29-07-2020, 06:54 PM
“हम पहुँच गए सर.” उसने एक तीन मंजिला ईमारत के सामने गाडी रोकी. ये एक पोश मार्किट था जिसकी उपरी मंजिल पर शानदार बुटिक था पहली मंजिल पर एक शेयर मार्किट का ऑफिस था और ग्राउंड फ्लोर पर एक इलेक्ट्रॉनिक्स का शोरूम था. दिन में वहां बहुत भीड़ रहती है और पार्किंग की जगह भी नहीं होती पर उस वक़्त क्योंकि रात के 10.30 बज चुके थे सारी दुकाने बंद थी. ऊपर वाला बुटिक भी बंद था बस उसमें एक बंगाली लड़का प्रशांत था जो रात को वहीँ सोता था और वहां के सारे छोटे मोटे काम करता था. मिस्टर और मिसेज रहेजा वहां आते रहते थे इसलिए प्रशांत रहेजा को जानता था. उसके डिज़ाइनर मालिक ने भी उसको फ़ोन करके सब कुछ समझा दिया था.
“चलो सुरभि आओ.. और विजय तुम यहीं रुकना क्योंकि इस वक़्त मार्किट बंद हो गया है मैं नहीं चाहता मेरी इस नयी ऑडी को कोई नुक्सान पहुचे. हम लोग जल्दी से आते है, कोई प्रॉब्लम होगी तो तुम्हे कॉल कर लूँगा.”
“ओके ओके सर.” विजय और क्या बोल सकता था अपने बॉस को जिनकी बदौलत उसे उनकी इतनी शानदार ऑडी चलाने को मिल रही थी. पर उसे नहीं पता था की इस ऑडी के बदले उसका बॉस उसकी उससे कहीं शानदार बीवी की सवारी कर रहा था.
गाडी की ड्राइविंग सीट पर बैठा विजय अपने बॉस के साथ जाती अपनी बीवी की गोरी नंगी पीठ और उसके नीचे उसकी मटकती हुई गांड को हसरत भरी निगाहों से देख रहा था और सोच रहा था की इतनी अच्छी बीवी होते हुए उसने दृष्टि से सेक्स करने का पंगा क्यों लिया. और अपनी रिकॉर्डिंग की बात याद आते ही उसके माथे पर पसीना आ गया और वो इश्वर से प्रार्थना करने लगा की ये बात उसकी भोली भाली सुरभि को पता नहीं चलनी चाहिए.
भोली भाली सुरभि जैसे ही पहली मंजिल पर चडी रहेजा ने उसे अपनी बाँहों में दबोच लिया और उसके होठों पर अपने होठ चिपका दिए. इतनी देर से चल रही उत्तेजक घटना ने सुरभि को भी गरमा दिया था. इस बात की परवाह किये बिना की वो लोग कहाँ हैं सुरभि ने भी रहेजा के होठों को चूसना शुरू कर दिया रहेजा के हाथ उसकी मांसल गांड को मथने लगे दोनों के अधर खुल गए और दोनों की जीभ एक दुसरे से कुश्ती लड़ने लगी जल्दी ही दोनों की साँसे भारी होने लगी. किस ख़तम करके दोनों फिर से ऊपर की ओर चल दिए. पूरी बिल्डिंग में इस वक़्त कोई भी नहीं था सिवाय प्रशांत के. रहेजा ने जब बेल बजाई तो प्रशांत ने दरवाजा खोला अन्दर शानदार रिसेप्शन एरिया था लेकिन वो उन दोनों को अन्दर ले कर गया. अन्दर वाले रूम में शोरूम था जहां अलग अलग डिजाईन के कपडे डिस्प्ले पर लगे थे. सभी कपडे बेहद शानदार और महंगे लग रहे थे. लेकिन वो उन दोनों को उसके भी अन्दर रूम में ले कर गया जहाँ सिलाई का काम होता था. वहीँ दो ट्रायल रूम भी बने थे . और एक रूम उसके साइड में था जिसमे एक बेड पड़ा था जहाँ प्रशांत सोता था वहीँ कार्नर में छोटा सा किचेन था जहा प्रशांत चाय या कॉफ़ी बनाता था. प्रशांत ने उनको वो ड्रेस दे दी जो एकदम रेडी थी और उसने सुरभि को वो ड्रावर दिखा दी जहाँ उसकी मैचिंग ज्वेलरी रखी थी. सुरभि ने देखा की एक बॉक्स में कोड नंबर लिखा था जो की बिलकुल वही था जो कीर्ति की ड्रेस के ऊपर टैग में लिखा था. जब सुरभि ने उस बॉक्स को खोला तो वो बिलकुल वो ही ज्वेलरी थी. देख कर सुरभि खुश हो गयी. जिस काम के लिए वो टेंशन कर रही थी वो तो एकदम रेडी था और दो मिनट में उन्हें सामान मिल गया था.
