29-07-2020, 01:12 PM
इधर वो लोग रहेजा की इन्नोवा में बाहर निकले उधर विजय अपनी आल्टो में बंगले में दाखिल हुआ. जैसे ही उसे मालूम हुआ की सुरभि निकल गयी है उसका मुह उतर गया. आखिर कल से उसे अपनी बीवी के साथ सुकून के दो पल नहीं मिले थे. मिसेज रहेजा ने उसके उतरे हुए चेहरे को देखा तो बोली.
“विजय चिंता मत करो शादी के बाद सुरभि तुम्हारे ही पास रहने वाली है.”
विजय ने ये सुना तो झेंप गया. और हकलाता हुआ बोला
“नहीं मैडम वो बात नहीं है.”
“मैं खूब समझती हूँ क्या बात है, चिंता मत करो. सुरभि खुश है और लेडीज के साथ खूब एन्जॉय कर रही है.” वो उसे क्या बताती की वो लेडीज gents सबके साथ एन्जॉय कर रही थी.
“हाँ मैडम.. ये उसके कपडे और मेरा सूट भी है.”
“हाँ ऐसा करो बाहर ऑडी की डिक्की में मैंने दहेज़ की ज्वेलरी से भरा ट्रंक रखवाया है. तुम वो गाडी ले कर उस ट्रंक को रूम न. २०१ में रखवा देना और अपना और सुरभि का समान भी वहीँ रखना. उसकी चाभी तुम अपने ही पास रखना क्योंकि इस मामले में मैं किसी और पर विश्वास नहीं कर सकती.” मिसेज रहेजा ने कहा तो विजय को बड़ा गर्व महसूस हुआ. उसे अपने इम्पोर्टेन्ट होने का एहसास एक बार फिर हुआ. वैसे भी मिस्टर और मिसेज रहेजा उसे हमेशा ऑफिस के दुसरे मुलाजिमों से अलग ट्रीट करते थे. इसीलिए तो दुसरे लोग उससे जलते थे.
“अरे मैडम आप चिंता न करें मैं सेफली पंहुचा दूंगा.”
“हाँ ये लो ऑडी की चाभी, और वहां होटल में देख लेना किसी इंतजाम में कोई कमी न हो.”
“ठीक है मैडम.” उसने कार की चाभी ले ली. वो मिसेज रहेजा की पर्सनल कार काली ऑडी की चाभी थी जो दो महीने पहले ही रहेजा ने उनको गिफ्ट की थी. विजय हमेशा ही उसको हसरत भरी निगाहों से देखता था और उसने सोचा भी नहीं था की वो कभी ऑडी ड्राइव करेगा. थोड़ी देर में उसकी ऑडी होटल की तरफ चल पड़ी थी. प्रॉब्लम ये थी की होटल घर से बिलकुल नजदीक था इसलिए वो लॉन्ग ड्राइव नहीं कर पाया था. पर कार चलाने में उसे इतना मजा आया की उसने काम से फ्री होने के बाद एक लॉन्ग ड्राइव लगाने का निश्चय कर लिया था. होटल में एस्कॉर्ट की मदद से उसने ट्रंक को रूम नो. २०१ में रखवा दिया. रूम के अन्दर घुसने पर पता चला की वो होटल का सबसे महंगा सुइट था. रूम के साइड में ही बालकनी की जगह छोटा सा पूल था. देख कर वो हैरान रह गया. उसने ट्रंक को सुरक्षित रखा और उसके शानदार पलंग को देखने लगा. उसका मन किया की काश सुरभि यहाँ होती तो आज उसे इस बेड पर मस्त चोदता.
सुरभि की याद आते ही उसने उसे कॉल लगाया. सुरभि उन तीनों के साथ उस सैलून पहुँच चुकी थी. ये रहेजा के घर से काफी दूर था. और एक एकदम नए बने मॉल के टॉप फ्लोर पर था. ड्राईवर श्याम शायद पहले भी कई बार वहां आया था इसलिए वो सीधे उस सैलून की मेनेजर के पास गया और उसने उसे बताया. मेनेजर को शायद पहले से ही पता था वो उन लोगों को मेन एरिया के पीछे ले गयी और वहां एक लिफ्ट थी जिससे वो नीचे एक फ्लोर गए. सुरभि हैरान रह गयी की सैलून के अन्दर एक पर्सनल लिफ्ट थी जिसका बाहर से अनुमान लगाना मुश्किल था. तभी उसके फ़ोन पर विजय का कॉल आया जिसे देख कर वो थोडा चिड सी गयी फिर भी उसने फ़ोन उठाया और जल्दी से ये कह कर फ़ोन काट दिया की अभी उसे फ्री होने में टाइम लगेगा उसलिये वो बाद में कॉल करेगी. बेचारा विजय उस वक़्त रोमांटिक हो रहा था और लम्बी बात करने के मूड में था. पर वो कर भी क्या सकता था. सुरभि और सुष्मिता की तो वहां का वैभव देख कर आँखें फट ही रही थी. पर कीर्ति और दृष्टि भी वहां पहली बार ही आई थी इसलिए वो भी wow wow कर रही थी. दृष्टि बोली
“कीर्ति.... आंटी तो इस मस्त पार्लर में आती है और हम लोग उस पास के पार्लर में ही गान.. मेरा मतलब है अपने सब काम कराते है.”
