04-03-2019, 02:43 PM
उनका,… कल, आज और,… कल
जैक एंड जिल ,वेंट अप द हिल
टू फेच अ पेल आॅफ़ वाटर ,
....
हिकॉरी डिकारी डाक ,
माउस रैन अप द क्लॉक ,
....
लिटिल मिस मफेट सैट आन अ टफेट
…
कोई भी पड़ोस की आंटी ,रिश्ते की मौसी आ जाएँ , और वो ,…
बस आंटी की ओर देखते रहेंगे तारीफ के इंतजार में , और इस की भी की उनकी माम कैसे तारीफ़ सुन के खुश होती हैं।
कोई भी आएं , पड़ोसन ,रिश्ते की महिला बस वो चाभी भरे बबुए की तरह,
और जैसे ही आंटी ने बोला , उनके कायदे से काढ़े गए बालों को बिगाड़ा और कहा ,
"खूब सिखाया है मुन्ने को। "
उसके बाद उनके पायल की रुनझुन ,और कोई न कोई जरूर बोल उठती, साथ में उनके गोरे गुलाबी गालों पे चिकोटी भी काटतीं
"अरे इसे पायल पहना रखी है "
और तुरंत उनकी माम , " और क्या कित्ती प्यारी लगती है ,मैं तो इसकी मांग भी सीधी काढती हूँ , अरे जब तक कॉलेज नहीं जाता था , तब तक तो फ्राक भी पहनाती थी लेकिन अब कभी कभी घर में , "
" सच में एकदम सुन्दर प्यारी गुड़िया जैसे है एकदम और कोई आंटी ,मौसी जरूर उन्हें चूम लेती। "
हाँ कोई कोई ये भी बोलती , सही है लड़की की भी साध इसी से पूरी कर रही हो।
बात असल में यही थी , खुद मेरी सास ने मुझे बताया था। इनके बड़े भाई के होने बाद उनकी बड़ी साध एक गोरी गुलाबी मुनिया आये घर में।
जबतक वो पेट में थे , छोटी प्यारी लड़कियों की फोटुए उन्होंने कमरे में लगा रखा था , हरदम प्यारी प्यारी सुन्दर लड़कियों के बारे में सोचा करती थीं ,
और उन्ही के शब्दों में 'लेकिन लटकन राम आ गए'
लेकिन अपनी ओर से जो कर सकती थीं वो उन्होंने किया , सीधी मांग काढ़ना ,पायल पहनाना ,फ्राक।
यहाँ तक की शुरू में जिस कॉलेज में वो गए वहां लड़कियां ही ज्यादा थीं , और कई बार लड़कियों के प्रोग्राम में लड़कियों के ड्रेस में
और अगर उन्होंने कुछ मुंह बनाया तो उनकी माम ,
" अरे छोटे बच्चों के साथ सब चलता है फ्राक इतनी प्यारी तो लगती है तेरे ऊपर। "
और वो अपने माम को खुश करने के लिए कुछ भी कर लेते थे।
पता नहीं जैसे मैंने उनकी चैट्स में घुसपैठ कर के देखा था , सीसीफिकेशन का शौक शायद उन्हें पेट से ही लग गया ही या फिर बचपन का असर हो पता नहीं ,
लेकिन बड़े उम्र की स्त्रियों का अप्रूवल , उनकी तारीफ , उनके लिए इतना मायने रखती थी की अक्सर वो पहले से एन्टीसिपेट करके , वही करना चाहते थे एकप्रोविंग ग्लांस मिल जाए , तारीफ नहीं भी हो तो बसके तारीफ़ वाली निगाह भी मायने रखती थी।
और ये उन्होंने खुद बताया था बचपन में एक टीचर थीं , ३५ -३६ की उम्र रही होगी , उनके क्लास में वो हमेशा खूब तैयारी करके जाते थे , सवाल के जवाब में सबसे पहले वो हाथ उठाते थे।
उन के बचपन के बारे में सोचते न जाने कब मेरी आँख लग गयी।
जब उठी तो तीझरिया हो रही थी , नेट पर मैंने कुछ देखा एक दो फोन घुमाया और फिर उन्हें नंबर लगाया.
