में उठ गयी, भाभी के वजन के बावजूद मेने उन्हें दो मिनट तक उठाए रखा….

फिर भाभी और मे, हम दोनो ही एक दूसरे से चिपक गये किसी जोंक की तरह… मानो कोई हमें अलग ना कर्दे..

स्खलन की खुमारी इतनी तगड़ी थी कि आधे-पोने घंटे तक वो मेरे उपर पड़ी रही, और मेने भी उन्हें उठने के लिए नही कहा…

एक तरह से झपकी ही लग गयी थी हम दोनो को…

फिर एक साथ भाभी हड़बड़ा कर उठी,… हाए डाइयाअ.. मेरी तो आँख ही लग गयी थी..तुमने मुझे उठाया क्यों नही…

अभीतक मेरा लंड उनकी चूत में ही था… जो फिरसे गर्मी पाकर अंदर ही अंदर अकड़ने लगा था,

जैसे ही भाभी एक साथ मेरे उपर से उठी, पच की आवाज़ के साथ लंड चूत से बाहर हो गया.

ढेर सारा मसाला जो मेरे लंड और उनकी चूत से दो बार निकला था मेरे उपर गिरा और मेरा सारा पेट, कमर जंघें सब के सब सन गये…

भाभी ने मुझे बाथरूम जाने को कहा – लल्लाजी जाके ये सब साफ कर लो.. देखो तो क्या हॉल हो रहा है..?

मे – आपको अपनी सफाई नही करनी..?

वो – हां ! लेकिन पहले तुम अपना शरीर साफ कर लो फिर में चली जाउन्गी..

मे – फिर साथ में ही चलते हैं ना..! इसमें अब मेरा तेरा क्या है..!

तो वो हंस कर बोली – चलो ठीक है, और उठकर बाथरूम की तरफ चल दी, पीछे -2 मे भी उनकी मटकती गांद को सहलाते हुए चल दिया…

बाथरूम में पहुँचकर भाभी ने पहले मेरा शरीर पानी से धोया, और उसके बाद अपनी यौनी साफ करने लगी…

तौलिए से पोन्छ्ते हुए भाभी बोली – देवेर्जी कैसा लगा मेरे साथ सेक्स करके..

मेने सीधे से कोई जबाब नही दिया, और उन्हें बाहों में भरके उनके होठों पर एक किस करके बोला –

सच कहूँ… तो आपने मुझे बिन-मोल खरीद लिया भाभी.. मरते दम तक आज के दिन को, चाह कर भी भूल नही पाउन्गा…!

वो – बस मेरी साधना सफल हो गयी ये सुनकर… ! मेरा सपना था कि मे तुम्हें तुम्हारे जीवन की हर वो खुशी दे पाऊ जो तुम्हे चाहिए..!

मेने खुशी के मारे भाभी को किसी बच्ची की तरह गोद में उठा लिया… वो भी अपनी दोनो टाँगों को मेरी कमर के इर्द-गिर्द लपेट कर मेरे गले से लिपट गयी…..

मेरा लंड उनकी गांद की खुश्बू लेते ही तन टॅनाने लगा.. और उनके गांद के नीचे ठोकर मारने लगा….

अपने घोड़े को कंट्रोल में करो देवर्जी… बहुत उच्छल-कूद कर रहा है नीचे.. भाभी हँसते हुए बोली..

मे – वो बेचारा भी क्या करे, जब इतना आरामदायक अस्तबल दिख रहा हो तो वो उसमें जाने की ज़िद करेगा ही ना…

ऐसी ही हसी मज़ाक करते हुए.. में उन्हें गोद में उठाए बाथरूम से बाहर लाया और आकर पलग पर बैठ गया, वो अभी भी मेरी गोद में ही थी…..


भाभी – अब उतारो भी मुझे.. या कुच्छ और इरादा है..?

मे – मन ही नही कर रहा है आपको छोड़ने का....

