18-07-2020, 10:15 PM
[b]उसने अपने ध्यान को भटकाने के लिए अपने बचे हुए काम निपटाने शुरू कर दिए और जब तक चाचाजी नीचे से वापस आये वो अपने काम निपटा कर शान्ति से टीवी देख रही थी. चाचाजी अन्दर आते ही बोले
“बेटी वो नर्स ज्योति क्या यही आस पास रहती है?”
“नहीं तो चाचाजी क्यों आप क्यों पूछ रहे है.”
“बस ऐसे ही मैंने उससे आज गार्डन के सामने से एक लड़के के साथ मोटर साइकिल पर जाते हुए देखा था.”
“अच्छा शायद उसके कोई रिश्तेदार रहते हो यहाँ.”
“हो सकता है बेटी पर वो थी एक नंबर की रांड.”
“क्या बात कर रहे है चाचाजी उसने आपकी कितनी सेवा की थी.”
“नहीं इसमें कोई शक नहीं है की वो एक अच्छी नर्स थी पर वो थी एक नंबर की रांड.”
“क्या बोल रहे है चाचाजी मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा.”
“इधर आओ बेटी मैं समझाता हूँ.” चाचाजी ने सोफे पर अपने पास बैठने का इशारा किया. सुरभि धीरे से आ कर उनके पास बैठ गयी.
“देखो बेटी तुमको चोदकर, तुमने मुझे स्वर्ग का आनंद दे दिया.” सुरभि का चेहरा फिर से लाल हो गया.
“अरे शरमाओ नहीं सच कह रहा हूँ , ऐसा लग रहा था की में स्वर्ग में हूँ और तुम एक अप्सरा.”
“लेकिन इसमें ज्योति के रा रा मेरा मतलब है रांड होने का क्या सम्बन्ध है.”
“बताता हूँ. देखो बेटी तुम 4 साल से शादी शुदा हो फिर भी तुम्हारी चूत कितनी कसी हुई और टाइट थी. एक जवान लड़की की तरह और उसका रंग भी कितना साफ़ है बिलकुल पाव रोटी जैसा. तुमको चोदने में ऐसा एहसास हुआ की किसी कुंवारी चूत को चोद रहे है. तुम्हारा एक एक अंग मखमली और बेदाग़ है. तुमको चोदने में जो असीम आनंद मुझे मिला है मुझे अब से पहले कभी नहीं मिला.” चाचाजी ऐसे सुरभि को बता रहे थे जैसे कोई गुरु किसी शिष्य को उपदेश दे रहा था. पर वो बातें ऐसी थी की सुरभि बस धरती में धंसे जा रही थी वो शर्म से पानी पानी हुई जा रही थी. उसे पता नहीं चल रहा था की चाचाजी उसकी तारीफ़ कर रहे है या उसे शर्मिंदा कर रहे हैं.
“बेटी लेकिन उस ज्योति को एक बार चोदने से ही लगा की वो पक्की रांड है क्योंकि अभी उसकी शादी भी नहीं हुई है पर उसकी चूत अभी से भोसड़ा बन गयी है. रंग तुमने भी देखा होगा कितना कालापन आ गया है उसकी ढीली चूत में. लंड घुसाने का बिलकुल मजा नहीं आया ऐसी लड़कियों का भरोसा नहीं होता इसलिए मैंने तुमसे उस दिन कंडोम मंगाया था. पता नहीं एक दिन का मजा और जिंदगी भर की सजा.” आखिरी शब्द ऐसे कहे उन्होंने की सुरभि के मुह से हंसी निकल गयी. चाचाजी ने सुरभि को बाँहों में लिया और अपने पास खिसका लिया. सुरभि ने भी कोई विरोध नहीं किया.
“अरे बेटी एक और बात जो मुझे पता चल गयी वो भी सुनो.”
“और क्या बाकी रह गया चाचाजी.”
“देख बेटी सेक्स में सब कुछ जायज है. जब में तुझे चोद रहा था तब मैंने तेरी गांड में भी ऊँगली फिराई थी. और तब ही मुझे पता चल गया था की तेरी गांड अभी तक कुंवारी है मतलब अभी तक अनचुदी हो तुम.” सुरभि फिर शर्म से नीचे देखने लगी.
