18-07-2020, 10:20 PM
[b]उस तूफानी चुदाई के बाद दोनों ने आराम किया फिर शाम को चाचाजी अपनी जाने की पैकिंग करके बैठे थे सुरभि ने दोनों के लिए चाय बनाई थी जिसे वो धीरे धीरे चुसकते हुए विजय का इन्तजार कर रहे थे.
“बेटी अगर मौका लगे तो तुम भी गाँव घूम जाओ तुम तो शादी के बाद कभी वहां नहीं गयी.”
“हाँ चाचाजी कभी कोई मौका ही नहीं लगा अगर ये लेकर जायेंगे तो मैं जरूर आउंगी .”
“हाँ बेटा गाँव की बात ही निराली है और वो यहाँ से ज्यादा दूर भी नहीं है.”
“हाँ चाचाजी लेकिन आप भी वापस जरूर आयियेगा.”
“हाँ एक बार और जरूर आऊंगा क्योंकि एक काम अधुरा जो रह गया है.” सुरभि शर्मा गयी यह सोच कर की वो किस काम की बात कर रहे थे.
“हो सकता है वो काम आपके आने से पहले विजय कर दे.” सुरभि ने चाचाजी की चिड़ाने की कोशिश की
“कोई बात नहीं , हम तो अपनी बेटी की ख़ुशी चाहते है अगर विजय कर भी देगा तो भी हमको कोई ऐतराज नहीं. क्योंकि तुम्हारी चूत का उद्घाटन भी विजय ने ही किया था पर असली मजे से परिचय तो हमने ही कराया था न.”
“चाचाजी अब प्लीज ऐसी बाते फिर से शुरू न कीजिये ...”
“मालूम है बेटी कुछ कुछ होने लगता है... है ना?” सुरभि ने हाँ में सर हिलाया.
थोड़ी देर में ही विजय आ गया और चाचाजी ने जाते जाते विजय के सामने ही सुरभि को कस कर गले लगाया और विजय की आँख बचा कर उसकी गांड को हलके से दबा भी दिया. चाचाजी ने विजय को जोर दे कर कहा की जब भी टाइम मिले बहु को एक बार गाँव जरूर घुमाना. और चाचाजी विदा हो गए.
रात को विजय ने अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए सुरभि को चोदा . सुरभि अपनी गांड उचकाते हुए रह गयी पर उससे वो पूर्णता प्राप्त नहीं हुई जो चाचाजी के साथ सेक्स करके प्राप्त हुई थी लेकिन फिर भी एक आदर्श पत्नी की तरह उसने इस बात का एहसास विजय को न होने दिया और विजय इस खुशफ़हमी में की उसने एक बार फिर सुरभि को तृप्त कर दिया है ख़ुशी ख़ुशी सो गया.
अगले दिन विजय की तबियत थोड़ी ख़राब होने के कारण वो ऑफिस नहीं गया था. सुरभि को ध्यान आया की हॉस्पिटल वाला रोहित अगले दिन आने की कह गया था. उसे चिंता होने लगी की अगर वो आया तो क्या बोलेगा. उससे एक बात की शान्ति भी थी की कम से कम विजय के सामने वो किसी प्रकार की बदतमीजी तो नहीं कर सकेगा. करीब 11 बजे रोहित और ज्योति आये. सुरभि ने दरवाजा खोलते ही धीरे से उनको बता दिया की आज विजय घर पर है. सुनकर रोहित का चेहरा लटक गया पर इतने में विजय पीछे से आ गया था
“कौन है सुरभि?”
“ये हॉस्पिटल से आये है.”
“ओह अच्छा आओ आओ क्या बात है कुछ हिसाब बाकी रह गया है क्या. आओ बैठो.” विजय ने अभी टेबलेट ली थी और वो अभी सोने ही जा रहा था की बेल की आवाज सुन कर रुक गया.
“नहीं सर ये कुछ कपडे वगेरह थे जो आपके वहां रह गए थे इसके अलावा ये फीडबैक फॉर्म आपसे भरवाना रह गया था.” रोहित ऐसी किसी स्थिति के लोए पहले से तैयार था.
“अरे बस इतनी सी बात .. वेसे क्या नाम है तुम्हारा ?” उसने ज्योति से पुछा. ज्योति ने बताया.