वो – इतना प्यार करते हो अपनी भाभी से…!

मे – जान हाज़िर है.. आपके एक इशारे पर… अब आप सिर्फ़ मेरी भाभी नही रहीं, जान बन गयी हो मेरी, मेने फिरसे उन्हें अपने से चिपका लिया....

भाभी भी मेरे गले में अपनी मांसल गोरी-गोरी बाहों का हार डाले मेरे होठों को चूसने लगी.. .

मेने उन्हें अपने हाथों से उनकी पीठ पर सहारा देकर लिटा लिया और उनका दूध पीने लगा,

भाभी का सर पीछे को लटक गया, और एक बार फिर उनका मांसल गदराया बदन मस्ती से भरने लगा…

उन्होने अपना एक हाथ नीचे लेजा कर मेरे लंड को उपर की तरफ किया और वो उसके उपर अपनी चूत से मालिश करने लगी….

उनके रस सागर से नमी चख कर वो मस्ती में झूम उठा, और फन-फ़ना कर फिरसे उनकी सुरंग में जाने की ज़िद करने लगा…

हम दोनो फिर एक बार वासना की आग में जलने लगे,

उसे शांत करने के प्रयास में भाभी ने एक कदम बढ़ाते हुए मेरे लंड को पकड़ कर अपनी गुफा के मूह पर सटा लिया… और धीरे से अपनी कमर में एक हल्की सी जुम्बिश दी…

सर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर… से वो रसभरी सुरंग में आधे रास्ते तक पहुँच गया..

एक साथ हम दोनो के मूह से मस्ती भारी आहह…. फुट पड़ी…

उफफफफफफफफफफफ्फ़…. इतना मज़ा…. ! भाभी आधे लंड को लेकर अपनी कमर को गोल-गोल घुमाने लगी मानो वो उसे मथकर उसमें से रस निकालना चाहती हो…..

मेरे सब्र का बाँध टूट गया , और मेने उन्हें पलग पर लिटा दिया, टाँगे हवा में उठाकर एक भरपूर ताक़तवर धक्का जड़ दिया… अरे लल्लाजी.. कुच्छ नही हुआ… लो इसको चूसो.. हान्ं.. शब्बाश… ऐसे ही..

मुझे अपनी चुचि से लगा कर उन्होने अपनी गांद को एक बार और दबा दिया…

अब आधे से ज़्यादा लंड उनकी चूत में सरक चुका था… लेकिन फिर से दर्द हुआ मुझे और उनकी चुचि को मूह से बाहर निकल कर कराहने लगा..

भाभी मुझे दुलारती हुई दूसरी चुचि मूह में देकर चुसवाने लगी..

कुच्छ देर बाद मुझे राहत सी हुई.. तो भाभी पूरी तरह मेरे उपर बैठ गयी और मेरा पूरा साडे सात इंच लंबा और ढाई इंच मोटा लंड अपने अंदर घोंट लिया..

मेरा दर्द अब पहले से कम था, शायद उनकी रामप्यारी ने अंदर ही अंदर अपने रस रूपी क्रीम से उसे चिकना दिया था..

अब भाभी ने मेरी छाती पर अपनी हथेलिया जमाई और अपने घुटने मोड़ कर उन्होने उठना बैठना शुरू कर दिया…

शुरू-2 में वो धीरे-2 आराम से उपर-नीचे होती रही.. फिर अपनी गति को बढ़ा दिया..

मुझे अब दर्द की जगह मज़ा आने लगा था.. और मेने भाभी के दोनो चुचे अपनी मुत्ठियों में कस लिए और ज़ोर-ज़ोर से मीँजने लगा…

भाभी कमर चलते-2 हाँफने लगी थी और उनकी स्पीड कम पड़ने लगी,

लेकिन मेरा मज़े से बुरा हाल हो रहा था, एक पल की भी देरी एक सदी के समान लग रही थी….,

सो उनकी गति कम होते देख, मेरी गांद ऑटोमॅटिकली मूव करने लगी और मे नीचे से अपनी गांद उचका-2 कर धक्के लगाने लगा.