कूकरी क्लास
जैक एंड जिल ,वेंट अप द हिल
टू फेच अ पेल आॅफ़ वाटर ,
....
हिकॉरी डिकारी डाक ,
माउस रैन अप द क्लॉक ,
....
लिटिल मिस मफेट सैट आन अ टफेट
…
कोई भी पड़ोस की आंटी ,रिश्ते की मौसी आ जाएँ , और वो ,…
बस आंटी की ओर देखते रहेंगे तारीफ के इंतजार में , और इस की भी की उनकी माम कैसे तारीफ़ सुन के खुश होती हैं।
कोई भी आएं , पड़ोसन ,रिश्ते की महिला बस वो चाभी भरे बबुए की तरह,
और जैसे ही आंटी ने बोला , उनके कायदे से काढ़े गए बालों को बिगाड़ा और कहा ,
"खूब सिखाया है मुन्ने को। "
उसके बाद उनके पायल की रुनझुन ,और कोई न कोई जरूर बोल उठती, साथ में उनके गोरे गुलाबी गालों पे चिकोटी भी काटतीं
"अरे इसे पायल पहना रखी है "
और तुरंत उनकी माम , " और क्या कित्ती प्यारी लगती है ,मैं तो इसकी मांग भी सीधी काढती हूँ , अरे जब तक कॉलेज नहीं जाता था , तब तक तो फ्राक भी पहनाती थी लेकिन अब कभी कभी घर में , "
" सच में एकदम सुन्दर प्यारी गुड़िया जैसे है एकदम और कोई आंटी ,मौसी जरूर उन्हें चूम लेती। "
हाँ कोई कोई ये भी बोलती , सही है लड़की की भी साध इसी से पूरी कर रही हो।
बात असल में यही थी , खुद मेरी सास ने मुझे बताया था। इनके बड़े भाई के होने बाद उनकी बड़ी साध एक गोरी गुलाबी मुनिया आये घर में।
जबतक वो पेट में थे , छोटी प्यारी लड़कियों की फोटुए उन्होंने कमरे में लगा रखा था , हरदम प्यारी प्यारी सुन्दर लड़कियों के बारे में सोचा करती थीं ,
और उन्ही के शब्दों में 'लेकिन लटकन राम आ गए'
लेकिन अपनी ओर से जो कर सकती थीं वो उन्होंने किया , सीधी मांग काढ़ना ,पायल पहनाना ,फ्राक।
यहाँ तक की शुरू में जिस कॉलेज में वो गए वहां लड़कियां ही ज्यादा थीं , और कई बार लड़कियों के प्रोग्राम में लड़कियों के ड्रेस में
और अगर उन्होंने कुछ मुंह बनाया तो उनकी माम ,
" अरे छोटे बच्चों के साथ सब चलता है फ्राक इतनी प्यारी तो लगती है तेरे ऊपर। "
और वो अपने माम को खुश करने के लिए कुछ भी कर लेते थे।
पता नहीं जैसे मैंने उनकी चैट्स में घुसपैठ कर के देखा था , सीसीफिकेशन का शौक शायद उन्हें पेट से ही लग गया ही या फिर बचपन का असर हो पता नहीं ,
लेकिन बड़े उम्र की स्त्रियों का अप्रूवल , उनकी तारीफ , उनके लिए इतना मायने रखती थी की अक्सर वो पहले से एन्टीसिपेट करके , वही करना चाहते थे एकप्रोविंग ग्लांस मिल जाए , तारीफ नहीं भी हो तो बसके तारीफ़ वाली निगाह भी मायने रखती थी।
और ये उन्होंने खुद बताया था बचपन में एक टीचर थीं , ३५ -३६ की उम्र रही होगी , उनके क्लास में वो हमेशा खूब तैयारी करके जाते थे , सवाल के जवाब में सबसे पहले वो हाथ उठाते थे।
उन के बचपन के बारे में सोचते न जाने कब मेरी आँख लग गयी।
जब उठी तो तीझरिया हो रही थी , नेट पर मैंने कुछ देखा एक दो फोन घुमाया और फिर उन्हें नंबर लगाया.
कूकरी क्लास