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Adultery Indian Housewife's Adventures by jpink2010
#7
[b]कमरे में लाइट्स बंद थी पर टीवी चल रहा था. उसकी रौशनी में बहुत साफ़ तो नहीं पर ध्यान से देखने पर काफी कुछ दिख सकता था. विजय जानता था इसलिए वो ज्यादा हरकत नहीं कर सकता था. हालाँकि सुरभि का वाइल्ड व्यवहार उसे बहुत ही ज्यादा उत्तेजित कर रहा था. चाचाजी जानते थे की जब तक विजय इस कमरे में जाग रहा है उनका कोई भी चांस नहीं इसलिए वो कभी टीवी पर चलती मूवी को देख रहे थे और कभी उनके थोड़ी दूरी पर चल रही सॉफ्ट पोर्न को देख रहे थे. सुरभि के मन में चाचाजी का बिलकुल डर नहीं था इसलिए वो बड़े आराम से ये बोल्ड व्यवहार कर पा रही थी. वो जानती थी चाचाजी इस वक़्त देखने के सिवा कुछ नहीं कर सकते थे. उसने चाचाजी को और उत्तेजित करने की ठान ली थी. हालाँकि इस वक़्त दोनों चाचाजी से दूर बिस्तर के दुसरे कोने की ओर थे. विजय को उत्तेजित होता देख कर सुरभि उसके लंड पर हाथ फिराने लगी. विजय ने एक बार चाचाजी की ओर देखा और उन्हें मूवी में व्यस्त देख कर आराम से पीछे हो गया. तीसरे आदमी की मौजूदगी में सेक्स के ख्याल से ही उसका लंड छलांगे मारने लगा. सुरभि ने धीरे से उसके लोअर की ज़िप खोलकर उसके तन तनाते लंड को बाहर निकाल लिया. जब से चाचाजी का लंड हाथ में लिया विजय का लंड उसे पहले से भी छोटा लगने लगा पर चूँकि वो इस वक़्त पूरी तरह खड़ा था और आखिर वो उसके अपने पति का लंड था सुरभि बड़े प्यार से उससे सहलाने लगी, मुठीयाने लगी उसकी बाल्स से खेलने लगी. चाचाजी कनखियों से देखने की कोशिश कर रहे थे पर उन्हें nighty में सुरभि की गांड और उसमे से निकलती उसकी नंगी टांगो के सिवा कुछ नजर नहीं आ रहा था. इस बात का उन्हें पूरा पक्का यकीन था की सुरभि विजय के साथ कुछ शरारत जरूर कर रही है. खैर अपनी धोती के साइड से उन्होंने भी अपने लंड को थोडा आजाद कर दिया पर इस तरह की दूसरी ओर से सुरभि और विजय को कुछ दिख न सके और दोनों तरफ की मूवीज देखते हुए अपने लंड को धीरे धीरे सहलाने लगे. सुरभि को ऐसे माहौल में चुदाई की चाहत होने लगी वो विजय से पूरी तरह चिपक गयी पर उसने अभी भी उसके लंड को छोड़ा नहीं था. विजय ने भी पहली बार दिलेरी दिखाते हुए उसके होठो पर अपने होठ रख दिए और चूसने लगा. कई दिनों बाद वो इतना एक्साइट हुआ था और उसे अब सुरभि पर गुस्सा आने लगा था की वो इस बेडरूम में सोने की जिद कर रही थी अगर वो लोग दुसरे बेडरूम में होते तो अब तक वो अपने लंड की प्यास शांत कर चुका होता.
“विजय बेटा पानी की बोतल तो देना बड़ी प्यास लग रही है.” चाचाजी को वाकई प्यास लग रही थी इसलिए उन्होंने न चाहते हुए भी प्रेमालाप में डूबे पति पत्नी को डिस्टर्ब कर दिया. विजय हडबडा गया और अपनी ज़िप बंद करने की कोशिश करने लगा पर सुरभि ने उसे शांत रहने का इशारा किया और विजय से उसकी बगल में साइड टेबल पर रही बोतल देने के लिए कहा. बोतल ले कर सुरभि बड़े आराम से चाचाजी की तरफ घूम गयी जैसे सब कुछ नार्मल था और थोडा और खिसक कर बिलकुल चाचाजी के पास आ गयी और बोतल देते हुए बोली.
“चाचाजी बोतल से ले लेंगे या ग्लास लाऊं ?”