भाभी ने अपने धक्के बंद कर दिए, अब वो अपने घुटनो पर हो गयी,



मेने नीचे से धक्कों की कमान अपने हाथ में ले ली और इतनी तेज़ी से धक्के मारने लगा, कि भाभी के मूह से हइई…..हइई…आआहह…मार्ररिइ…ऊओह…उउफफफ्फ़… जैसी आवाज़ें कमरे में गूंजने लगी….

वो मेरे धक्कों की स्पीड ज़्यादा देर तक नही झेल पाई और झड़ने लगी… पूरी तरह झड़ने के बाद वो मेरे उपर पसर गयी…

लेकिन मेरा अभी होना वाकी था, सो मे अपनी ही धुन में लगा रहा..

भाभी थोड़ी देर में फिरसे गरम हो गयी.. और फिरसे उनके मूह से ऐसे ही मादक किलकरियाँ निकलने लगी…

आखिकार मेने जिंदगी की पहली चुदाई का आनंद पा ही लिया… मेरे अण्डों से बहता हुआ लावा लंड के रास्ते आने लगा…

और मे बुरी तरह हुनकाआररर… भरते हुए भाभी की चूत में झड़ने लगा…

मेरी पिचकारी इतनी तेज़ी से निकली कि उसकी धार की तेज़ी उन्होने अपनी बच्चेदानी के अंदर तक महसूस की और उसके एहसास से वो फिर बुरी तरह से झड गयी…

मेरी कमर हवा में उठ गयी, भाभी के वजन के बावजूद मेने उन्हें दो मिनट तक उठाए रखा….

फिर भाभी और मे, हम दोनो ही एक दूसरे से चिपक गये किसी जोंक की तरह… मानो कोई हमें अलग ना कर्दे..

स्खलन की खुमारी इतनी तगड़ी थी कि आधे-पोने घंटे तक वो मेरे उपर पड़ी रही, और मेने भी उन्हें उठने के लिए नही कहा…

एक तरह से झपकी ही लग गयी थी हम दोनो को…

फिर एक साथ भाभी हड़बड़ा कर उठी,… हाए डाइयाअ.. मेरी तो आँख ही लग गयी थी..तुमने मुझे उठाया क्यों नही…

अभीतक मेरा लंड उनकी चूत में ही था… जो फिरसे गर्मी पाकर अंदर ही अंदर अकड़ने लगा था,

जैसे ही भाभी एक साथ मेरे उपर से उठी, पच की आवाज़ के साथ लंड चूत से बाहर हो गया.

ढेर सारा मसाला जो मेरे लंड और उनकी चूत से दो बार निकला था मेरे उपर गिरा और मेरा सारा पेट, कमर जंघें सब के सब सन गये…

भाभी ने मुझे बाथरूम जाने को कहा – लल्लाजी जाके ये सब साफ कर लो.. देखो तो क्या हॉल हो रहा है..?

मे – आपको अपनी सफाई नही करनी..?

वो – हां ! लेकिन पहले तुम अपना शरीर साफ कर लो फिर में चली जाउन्गी..

मे – फिर साथ में ही चलते हैं ना..! इसमें अब मेरा तेरा क्या है..!

तो वो हंस कर बोली – चलो ठीक है, और उठकर बाथरूम की तरफ चल दी, पीछे -2 मे भी उनकी मटकती गांद को सहलाते हुए चल दिया…

बाथरूम में पहुँचकर भाभी ने पहले मेरा शरीर पानी से धोया, और उसके बाद अपनी यौनी साफ करने लगी…

तौलिए से पोन्छ्ते हुए भाभी बोली – देवेर्जी कैसा लगा मेरे साथ सेक्स करके..

