22-07-2020, 12:47 AM
मैंने उन लड़को को घूरा जो मीना की ऐसी तारीफ कर रहे थे,कुछ लड़को का ग्रुप था जिनमे एक लड़का बहुत ही हैंडसम टाइप था,डोले शोले और अच्छी हाइट ने उसे और भी आकर्षक बना रखा था,लेकिन उसकी नजर अभी मोना के उन्नत पिछवाड़े पर ही टिकी थी साथ ही बाकी लोग भी उसे खा जाने वाली निगाह से देख रहे थे,मोना अभी अपने बॉस शर्मा जी से हँस हँस कर बाते कर रही थी इन सबसे अनजान की उसके ही ऑफिस के लड़के उसे ऐसी नजरो से घूर रहे है…….
लेकिन मेरे अंदर भी कुछ बदल रहा था,उन लोगो की बात का मुझपर दोहरा असर हो रहा था,एक तरफ ऐसा लगा की सालो के दांत तोड़ दु तो दूसरी तरफ मुझे एक उत्तेजना सी महसूस हुई ,मेरे साथ यही होता रहा है,जब भी मैं किसी को मोना को घूरते हुए देखता तो एक अजीब सी जलन और मजा मेरे अंदर घर कर जाता था,मुझे पहले पहल तो लगा की ये कोई रोग है लेकिन जब मैं इसके बारे में पता किया तो पता चला की ये एक कामन सी चीज है जो हर मर्द में होती है,ज्यादा या कम मात्रा में,ये असल में जलन का ही एक रूप है जब आपकी कोई इन्फिरियरटी के कारण आप खुद को दुसरो से कम समझते है ,और जब कोई आपकी प्रोपर्टी की तरफ देखता है तो कुछ नही कर पाने का दुख उमड़ता है,लेकिन मन धीरे धीरे इसमें मजे लेने लगता है,मर्दानगी का ईगो आपमे जलन पैदा करता है और साथ ही अवचेतन में छुपी हुई कुछ कुंठाये आपके भीतर एक उत्तेजना का संचार भी करती है,ये जितना नार्मल है उतना ही एबनार्मल भी है……
मैं इन सब से सालो से जूझता रहा और मुझे एक ही रास्ता दिखा की मैं मोना को ही ये फैसला करने दु की उसे क्या चाहिए,मैं किसी भी तरह से उसके ऊपर कोई भी फैसला थोपना नही चाहता था,अगर मैं ऐसा करता तो मेरे मन में ही अंतर्द्वंद की स्तिथि उमड़ जाती ……
मैं अपने ख्यालों से सम्हलता की वही हट्टा कट्टा लड़का बोल उठा,
“शर्मा इसकी लेता है क्या कैसे हँस हँस कर बात कर रही है..”
सभी लड़के मुस्कुरा उठे,
“नही यार साला बुड्डा ठरकी तो है लेकिन इसे नही पटा पाया,साली बड़ी नखरे वाली और तेज है लड़को को घुमा कर छोड़ दे “
उस लड़के की आंखों में एक अजीब सा नशा चढ़ गया
“तब तो ये मेरे लायक है ..”
वो बड़े ही शान से बोला ..
मैं चलता हुआ मोना तक पहुच मुझे देखकर शर्मा जो की जोरो से हँस रहा था,उसकी हँसी थोड़ी कम हो गई जैसे झेंप गया हो या मेरा आना उसे पसंद नही आया हो …
“कैसे हो अभी..”
“अच्छा हु सर ,नाइस पार्टी भाभी जी नही दिख रही “
मेरी बात सुनकर उसका चहरा पूरी तरह से उतर गया..
“होंगी यही ओके तुम दोनो एन्जॉय करो मैं बाकी के गेस्ट से मिलता हु ..”
उसके जाने के बाद मोना ने और मैंने एक दूसरे को घूरा और हँस पड़े ,
“साला ठरकी ,अच्छा हुआ की तुम जल्दी आ गए नही तो इसे सम्हालना बहुत मुश्किल हो जाता है ,साला चिपके ही जाता है “
मोना की चंचल हँसी को मैं बस देखता ही रह गया…
वो सच में कमाल की लग रही थी ,मादकता उसके जिस के हर हिस्से से फूटे जा रही थी ,1 साल हो चुके थे हमारी शादी को लेकिन जब भी उसे देखता था पता नही साला मेरा बाबूराव ऐसे क्यो अकड़ जाता था,मेरी हवस भरी निगाहों को वो आसानी से पहचान गई ..
“यंहा तो सब्र करो,अपनी भी बीवी को ऐसे घूर रहे हो..”