“अरे वाह सब कुछ रेडी था, चलिए सर.” सुरभि मुड़ी तो रहेजा उसकी ओर गहरी नजरों से देख रहा था. उसने वो ड्रेस के ऊपर लगा टैग निकाला फिर उस बॉक्स के ऊपर का टैग निकला दोनों को मिलाया फिर फाड़कर फेंक दिया. सुरभि को अजीब लगा वो उसकी ओर देखने लगी. प्रशांत भी देख रहा था पर उसकी नजर ज्यादा समय सुरभि की सेक्सी नंगी पीठ और उसकी गांड पर ही लगी थी. वो कई बार अपने फुदकते लौड़े को सेट कर चुका था और सोच चुका था की इस माल के जाने के बाद इसके नाम की ही मुठ मारेगा. रहेजा भी उसको एक दो बार लंड सहलाते हुए देख चुका था.
उन दोनों को अपनी ओर देखते हुए देख कर रहेजा मुस्कुराया.
“अरे इतनी जल्दी क्या है अभी फेरे शुरू होने में दो घंटे है.”
“हाँ पर विजय नीचे ...”
“अरे रहने दो खड़ा उसे बॉस हूँ उसका जब तक नहीं बोलूँगा हिलेगा नहीं वहाँ से मादरचोद.”
रहेजा दहाड़ा तो सुरभि सहम सी गयी.
“तुझे क्या लगता है मैं तुझे यहाँ ये ज्वेलरी सेलेक्ट करने को लाया हूँ . हाँ.” सुरभि के चेहरे को ठोड़ी से पकड़ कर ऊपर करते हुए रहेजा बोला. सुरभि को उस लड़के के सामने रहेजा का ऐसा करने पर आप्पत्ति थी पर रहेजा का मूड देख कर वो डर गयी थी.
“चलो सुरभि आओ.. और विजय तुम यहीं रुकना क्योंकि इस वक़्त मार्किट बंद हो गया है मैं नहीं चाहता मेरी इस नयी ऑडी को कोई नुक्सान पहुचे. हम लोग जल्दी से आते है, कोई प्रॉब्लम होगी तो तुम्हे कॉल कर लूँगा.”
“ओके ओके सर.” विजय और क्या बोल सकता था अपने बॉस को जिनकी बदौलत उसे उनकी इतनी शानदार ऑडी चलाने को मिल रही थी. पर उसे नहीं पता था की इस ऑडी के बदले उसका बॉस उसकी उससे कहीं शानदार बीवी की सवारी कर रहा था.
गाडी की ड्राइविंग सीट पर बैठा विजय अपने बॉस के साथ जाती अपनी बीवी की गोरी नंगी पीठ और उसके नीचे उसकी मटकती हुई गांड को हसरत भरी निगाहों से देख रहा था और सोच रहा था की इतनी अच्छी बीवी होते हुए उसने दृष्टि से सेक्स करने का पंगा क्यों लिया. और अपनी रिकॉर्डिंग की बात याद आते ही उसके माथे पर पसीना आ गया और वो इश्वर से प्रार्थना करने लगा की ये बात उसकी भोली भाली सुरभि को पता नहीं चलनी चाहिए.