“हाँ ज्योति.. भाई तुमने हमारे चाचाजी की बहुत अच्छी सेवा की थी. उस दिन डिस्चार्ज के वक़्त तुमको कुछ दे नहीं पाया था. एक्चुअली मेरी तबियत थोड़ी खराब है में अन्दर लेटा हूँ सुरभि तुम ज्योति को कुछ इनाम के रूप में पैसे दे देना और इन लोगों को चाय पिला कर ही भेजना .. ये फीडबैक फॉर्म पर मैंने साइन कर दिया है जो चाहो भर लो.” कहकर विजय बेडरूम में चला गया.
“क्या मैडम मूड ही ख़राब कर दिया ये लो आपके कंडोम इसको संभाल कर रखो.” रोहित ने सुरभि को पैकेट दिया. ज्योति बोली
“मैडम आप टी शर्ट और कैप्री में बहुत हॉट लग रही है.”
“मैडम साहब ने चाय के लिए बोला था.” रोहित बेशर्मी से बोला
“हाँ बनाती हूँ तुम लोग बैठो.”
“चलो मैं भी आपकी मदद करता हूँ.” रोहित उसके पीछे पीछे किचेन में आ गया .” सुरभि किचेन में ही कंडोम का पैकेट छुपाने की जगह देखने लगी तो रोहित ने एक बार उससे पैकेट माँगा और एक कंडोम निकाल लिया सुरभि ने बाकी पैकेट को एक डब्बे में रख दिया.
“मैडम चाय रहने दो इतने टाइम में एक क्विक फ़क हो जाए.”
“पागल हुए हो क्या मेरे हस्बैंड बाजु में है.”
“हाँ वो सोने गए है. हम लोग ज्योति को पहरे पर रखेंगे कहते हुए रोहित ने सुरभि को बाँहों में भर लिया और उसके विरोध करते हुए भी उसके होठों पर अपने होठ रख दिए. सुरभि अपने को बचाने की कोशिश करती हुई किचेन स्लैब से अड़ गयी और रोहित ने अपनी मजबूत बाँहों में उससे जोर से कस लिया सुरभि को कोई चारा न दिखा तो उसने हाथ पैर ढीले छोड़ दिए. विजय बड़ी तन्मयता से उसके होठों का रसास्वादन करने लगा. ज्योति को कुछ ऐसा ही अंदेशा था इसलिए वो किचेन में आ गयी. उसको आया देख विजय ने कहा
”ज्योति तू देख अगर यहाँ कोई आता है तो इशारा करना.”
कहते हुए उसने सुरभि को उठा कर किचन स्लैब पर रखा और उसकी कैप्री एक झटके में उतार कर फेंक दी. सुरभि हमेशा की तरह अन्दर कुछ नहीं पहनी हुई थी. उसकी चिकनी चूत देख कर रोहित पागल सा हो गया ओर उसने अपने होठ उसकी प्यारी फुद्दी पर टिका दिए. सुरभि की चूत पर वो अपनी जीभ फिराने लगा जिससे सुरभि का रहा सहा विरोध भी शांत होने लगा और वो किसी मछली की तरह तडफड़ाने लगी. उसने अपनी दोनों नंगी टाँगे उठा कर रोहित के कंधे पर रख दी. और अपने हाथों से उसके बालों को जकड लिया. रोहित जानता था उसके पास ज्यादा टाइम नहीं है. उसने जल्दी जल्दी सोफ्टी की तरह इसकी चूत को अंतिम बार चाटा और फिर अपने को उसकी गदराई टांगो की कैद से आज़ाद किया. उसने अपनी पेंट खोल कर घुटनों तक उतार दी. वो भी अन्दर अंडरवियर नहीं पहने था उसका मजबूत लंड सुरभि की आँखों के सामने आ गया. वो चाचाजी जितना लम्बा तो नहीं था पर फिर भी काफी लम्बा और मोटा था और सबसे बड़ी बात देखने से ही वो एक जवान मजबूत लंड लग रहा था. रोहित ने अपने लंड पर कंडोम चडाया फिर सुरभि को थोडा आगे की तरफ खिसका कर उसने उसकी गीली हो चुकी चूत पर पर अपने मुसल को टिका कर अन्दर धकेल दिया सुरभि के मुह से आह निकलती उससे पहले ही उसने उसके होठों को अपने होठों से बंद कर दिया. फिर उसके कान पर फुसफुसाया
