04-03-2019, 07:32 PM
फिर मैंने उसको बेड पर घोड़ी बनाया और खुद बेड के नीचे आ गया। इस बार मैं सोच रहा था कि खड़े-खड़े दीदी की गांड मारूंगा। फिर नीचे आकर खड़े खड़े दीदी के गांड में अपना लौड़ा पेला और 10 मिनट के जबरदस्त दीदी की गांड मारने के बाद अपना पानी दीदी के गांड में ही छोड़ दिया। अभी मुझे हल्की सी सुस्ती आई थी और इस बीच दीदी दो बार झड़ चुकी थी। फिर मैंने दीदी के मुंह में अपना लौड़ा दे दिया ताकी तीसरे राउंड के लिए मेरा लंड तैयार हो सके। फिर करीब 5 मिनट दीदी ने मेरा लंड चूसा और मेरा लंड और भी विशाल हो गया। इस बार मैंने सोचा दीदी की बुर और गांड दोनों मारूंगा और करीब आधे घंटे और फिर बाहर निकलूंगा और मैंने वही किया। इस बार दीदी का दाहिना पैर अपने कंधे पर रखकर मैंने दीदी के बुर में अपना लंड पेला और जबरदस्त चुदाई कर रहा था। दीदी की चूची को पकड़ कर मसल रहा था। करीब 10 मिनट दीदी के बुर मे पेलने के बाद मैंने अपना लंड निकाला और दीदी के गांड में डाल दिया। दीदी का दाहिना पैर मेरे कंधे पर होने के कारण दीदी के गांड का छेद थोड़ा सिकुड़ गया था। इससे मेरा लंड और भी टाईट जा रहा था। दीदी आई मां उई मां की आवाज निकालती हुई मेरे काले मोटे लंड को अपनी गांड में ले रही थी और जबरदस्त चुदाई चल रही थी। दीदी की बुर की खुशबू पूरे कमरे में फैल रही थी और बारी-बारी से मैं कभी दीदी की गांड मारता तो कभी
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