“नहीं बेटी बोतल से ही पी लूँगा.” कहते हुए उन्होंने सुरभि के हाथ से बोतल ली और ढेर सारा पानी गटक गए.
“कैसी लग रही है मूवी चाचाजी.”
“अच्छी है आज कल की हीरोइन काफी बोल्ड हो गयी है हमारी सुरभि जैसी. हा हा हा .”
“क्या चाचाजी आप भी कैसी बातें करते है.”
“अरे ठीक कह रहा हूँ और विजय तुमने तो सुरभि बेटी को ऐसे अपने पास खींच लिया है जैसे मैं उसे खा जाऊंगा अरे भाई तुम दोनों तो रोज़ साथ में मूवी देखते हो आज सुरभि को हमारे साथ देखने दो.” चाचाजी से रहा न गया. विजय जिसका लंड अभी भी बाहर था पर चाचाजी के बात करने से वो तेजी से छोटा हो गया और इतना छोटा की चाचाजी को दूर से नजर नहीं आ रहा था. चाचाजी के ऐसे बोलने से उसे लगा की उसकी चोरी पकड़ी गयी है वो कुछ बोलने ही जा रहा था की सुरभि बीच में बोल पड़ी
“वो तो ठीक है पर चाचाजी विजय दो दिन बाद आया है न इसलिए .. अच्छा देखिये इंटरवल आएगा उसके बाद में आपके साथ देखूंगी क्योंकि उसके बाद की डरावनी फिल्म मैं विजय के साथ नहीं देखूंगी ये मुझे बिलकुल दिलासा नहीं देता बल्कि और डराता है.”
“अच्छा बेटी ठीक है.” चाचाजी कुटिलता से मुस्कुराह्ते हुए बोले. विजय ने मूवी का पॉज बटन हटा दिया और मूवी फिर चलने लगी. सुरभि फिर से विजय के पास आ गयी और उसके मुरझाये लंड को देख कर सोचने लगी की
‘अब फिर से मेहनत करनी पड़ेगी’
मूवी में उस वक़्त सेक्सी गाना आने से विजय का लंड खड़ा होने लगा और चाचाजी का ध्यान भी मूवी में लग गया सुरभि को टाइम मिल गया विजय के लंड को फिर से तैयार करने का. सुरभि समझ गयी की विजय को सिर्फ मुठ मार कर ही शांत किया जा सकता है सो वो अपने कोमल हाथों से उसके लंड को हिलाने लगी. वो जानती थी चुदाई के वक़्त एक्साइट होने के बाद विजय ज्यादा देर नहीं टिक सकता यही सोच कर उसने अपनी स्पीड बड़ाई. उसकी चूडियो की खनक से चाचाजी के कान जान चुके थे की वो क्या कर रही है पर वो मुस्कुराते हुए पिक्चर देखते रहे. सुरभि ने तेज गति से उसके लंड को हिलाते हुए सेक्सी अंदाज़ में अपने दांतों से उसके कान को हलके से काट लिया और बस विजय के लिए इतना ही काफी था. उसके लंड ने हिलकोरे लेना शुरू कर दिया सुरभि समझ गयी की उसका काम तमाम हो चुका है इससे पहले की विजय का लंड दूर दूर तक पिचकारी छोड़ता, विजय ने साइड टेबल पर रखा छोटा टॉवल उसके ऊपर डाल दिया जिसने न केवल सारे माल को ग्रहण कर लिया पर थोड़ी देर के लिए हाँफते विजय के लंड को छुपा भी लिया. विजय के लम्बी लंबी साँसे लेने से चाचाजी को समझ आ चुका था पर वो तो इंटरवल का इंतज़ार कर रहे थे. चूँकि वो ब्लू रे डिस्क थी इसलिए उसमे पूरी मूवी एक ही डिस्क में थी पर इंटरवल के टाइम पर उसमें एक दो ऐड डाले हुए थे जिससे पता चलता है की इंटरवल हो गया. विजय ने धीरे से अपने लंड को पोंछ कर अन्दर कर लिया और टॉवल को वापस साइड टेबल पर रख दिया. तभी इंटरवल हो गया और विजय उठ कर टॉयलेट में चला गया सुरभि ने भी लाइट्स जला दी और चाचाजी से पूछा
“चाचाजी कुछ खाने पीने को तो नहीं चाहिए.”