“अरे बेटी अब मुझसे क्या शर्माना बोलो सच बात है न.” सुरभि ने हाँ में सर हिलाया.
“क्यों बेटी विजय ने कभी कोशिश नहीं की क्या?”
“एक दो बार की थी वो भी नशे में पर..”
“घुसा नहीं पाया होगा है न?” सुरभि ने फिर शर्म से सर हिलाया. उसे विश्वास ही नहीं हो रहा था की वो ऐसी बातें चाचाजी के साथ कर पा रही थी.
“बेटी गांड मारना बहुत मुश्किल और अनुभव वाला काम है. खैर मुझे लगता है तुम्हारी गांड की सील मैं ही तोडूंगा.” बोलते बोलते चाचाजी इतने उत्तेजित हो गए की उन्होंने सुरभि के मुह को अपनी ओर घुमा कर उसके होठों पर अपने होठ रख दिए और आतुर हो कर चूसने लगे. सुरभि भी ऐसी बातें करके सुनके उत्तेजित हो गयी थी वो भी उनका पूरा साथ देने लगी और उनके होठ चूसने लगी. थोड़ी देर चूमा चाटी के बाद जब वे अलग हुए तो दोनों की साँसे चलने लगी.
“हाँ तो बेटी मैं ये बता रहा था की जब मैंने ज्योति को चोदा था तब उसकी गांड भी मैंने चेक की थी. पर उसकी गांड कुंवारी नहीं थी उसकी चूत की तरह उसकी गांड भी कई बार चुदी हुई लग रही थी.”
“हाँ वो तो सैंडविच बनवाती है न अपना.” सुरभि के मुह से यकायक निकल गया उसने तुरंत अपना होठ काटा.
“क्या क्या ?? सैंडविच बनवाती है ऐसा उसने कहा क्या ? हा हा हा .”
“नहीं म म म मेरा मतलब है सैंडविच बनवाती होगी.”
“हा हा हा यानी हमारी बेटी जानती है सैंडविच के बारे में. कल तुम्हारा सैंडविच भी तो बना था मेरे और विजय के बीच में पर तुम्हारी ये गुलाबी गांड तो बच गयी थी.” चाचाजी ने उसे आँख मारी.
“कल अगर विजय को पता चल जाता तो.”
“अरे सुबह जब तुम गांड उघाड़े बेसुध पड़ी थी तब उसने देखा था और ख़ुद अपने हाथो से तुम्हारी गांड ढकी थी. हमतो सोने का नाटक कर रहे थे.” सुरभि को फिर शर्माना ही पड़ा.
“अब बेटी फटाफट ये बताओ कहाँ चुदना पसंद करोगी तुम ?’ चाचाजी ऐसे पूछ रहे थे जैसे क्या खाना पसंद करेगी वो. सुरभि की आँखों में अब गुलाबी डोरे तैरने लगे थे वो भी अब पूरी तरह तैयार थी चुदाई का एक और राउंड चाचाजी के साथ खेलने के लिए.
“जहाँ आप चाहें चाचाजी.” सुरभि ने एक मादक अंगडाई लेते हुए कहा.
“ऐसे नहीं मुझे क्लियर कट बताओ की चाचाजी आप मुझे आज यहाँ चोदिये.” उसके बाद ही मैं तुम्हे चोदुंगा.
“चाचाजी आप ख़ुद तो गन्दी भाषा बोलते है औरतों के सामने और आप मुझे भी वैसा ही बेशरम बनाना चाहते है.”
“देख बेटी मैं प्रवचन करने तो आया नहीं हूँ. जब चुदाई में ऐसे शब्दों का इस्तेमाल करते है तो मजा दुगना नहीं तिगुना हो जाता है. सच बता तुझे इसमें मजा आता है या नहीं. चाचाजी ने आगे बढकर उसकी तनी हुई चुचिओं को दबाते हुए कहा. सुरभि सिसकारी भरते हुए बोली
“आता तो है पर मुझे इसकी आदत नहीं है विजय मुझसे कभी भी ऐसे बात नहीं करते.”
