26-07-2020, 01:08 PM
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(19-07-2020, 12:11 PM)Meerachatwani111 Wrote: आगे आगे दो सिपाही रमेश भैया और दामु को अपने घेरे में लेकर चल रहे थे और एक सिपाही हम तिनो के पिछे पिछे आ रहा थ।रमेश भैया और दामु दोनो के हाथ में एक एक बैग था जिसमें हमारे कपरे और पुजा का सामान था।दोनो आगे चलने वाला सिपाही तिखी आवाज मेंकभी दामु तो कभी रमेश भैया को कुछ कहकर धमका रहा था,एक बार तो दामु ने बैग खोलने को हाथ बढाया और कह रहा था देखिये न हवलदार साहेब पुजा का सामान है,हमलोग सच में पुजा करने ज रहे हैं।चुप मादंरचोद तोहार बहिनीया के बुर में लौरा,पुजाआआ कंरे जात रहे आउर तीन तीन कबुरचोदी रंडी लेके,पुजा में रंडी नचावे खतिरा,चल साहेब के बताव।
कुछ ही देर में हम सब बरामदा पार कर कमरे में पहूंचे।कमरा देखने से लगता था कि यह छोटी नाश्ते चाय कि दुकान है जहां मछुआरों का अड्डा है,केयोंकी मछली कि बास आ रही थी।चौकि और बेंच पर सामान बिखरे परे थे।हालांकि हम लोगों का मछली केबास से बुरा हाल था लेकिन उन सिपाहियों से कौन मुंह लगाए।उस कमरे से लगी हुई एक और दरवाजा था जो बंद थापता नही वह दरवाजा बाहर कि ओर निकलता था या कमरा था। हमलोग के साथ आए सिपाहियों में से एक बढ कर दरवाजे को थपथपाते हुए आवाज़ दी...हवलदार साहेब ओ हवलदार साहेब। भितर से रोबिली आवाज आई,का बात है मंगल। ओ पांच जना बानी सर,दुगो मरदुआ आउर तीनगो मेहरारू, कहत हईं जे पुजा करे धाम जात बानी टेम्पु से।ठहर आवतानी।कुछ फुफुसाने कि आवाज आई फिर कुछ हि क्षन में दरवाजा खुली और एक हट्टे कट्टेआदमी बाहर निकला,साथ ही तारी कि महक सेपुरा कमरा भर गया।हम लोगों कि तारि के दुर्गंध से बुरा हाल था