“चाहिए तो सही पर अभी नहीं.” कहते हुए उन्होंने आँख मार दी जिससे देख सुरभि शर्मा गयी. तभी विजय भी बाहर आ गया. चाचाजी बोले
“बेटी अब लाइट जली रहने देना नहीं तो लगता है अकेले ही फिल्म देख रहा हूँ.” सुरभि ने हाँ में सर हिलाया.
“हाँ फिर हॉरर सीन में तुम्हे डर भी नहीं लगेगा.” विजय ने उसे चिडाया
“हम्म तुम्हारा काम हो गया ने इसलिए .” सुरभि के मुह से निकल गया. विजय भी अवाक रह गया. उस पर चाचाजी ने भी पूछ ही लिया
“इसका कौन सा काम हो गया.” विजय तो बिलकुल ही हडबडा गया
“वो कुछ नहीं चाचाजी. वो बस ....” उसके मुह से बोल न फूटा पर सुरभि बोली.
“वो चाचाजी इसमें जो हीरो हीरोइन के लव सीन है न इनको बहुत पसंद है वो तो ख़तम हो गए अब तो हॉरर ही हॉरर आएगा इसलिए मैंने बोला.” चाचाजी सब कुछ समझते हुए भी मुस्कुराते हुए बोले
“हाँ बेटी सीन तो इस फिल्म में वाकई गरम है. मर्दों के लिए तो ऐसे सीन कमजोरी होते ही है. जब मुझ बुड्ढे को मज़ा आ रहा है तो मैं समझ सकता हूँ इसका क्या हाल होगा.”
“अच्छा चाचाजी आपको भी मज़ा आ रहा है.” सुरभि ने इठला कर पूछा तो विजय बोला
“सुरभि क्यों चाचाजी के पीछे पड़ी हो.”
“अरे विजय करने दे भाई मुझे कोई ऐतराज नहीं है सुरभि बेटी ने तो मुझे यहाँ वो दिया है जो मेरी अपनी बेटी भी नहीं दे सकती. इसकी बातें मुझे अच्छी लगती है.”
“अब बेटी मुझे क्यों नहीं लगेगी ये फिल्म अच्छी मैं भी तो एक मर्द हूँ.”
“हाँ वो तो है चाचाजी.. वैसे सच कहूँ विजय बोलता था आप बहुत पुराने विचारों के है इसलिए शुरू में मुझे आपसे बात करने में डर लगता था पर आप तो कई बातों में विजय से भी मॉडर्न है.”
“बेटी विजय अपने बाप पर गया है और उसने बचपन में जो देखा वोही सोचेगा न. कुछ लोग हमेशा एक से रहते है पर कुछ वक़्त के अनुसार अपने को ढाल लेते है. बस ये समझो मैंने अपने आप में परिवर्तन कर लिया है.”
“हाँ चाचाजी आपका ये रूप देख कर बहुत अच्छा लगा मुझे.” इस बार विजय बोला.
“लेकिन चाचाजी आपने अपना ड्रेस सेंस बिलकुल नहीं बदला, आप अभी भी ये धोती पहनते है.”
“हाँ बेटी मैं बदल चुका हूँ इस बात का मेरे पहनावे से किसी को पता नहीं चलता पर इस धोती में मुझे बड़ा आराम मिलता है.” सुरभि सोचने लगी की इस धोती में से अपना हथियार निकालने में बड़ा आराम होता होगा इनको. विजय ने उबासी ली तो चाचाजी बोले अरे जल्दी फिल्म शुरू कर दो नहीं तो विजय को नींद आ जाएगी
“वो चाचाजी सुबह दिल्ली से जल्दी निकला था और कल फिर ऑफिस जाना है इसलिए.”
‘या इसका माल निकल गया इसलिए’ चाचाजी ने सोचा.
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RE: Indian Housewife's Adventures - by sherlokholmes - 18-07-2020, 10:06 PM
RE: Indian Housewife's Adventures - by sksandiip1 - 19-07-2020, 10:20 PM
RE: Indian Housewife's Adventures - by RAHUL 23 - 22-07-2020, 12:49 PM
RE: Indian Housewife's Adventures - by RAHUL 23 - 26-07-2020, 01:19 PM
RE: Indian Housewife's Adventures - by Leo2524 - 28-07-2020, 01:51 PM
RE: Indian Housewife's Adventures - by sarit11 - 28-07-2020, 11:55 PM
RE: Indian Housewife's Adventures - by RAHUL 23 - 25-07-2020, 11:11 AM
RE: Indian Housewife's Adventures - by pujaa69 - 28-07-2020, 02:51 PM



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