29-07-2020, 01:20 PM
उधर विजय कसमसाता सा लड़के वालों के होटल का इंतजाम देख रहा था और भी ऑफिस के कई मुलाजिम वहां का इंतजाम देख रहे थे. तभी उसने देखा की दृष्टि और कीर्ति के मामाजी दोनों साथ में लॉबी में दाखिल हुए और लड़के वालो के रूम में जहां लड़के के माता पिता ठहरे हुए थे उस ओर बड गए. विजय भी धीरे धीरे उनके पीछे गया क्योंकि उसने सोचा शायद उन दोनों को मिसेज रहेजा ने भेजा होगा लड़के वालो से कुछ पूछने के लिए. लेकिन उसने देखा के वो लोग फर्स्ट फ्लोर पर जहाँ लड़के वालों की फॅमिली रुकी थी वह रुके ही नहीं बल्कि वो लोग सेकंड फ्लोर की तरफ बड चुके थे. सेकंड फ्लोर पर तो इस होटल में सिर्फ दो ही रूम्स रहेजा ने बुक कराये थे जिनकी एक चाभी विजय के पास थी और दूसरी मिसेज रहेजा के पास. सभी लड़के वालों के मेहमान ग्राउंड फ्लोर और फर्स्ट फ्लोर पर एडजस्ट हो चुके थे. वो दोनों रूम अभी भी इमरजेंसी के लिए रखे हुए थे. विजय भी छिपते हुए उनके पीछे गया तो देखा रूम न. 203 को मामाजी खोल रहे है और दृष्टि पीछे की तरफ कोई आ तो नहीं रहा कन्फर्म कर रही थी. ‘क्या माजरा है साला.’ विजय सोचते हुए आगे बड़ा. जब वो उस रूम के सामने पंहुचा तो रूम अन्दर से बंद हो चुका था. विजय थोड़ी देर चहल कदमी करता रहा पर उससे वो सस्पेंस सहा नहीं जा रहा था. दोनों एक साथ अन्दर गए थे यानी मतलब साफ़ था की दोनों चुदाई करने गए थे. पर ये दृष्टि इतनी कम उम्र की लड़की मामाजी जैसे अपने बाप की उम्र के मुस्टंडे से कैसे फंस गयी ये बड़ी ही विश्वास न करने की बात थी. विजय ने रूम के अन्दर जाने का फैसला किया चाहे जो हो, ‘डरना उन लोगों को चाहिए मुझे नहीं’.
सोचते हुए उसने बिना आवाज किये चाभी लगा कर दरवाजे को पहले हल्का सा खोला जब उसे अन्दर अँधेरा सा नजर आया तो वो अन्दर दाखिल हो गया और धीरे से दरवाजे को बंद कर लिया. रूम में पहले हॉल था जिसमे सोफे और टीवी आदि लगे थे और साइड में रूम था जिसमे बेड था . विजय ने देखा की अन्दर वाले रूम का दरवाजा खुला था पर उस पर एक पर्दा पड़ा हुआ था. बाहर हॉल में चूँकि अँधेरा था विजय चुपके से परदे के पीछे खड़ा हो गया जहाँ से उसको वो दोनों नजर आ गए. वो हैरान रह गया जब उसने देखा की दृष्टि बड़ी तन्मयता से मामाजी के लंड को चूस रही थी. सीन देखते ही उसका लंड हिलकोरे मारने लगा. मामाजी दृष्टि की टी शर्ट के ऊपर से उसके बूब्स दबा रहे थे और सिस्कारियां भर रहे थे उनका एक हाथ उसके बूब्स पर था और दूसरा उसके सर पर दबाब बना रहा था. दृष्टि एक धंदे वाली की तरह उनके लंड को चूस रही थी. थोड़ी देर में जब मामा को लगने लगा की उसका पानी ना छुट जाए तो उसने लंड उसके मुह से निकाल लिया और उसको बिस्तर पर लेटा कर उसको किस करने लगा दृष्टि के हाथ भी उसकी नंगी पीठ पर रेंग रहे थे.
“आः अंकल कल तो उस बिच सुष्मिता के चक्कर में आपने मुझे दूसरा राउंड नहीं दिया.”
विजय के कान सुष्मिता का नाम सुन कर खड़े हो गए और वो ध्यान से अन्दर की बात सुनने लगा.
“अरे लेकिन थैंक्स यार तुम्हारी वजह से मुझे उस रांड को चोदने का मौका मिल गया. बहुत नखरे दिखा रही थी साली.”
