18-07-2020, 10:08 PM
[b]सुरभि ने फिल्म स्टार्ट कर दी पर इस बार लाइट जली हुई थी. जैसा की सेट हुआ था सुरभि इस बार चाचाजी के पास आ गयी, चाचाजी ने भी बड़ी बेतक्कलुफी से सुरभि के कंधे पर अपनी बाहें रख दी. विजय थोड़ी दूरी पर बैठा था तो चाचाजी बोले विजय इधर पास आ जाओ सुरभि बेटी के पास. सुरभि को ये नहीं लगना चाहिए की मैंने उसके पति को दूर कर दिया हा हा हा.” तीनो ही हंस दिए और विजय सुरभि के बिलकुल नजदीक आ गया. अब सुरभि दोनों ही मर्दों के बीच फंसी हुई थी उसकी सेक्सी नाईटी उसकी जांघो से ऊपर खिसक चुकी थी जिसमे से उसकी दूधिया टाँगे जांघो तक का नजारा दे रही थी. चाचाजी का लौड़ा अब बेताब हो रहा था जिसे वो कई बार एडजस्ट कर चुके थे. विजय की फिल्म देखी हुई भी थी और इसके अलावा भी कई कारण थे जिससे वो कई बार झोंके ले चुका था वो अब पूरा लम्बा लेट गया था और चाचाजी और सुरभि दोनों ही जान चुके थे की वो थोड़ी देर का मेहमान है. अचानक ही फिल्म में आया खतरनाक सीन देख कर सुरभि ने चाचाजी के छाती में मुह छुपा लिया चाचाजी ने सुरभि को अपनी बाँहों में जोर से कस लिया और जान बूझ कर विजय को बोले.
“देखो विजय तुम्हारी बीवी को कैसे डर लग रहा है की हमारी गोद में आ गयी. विजय ने बड़ी मुश्किल से आँखें खोली और देखा पर उसे इसमे कुछ भी अजीब न लगा
“हाँ चाचाजी डरावनी फिल्मो में इसकी यही हालत होती है. आप ध्यान रखना अपना, कही ये आपके नाखून न लगा दे.”
“तुम चुप रहो नहीं तो तुम्हारे नाखून लगा दूंगी.” नींद की खुमारी में बेखयाली में विजय ने अपनी आदत अनुसार सुरभि की उसकी ओर उभरी हुई गांड पर जोर से चपत लगा दी. सुरभि चाचाजी की बाँहों में कसी हुई थी उसकी इस हरकत पर कसमसा कर रह गयी पर उसके मुह से दर्द भरी पर सेक्सी “आह्ह्ह निकल गयी. विजय नींद में ही इस ख्याल से मुस्कुरा उठा की सुरभि चाचाजी के सामने उसे जवाब नहीं दे सकेगी. चाचाजी ने अपनी छाती पर लेटी हुई सुरभि को एक बच्ची की भाँती पूंछा
“क्या हुआ हमारी बेटी को किसने मारा .”
“देखो न चाचाजी आपका बेटा कितना गन्दा है कितनी जोर से मारा आपने भी देखा न.”
“नहीं बेटी देखा तो नहीं पर आवाज़ सुनी बहुत जोर से मारा है वाकई गन्दा बच्चा है इसको सज़ा जरूर देंगे तुहारे ये चाचाजी .” चाचाजी ने उसकी बाहें और पीठ सहलाते हुए कहा. उनके हाथ उसकी गांड सहलाने के लिए बेताब हो चुके थे पर चूँकि उसकी गांड विजय की तरफ थी तो उन्होंने अपने आप को किसी तरह रोका.
“हाँ चाचाजी आप इससे जरूर सज़ा देना. इसससस... कितने जोर से मारा है.” सुरभि ने किसी तरह अपना एक हाथ चाचाजी की गिरफ्त से आज़ाद किया और अपनी गांड nighty के ऊपर से ही सहलाने लगी. तभी एक और खतरनाक सीन आया तो चाचाजी ने जानभूजकर उसको दिखाया जिससे डरकर वो फिर सी उनकी छाती में मुह छुपा लेती है.”