“मैडम अभी जल्दी है इसलिए पुरे मजे नहीं दे पा रहा हूँ लेकिन अगली बार आपको जन्नत की सैर कराऊंगा . कहते हुए उसने पूरा लंड एक बार में ही उसकी चूत में पेल दिया, सुरभि को मजा आ गया ख़ास कर जो रोहित अपनी मजबूत बाँहों में भरकर उसे क्रश कर रहा था उसे बहुत अच्छा लग रहा था. उसे डर था की कहीं विजय न आ जाये इसलिए वो भी चाहती थी की ये काम जल्दी ख़तम हो जाए. फिर उसे रोहित की जवानी का एक और सबूत मिला जब उसने सुरभि को अपनी बाँहों में उठा लिया और सुरभि की गांड ने किचेन स्लैब छोड़ दिया, अब सुरभि पूरी तरह से हवा में थी, वो गिर न जाए इसलिए उसने अपनी दोनों टाँगे रोहित की कमर पर और दोनो बाहें उसकी गर्दन पर कस दी रोहित ने उससे अच्छे तरह से उठाया और किचन के दरवाजे के पास दिवार के सहारे ला कर उससे खड़े खड़े ही चोदने लगा . उसका कण्ट्रोल और पॉवर देख कर सुरभि हैरान थी. उसने ऐसी चुदाई कभी नहीं की थी. रोहित को उम्मीद नहीं थी की इतनी हॉट औरत उसे इतनी आसानी से चोदने को मिल जाएगी. वो सोच रहा था की ज्योति को जो उसने क्लिप बनाने के लिए कहा था वो बना रही है की नहीं. इसलिए वो उसे इस तरफ लाया था ताकि ज्योति उनकी क्लिप भी बना सके और विजय पर नजर भी नहीं रख सके. विजय तो दवाई खा कर बेसुध सोया सोच भी नहीं सकता था की उसकी बीवी उनके किचेन में एक कम उम्र के लड़के से चुद रही है. रोहित थोड़ी देर में ही झड़ने लगा और सुरभि को भी एक नए अनुभव के साथ ओर्गास्म प्राप्त हुआ. उसने जल्दी से सुरभि को फिर से किचेन स्लैब पर रखा और लंड बहार निकल लिया. कंडोम को डस्ट बिन में डाल कर उसने अपनी पेंट चढाई और सुरभि की और उसकी कैप्री लौटते हुए बोला.
“मैडम मजा तो आया पर पूरा नहीं. इस पारी को किसी और दिन पूरा करेंगे.”
सुरभि को मजा तो बहुत आया पर वो ऐसे ही उससे सम्बन्ध बड़ा नहीं सकती थी सो उसने कहा
“देखो तुमने एक बार के लिए कहा था और वो मैंने कर दिया अब हम दोनों के लिए अच्छा ये है की तुम मुझे भूल जाओ.”
“मैडम आपको भूलने का सवाल पैदा नहीं होता लेकिन मैंने एक बार के लिए एक दिन के लिए कहा था. आप ही सोचिये इतनी जल्दी में न आपने मजा किया न मैंने. खैर आपका मोबाइल नंबर मेरे पास है मैं आपको कॉल करूँगा फिर हम decide करेंगे.”
“ओफ्फो तुम समझते क्यों नहीं.” सुरभि बोली पर उसके स्वर में अब वो विरोध नहीं था. मजा तो उसे भी लेना था ना. रोहित चाहता तो उसे क्लिप के बारे में बता कर ब्लैक मेल कर सकता था पर वो उन लोगो में से नहीं था वो तो उसने अपनी सेफ्टी के लिए बनाई थी उसे तो औरतों को पटा कर उनकी मर्जी से चोदने में ही मजा आता था.
रोहित के जाने के बाद सुरभि सोचने लगी की क्या उसने वाकई अच्छा किया. वो बेडरूम में सोते हुए विजय को देखने लगी. वो विजय को प्यार करती थी, पर उसे लगा की वो सेक्स की भूखी है चाचाजी ने उसके मुह खून लगा दिया था. जितना वो चुद रही है उतनी ही उसकी चुदने की प्यास बढती जा रही रही. वो धीरे से आ कर विजय के पास लेट गयी और उसके माथे पर किस करके बोली.