“बेटी विजय को सेक्स का पूरा ज्ञान नहीं है अगर होता तो तुम्हे वो और मजे दे पाता. पर खैर तुम्हारी किस्मत. पर जब तक मैं तुम्हारे साथ हूँ मैं तो ऐसे ही बात करुना. और चाहूँगा की तुम भी मुझसे वैसे ही पेश आओ. तो अब बताओ कहा चुदना चाहेगी मेरी प्यारी सुरभि बिटिया.”
“मैं यहीं ड्राइंग रूम में.”
“ये क्या आधी अधूरी बात क्या ड्राइंग रूम में.” चाचाजी नकली गुस्सा दिखाते हुए बोले.
“ओफ्फो मुझे आप ड्राइंग रूम में ही चोदिये चाचाजी... अब खुश.” चाचाजी उसके खुश हो कर बाँहों में भरते हुए बोले
“बहुत खुश बेटी चल अब नंगी हो जा और मुझे भी नंगा कर दे.” सुरभि शायद बहुत देर से इसका इंतज़ार कर रही थी उसने पहले अपनी कैप्री उतारी और नीचे से नंगी हो गयी क्योंकि उसने चड्डी नहीं पहनी हुई थी फिर धीरे से उसने अपना टॉप भी उतार फेंका और पूरी तरह से नंगी हो गयी. नंगी हो कर भी उसके चेहरे पर अब कोई शर्म का भाव नहीं था बल्कि एक कातिलाना मुस्कराहट थी. वो धीरे धीरे चाचाजी के पास आई और एक मर्द की तरह चाचजी की गांड पर हाथ रख कर एक झटके से उन्हें अपने से चिपका लिया. चाचाजी का लंड धोती के अन्दर से सुरभि की नंगी चूत पर दस्तक देने लगा. फिर सुरभि ने अपने दोनों हाथ चाचाजी की बनियान में घुसा दिए. और उनकी निप्पल्स से खेलें लगी. चाचाजी मदहोश होने लगे. सुरभि ने उनकी बनियान को उतार कर वहीँ फेंक दिया जहाँ उसका टॉप पड़ा था. फिर वो उनकी धोती से खेलने लगी. उसे समझ नहीं आया वो उस धोती को कैसे खोले तो शरारत करते हुए उसने चाचाजी के भारी बॉल्स को अपनी एक हाथ ही मुठी में भर लिया और बोली
“मुझे ये धोती खोलनी नहीं आ रही आप खोलो न प्लीज.” चाचाजी ने मुस्कुराते हुए धोती के एक छोर को आज़ाद कर दिया जिससे धोती ढीली हो गयी और सुरभि ने थोड़ी मशक्कत करते हुए चाचाजी को भी पूरा नंगा कर दिया.
चाचाजी का लंड खम्बे की तरह खड़ा था सुरभि ने बिना किसी झिझक के उसे अपनी हथेली में थाम लिया और उससे खेलने लगी.
“ओह्हो पूरी तरह तैयार हो चाचाजी.” चाचाजी ने तुरंत सुरभि की टांगो के बीच हाथ घुसाते हुए अपनी दो उंगलियाँ उसकी चूत में प्रवेश करा दी फिर निकाल कर गीली उंगलियाँ सूंघते हुए बोले
“तैयार तो तू भी है पूरी तरह बेटी.” सुरभि उनकी इस हरकत से गहरी सांसे भरने लगी और बोली
”जल्दी कर लो चाचाजी.”
“चाचाजी उसको बाँहों में भरते हुए उसकी गांड को मसलने लगे
”क्या करवाना है मेरी बीटिया को.”
“अरे जल्दी से चोद दे मुझे चाचू..” सुरभि ने गुस्से में चाचाजी की छाती के बाल नोचते हुए कहा.
“चाचाजी दर्द से छटपटा उठे पर उन्हें उसका ये वाइल्ड स्वरुप देख कर मजा भी आया.
“ओह तो कुतिया बहुत गरम हो गयी है हाँ.”
उन्होंने उसकी गांड के छेद पर अपनी ऊँगली से प्रेशर दिया तो सुरभि सिहर उठी.
“आह .”
“क्या क्या आप मेरी वो क्या आप मुझे पीछे से मतलब.”
“नहीं कुतिया आज मैं तेरी गांड नहीं मारूंगा क्योंकि अभी मैं तेरी कमसिन चूत का एक बार और मजा लूँगा लेकिन अगली बार तेरी गांड जरूर मरूँगा.” सुरभि को समझ नहीं आया की खुश हो या दुखी. उसने चाचाजी के लंड को सहलाना जारी रखा.