“विजय तुम सुरभि को धीरे से मारा करो कितनी कोमल है इसकी त्वचा.”
“हाँ चाचाजी बहुत कोमल है...... हां बहुत कोमल है.” विजय अब नींद में बुदबुदा रहा था.”
“विजय बेटा नींद आ रही है तो लाइट बंद कर दो हम लोग अँधेरे में देख लेंगे.”
“सुरभि तुम बंद कर दो न.” विजय नींद में उठना नहीं छह रहा था. लाइट का स्विच विजय की ओर वाले कोने में था सुरभि को विजय के पार जाना था चाचाजी ने उसे छोड़ा तो वो सीधे लेटे हुए विजय के ऊपर चाचाजी के सामने ही लेट गयी और बेशर्मी से उससे किस करती हुई बोली
“क्या मेरा विजय बाबु सो गया है.” विजय नींद में ही खुश हो गया
“हाँ सोने दे यार.” उसके बाद सुरभि उसके ऊपर से चली गयी और लाइट्स बंद कर दी. मूवी अभी भी चालू थी.
वापस आते वक़्त भी वो फिर से विजय के ऊपर लेटी पर इस बार विजय कुछ नींद में बुदबुदा कर रह गया. ये साफ़ था विजय नींद में तो था पर उसकी नींद अभी गहरी नहीं थी. सुरभि फिर से चाचाजी के पास आ कर लेट गयी.
“चाचाजी फिर उसकी बाहें और पीठ सहलाने लगे. रूम में अब टीवी की रौशनी ही रह गयी थी फिल्म अभी थोड़ी बाकी थी. अचानक ही विजय को जोर से खांसी आई और उसकी नींद खुल गयी. चाचाजी ने सुरभि को छोड़ दिया और सुरभि ने घूम कर विजय को अपनी बाँहों में ले लिया. विजय थोडा सा नींद से जाग गया था
“यार बहुत तेज नींद आ रही है में तुम लोगों के साथ और नहीं जग पाउँगा.” सुरभि ने उसे बाँहों में भर लिया और धीरे से किस कर दिया. विजय को इस बार थोडा होश था वो धीरे से फुसफुसाया
“क्या कर रही हो चाचाजी बाजु में है.”
“चिंता मत करो चाचाजी सो चुके है.” सुरभि ने झूठ बोला.” विजय ने चाचाजी की ओर देखने की कोशिश भी न की, उसे अपनी लवली बीवी पर पूरा विश्वास जो था. और फिर कोई भी बीवी किसी गैर मर्द के सामने ऐसे उसे किस थोड़ी करती. सुरभि तब तक उससे चूमती सहलाती रही जब तक की उसके खर्राटे आने शुरू न हो गए. वो फिर भी थोड़ी देर ऐसे ही पड़ी रही और जब वो घूमने ही वाली थी की चाचाजी का हाथ उसकी नाईट उठाते हुए उसकी नंगी गांड पर आ गया. ‘साली कच्छी भी नहीं पहनी है’ चाचाजी के हाथ ने जैसे ही उसकी नंगी गांड को छुआ तो सोचा
जैसे ही उनकी ऊँगली ने उसकी दरार को सहलाया उसकी गांड ने अपने दोनों पाटो के बीच उनकी उँगलियों को कस लिया. सुरभि की चूत पूरी तरह रेडी थी उसके लिए ये एक अजीब रोमांचक पल था जब उसने अपने पति को बाहों में भरा हुआ था और उसके चाचा ससुर उसकी गांड में ऊँगली पेल रहे थे. सुरभि का दिल जोरों से धड़कने लगा कुछ दिन पहले तक अपनी शादी इमानदारी से निभाने वाली सुरभि अब अपने पति की बगल में उसके ही चाचा से चुदवाने की तेयारी कर चुकी थी. चाचाजी ने अपनी धोती को उतार फेंका था और सिर्फ बनियान पहनी थी उनका