“आई ऍम सॉरी विजय ये सब मेरे कण्ट्रोल से बाहर हो गया है.”[/b]
“बेटी अगर मौका लगे तो तुम भी गाँव घूम जाओ तुम तो शादी के बाद कभी वहां नहीं गयी.”
“हाँ चाचाजी कभी कोई मौका ही नहीं लगा अगर ये लेकर जायेंगे तो मैं जरूर आउंगी .”
“हाँ बेटा गाँव की बात ही निराली है और वो यहाँ से ज्यादा दूर भी नहीं है.”
“हाँ चाचाजी लेकिन आप भी वापस जरूर आयियेगा.”
“हाँ एक बार और जरूर आऊंगा क्योंकि एक काम अधुरा जो रह गया है.” सुरभि शर्मा गयी यह सोच कर की वो किस काम की बात कर रहे थे.
“हो सकता है वो काम आपके आने से पहले विजय कर दे.” सुरभि ने चाचाजी की चिड़ाने की कोशिश की
“कोई बात नहीं , हम तो अपनी बेटी की ख़ुशी चाहते है अगर विजय कर भी देगा तो भी हमको कोई ऐतराज नहीं. क्योंकि तुम्हारी चूत का उद्घाटन भी विजय ने ही किया था पर असली मजे से परिचय तो हमने ही कराया था न.”
“चाचाजी अब प्लीज ऐसी बाते फिर से शुरू न कीजिये ...”
“मालूम है बेटी कुछ कुछ होने लगता है... है ना?” सुरभि ने हाँ में सर हिलाया.
थोड़ी देर में ही विजय आ गया और चाचाजी ने जाते जाते विजय के सामने ही सुरभि को कस कर गले लगाया और विजय की आँख बचा कर उसकी गांड को हलके से दबा भी दिया. चाचाजी ने विजय को जोर दे कर कहा की जब भी टाइम मिले बहु को एक बार गाँव जरूर घुमाना. और चाचाजी विदा हो गए.
रात को विजय ने अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए सुरभि को चोदा . सुरभि अपनी गांड उचकाते हुए रह गयी पर उससे वो पूर्णता प्राप्त नहीं हुई जो चाचाजी के साथ सेक्स करके प्राप्त हुई थी लेकिन फिर भी एक आदर्श पत्नी की तरह उसने इस बात का एहसास विजय को न होने दिया और विजय इस खुशफ़हमी में की उसने एक बार फिर सुरभि को तृप्त कर दिया है ख़ुशी ख़ुशी सो गया.
अगले दिन विजय की तबियत थोड़ी ख़राब होने के कारण वो ऑफिस नहीं गया था. सुरभि को ध्यान आया की हॉस्पिटल वाला रोहित अगले दिन आने की कह गया था. उसे चिंता होने लगी की अगर वो आया तो क्या बोलेगा. उससे एक बात की शान्ति भी थी की कम से कम विजय के सामने वो किसी प्रकार की बदतमीजी तो नहीं कर सकेगा. करीब 11 बजे रोहित और ज्योति आये. सुरभि ने दरवाजा खोलते ही धीरे से उनको बता दिया की आज विजय घर पर है. सुनकर रोहित का चेहरा लटक गया पर इतने में विजय पीछे से आ गया था
“कौन है सुरभि?”
“ये हॉस्पिटल से आये है.”
“ओह अच्छा आओ आओ क्या बात है कुछ हिसाब बाकी रह गया है क्या. आओ बैठो.” विजय ने अभी टेबलेट ली थी और वो अभी सोने ही जा रहा था की बेल की आवाज सुन कर रुक गया.
“नहीं सर ये कुछ कपडे वगेरह थे जो आपके वहां रह गए थे इसके अलावा ये फीडबैक फॉर्म आपसे भरवाना रह गया था.” रोहित ऐसी किसी स्थिति के लोए पहले से तैयार था.
“अरे बस इतनी सी बात .. वेसे क्या नाम है तुम्हारा ?” उसने ज्योति से पुछा. ज्योति ने बताया.