भोली भाली सुरभि जैसे ही पहली मंजिल पर चडी रहेजा ने उसे अपनी बाँहों में दबोच लिया और उसके होठों पर अपने होठ चिपका दिए. इतनी देर से चल रही उत्तेजक घटना ने सुरभि को भी गरमा दिया था. इस बात की परवाह किये बिना की वो लोग कहाँ हैं सुरभि ने भी रहेजा के होठों को चूसना शुरू कर दिया रहेजा के हाथ उसकी मांसल गांड को मथने लगे दोनों के अधर खुल गए और दोनों की जीभ एक दुसरे से कुश्ती लड़ने लगी जल्दी ही दोनों की साँसे भारी होने लगी. किस ख़तम करके दोनों फिर से ऊपर की ओर चल दिए. पूरी बिल्डिंग में इस वक़्त कोई भी नहीं था सिवाय प्रशांत के. रहेजा ने जब बेल बजाई तो प्रशांत ने दरवाजा खोला अन्दर शानदार रिसेप्शन एरिया था लेकिन वो उन दोनों को अन्दर ले कर गया. अन्दर वाले रूम में शोरूम था जहां अलग अलग डिजाईन के कपडे डिस्प्ले पर लगे थे. सभी कपडे बेहद शानदार और महंगे लग रहे थे. लेकिन वो उन दोनों को उसके भी अन्दर रूम में ले कर गया जहाँ सिलाई का काम होता था. वहीँ दो ट्रायल रूम भी बने थे . और एक रूम उसके साइड में था जिसमे एक बेड पड़ा था जहाँ प्रशांत सोता था वहीँ कार्नर में छोटा सा किचेन था जहा प्रशांत चाय या कॉफ़ी बनाता था. प्रशांत ने उनको वो ड्रेस दे दी जो एकदम रेडी थी और उसने सुरभि को वो ड्रावर दिखा दी जहाँ उसकी मैचिंग ज्वेलरी रखी थी. सुरभि ने देखा की एक बॉक्स में कोड नंबर लिखा था जो की बिलकुल वही था जो कीर्ति की ड्रेस के ऊपर टैग में लिखा था. जब सुरभि ने उस बॉक्स को खोला तो वो बिलकुल वो ही ज्वेलरी थी. देख कर सुरभि खुश हो गयी. जिस काम के लिए वो टेंशन कर रही थी वो तो एकदम रेडी था और दो मिनट में उन्हें सामान मिल गया था.
“अरे वाह सब कुछ रेडी था, चलिए सर.” सुरभि मुड़ी तो रहेजा उसकी ओर गहरी नजरों से देख रहा था. उसने वो ड्रेस के ऊपर लगा टैग निकाला फिर उस बॉक्स के ऊपर का टैग निकला दोनों को मिलाया फिर फाड़कर फेंक दिया. सुरभि को अजीब लगा वो उसकी ओर देखने लगी. प्रशांत भी देख रहा था पर उसकी नजर ज्यादा समय सुरभि की सेक्सी नंगी पीठ और उसकी गांड पर ही लगी थी. वो कई बार अपने फुदकते लौड़े को सेट कर चुका था और सोच चुका था की इस माल के जाने के बाद इसके नाम की ही मुठ मारेगा. रहेजा भी उसको एक दो बार लंड सहलाते हुए देख चुका था.
उन दोनों को अपनी ओर देखते हुए देख कर रहेजा मुस्कुराया.
“अरे इतनी जल्दी क्या है अभी फेरे शुरू होने में दो घंटे है.”
“हाँ पर विजय नीचे ...”
“अरे रहने दो खड़ा उसे बॉस हूँ उसका जब तक नहीं बोलूँगा हिलेगा नहीं वहाँ से मादरचोद.”
रहेजा दहाड़ा तो सुरभि सहम सी गयी.
“तुझे क्या लगता है मैं तुझे यहाँ ये ज्वेलरी सेलेक्ट करने को लाया हूँ . हाँ.” सुरभि के चेहरे को ठोड़ी से पकड़ कर ऊपर करते हुए रहेजा बोला. सुरभि को उस लड़के के सामने रहेजा का ऐसा करने पर आप्पत्ति थी पर रहेजा का मूड देख कर वो डर गयी थी.