लंड सुरभि की चूत में जाने के लिए बेताब हो चुका था जिसे चाचाजी बड़े प्यार से पुचकार रहे थे. सुरभि को ये तो पता न चला की पीछे चाचाजी नंगे हो चुके है हालाँकि उसे होने वाली हलचल से ये एहसास जरूर हो चुका था की चाचाजी अब बेताब हो चुके है. उसमे कितनी भी हिम्मत आ चुकी हो पर पति के हाथो किसी दुसरे से चुद्वाते हुए पकडे जाने का उसे अभी भी डर था. इसलिए वो अभी भी विजय को बाँहों में भरे हुए ये चेक कर रही थी की कहीं वो उठ तो नहीं जाएगा. तभी चाचाजी ने उसके एक टांग को घुटनों से पकड़ा और उससे उठा कर विजय के ऊपर उसकी कमर पर रख दिया. सुरभि समझ पाती अगर वो ख़ुद की पोजीशन पीछे से देख पाती. उसके इस तरह विजय के ऊपर टांग करके लेटने से उसकी nighty ऊपर उठ चुकी थी और चाचाजी का हाथ बड़े आराम से उसकी गांड और चूत तक यात्रा करने लगा था. उसके मुह से अचानक सिसकारी निकल पड़ी जब चाचाजी ने उसकी क्लिट को अपनी ऊँगली से छेड़ा, चाचाजी उसके बिलकुल पीछे आ कर चिपक गए और जब उनका लम्बा लौड़ा उसकी गांड की दरार से टकराया तो उसकी समझ में आया की चाचाजी का क्या प्रोग्राम है. उसने गर्दन पीछे घुमाने क कोशिश की पर चाचाजी ने हाथ से उसे रोक दिया वो दुसरे हाथ से उसकी चूत के द्वार पर अपने लंड के टोपे को सेट करने की कोशिश कर रहे थे. उनकी इस हरकत से सुरभि की बार बार सिसकी निकल रही थी और वो उत्तेजना में अपने सोये हुए पति के होठ चूम ले रही थी. विजय अब दीन दुनिया से बेखबर सपनो की दुनिया में खो चुका पर उन सपनो में भी वो ये नहीं देख सकता था की उसके प्रिय आदरणीय चाचाजी और लवली बीवी उससे चिपके हुए उसी के बिस्तर पर चुदाई का प्रोग्राम बना रहे थे.
“आह्ह्ह .” न चाहते हुए भी सुरभि के मुह से ये आवाज निकल ही गयी जब उसकी गांड की दरार से होता हुआ चाचाजी का मोटा लौड़ा उसकी भीगी चूत में प्रवेश किया. सुरभि की नज़र विजय पर ही थी की वो कहीं जाग न जाए उसने अपनी विजय के ऊपर रखी टांग को थोडा और उठाया जिससे की चाचाजी के लंड का रास्ता और आसान हो जाए. चाचाजी ने फिर दुबारा पुश किया और अब आधा लंड सुरभि की चूत में था. चाचाजी को इस रिस्की खेल में बड़ा आनंद आ रहा था धीरे धीरे दो बार और पुश करते हुए चाचाजी ने अपने विशालकाय लंड को पूरा सुरभि की दहकती चूत में समां दिया. सुरभि अब पूरी तरह तैयार थी इसलिए उसने अपने मुह से कोई आवाज़ निकलने न दी. पीछे के रास्ते पुरे लंड के अपने अन्दर पडे रहने की अनुभूति उसके लिए एकदम नयी थी जिसमे उसे असीम आनंद की प्राप्ति हो रही थी. उसे लग रहा था की चाचाजी अब कुछ न करें और ऐसे ही लंड डाले सारी रात पडे रहे. पर चुदाई की रस्म ऐसे पूरी नहीं होती इसलिए चाचाजी को लौड़ा बाहर निकलना भी जरूरी था और उसको फिर