“चल बेटी जरा इसे चूस कर थोडा आनंद तो दे दे.” उन्होंने सुरभि के कंधे पर प्रेशर डालते हुए नीचे बिठाया. सुरभि घुटनों के बाल बैठ गयी और एक एक्सपर्ट धंदे वाली की तरह उनके लंड को मुह में भरकर चूसने लगी. चाचाजी आनंद से सिसकारी भरने लगे.
“आहह सुरभि बेटी तू भी जल्दी ही रांड बन्ने वाली है आह्ह्ह क्या चूसती है स्साली मजा आ गया आह काश एक दो हफ्ते यही रहता तो तेरी चूत का भी भोसड़ा बना देता .. आःह्ह ऐसे ही हां वाह एक ही अफ़सोस है आज तेरी गांड नहीं मार पाउँगा क्योंकि तेरी चूत मारने के बाद शाम तक तेरी इस टाइट गांड के लिए ताकत नहीं बचेगी. आह्ह्ह लेकिन साली एक दिन सिर्फ तेरी गांड मारने की लिए यहाँ आऊंगा आह्ह्ह्ह. चल अब कुतिया बन जा जल्दी से.”
उन्होंने सुरभि को रोक कर लंड बाहर निकला और सोफे के ऊपर उसे झुकाते हुए चारों टांगो पर कुतिया की तरह खड़ा कर दिया सोफे पर खड़ा करने से चाचाजी को नीचे झुकना नहीं पड़ा और वो खड़े खड़े ही उसके पीछे से उसकी चूत मार सकते थे. सुरभि के टाइट बूब्स भी उसके इस आसन में नीचे की ओर थन की तरह लटक गए थे. चाचाजी का लंड पीछे उसकी गांड में दस्तक मार रहा था और वो झुक कर उसके दोनों बूब्स को पकड़ कर मसल रहे थे. सुरभि को उनके ऐसा करने से मजा आने लगा और वो अपनी गांड को हिला कर उनके लंड से रगड़ने लगी. चाचाजी ने जब उसकी चूत को चेक किया तो पूरी तरह से तरबतर थी. गीली उँगलियों को उन्होंने उसकी गांड पर मल दिया सुरभि की गुलाबी गांड का छेद हलके हलके फुदकने लगा शायद वो सोच रहा था की आज उसका काम तमाम होने वाला है. लेकिन चाचाजी एक अनुभवी खिलाड़ी थे. उन्हें इस वक़्त अपनी शमता का एहसास था. इसलिए आज के दिन उनका टारगेट उसकी चूत ही था. उन्होंने अपने लंड को सेट किया और जोरदार शॉट मारा
“aaaahhhhh क्या कर रहे हो चाचाजी .” सुरभि दर्द से चीख पड़ी.
“सॉरी बेटी तुझे सिर्फ एहसास दिला रहा था की जब ये पहली बार गांड में जायेगा तो कैसा लगेगा .”
“धीरे धीरे करो प्लीज. “ चाचाजी ने उससे धीरे धीरे चोदना शुरू कर दिया साथ में वो उसके बूब्स भी मसल रहे थे.
उन्होंने एक बोरिंग धीरे rythm में उससे चोदना चालू रखा की सुरभि बोल ही उठी
“जोर से चोदिये न चाचाजी.”
‘बेटी कभी धीरे कभी जोर से क्या चाहती हो तुम.”
“आप जोर से ही चोदिये आह.”
“अब दर्द से रोना मत.”
“नहीं जोर से चोदो जल्दी आह्ह्ह.” वो वाइल्ड होती जा रही थी. चाचाजी उसे नाराज नहीं कर सकते थे इसलिए उन्होंने वो शॉट लगाने शुरू किये जिसके लिए वो अपने गाँव में प्रख्यात थे.
“आह आः अह्ह्ह अह्ह्ह ऐसे ही आह्ह्ह जोर से आह्ह्ह्ह चोदिये आह चाचाजी आःह्ह.” सुरभि उनके हर शॉट पर आह्ह्ह वाह्ह करती रही और वो उसे चोदते रहे चोदते रहे चोदते रहे जब तक की दोनों ही पसीने से तरबतर हो चुके थे और दोनों के चूत लंड भी एक दुसरे को तरबतर कर चुके थे.[/b]
“बेटी वो नर्स ज्योति क्या यही आस पास रहती है?”