“हाँ पर इतनी दूर आने का क्या मतलब है यार पार्लर के लिए वो तो आज शादी है इसलिए ठीक है.”
“हाँ वो तो है.”
“सुष दी आप तो अपने उधर भी क्लीन करवा लेना काफी बाल आ गए है.” दृष्टि ने सुष्मिता को छेड़ते हुए कहा जिसे सुन कर सुष्मिता का चेहरा शर्म से लाल हो गया. वो समझ गयी की कीर्ति उसकी चूत के बारे में बोल रही है जो कल उघाड़े वो सो रही थी. कीर्ति को तो दृष्टि ने बता दिया था इसलिए वो भी जोर से हंसी पर सुरभि के कुछ समझ नहीं आया. वहां कही सारे प्राइवेट क्यूबिकल थे लेकिन वो मेनेजर उनको सबसे बड़े क्यूबिकल में ले कर गयी जिसमे कई सारे उपकरण मूवेबल बेड शानदार चेयर्स थी पूरा क्यूबिकल एक छोटे मोटे पार्लर जितना बड़ा था और उसके हर तरफ सिर्फ कांच ही कांच लगा हुआ था यहाँ तक की उसका फर्श भी ग्लास का था वो चार लोग मेनेजर के साथ अन्दर घुसे थे लेकिन चरों तरफ कांच देख कर ऐसा लग रहा था की उसमें टीस चालीस लोग अन्दर है.
“wow यार ऐसा तो मैंने भी कहीं नहीं देखा.” दृष्टि बोली.
“अरे यार सब गिम्मिक है और कुछ नहीं.”
“अरे मैडम ऐसा नहीं है आप अब यहाँ के अलावा कहीं नहीं जाएँगी ये गारंटी है.” वो मेनेजर कॉन्फिडेंस से बोली. फिर वो कीर्ति को देख कर बोली
“विजय चिंता मत करो शादी के बाद सुरभि तुम्हारे ही पास रहने वाली है.”
विजय ने ये सुना तो झेंप गया. और हकलाता हुआ बोला
“नहीं मैडम वो बात नहीं है.”
“मैं खूब समझती हूँ क्या बात है, चिंता मत करो. सुरभि खुश है और लेडीज के साथ खूब एन्जॉय कर रही है.” वो उसे क्या बताती की वो लेडीज gents सबके साथ एन्जॉय कर रही थी.
“हाँ मैडम.. ये उसके कपडे और मेरा सूट भी है.”
“हाँ ऐसा करो बाहर ऑडी की डिक्की में मैंने दहेज़ की ज्वेलरी से भरा ट्रंक रखवाया है. तुम वो गाडी ले कर उस ट्रंक को रूम न. २०१ में रखवा देना और अपना और सुरभि का समान भी वहीँ रखना. उसकी चाभी तुम अपने ही पास रखना क्योंकि इस मामले में मैं किसी और पर विश्वास नहीं कर सकती.” मिसेज रहेजा ने कहा तो विजय को बड़ा गर्व महसूस हुआ. उसे अपने इम्पोर्टेन्ट होने का एहसास एक बार फिर हुआ. वैसे भी मिस्टर और मिसेज रहेजा उसे हमेशा ऑफिस के दुसरे मुलाजिमों से अलग ट्रीट करते थे. इसीलिए तो दुसरे लोग उससे जलते थे.
“अरे मैडम आप चिंता न करें मैं सेफली पंहुचा दूंगा.”
“हाँ ये लो ऑडी की चाभी, और वहां होटल में देख लेना किसी इंतजाम में कोई कमी न हो.”