से घुसाना भी जरूरी था, निकालना फिर घुसाना, आखिर चुदाई या फकिंग इसी को तो कहते है. चाचाजी बड़े सब्र से और तबियत से उसे चोद रहे थे सुरभि बड़ी शान्ति से विजय को निहारते हुए चुद रही थी उसके ऊपर के बदन में कोई हलचल नहीं थी हाँ चाचाजी आपने दोनों हाथ आगे ला चुके थे और उसके स्तनों का मर्दन बड़े ही हौले हौले अंदाज में कर रहे थे पर उनका मूवमेंट इतना धीमा था की विजय की नींद में कोई खलल नहीं पड़ रहा था और चूत को असीम आनंद मिल रहा था. चाचाजी से पिछली चुदाई के बाद सुरभि को रफ़ चुदाई का चस्का लग चुका था पर मौके की नजाकत को देखते हुए वो इस शांत चुदाई में खुश थी. उसे ये भी पता था की कल का दिन और बाकी है जब वो और चाचाजी आज की रही कसर को पूरी कर लेंगे. कल के बारे सोचते सोचते चाचाजी के लंड के अगले प्रहार में उसकी चूत ने बहना शुरू कर दिया. उसकी उखड्ती साँसों से चाचाजी समझ गए और उन्होंने भी दो तीन शॉट जोर में लगा ही दिए. शॉट इतने तेज थे की विजय के शरीर में थोड़ी हलचल होने लगी सुरभि ने तुरंत उसको अपनी बाँहों में जकड लिया और उसका मुह अपने बोबों पर कस दिया बिना ये सोचे की दोनों बूब्स चाचाजी के हाथों से कवर किये हुए है. उनकी किस्मत अच्छी थी की विजय की नींद गहरी थी औत वो न जान सका की चाचाजी ने एक बार फिर से अपने sperms उसकी प्यारी बीवी के गर्भाशय में उंडेल दिए थे. बहुत रोकने के बावजूद दोनों की साँसे चल रही थी. चाचाजी इस बुढ़ापे में ऐसी चुदाई करके कैसे अपनी सांसे रोक पाते. उन्होंने धीरे से अपना लंड सुरभि की चूत से निकाला , साइड टेबल पर पड़ी अपनी धोती से पोंछ कर अपनी धोती ले कर टॉयलेट में घुस गए. काश विजय देख पाता की चाचाजी को टॉयलेट में जाते हुए किसी सहारे की जरूरत नहीं है. सुरभि ने अपनी गांड ढकी और पूरी तरह से संतुष्ट हो कर वो अपने पति से चिपक कर सो गयी.[/b]
“देखो विजय तुम्हारी बीवी को कैसे डर लग रहा है की हमारी गोद में आ गयी. विजय ने बड़ी मुश्किल से आँखें खोली और देखा पर उसे इसमे कुछ भी अजीब न लगा
“हाँ चाचाजी डरावनी फिल्मो में इसकी यही हालत होती है. आप ध्यान रखना अपना, कही ये आपके नाखून न लगा दे.”
“तुम चुप रहो नहीं तो तुम्हारे नाखून लगा दूंगी.” नींद की खुमारी में बेखयाली में विजय ने अपनी आदत अनुसार सुरभि की उसकी ओर उभरी हुई गांड पर जोर से चपत लगा दी. सुरभि चाचाजी की बाँहों में कसी हुई थी उसकी इस हरकत पर कसमसा कर रह गयी पर उसके मुह से दर्द भरी पर सेक्सी “आह्ह्ह निकल गयी. विजय नींद में ही इस ख्याल से मुस्कुरा उठा की सुरभि चाचाजी के सामने उसे जवाब नहीं दे सकेगी. चाचाजी ने अपनी छाती पर लेटी हुई सुरभि को एक बच्ची की भाँती पूंछा
“क्या हुआ हमारी बेटी को किसने मारा .”