“नहीं तो चाचाजी क्यों आप क्यों पूछ रहे है.”
“बस ऐसे ही मैंने उससे आज गार्डन के सामने से एक लड़के के साथ मोटर साइकिल पर जाते हुए देखा था.”
“अच्छा शायद उसके कोई रिश्तेदार रहते हो यहाँ.”
“हो सकता है बेटी पर वो थी एक नंबर की रांड.”
“क्या बात कर रहे है चाचाजी उसने आपकी कितनी सेवा की थी.”
“नहीं इसमें कोई शक नहीं है की वो एक अच्छी नर्स थी पर वो थी एक नंबर की रांड.”
“क्या बोल रहे है चाचाजी मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा.”
“इधर आओ बेटी मैं समझाता हूँ.” चाचाजी ने सोफे पर अपने पास बैठने का इशारा किया. सुरभि धीरे से आ कर उनके पास बैठ गयी.
“देखो बेटी तुमको चोदकर, तुमने मुझे स्वर्ग का आनंद दे दिया.” सुरभि का चेहरा फिर से लाल हो गया.
“अरे शरमाओ नहीं सच कह रहा हूँ , ऐसा लग रहा था की में स्वर्ग में हूँ और तुम एक अप्सरा.”
“लेकिन इसमें ज्योति के रा रा मेरा मतलब है रांड होने का क्या सम्बन्ध है.”
“बताता हूँ. देखो बेटी तुम 4 साल से शादी शुदा हो फिर भी तुम्हारी चूत कितनी कसी हुई और टाइट थी. एक जवान लड़की की तरह और उसका रंग भी कितना साफ़ है बिलकुल पाव रोटी जैसा. तुमको चोदने में ऐसा एहसास हुआ की किसी कुंवारी चूत को चोद रहे है. तुम्हारा एक एक अंग मखमली और बेदाग़ है. तुमको चोदने में जो असीम आनंद मुझे मिला है मुझे अब से पहले कभी नहीं मिला.” चाचाजी ऐसे सुरभि को बता रहे थे जैसे कोई गुरु किसी शिष्य को उपदेश दे रहा था. पर वो बातें ऐसी थी की सुरभि बस धरती में धंसे जा रही थी वो शर्म से पानी पानी हुई जा रही थी. उसे पता नहीं चल रहा था की चाचाजी उसकी तारीफ़ कर रहे है या उसे शर्मिंदा कर रहे हैं.
“बेटी लेकिन उस ज्योति को एक बार चोदने से ही लगा की वो पक्की रांड है क्योंकि अभी उसकी शादी भी नहीं हुई है पर उसकी चूत अभी से भोसड़ा बन गयी है. रंग तुमने भी देखा होगा कितना कालापन आ गया है उसकी ढीली चूत में. लंड घुसाने का बिलकुल मजा नहीं आया ऐसी लड़कियों का भरोसा नहीं होता इसलिए मैंने तुमसे उस दिन कंडोम मंगाया था. पता नहीं एक दिन का मजा और जिंदगी भर की सजा.” आखिरी शब्द ऐसे कहे उन्होंने की सुरभि के मुह से हंसी निकल गयी. चाचाजी ने सुरभि को बाँहों में लिया और अपने पास खिसका लिया. सुरभि ने भी कोई विरोध नहीं किया.
“अरे बेटी एक और बात जो मुझे पता चल गयी वो भी सुनो.”
“और क्या बाकी रह गया चाचाजी.”
“देख बेटी सेक्स में सब कुछ जायज है. जब में तुझे चोद रहा था तब मैंने तेरी गांड में भी ऊँगली फिराई थी. और तब ही मुझे पता चल गया था की तेरी गांड अभी तक कुंवारी है मतलब अभी तक अनचुदी हो तुम.” सुरभि फिर शर्म से नीचे देखने लगी.
“अरे बेटी अब मुझसे क्या शर्माना बोलो सच बात है न.” सुरभि ने हाँ में सर हिलाया.