“हाँ वो तो है सुबह उसका सारा घमंड चूर हो चुका था जब वो हमारे साथ पार्लर आई थी.”
“एक बात ख्याल में आ रही है की वो दूसरी रांड सुरभि भी तो तुम्हारे कमरे में सोयी थी पर रात को वहां नहीं थी.” विजय को गुस्सा आया और अजीब भी लगा की सब उसकी सीधी साधी पत्नी को रांड जैसे शब्दों से कैसे बुला रहे हैं. क्या कल के डांस प्रोग्राम की वजह से जिसमें उसका ब्लाउज उसके दोस्तों ने उतरवा लिया था. ‘ ओह गॉड उसमे गलती मेरी ही थी बिचारी सुरभि का क्या दोष. पर ये क्या कह रहा है की सुरभि वहां नहीं थी तो कहाँ थी?’ विजय सोच रहा था की दृष्टि ने जवाब दिया.
“वो तो उसे मिसेज रहेजा ने अपने पास बुला लिया था.”
“अच्छा मेरी बहना भी उसके पीछे कल से पड़ी हुई है उन दोनों की केमिस्ट्री देखि थी कल डांस में, है वो भी जोर का माल अगर सुष्मिता की तरह उसकी भी मिल जाए तो इस शादी में आना सफल हो जाए.” मामा ने सुरभि को ध्यान में करते हुए दृष्टि के दोनों उरोजों को जोर से मसल दिया.
“आह्ह्हे अरे तुम्हे इतनी कड़क जवान लड़की मिल गयी सुष जैसी सेक्सी रांड मिल गयी
फिर भी तुम्हे एक और रांड चाहिए.. सही है तुम मर्दों का कभी पेट नहीं भरता.”
“यार मैं जीजाजी को जानता हूँ वो भी कोई मौका नहीं छोड़ते, दीदी के कमरे में सुरभि सोयी होगी तो कहीं उन्होंने भी तो शॉट नहीं मार लिया कल वैसे भी उसने कपडे बहुत कम पहने हुए थे.” सोच कर ही मामा का लंड फुफकारे मारने लगा और विजय ये सुनकर एकदम हतप्रभ रह गया , ‘क्या ऐसा हो सकता है, और सुबह मिसेज रहेजा जब मुझसे बात कर रही थी तब सुरभि कहाँ थी? क्या वो रहेजा के साथ उसके रूम में अकेली थी. कहीं रहेजा ने उसके साथ नींद में तो कुछ.. नहीं पर सुरभि उसे ऐसा नहीं करने देगी.. पर कल उसने काफी शराब भी तो पी ली थी क्या पता उसे पता ही न चला हो. पर रहेजा अपनी पत्नी के सामने ऐसा नहीं कर सकता, पर जब मिसेज रहेजा रूम से बाहर चली गयी थी तब तो.. ओह गॉड इसके बारे में सुरभि से कैसे पूछूं उस बेचारी को तो कुछ भी पता नहीं होगा. इस शादी के बाद कोशिश करूँगा जानने की.’ विजय सोचते सोचते देख रहा था की मामाजी ने अपने लंड का सुपाडा दृष्टि की चिकनी गुलाबी चूत पर रखा और एक झटके में पूरा पेल दिया.
“अह्ह्ह्हह्ह .”दृष्टि के मुह से निकला तो मामा बोला
“साली इतनी चिकनी चूत क्या पार्लर में करवाई मजा आ गया आह्ह्ह.”
सोचते हुए उसने बिना आवाज किये चाभी लगा कर दरवाजे को पहले हल्का सा खोला जब उसे अन्दर अँधेरा सा नजर आया तो वो अन्दर दाखिल हो गया और धीरे से दरवाजे को बंद कर लिया. रूम में पहले हॉल था जिसमे सोफे और टीवी आदि लगे थे और साइड में रूम था जिसमे बेड था . विजय ने देखा की अन्दर वाले रूम का दरवाजा खुला था पर उस पर एक पर्दा पड़ा हुआ था. बाहर हॉल में चूँकि अँधेरा था विजय चुपके से परदे के पीछे खड़ा हो गया जहाँ से उसको वो दोनों नजर आ गए. वो हैरान रह गया जब उसने देखा की दृष्टि बड़ी तन्मयता से मामाजी के लंड को चूस रही थी. सीन देखते ही उसका लंड हिलकोरे मारने लगा. मामाजी दृष्टि की टी शर्ट के ऊपर से उसके बूब्स दबा रहे थे और सिस्कारियां भर रहे थे उनका एक हाथ उसके बूब्स पर था और दूसरा उसके सर पर दबाब बना रहा था. दृष्टि एक धंदे वाली की तरह उनके लंड को चूस रही थी. थोड़ी देर में जब मामा को लगने लगा की उसका पानी ना छुट जाए तो उसने लंड उसके मुह से निकाल लिया और उसको बिस्तर पर लेटा कर उसको किस करने लगा दृष्टि के हाथ भी उसकी नंगी पीठ पर रेंग रहे थे.