मेने सीधे से कोई जबाब नही दिया, और उन्हें बाहों में भरके उनके होठों पर एक किस करके बोला –

सच कहूँ… तो आपने मुझे बिन-मोल खरीद लिया भाभी.. मरते दम तक आज के दिन को, चाह कर भी भूल नही पाउन्गा…!

वो – बस मेरी साधना सफल हो गयी ये सुनकर… ! मेरा सपना था कि मे तुम्हें तुम्हारे जीवन की हर वो खुशी दे पाऊ जो तुम्हे चाहिए..!

मेने खुशी के मारे भाभी को किसी बच्ची की तरह गोद में उठा लिया… वो भी अपनी दोनो टाँगों को मेरी कमर के इर्द-गिर्द लपेट कर मेरे गले से लिपट गयी…..

मेरा लंड उनकी गांद की खुश्बू लेते ही तन टॅनाने लगा.. और उनके गांद के नीचे ठोकर मारने लगा….

अपने घोड़े को कंट्रोल में करो देवर्जी… बहुत उच्छल-कूद कर रहा है नीचे.. भाभी हँसते हुए बोली..

मे – वो बेचारा भी क्या करे, जब इतना आरामदायक अस्तबल दिख रहा हो तो वो उसमें जाने की ज़िद करेगा ही ना…

ऐसी ही हसी मज़ाक करते हुए.. में उन्हें गोद में उठाए बाथरूम से बाहर लाया और आकर पलग पर बैठ गया, वो अभी भी मेरी गोद में ही थी…..


भाभी – अब उतारो भी मुझे.. या कुच्छ और इरादा है..?

मे – मन ही नही कर रहा है आपको छोड़ने का....

वो – इतना प्यार करते हो अपनी भाभी से…!

मे – जान हाज़िर है.. आपके एक इशारे पर… अब आप सिर्फ़ मेरी भाभी नही रहीं, जान बन गयी हो मेरी, मेने फिरसे उन्हें अपने से चिपका लिया....

भाभी भी मेरे गले में अपनी मांसल गोरी-गोरी बाहों का हार डाले मेरे होठों को चूसने लगी.. .

मेने उन्हें अपने हाथों से उनकी पीठ पर सहारा देकर लिटा लिया और उनका दूध पीने लगा,

भाभी का सर पीछे को लटक गया, और एक बार फिर उनका मांसल गदराया बदन मस्ती से भरने लगा…

उन्होने अपना एक हाथ नीचे लेजा कर मेरे लंड को उपर की तरफ किया और वो उसके उपर अपनी चूत से मालिश करने लगी….

उनके रस सागर से नमी चख कर वो मस्ती में झूम उठा, और फन-फ़ना कर फिरसे उनकी सुरंग में जाने की ज़िद करने लगा…

हम दोनो फिर एक बार वासना की आग में जलने लगे,

उसे शांत करने के प्रयास में भाभी ने एक कदम बढ़ाते हुए मेरे लंड को पकड़ कर अपनी गुफा के मूह पर सटा लिया… और धीरे से अपनी कमर में एक हल्की सी जुम्बिश दी…

सर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर… से वो रसभरी सुरंग में आधे रास्ते तक पहुँच गया..

एक साथ हम दोनो के मूह से मस्ती भारी आहह…. फुट पड़ी…

उफफफफफफफफफफफ्फ़…. इतना मज़ा…. ! भाभी आधे लंड को लेकर अपनी कमर को गोल-गोल घुमाने लगी मानो वो उसे मथकर उसमें से रस निकालना चाहती हो…..

मेरे सब्र का बाँध टूट गया , और मेने उन्हें पलग पर लिटा दिया, टाँगे हवा में उठाकर एक भरपूर ताक़तवर धक्का जड़ दिया…
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RE: हर ख्वाहिश पूरी की - by nitya.bansal3 - 30-07-2020, 05:21 PM



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