“क्यों बेटी विजय ने कभी कोशिश नहीं की क्या?”
“एक दो बार की थी वो भी नशे में पर..”
“घुसा नहीं पाया होगा है न?” सुरभि ने फिर शर्म से सर हिलाया. उसे विश्वास ही नहीं हो रहा था की वो ऐसी बातें चाचाजी के साथ कर पा रही थी.
“बेटी गांड मारना बहुत मुश्किल और अनुभव वाला काम है. खैर मुझे लगता है तुम्हारी गांड की सील मैं ही तोडूंगा.” बोलते बोलते चाचाजी इतने उत्तेजित हो गए की उन्होंने सुरभि के मुह को अपनी ओर घुमा कर उसके होठों पर अपने होठ रख दिए और आतुर हो कर चूसने लगे. सुरभि भी ऐसी बातें करके सुनके उत्तेजित हो गयी थी वो भी उनका पूरा साथ देने लगी और उनके होठ चूसने लगी. थोड़ी देर चूमा चाटी के बाद जब वे अलग हुए तो दोनों की साँसे चलने लगी.
“हाँ तो बेटी मैं ये बता रहा था की जब मैंने ज्योति को चोदा था तब उसकी गांड भी मैंने चेक की थी. पर उसकी गांड कुंवारी नहीं थी उसकी चूत की तरह उसकी गांड भी कई बार चुदी हुई लग रही थी.”
“हाँ वो तो सैंडविच बनवाती है न अपना.” सुरभि के मुह से यकायक निकल गया उसने तुरंत अपना होठ काटा.
“क्या क्या ?? सैंडविच बनवाती है ऐसा उसने कहा क्या ? हा हा हा .”
“नहीं म म म मेरा मतलब है सैंडविच बनवाती होगी.”
“हा हा हा यानी हमारी बेटी जानती है सैंडविच के बारे में. कल तुम्हारा सैंडविच भी तो बना था मेरे और विजय के बीच में पर तुम्हारी ये गुलाबी गांड तो बच गयी थी.” चाचाजी ने उसे आँख मारी.
“कल अगर विजय को पता चल जाता तो.”
“अरे सुबह जब तुम गांड उघाड़े बेसुध पड़ी थी तब उसने देखा था और ख़ुद अपने हाथो से तुम्हारी गांड ढकी थी. हमतो सोने का नाटक कर रहे थे.” सुरभि को फिर शर्माना ही पड़ा.
“अब बेटी फटाफट ये बताओ कहाँ चुदना पसंद करोगी तुम ?’ चाचाजी ऐसे पूछ रहे थे जैसे क्या खाना पसंद करेगी वो. सुरभि की आँखों में अब गुलाबी डोरे तैरने लगे थे वो भी अब पूरी तरह तैयार थी चुदाई का एक और राउंड चाचाजी के साथ खेलने के लिए.
“जहाँ आप चाहें चाचाजी.” सुरभि ने एक मादक अंगडाई लेते हुए कहा.
“ऐसे नहीं मुझे क्लियर कट बताओ की चाचाजी आप मुझे आज यहाँ चोदिये.” उसके बाद ही मैं तुम्हे चोदुंगा.
“चाचाजी आप ख़ुद तो गन्दी भाषा बोलते है औरतों के सामने और आप मुझे भी वैसा ही बेशरम बनाना चाहते है.”
“देख बेटी मैं प्रवचन करने तो आया नहीं हूँ. जब चुदाई में ऐसे शब्दों का इस्तेमाल करते है तो मजा दुगना नहीं तिगुना हो जाता है. सच बता तुझे इसमें मजा आता है या नहीं. चाचाजी ने आगे बढकर उसकी तनी हुई चुचिओं को दबाते हुए कहा. सुरभि सिसकारी भरते हुए बोली
“आता तो है पर मुझे इसकी आदत नहीं है विजय मुझसे कभी भी ऐसे बात नहीं करते.”
“बेटी विजय को सेक्स का पूरा ज्ञान नहीं है अगर होता तो तुम्हे वो और मजे दे पाता. पर खैर तुम्हारी किस्मत. पर जब तक मैं तुम्हारे साथ हूँ मैं तो ऐसे ही बात करुना. और चाहूँगा की तुम भी मुझसे वैसे ही पेश आओ. तो अब बताओ कहा चुदना चाहेगी मेरी प्यारी सुरभि बिटिया.”