“हाँ ज्योति.. भाई तुमने हमारे चाचाजी की बहुत अच्छी सेवा की थी. उस दिन डिस्चार्ज के वक़्त तुमको कुछ दे नहीं पाया था. एक्चुअली मेरी तबियत थोड़ी खराब है में अन्दर लेटा हूँ सुरभि तुम ज्योति को कुछ इनाम के रूप में पैसे दे देना और इन लोगों को चाय पिला कर ही भेजना .. ये फीडबैक फॉर्म पर मैंने साइन कर दिया है जो चाहो भर लो.” कहकर विजय बेडरूम में चला गया.
“क्या मैडम मूड ही ख़राब कर दिया ये लो आपके कंडोम इसको संभाल कर रखो.” रोहित ने सुरभि को पैकेट दिया. ज्योति बोली
“मैडम आप टी शर्ट और कैप्री में बहुत हॉट लग रही है.”
“मैडम साहब ने चाय के लिए बोला था.” रोहित बेशर्मी से बोला
“हाँ बनाती हूँ तुम लोग बैठो.”
“चलो मैं भी आपकी मदद करता हूँ.” रोहित उसके पीछे पीछे किचेन में आ गया .” सुरभि किचेन में ही कंडोम का पैकेट छुपाने की जगह देखने लगी तो रोहित ने एक बार उससे पैकेट माँगा और एक कंडोम निकाल लिया सुरभि ने बाकी पैकेट को एक डब्बे में रख दिया.
“मैडम चाय रहने दो इतने टाइम में एक क्विक फ़क हो जाए.”
“पागल हुए हो क्या मेरे हस्बैंड बाजु में है.”
“हाँ वो सोने गए है. हम लोग ज्योति को पहरे पर रखेंगे कहते हुए रोहित ने सुरभि को बाँहों में भर लिया और उसके विरोध करते हुए भी उसके होठों पर अपने होठ रख दिए. सुरभि अपने को बचाने की कोशिश करती हुई किचेन स्लैब से अड़ गयी और रोहित ने अपनी मजबूत बाँहों में उससे जोर से कस लिया सुरभि को कोई चारा न दिखा तो उसने हाथ पैर ढीले छोड़ दिए. विजय बड़ी तन्मयता से उसके होठों का रसास्वादन करने लगा. ज्योति को कुछ ऐसा ही अंदेशा था इसलिए वो किचेन में आ गयी. उसको आया देख विजय ने कहा
”ज्योति तू देख अगर यहाँ कोई आता है तो इशारा करना.”
कहते हुए उसने सुरभि को उठा कर किचन स्लैब पर रखा और उसकी कैप्री एक झटके में उतार कर फेंक दी. सुरभि हमेशा की तरह अन्दर कुछ नहीं पहनी हुई थी. उसकी चिकनी चूत देख कर रोहित पागल सा हो गया ओर उसने अपने होठ उसकी प्यारी फुद्दी पर टिका दिए. सुरभि की चूत पर वो अपनी जीभ फिराने लगा जिससे सुरभि का रहा सहा विरोध भी शांत होने लगा और वो किसी मछली की तरह तडफड़ाने लगी. उसने अपनी दोनों नंगी टाँगे उठा कर रोहित के कंधे पर रख दी. और अपने हाथों से उसके बालों को जकड लिया. रोहित जानता था उसके पास ज्यादा टाइम नहीं है. उसने जल्दी जल्दी सोफ्टी की तरह इसकी चूत को अंतिम बार चाटा और फिर अपने को उसकी गदराई टांगो की कैद से आज़ाद किया. उसने अपनी पेंट खोल कर घुटनों तक उतार दी. वो भी अन्दर अंडरवियर नहीं पहने था उसका मजबूत लंड सुरभि की आँखों के सामने आ गया. वो चाचाजी जितना लम्बा तो नहीं था पर फिर भी काफी लम्बा और मोटा था और सबसे बड़ी बात देखने से ही वो एक जवान मजबूत लंड लग रहा था. रोहित ने अपने लंड पर कंडोम चडाया फिर सुरभि को थोडा आगे की तरफ खिसका कर उसने उसकी गीली हो चुकी चूत पर पर अपने मुसल को टिका कर अन्दर धकेल दिया सुरभि के मुह से आह निकलती उससे पहले ही उसने उसके होठों को अपने होठों से बंद कर दिया. फिर उसके कान पर फुसफुसाया