“आः अंकल कल तो उस बिच सुष्मिता के चक्कर में आपने मुझे दूसरा राउंड नहीं दिया.”
विजय के कान सुष्मिता का नाम सुन कर खड़े हो गए और वो ध्यान से अन्दर की बात सुनने लगा.
“अरे लेकिन थैंक्स यार तुम्हारी वजह से मुझे उस रांड को चोदने का मौका मिल गया. बहुत नखरे दिखा रही थी साली.”
“हाँ वो तो है सुबह उसका सारा घमंड चूर हो चुका था जब वो हमारे साथ पार्लर आई थी.”
“एक बात ख्याल में आ रही है की वो दूसरी रांड सुरभि भी तो तुम्हारे कमरे में सोयी थी पर रात को वहां नहीं थी.” विजय को गुस्सा आया और अजीब भी लगा की सब उसकी सीधी साधी पत्नी को रांड जैसे शब्दों से कैसे बुला रहे हैं. क्या कल के डांस प्रोग्राम की वजह से जिसमें उसका ब्लाउज उसके दोस्तों ने उतरवा लिया था. ‘ ओह गॉड उसमे गलती मेरी ही थी बिचारी सुरभि का क्या दोष. पर ये क्या कह रहा है की सुरभि वहां नहीं थी तो कहाँ थी?’ विजय सोच रहा था की दृष्टि ने जवाब दिया.
“वो तो उसे मिसेज रहेजा ने अपने पास बुला लिया था.”
“अच्छा मेरी बहना भी उसके पीछे कल से पड़ी हुई है उन दोनों की केमिस्ट्री देखि थी कल डांस में, है वो भी जोर का माल अगर सुष्मिता की तरह उसकी भी मिल जाए तो इस शादी में आना सफल हो जाए.” मामा ने सुरभि को ध्यान में करते हुए दृष्टि के दोनों उरोजों को जोर से मसल दिया.
“आह्ह्हे अरे तुम्हे इतनी कड़क जवान लड़की मिल गयी सुष जैसी सेक्सी रांड मिल गयी
फिर भी तुम्हे एक और रांड चाहिए.. सही है तुम मर्दों का कभी पेट नहीं भरता.”
“यार मैं जीजाजी को जानता हूँ वो भी कोई मौका नहीं छोड़ते, दीदी के कमरे में सुरभि सोयी होगी तो कहीं उन्होंने भी तो शॉट नहीं मार लिया कल वैसे भी उसने कपडे बहुत कम पहने हुए थे.” सोच कर ही मामा का लंड फुफकारे मारने लगा और विजय ये सुनकर एकदम हतप्रभ रह गया , ‘क्या ऐसा हो सकता है, और सुबह मिसेज रहेजा जब मुझसे बात कर रही थी तब सुरभि कहाँ थी? क्या वो रहेजा के साथ उसके रूम में अकेली थी. कहीं रहेजा ने उसके साथ नींद में तो कुछ.. नहीं पर सुरभि उसे ऐसा नहीं करने देगी.. पर कल उसने काफी शराब भी तो पी ली थी क्या पता उसे पता ही न चला हो. पर रहेजा अपनी पत्नी के सामने ऐसा नहीं कर सकता, पर जब मिसेज रहेजा रूम से बाहर चली गयी थी तब तो.. ओह गॉड इसके बारे में सुरभि से कैसे पूछूं उस बेचारी को तो कुछ भी पता नहीं होगा. इस शादी के बाद कोशिश करूँगा जानने की.’ विजय सोचते सोचते देख रहा था की मामाजी ने अपने लंड का सुपाडा दृष्टि की चिकनी गुलाबी चूत पर रखा और एक झटके में पूरा पेल दिया.
“अह्ह्ह्हह्ह .”दृष्टि के मुह से निकला तो मामा बोला
“साली इतनी चिकनी चूत क्या पार्लर में करवाई मजा आ गया आह्ह्ह.”