“देखो न चाचाजी आपका बेटा कितना गन्दा है कितनी जोर से मारा आपने भी देखा न.”
“नहीं बेटी देखा तो नहीं पर आवाज़ सुनी बहुत जोर से मारा है वाकई गन्दा बच्चा है इसको सज़ा जरूर देंगे तुहारे ये चाचाजी .” चाचाजी ने उसकी बाहें और पीठ सहलाते हुए कहा. उनके हाथ उसकी गांड सहलाने के लिए बेताब हो चुके थे पर चूँकि उसकी गांड विजय की तरफ थी तो उन्होंने अपने आप को किसी तरह रोका.
“हाँ चाचाजी आप इससे जरूर सज़ा देना. इसससस... कितने जोर से मारा है.” सुरभि ने किसी तरह अपना एक हाथ चाचाजी की गिरफ्त से आज़ाद किया और अपनी गांड nighty के ऊपर से ही सहलाने लगी. तभी एक और खतरनाक सीन आया तो चाचाजी ने जानभूजकर उसको दिखाया जिससे डरकर वो फिर सी उनकी छाती में मुह छुपा लेती है.”
“विजय तुम सुरभि को धीरे से मारा करो कितनी कोमल है इसकी त्वचा.”
“हाँ चाचाजी बहुत कोमल है...... हां बहुत कोमल है.” विजय अब नींद में बुदबुदा रहा था.”
“विजय बेटा नींद आ रही है तो लाइट बंद कर दो हम लोग अँधेरे में देख लेंगे.”
“सुरभि तुम बंद कर दो न.” विजय नींद में उठना नहीं छह रहा था. लाइट का स्विच विजय की ओर वाले कोने में था सुरभि को विजय के पार जाना था चाचाजी ने उसे छोड़ा तो वो सीधे लेटे हुए विजय के ऊपर चाचाजी के सामने ही लेट गयी और बेशर्मी से उससे किस करती हुई बोली
“क्या मेरा विजय बाबु सो गया है.” विजय नींद में ही खुश हो गया
“हाँ सोने दे यार.” उसके बाद सुरभि उसके ऊपर से चली गयी और लाइट्स बंद कर दी. मूवी अभी भी चालू थी.
वापस आते वक़्त भी वो फिर से विजय के ऊपर लेटी पर इस बार विजय कुछ नींद में बुदबुदा कर रह गया. ये साफ़ था विजय नींद में तो था पर उसकी नींद अभी गहरी नहीं थी. सुरभि फिर से चाचाजी के पास आ कर लेट गयी.
“चाचाजी फिर उसकी बाहें और पीठ सहलाने लगे. रूम में अब टीवी की रौशनी ही रह गयी थी फिल्म अभी थोड़ी बाकी थी. अचानक ही विजय को जोर से खांसी आई और उसकी नींद खुल गयी. चाचाजी ने सुरभि को छोड़ दिया और सुरभि ने घूम कर विजय को अपनी बाँहों में ले लिया. विजय थोडा सा नींद से जाग गया था
“यार बहुत तेज नींद आ रही है में तुम लोगों के साथ और नहीं जग पाउँगा.” सुरभि ने उसे बाँहों में भर लिया और धीरे से किस कर दिया. विजय को इस बार थोडा होश था वो धीरे से फुसफुसाया
“क्या कर रही हो चाचाजी बाजु में है.”