“मैडम अभी जल्दी है इसलिए पुरे मजे नहीं दे पा रहा हूँ लेकिन अगली बार आपको जन्नत की सैर कराऊंगा . कहते हुए उसने पूरा लंड एक बार में ही उसकी चूत में पेल दिया, सुरभि को मजा आ गया ख़ास कर जो रोहित अपनी मजबूत बाँहों में भरकर उसे क्रश कर रहा था उसे बहुत अच्छा लग रहा था. उसे डर था की कहीं विजय न आ जाये इसलिए वो भी चाहती थी की ये काम जल्दी ख़तम हो जाए. फिर उसे रोहित की जवानी का एक और सबूत मिला जब उसने सुरभि को अपनी बाँहों में उठा लिया और सुरभि की गांड ने किचेन स्लैब छोड़ दिया, अब सुरभि पूरी तरह से हवा में थी, वो गिर न जाए इसलिए उसने अपनी दोनों टाँगे रोहित की कमर पर और दोनो बाहें उसकी गर्दन पर कस दी रोहित ने उससे अच्छे तरह से उठाया और किचन के दरवाजे के पास दिवार के सहारे ला कर उससे खड़े खड़े ही चोदने लगा . उसका कण्ट्रोल और पॉवर देख कर सुरभि हैरान थी. उसने ऐसी चुदाई कभी नहीं की थी. रोहित को उम्मीद नहीं थी की इतनी हॉट औरत उसे इतनी आसानी से चोदने को मिल जाएगी. वो सोच रहा था की ज्योति को जो उसने क्लिप बनाने के लिए कहा था वो बना रही है की नहीं. इसलिए वो उसे इस तरफ लाया था ताकि ज्योति उनकी क्लिप भी बना सके और विजय पर नजर भी नहीं रख सके. विजय तो दवाई खा कर बेसुध सोया सोच भी नहीं सकता था की उसकी बीवी उनके किचेन में एक कम उम्र के लड़के से चुद रही है. रोहित थोड़ी देर में ही झड़ने लगा और सुरभि को भी एक नए अनुभव के साथ ओर्गास्म प्राप्त हुआ. उसने जल्दी से सुरभि को फिर से किचेन स्लैब पर रखा और लंड बहार निकल लिया. कंडोम को डस्ट बिन में डाल कर उसने अपनी पेंट चढाई और सुरभि की और उसकी कैप्री लौटते हुए बोला.
“मैडम मजा तो आया पर पूरा नहीं. इस पारी को किसी और दिन पूरा करेंगे.”
सुरभि को मजा तो बहुत आया पर वो ऐसे ही उससे सम्बन्ध बड़ा नहीं सकती थी सो उसने कहा
“देखो तुमने एक बार के लिए कहा था और वो मैंने कर दिया अब हम दोनों के लिए अच्छा ये है की तुम मुझे भूल जाओ.”
“मैडम आपको भूलने का सवाल पैदा नहीं होता लेकिन मैंने एक बार के लिए एक दिन के लिए कहा था. आप ही सोचिये इतनी जल्दी में न आपने मजा किया न मैंने. खैर आपका मोबाइल नंबर मेरे पास है मैं आपको कॉल करूँगा फिर हम decide करेंगे.”
“ओफ्फो तुम समझते क्यों नहीं.” सुरभि बोली पर उसके स्वर में अब वो विरोध नहीं था. मजा तो उसे भी लेना था ना. रोहित चाहता तो उसे क्लिप के बारे में बता कर ब्लैक मेल कर सकता था पर वो उन लोगो में से नहीं था वो तो उसने अपनी सेफ्टी के लिए बनाई थी उसे तो औरतों को पटा कर उनकी मर्जी से चोदने में ही मजा आता था.
रोहित के जाने के बाद सुरभि सोचने लगी की क्या उसने वाकई अच्छा किया. वो बेडरूम में सोते हुए विजय को देखने लगी. वो विजय को प्यार करती थी, पर उसे लगा की वो सेक्स की भूखी है चाचाजी ने उसके मुह खून लगा दिया था. जितना वो चुद रही है उतनी ही उसकी चुदने की प्यास बढती जा रही रही. वो धीरे से आ कर विजय के पास लेट गयी और उसके माथे पर किस करके बोली.
“आई ऍम सॉरी विजय ये सब मेरे कण्ट्रोल से बाहर हो गया है.”[/b]