“ठीक है मैडम.” उसने कार की चाभी ले ली. वो मिसेज रहेजा की पर्सनल कार काली ऑडी की चाभी थी जो दो महीने पहले ही रहेजा ने उनको गिफ्ट की थी. विजय हमेशा ही उसको हसरत भरी निगाहों से देखता था और उसने सोचा भी नहीं था की वो कभी ऑडी ड्राइव करेगा. थोड़ी देर में उसकी ऑडी होटल की तरफ चल पड़ी थी. प्रॉब्लम ये थी की होटल घर से बिलकुल नजदीक था इसलिए वो लॉन्ग ड्राइव नहीं कर पाया था. पर कार चलाने में उसे इतना मजा आया की उसने काम से फ्री होने के बाद एक लॉन्ग ड्राइव लगाने का निश्चय कर लिया था. होटल में एस्कॉर्ट की मदद से उसने ट्रंक को रूम नो. २०१ में रखवा दिया. रूम के अन्दर घुसने पर पता चला की वो होटल का सबसे महंगा सुइट था. रूम के साइड में ही बालकनी की जगह छोटा सा पूल था. देख कर वो हैरान रह गया. उसने ट्रंक को सुरक्षित रखा और उसके शानदार पलंग को देखने लगा. उसका मन किया की काश सुरभि यहाँ होती तो आज उसे इस बेड पर मस्त चोदता.
सुरभि की याद आते ही उसने उसे कॉल लगाया. सुरभि उन तीनों के साथ उस सैलून पहुँच चुकी थी. ये रहेजा के घर से काफी दूर था. और एक एकदम नए बने मॉल के टॉप फ्लोर पर था. ड्राईवर श्याम शायद पहले भी कई बार वहां आया था इसलिए वो सीधे उस सैलून की मेनेजर के पास गया और उसने उसे बताया. मेनेजर को शायद पहले से ही पता था वो उन लोगों को मेन एरिया के पीछे ले गयी और वहां एक लिफ्ट थी जिससे वो नीचे एक फ्लोर गए. सुरभि हैरान रह गयी की सैलून के अन्दर एक पर्सनल लिफ्ट थी जिसका बाहर से अनुमान लगाना मुश्किल था. तभी उसके फ़ोन पर विजय का कॉल आया जिसे देख कर वो थोडा चिड सी गयी फिर भी उसने फ़ोन उठाया और जल्दी से ये कह कर फ़ोन काट दिया की अभी उसे फ्री होने में टाइम लगेगा उसलिये वो बाद में कॉल करेगी. बेचारा विजय उस वक़्त रोमांटिक हो रहा था और लम्बी बात करने के मूड में था. पर वो कर भी क्या सकता था. सुरभि और सुष्मिता की तो वहां का वैभव देख कर आँखें फट ही रही थी. पर कीर्ति और दृष्टि भी वहां पहली बार ही आई थी इसलिए वो भी wow wow कर रही थी. दृष्टि बोली
“कीर्ति.... आंटी तो इस मस्त पार्लर में आती है और हम लोग उस पास के पार्लर में ही गान.. मेरा मतलब है अपने सब काम कराते है.”
“हाँ पर इतनी दूर आने का क्या मतलब है यार पार्लर के लिए वो तो आज शादी है इसलिए ठीक है.”
“हाँ वो तो है.”
“सुष दी आप तो अपने उधर भी क्लीन करवा लेना काफी बाल आ गए है.” दृष्टि ने सुष्मिता को छेड़ते हुए कहा जिसे सुन कर सुष्मिता का चेहरा शर्म से लाल हो गया. वो समझ गयी की कीर्ति उसकी चूत के बारे में बोल रही है जो कल उघाड़े वो सो रही थी. कीर्ति को तो दृष्टि ने बता दिया था इसलिए वो भी जोर से हंसी पर सुरभि के कुछ समझ नहीं आया. वहां कही सारे प्राइवेट क्यूबिकल थे लेकिन वो मेनेजर उनको सबसे बड़े क्यूबिकल में ले कर गयी जिसमे कई सारे उपकरण मूवेबल बेड शानदार चेयर्स थी पूरा क्यूबिकल एक छोटे मोटे पार्लर जितना बड़ा था और उसके हर तरफ सिर्फ कांच ही कांच लगा हुआ था यहाँ तक की उसका फर्श भी ग्लास का था वो चार लोग मेनेजर के साथ अन्दर घुसे थे लेकिन चरों तरफ कांच देख कर ऐसा लग रहा था की उसमें टीस चालीस लोग अन्दर है.
“wow यार ऐसा तो मैंने भी कहीं नहीं देखा.” दृष्टि बोली.
“अरे यार सब गिम्मिक है और कुछ नहीं.”
“अरे मैडम ऐसा नहीं है आप अब यहाँ के अलावा कहीं नहीं जाएँगी ये गारंटी है.” वो मेनेजर कॉन्फिडेंस से बोली. फिर वो कीर्ति को देख कर बोली