“चिंता मत करो चाचाजी सो चुके है.” सुरभि ने झूठ बोला.” विजय ने चाचाजी की ओर देखने की कोशिश भी न की, उसे अपनी लवली बीवी पर पूरा विश्वास जो था. और फिर कोई भी बीवी किसी गैर मर्द के सामने ऐसे उसे किस थोड़ी करती. सुरभि तब तक उससे चूमती सहलाती रही जब तक की उसके खर्राटे आने शुरू न हो गए. वो फिर भी थोड़ी देर ऐसे ही पड़ी रही और जब वो घूमने ही वाली थी की चाचाजी का हाथ उसकी नाईट उठाते हुए उसकी नंगी गांड पर आ गया. ‘साली कच्छी भी नहीं पहनी है’ चाचाजी के हाथ ने जैसे ही उसकी नंगी गांड को छुआ तो सोचा
जैसे ही उनकी ऊँगली ने उसकी दरार को सहलाया उसकी गांड ने अपने दोनों पाटो के बीच उनकी उँगलियों को कस लिया. सुरभि की चूत पूरी तरह रेडी थी उसके लिए ये एक अजीब रोमांचक पल था जब उसने अपने पति को बाहों में भरा हुआ था और उसके चाचा ससुर उसकी गांड में ऊँगली पेल रहे थे. सुरभि का दिल जोरों से धड़कने लगा कुछ दिन पहले तक अपनी शादी इमानदारी से निभाने वाली सुरभि अब अपने पति की बगल में उसके ही चाचा से चुदवाने की तेयारी कर चुकी थी. चाचाजी ने अपनी धोती को उतार फेंका था और सिर्फ बनियान पहनी थी उनका लंड सुरभि की चूत में जाने के लिए बेताब हो चुका था जिसे चाचाजी बड़े प्यार से पुचकार रहे थे. सुरभि को ये तो पता न चला की पीछे चाचाजी नंगे हो चुके है हालाँकि उसे होने वाली हलचल से ये एहसास जरूर हो चुका था की चाचाजी अब बेताब हो चुके है. उसमे कितनी भी हिम्मत आ चुकी हो पर पति के हाथो किसी दुसरे से चुद्वाते हुए पकडे जाने का उसे अभी भी डर था. इसलिए वो अभी भी विजय को बाँहों में भरे हुए ये चेक कर रही थी की कहीं वो उठ तो नहीं जाएगा. तभी चाचाजी ने उसके एक टांग को घुटनों से पकड़ा और उससे उठा कर विजय के ऊपर उसकी कमर पर रख दिया. सुरभि समझ पाती अगर वो ख़ुद की पोजीशन पीछे से देख पाती. उसके इस तरह विजय के ऊपर टांग करके लेटने से उसकी nighty ऊपर उठ चुकी थी और चाचाजी का हाथ बड़े आराम से उसकी गांड और चूत तक यात्रा करने लगा था. उसके मुह से अचानक सिसकारी निकल पड़ी जब चाचाजी ने उसकी क्लिट को अपनी ऊँगली से छेड़ा, चाचाजी उसके बिलकुल पीछे आ कर चिपक गए और जब उनका लम्बा लौड़ा उसकी गांड की दरार से टकराया तो उसकी समझ में आया की चाचाजी का क्या प्रोग्राम है. उसने गर्दन पीछे घुमाने क कोशिश की पर चाचाजी ने हाथ से उसे रोक दिया वो दुसरे हाथ से उसकी चूत के द्वार पर अपने लंड के टोपे को सेट करने की कोशिश कर रहे थे. उनकी इस हरकत से सुरभि की बार बार सिसकी निकल रही थी और वो उत्तेजना में अपने सोये हुए पति के होठ चूम ले रही थी. विजय अब दीन दुनिया से बेखबर सपनो की दुनिया में खो चुका पर उन सपनो में भी वो ये नहीं देख सकता था की उसके प्रिय आदरणीय चाचाजी और लवली बीवी उससे चिपके हुए उसी के बिस्तर पर चुदाई का प्रोग्राम बना रहे थे.