“मैं यहीं ड्राइंग रूम में.”
“ये क्या आधी अधूरी बात क्या ड्राइंग रूम में.” चाचाजी नकली गुस्सा दिखाते हुए बोले.
“ओफ्फो मुझे आप ड्राइंग रूम में ही चोदिये चाचाजी... अब खुश.” चाचाजी उसके खुश हो कर बाँहों में भरते हुए बोले
“बहुत खुश बेटी चल अब नंगी हो जा और मुझे भी नंगा कर दे.” सुरभि शायद बहुत देर से इसका इंतज़ार कर रही थी उसने पहले अपनी कैप्री उतारी और नीचे से नंगी हो गयी क्योंकि उसने चड्डी नहीं पहनी हुई थी फिर धीरे से उसने अपना टॉप भी उतार फेंका और पूरी तरह से नंगी हो गयी. नंगी हो कर भी उसके चेहरे पर अब कोई शर्म का भाव नहीं था बल्कि एक कातिलाना मुस्कराहट थी. वो धीरे धीरे चाचाजी के पास आई और एक मर्द की तरह चाचजी की गांड पर हाथ रख कर एक झटके से उन्हें अपने से चिपका लिया. चाचाजी का लंड धोती के अन्दर से सुरभि की नंगी चूत पर दस्तक देने लगा. फिर सुरभि ने अपने दोनों हाथ चाचाजी की बनियान में घुसा दिए. और उनकी निप्पल्स से खेलें लगी. चाचाजी मदहोश होने लगे. सुरभि ने उनकी बनियान को उतार कर वहीँ फेंक दिया जहाँ उसका टॉप पड़ा था. फिर वो उनकी धोती से खेलने लगी. उसे समझ नहीं आया वो उस धोती को कैसे खोले तो शरारत करते हुए उसने चाचाजी के भारी बॉल्स को अपनी एक हाथ ही मुठी में भर लिया और बोली
“मुझे ये धोती खोलनी नहीं आ रही आप खोलो न प्लीज.” चाचाजी ने मुस्कुराते हुए धोती के एक छोर को आज़ाद कर दिया जिससे धोती ढीली हो गयी और सुरभि ने थोड़ी मशक्कत करते हुए चाचाजी को भी पूरा नंगा कर दिया.
चाचाजी का लंड खम्बे की तरह खड़ा था सुरभि ने बिना किसी झिझक के उसे अपनी हथेली में थाम लिया और उससे खेलने लगी.
“ओह्हो पूरी तरह तैयार हो चाचाजी.” चाचाजी ने तुरंत सुरभि की टांगो के बीच हाथ घुसाते हुए अपनी दो उंगलियाँ उसकी चूत में प्रवेश करा दी फिर निकाल कर गीली उंगलियाँ सूंघते हुए बोले
“तैयार तो तू भी है पूरी तरह बेटी.” सुरभि उनकी इस हरकत से गहरी सांसे भरने लगी और बोली
”जल्दी कर लो चाचाजी.”
“चाचाजी उसको बाँहों में भरते हुए उसकी गांड को मसलने लगे
”क्या करवाना है मेरी बीटिया को.”
“अरे जल्दी से चोद दे मुझे चाचू..” सुरभि ने गुस्से में चाचाजी की छाती के बाल नोचते हुए कहा.
“चाचाजी दर्द से छटपटा उठे पर उन्हें उसका ये वाइल्ड स्वरुप देख कर मजा भी आया.
“ओह तो कुतिया बहुत गरम हो गयी है हाँ.”
उन्होंने उसकी गांड के छेद पर अपनी ऊँगली से प्रेशर दिया तो सुरभि सिहर उठी.
“आह .”
“क्या क्या आप मेरी वो क्या आप मुझे पीछे से मतलब.”
“नहीं कुतिया आज मैं तेरी गांड नहीं मारूंगा क्योंकि अभी मैं तेरी कमसिन चूत का एक बार और मजा लूँगा लेकिन अगली बार तेरी गांड जरूर मरूँगा.” सुरभि को समझ नहीं आया की खुश हो या दुखी. उसने चाचाजी के लंड को सहलाना जारी रखा.