उसके आवाज में थोड़ी मस्ती थी ,
“तुम हो ही ऐसी ,सोचो मेरा ये हाल हो रहा है तो दुसरो का क्या हो रहा होगा,उस बेचारे शर्मा का क्या दोष और उन लड़को का जो तुम्हे देखकर आहे भर रहे है ..”
उसने अपनी आंखे बड़ी कर ली
“कौन लड़के ??”
लेकिन मेरे अंदर भी कुछ बदल रहा था,उन लोगो की बात का मुझपर दोहरा असर हो रहा था,एक तरफ ऐसा लगा की सालो के दांत तोड़ दु तो दूसरी तरफ मुझे एक उत्तेजना सी महसूस हुई ,मेरे साथ यही होता रहा है,जब भी मैं किसी को मोना को घूरते हुए देखता तो एक अजीब सी जलन और मजा मेरे अंदर घर कर जाता था,मुझे पहले पहल तो लगा की ये कोई रोग है लेकिन जब मैं इसके बारे में पता किया तो पता चला की ये एक कामन सी चीज है जो हर मर्द में होती है,ज्यादा या कम मात्रा में,ये असल में जलन का ही एक रूप है जब आपकी कोई इन्फिरियरटी के कारण आप खुद को दुसरो से कम समझते है ,और जब कोई आपकी प्रोपर्टी की तरफ देखता है तो कुछ नही कर पाने का दुख उमड़ता है,लेकिन मन धीरे धीरे इसमें मजे लेने लगता है,मर्दानगी का ईगो आपमे जलन पैदा करता है और साथ ही अवचेतन में छुपी हुई कुछ कुंठाये आपके भीतर एक उत्तेजना का संचार भी करती है,ये जितना नार्मल है उतना ही एबनार्मल भी है……
मैं इन सब से सालो से जूझता रहा और मुझे एक ही रास्ता दिखा की मैं मोना को ही ये फैसला करने दु की उसे क्या चाहिए,मैं किसी भी तरह से उसके ऊपर कोई भी फैसला थोपना नही चाहता था,अगर मैं ऐसा करता तो मेरे मन में ही अंतर्द्वंद की स्तिथि उमड़ जाती ……
मैं अपने ख्यालों से सम्हलता की वही हट्टा कट्टा लड़का बोल उठा,
“शर्मा इसकी लेता है क्या कैसे हँस हँस कर बात कर रही है..”
सभी लड़के मुस्कुरा उठे,
“नही यार साला बुड्डा ठरकी तो है लेकिन इसे नही पटा पाया,साली बड़ी नखरे वाली और तेज है लड़को को घुमा कर छोड़ दे “
उस लड़के की आंखों में एक अजीब सा नशा चढ़ गया
“तब तो ये मेरे लायक है ..”
वो बड़े ही शान से बोला ..
मैं चलता हुआ मोना तक पहुच मुझे देखकर शर्मा जो की जोरो से हँस रहा था,उसकी हँसी थोड़ी कम हो गई जैसे झेंप गया हो या मेरा आना उसे पसंद नही आया हो …
“कैसे हो अभी..”
“अच्छा हु सर ,नाइस पार्टी भाभी जी नही दिख रही “
मेरी बात सुनकर उसका चहरा पूरी तरह से उतर गया..
“होंगी यही ओके तुम दोनो एन्जॉय करो मैं बाकी के गेस्ट से मिलता हु ..”
उसके जाने के बाद मोना ने और मैंने एक दूसरे को घूरा और हँस पड़े ,
“साला ठरकी ,अच्छा हुआ की तुम जल्दी आ गए नही तो इसे सम्हालना बहुत मुश्किल हो जाता है ,साला चिपके ही जाता है “
मोना की चंचल हँसी को मैं बस देखता ही रह गया…
वो सच में कमाल की लग रही थी ,मादकता उसके जिस के हर हिस्से से फूटे जा रही थी ,1 साल हो चुके थे हमारी शादी को लेकिन जब भी उसे देखता था पता नही साला मेरा बाबूराव ऐसे क्यो अकड़ जाता था,मेरी हवस भरी निगाहों को वो आसानी से पहचान गई ..
“यंहा तो सब्र करो,अपनी भी बीवी को ऐसे घूर रहे हो..”
उसके आवाज में थोड़ी मस्ती थी ,
“तुम हो ही ऐसी ,सोचो मेरा ये हाल हो रहा है तो दुसरो का क्या हो रहा होगा,उस बेचारे शर्मा का क्या दोष और उन लड़को का जो तुम्हे देखकर आहे भर रहे है ..”
उसने अपनी आंखे बड़ी कर ली
“कौन लड़के ??”