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पुरानी हिन्दी की मशहूर कहनियाँ
दोस्तों जीजा ने जैसा बताया था दीदी की बुर बिल्कुल उसी की तरह फूली हुई थी। दीदी समझ चुकी थी कि उसे बोलना नहीं है और चुपचाप अपने बुर को चटवाती रही, वह कसमसा रही थी। मैं समझ गया दीदी बुर में लौड़ा लेना चाहती है। मैंने भी आव देखा न ताव दीदी के बुर पर अपना लौड़ा लगाया और एक जोरदार झटका मारा मेरा मोटा काला लोड़ा सनसनाता हुआ दीदी के बुर में आधा चला गया। दीदी चीख उठी कुछ बोलने को हुई लेकिन नहीं बोली, उसने सोचा शायद मुझे बुरा लगेगा। फिर मैंने अपना लौड़ा दीदी के बुर से निकाला और इस बार मैंने दुगुनी ताकत से दीदी के बुर में लौड़ा पेल दिया इस बार तो दीदी एकदम बुरी तरह से चीख उठी थी। मेरा काला 8 इंच का लोड़ा दीदी की हालत खराब कर रहा था। मैं अब जोर जोर से दीदी को पेलने लगा और दोनों हाथों से उसकी चुचीयों को मसलते हुये पेले जा रहा था। दीदी की बुर बुरी तरह से पनिया गई थी। चुदाई से पच पच पच पच की आवाज पूरे कमरे में गूंज रही थी, जीजा ने सही कहा था दीदी एकदम गरम माल है।
फिर करीब 10 धक्के लगाने के बाद दीदी का पानी निकल गया और वो थोड़ी सुस्त हुई थी, लेकिन मेरा लौड़ा अभी भी टाईट था। मैंने बुर से लंड निकाला और दीदी के मुहं मे डाल दिया, दीदी मेरे लोड़े को चूसने लगी। दीदी पुरा का पुरा 8 इंच लोड़ा अपने मुंह में ले रही थी। मेरी बीवी तो मुश्किल से आधा लंड मुहं मे ले पाती है। दीदी ने मेरा पूरा मुंह में ले लिया था। थोड़ी देर में फिर से मैं उसके चूत में दोबारा लौड़ा डालने लगा, दीदी अहहह अहहह करके मेरे लंड को अपने बुर के गहराई मे ले रही थी। फिर करीब आधे घंटे के बाद मेरा पानी निकला और मैंने अपना लंड उसके मुंह में दोबारा दे दिया, थोड़ी देर में लंड खड़ा हो गया। फिर मैंने दीदी को घोड़ी बना दिया। दीदी के कमरे में अंधेरा जरूर था हल्की रोशनी रोशनदान से आ रही थी। दीदी की भारी भरकम गांड को सहलाते हुए मैंने उनके गांड के छेद में एक उंगली डाल दी तो वो थोड़ा सा कसमसाई लेकिन कुछ बोली नहीं, मेरा हौसला बढ़ रहा था और एक बार मेरा पानी निकलने के बाद दूसरी बार मेरा लंड और भी फूल गया था। मैंने दीदी के गांड के छेद पर थोड़ा सा थूक लगाया और अपने लंड पर भी थूक लगाया और दीदी के गांड में डालने लगा। दीदी की गांड बहुत टाइट थी। जीजा बोल रहे थे कि दीदी की गांड रोज मारते है, लेकिन दीदी के गांड के छेद से ऐसा लग रहा था कि दीदी की गांड अभी सील पैक है।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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Pahli bar bahan k sath picnic - by neerathemall - 14-02-2019, 03:18 AM
RE: पुरानी हिन्दी की मशहूर कहनियाँ - by neerathemall - 04-03-2019, 07:30 PM
RE: Soni Didi Ke Sath Suhagraat - by neerathemall - 26-04-2019, 12:23 AM
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