“आह्ह्ह .” न चाहते हुए भी सुरभि के मुह से ये आवाज निकल ही गयी जब उसकी गांड की दरार से होता हुआ चाचाजी का मोटा लौड़ा उसकी भीगी चूत में प्रवेश किया. सुरभि की नज़र विजय पर ही थी की वो कहीं जाग न जाए उसने अपनी विजय के ऊपर रखी टांग को थोडा और उठाया जिससे की चाचाजी के लंड का रास्ता और आसान हो जाए. चाचाजी ने फिर दुबारा पुश किया और अब आधा लंड सुरभि की चूत में था. चाचाजी को इस रिस्की खेल में बड़ा आनंद आ रहा था धीरे धीरे दो बार और पुश करते हुए चाचाजी ने अपने विशालकाय लंड को पूरा सुरभि की दहकती चूत में समां दिया. सुरभि अब पूरी तरह तैयार थी इसलिए उसने अपने मुह से कोई आवाज़ निकलने न दी. पीछे के रास्ते पुरे लंड के अपने अन्दर पडे रहने की अनुभूति उसके लिए एकदम नयी थी जिसमे उसे असीम आनंद की प्राप्ति हो रही थी. उसे लग रहा था की चाचाजी अब कुछ न करें और ऐसे ही लंड डाले सारी रात पडे रहे. पर चुदाई की रस्म ऐसे पूरी नहीं होती इसलिए चाचाजी को लौड़ा बाहर निकलना भी जरूरी था और उसको फिर से घुसाना भी जरूरी था, निकालना फिर घुसाना, आखिर चुदाई या फकिंग इसी को तो कहते है. चाचाजी बड़े सब्र से और तबियत से उसे चोद रहे थे सुरभि बड़ी शान्ति से विजय को निहारते हुए चुद रही थी उसके ऊपर के बदन में कोई हलचल नहीं थी हाँ चाचाजी आपने दोनों हाथ आगे ला चुके थे और उसके स्तनों का मर्दन बड़े ही हौले हौले अंदाज में कर रहे थे पर उनका मूवमेंट इतना धीमा था की विजय की नींद में कोई खलल नहीं पड़ रहा था और चूत को असीम आनंद मिल रहा था. चाचाजी से पिछली चुदाई के बाद सुरभि को रफ़ चुदाई का चस्का लग चुका था पर मौके की नजाकत को देखते हुए वो इस शांत चुदाई में खुश थी. उसे ये भी पता था की कल का दिन और बाकी है जब वो और चाचाजी आज की रही कसर को पूरी कर लेंगे. कल के बारे सोचते सोचते चाचाजी के लंड के अगले प्रहार में उसकी चूत ने बहना शुरू कर दिया. उसकी उखड्ती साँसों से चाचाजी समझ गए और उन्होंने भी दो तीन शॉट जोर में लगा ही दिए. शॉट इतने तेज थे की विजय के शरीर में थोड़ी हलचल होने लगी सुरभि ने तुरंत उसको अपनी बाँहों में जकड लिया और उसका मुह अपने बोबों पर कस दिया बिना ये सोचे की दोनों बूब्स चाचाजी के हाथों से कवर किये हुए है. उनकी किस्मत अच्छी थी की विजय की नींद गहरी थी औत वो न जान सका की चाचाजी ने एक बार फिर से अपने sperms उसकी प्यारी बीवी के गर्भाशय में उंडेल दिए थे. बहुत रोकने के बावजूद दोनों की साँसे चल रही थी. चाचाजी इस बुढ़ापे में ऐसी चुदाई करके कैसे अपनी सांसे रोक पाते. उन्होंने धीरे से अपना लंड सुरभि की चूत से निकाला , साइड टेबल पर पड़ी अपनी धोती से पोंछ कर अपनी धोती ले कर टॉयलेट में घुस गए. काश विजय देख पाता की चाचाजी को टॉयलेट में जाते हुए किसी सहारे की जरूरत नहीं है. सुरभि ने अपनी गांड ढकी और पूरी तरह से संतुष्ट हो कर वो अपने पति से चिपक कर सो गयी.[/b]