23-07-2020, 09:21 PM
मैं कुछ ही दिनों पहले यंहा आया हु,और साथ ही इसे बस मिलने जुलने के लिए यूज़ कर रहा हु ,मेरा असली ठिकाना कही और है,अभी तक किसी को नही पता की मैं असलम का बेटा हु ...क्योकि मैं हमेशा दिल्ली में ही रहा था,”
“ह्म्म्म अब काम की बात कर ले..”मैंने उसे घूरा ,वो थोड़ी दहशत में लग रहा था,
“साहब आपके और मेरे दुश्मन एक ही है मैं इस केस में आपकी मदद कर सकता हु ,और आपको देख कर लग रहा है की आप उन सभी को जेल भिजवा देंगे …”
उसकी बात सुनकर मैं थोड़ी देर के लिए शांत हो गया क्योकि अभी तक मैंने कोई कारवाही शुरू नही की थी और मुझे बस शक था किसी पता यकीन के साथ नही कह सकता था की ये ही गुनहगार है,
“मुझे जंहा से भी मदद मिले वो ठीक है ..ऐसे तुम्हारा नाम क्या है ..”
वो मुस्कुराया
“इतने बड़े जासूस हो खुद ही पता लगा लो ..”
उसकी बात सुनकर मैं मुस्कुराया
“ठीक है अब्दुल मैं ही पता लगा लूंगा “अब वो चकराया ..
और मैं हँस पड़ा ..
“एक बार तुम्हारे पिता बातो ही बातो में तुम्हारा नाम बोल गए थे,मैंने तभी से उसे नोट कर लिया था,वो भी कभी नही चाहते थे की तुम इन सब में पड़ो ,लेकिन अब पड़ ही गए हो तो सतर्क रहना ,हमारे बीच दोस्त कर और दुश्मन ज्यादा है …”
इस बार हम दोनो का ही चहरा गंभीर था….
पूरी केस फाइल पढ़ने के बाद मै गहरे सोच में डूबा हुआ था…
‘मल्टी नेशनल कंपनी को टेंडर ,1500 आदिवासी विस्थापित लेकिन कई मौतें,कई सिक्युरिटी के जवान शाहिद ,”मैंने एक गहरी सांस ली और वो आने लगा जो हमेशा ही फसने पर मैं करता हु ,आंखे बंद कर अपने को ढीला छोड़ दिया,मन में एक एक कर विचार आने लगे और कई आवाजे एक साथ गूंजने लगी …
‘मैं आपकी मदद करूंगा…..हाई प्रोफ़ाइल केस है…..JS ग्रुप ऑफ कंपनी…...मंत्री जी का अकाउंट कैसे चेक कर सकते हो ...क्या माल है ना यार मोना..ऐसे वो हैंडसम तो है…….नही राज आह...राज मैं तुम्हारी हु….साली साड़ी में तो बवाल लगती है,पिछवाड़ा तो देख इसका ……...आई लव यू जान…….अभी...अभी...तुम ठीक तो हो ना …”
मुझे किसी ने झकझोरा ..वो मोना थी...जो अभी अभी ऑफिस से आयी थी …
“हम्म ठीक हु …”मेरे माथे पर पसीना था…
“ह्म्म्म अब काम की बात कर ले..”मैंने उसे घूरा ,वो थोड़ी दहशत में लग रहा था,
“साहब आपके और मेरे दुश्मन एक ही है मैं इस केस में आपकी मदद कर सकता हु ,और आपको देख कर लग रहा है की आप उन सभी को जेल भिजवा देंगे …”
उसकी बात सुनकर मैं थोड़ी देर के लिए शांत हो गया क्योकि अभी तक मैंने कोई कारवाही शुरू नही की थी और मुझे बस शक था किसी पता यकीन के साथ नही कह सकता था की ये ही गुनहगार है,
“मुझे जंहा से भी मदद मिले वो ठीक है ..ऐसे तुम्हारा नाम क्या है ..”
वो मुस्कुराया
“इतने बड़े जासूस हो खुद ही पता लगा लो ..”
उसकी बात सुनकर मैं मुस्कुराया
“ठीक है अब्दुल मैं ही पता लगा लूंगा “अब वो चकराया ..
और मैं हँस पड़ा ..
“एक बार तुम्हारे पिता बातो ही बातो में तुम्हारा नाम बोल गए थे,मैंने तभी से उसे नोट कर लिया था,वो भी कभी नही चाहते थे की तुम इन सब में पड़ो ,लेकिन अब पड़ ही गए हो तो सतर्क रहना ,हमारे बीच दोस्त कर और दुश्मन ज्यादा है …”
इस बार हम दोनो का ही चहरा गंभीर था….
पूरी केस फाइल पढ़ने के बाद मै गहरे सोच में डूबा हुआ था…
‘मल्टी नेशनल कंपनी को टेंडर ,1500 आदिवासी विस्थापित लेकिन कई मौतें,कई सिक्युरिटी के जवान शाहिद ,”मैंने एक गहरी सांस ली और वो आने लगा जो हमेशा ही फसने पर मैं करता हु ,आंखे बंद कर अपने को ढीला छोड़ दिया,मन में एक एक कर विचार आने लगे और कई आवाजे एक साथ गूंजने लगी …
‘मैं आपकी मदद करूंगा…..हाई प्रोफ़ाइल केस है…..JS ग्रुप ऑफ कंपनी…...मंत्री जी का अकाउंट कैसे चेक कर सकते हो ...क्या माल है ना यार मोना..ऐसे वो हैंडसम तो है…….नही राज आह...राज मैं तुम्हारी हु….साली साड़ी में तो बवाल लगती है,पिछवाड़ा तो देख इसका ……...आई लव यू जान…….अभी...अभी...तुम ठीक तो हो ना …”
मुझे किसी ने झकझोरा ..वो मोना थी...जो अभी अभी ऑफिस से आयी थी …
“हम्म ठीक हु …”मेरे माथे पर पसीना था…