“चल बेटी जरा इसे चूस कर थोडा आनंद तो दे दे.” उन्होंने सुरभि के कंधे पर प्रेशर डालते हुए नीचे बिठाया. सुरभि घुटनों के बाल बैठ गयी और एक एक्सपर्ट धंदे वाली की तरह उनके लंड को मुह में भरकर चूसने लगी. चाचाजी आनंद से सिसकारी भरने लगे.
“आहह सुरभि बेटी तू भी जल्दी ही रांड बन्ने वाली है आह्ह्ह क्या चूसती है स्साली मजा आ गया आह काश एक दो हफ्ते यही रहता तो तेरी चूत का भी भोसड़ा बना देता .. आःह्ह ऐसे ही हां वाह एक ही अफ़सोस है आज तेरी गांड नहीं मार पाउँगा क्योंकि तेरी चूत मारने के बाद शाम तक तेरी इस टाइट गांड के लिए ताकत नहीं बचेगी. आह्ह्ह लेकिन साली एक दिन सिर्फ तेरी गांड मारने की लिए यहाँ आऊंगा आह्ह्ह्ह. चल अब कुतिया बन जा जल्दी से.”
उन्होंने सुरभि को रोक कर लंड बाहर निकला और सोफे के ऊपर उसे झुकाते हुए चारों टांगो पर कुतिया की तरह खड़ा कर दिया सोफे पर खड़ा करने से चाचाजी को नीचे झुकना नहीं पड़ा और वो खड़े खड़े ही उसके पीछे से उसकी चूत मार सकते थे. सुरभि के टाइट बूब्स भी उसके इस आसन में नीचे की ओर थन की तरह लटक गए थे. चाचाजी का लंड पीछे उसकी गांड में दस्तक मार रहा था और वो झुक कर उसके दोनों बूब्स को पकड़ कर मसल रहे थे. सुरभि को उनके ऐसा करने से मजा आने लगा और वो अपनी गांड को हिला कर उनके लंड से रगड़ने लगी. चाचाजी ने जब उसकी चूत को चेक किया तो पूरी तरह से तरबतर थी. गीली उँगलियों को उन्होंने उसकी गांड पर मल दिया सुरभि की गुलाबी गांड का छेद हलके हलके फुदकने लगा शायद वो सोच रहा था की आज उसका काम तमाम होने वाला है. लेकिन चाचाजी एक अनुभवी खिलाड़ी थे. उन्हें इस वक़्त अपनी शमता का एहसास था. इसलिए आज के दिन उनका टारगेट उसकी चूत ही था. उन्होंने अपने लंड को सेट किया और जोरदार शॉट मारा
“aaaahhhhh क्या कर रहे हो चाचाजी .” सुरभि दर्द से चीख पड़ी.
“सॉरी बेटी तुझे सिर्फ एहसास दिला रहा था की जब ये पहली बार गांड में जायेगा तो कैसा लगेगा .”
“धीरे धीरे करो प्लीज. “ चाचाजी ने उससे धीरे धीरे चोदना शुरू कर दिया साथ में वो उसके बूब्स भी मसल रहे थे.
उन्होंने एक बोरिंग धीरे rythm में उससे चोदना चालू रखा की सुरभि बोल ही उठी
“जोर से चोदिये न चाचाजी.”
‘बेटी कभी धीरे कभी जोर से क्या चाहती हो तुम.”
“आप जोर से ही चोदिये आह.”
“अब दर्द से रोना मत.”
“नहीं जोर से चोदो जल्दी आह्ह्ह.” वो वाइल्ड होती जा रही थी. चाचाजी उसे नाराज नहीं कर सकते थे इसलिए उन्होंने वो शॉट लगाने शुरू किये जिसके लिए वो अपने गाँव में प्रख्यात थे.
“आह आः अह्ह्ह अह्ह्ह ऐसे ही आह्ह्ह जोर से आह्ह्ह्ह चोदिये आह चाचाजी आःह्ह.” सुरभि उनके हर शॉट पर आह्ह्ह वाह्ह करती रही और वो उसे चोदते रहे चोदते रहे चोदते रहे जब तक की दोनों ही पसीने से तरबतर हो चुके थे और दोनों के चूत लंड भी एक दुसरे को तरबतर कर चुके थे.[/b]