18-07-2020, 10:03 PM
आगे की कहानी हिंदी फॉण्ट में......
[b]जब सुबह चाचाजी की नींद खुली तो उन्होंने सुरभि को उठाया. सुरभि अपनी हालत देखकर जल्दी से उठी और कपडे ले कर फ्रेश होने बाथरूम चली गयी. चाचाजी खुमारी में उसी तरह पडे हुए रात को हुई चुदाई के बारे में सोचने लगा. जब वो अपनी बिमारी के लिए जयपुर आया था तब उसने सपने में भी नहीं सोचा था की उसे सुरभि जैसी शानदार एवन माल चोदने को मिलेगा, हालांकि जब उसने पहली बार सुरभि को देखा था तब उसका मन डोला जरुर था पर फिर भी उसने ये कल्पना भी न की थी.
सुबह डॉक्टर के विजिट से पहले ही विजय हॉस्पिटल पहुँच गया था. डिस्चार्ज की सभी फॉर्मेलिटी पूरी करने के बाद विजय सुरभि और चाचाजी नीचे आये. ज्योति भी ड्यूटी ऑफ होने के बावजूद चाचाजी को विदा करने की लिए रुकी हुई थी. चाचाजी ने सबके सामने उसे प्यार से गले लगाया और माथे को चूमा. सभी उनका पिता सामान प्यार समझा रहे थे पर ज्योति और सुरभि को सब पता था. विजय ने गाडी स्टार्ट की तो सुरभि आगे उसके पास बैठने लगी पर चाचाजी बोले बेटी तुम यहाँ पीछे ही आ जाओ मुझे खांसी आएगी तो पानी तो पिला दोगी. विजय भी तुरंत बोला
“ हाँ सुरभि तुम पीछे ही बैठ जाओ” सुरभि जानती थी चाचाजी को कोई खांसी नहीं है पर वो कुछ न बोली और पीछे बैठ गयी. उसके बैठते ही चाचाजी ने उसकी जांघ पर हाथ रह दिया पर उनके चेहरे के भाव बिलकुल सामान्य थे. सुरभि थोडा चौंकी जरूर पर फिर उसने भी अपने को समान्य रखा क्योंकि विजय को रियर मिरर में दिख सकता था.
“बेटा सुरभि बेटी ने बहुत सेवा की मेरी... बहुत लकी हो तुम जो ऐसी सुन्दर सेक.. और सुशील बीवी मिली है तुम्हे.” उनके मुह से सेक्सी निकलते निकलते बचा. विजय भी खुश था की आखिर स्मार्ट फ़ोन के लालच में सुरभि ने उनका बहुत ख्याल रखा.
“हाँ चाचाजी सुरभि काफी अच्छी है.”
“बेटा मेरी आज शाम की टिकट करा देना में बस में निकल जाऊँगा.” चाचाजी ने पत्ता फेंका
“अरे चाचाजी आज कैसे जायेंगे आप. अभी हॉस्पिटल से छुट्टी मिली है पूरी तरह से ठीक नहीं हुए हैं आप. अभी अपनी बहु से पूरी सेवा नहीं करवाई है आपने.” चाचाजी ने सुरभि की तरफ देखा और मुस्कुरा दिए, बोले
“अरे बेटा ज्यादा सेवा करवाऊंगा तो सुरभि बेटी कही नाराज़ न हो जाए.” चाचाजी कुटिलता से मुस्कुराये
“नहीं चाचाजी आपकी सेवा से मैं कैसे नाराज हो सकती हूँ आप जब तक ठीक नहीं हो जाते तब तक यही रहेंगे बस.” सुरभि को बोलना ही पड़ा.
“बेटा मैं जानता हूँ तुम्हारा दिल बहुत बड़ा है पर फिर भी मैं दो दिन से ज्यादा हरगिज नहीं रुक पाउँगा क्योंकि दो दिन बाद मेरी कोर्ट में एक जमीन के मामले में डेट है. इसलिए तुम लोग इतना जोर दे रहे हो तो दो दिन रुक सकता हूँ.”
“ठीक है चाचाजी.” कोर्ट की बात सुन कर विजय ने भी ज्यादा जोर नहीं दिया. थोड़ी देर में वो लोग घर पहुँच गए.
घर पर चाचाजी के आराम का इंतजाम दुसरे बेडरूम में कर दिया था पर विजय ने कहा
“सुरभि चाचाजी को अपने बेडरूम में रहने दो वहां एसी है उनको वहां ठीक रहेगा. विजय जानता था की सुरभि को भी एसी के बिना सोने की आदत नहीं है फिर भी डरते डरते उसने बोला. जब वो बोल रहा था सुरभि बड़ी बड़ी आँखों से उसे घूर रही थी. पर चाचाजी के सामने वो कुछ न बोल सकी. पर चाचाजी बोले
“ अरे बेटा नहीं तुम दो दिनों के बाद आये हो बेटी को तुमसे बातें करनी होगी तुम लोग अपने बेडरूम में ही सो जाओ में वहां सो जाऊंगा मुझे कोई तकलीफ नहीं होगी.” सुरभि ने सोचा ‘थैंक गॉड चाचाजी में तो अक्कल है कम से कम.”
“नहीं चाचाजी आपको आराम रहेगा इस बेडरूम में अटैच्ड टॉयलेट है आपको आराम रहेगा.”
“देखो अगर मुझे उसमे आराम करना है तो तुम दोनों भी उसी बेडरूम में आ जाना तुम्हारा बेड बहुत बड़ा है हम तीनो लोग आराम से आ जायेंगे.”
“अरे नहीं चाचाजी आपको तकलीफ....”
“कोई तकलीफ नहीं अगर में इस रूम में आराम करूँगा तो सिर्फ इसी शर्त पर की तुम दोनों भी इसी में रहोगे.”
“ठीक है चाचाजी. सुरभि चाचाजी की दवाई वगेरह इसी कमरे में लगा दो.” सुरभि को कुछ तस्सली मिली पर उसे डर ये भी था की कही चाचाजी विजय के सामने कुछ हरकत न करे. विजय के पीछे तो वो जरुर करेंगे इसका उसे विश्वास था. ये सोच कर ही उसके चेहरे पर मुस्कराहट आ गयी.
चाचाजी को बेडरूम में सेट करके विजय नहाने चला गया और सुरभि खाना बनाने में लग गयी.
चाचा उस बेडरूम में लेटे हुए सोच रहा था की कब उसे मौका मिलेगा जब वो सुरभि को उसी के बेडरूम में चोदेगा. सुरभि भी खाना बनाते बनाते अपने पिछले दो दिनों के बारे में सोच रही थी. कितनी बेशरम हो गयी थी वो कितना मज़ा आया चाचाजी से चुदवा कर पिछले 4 सालो में एक भी दिन विजय ने उसे ऐसे नहीं चोदा की उसे आनंद की अनुभूति हो. चाचाजी ने दो दिनों में ही उसे असली सेक्स से परिचय करवा दिया. चाचाजी के जाने के बाद वो अपने आप को कैसे संभालेगी. वो सोच ही रही थी की सिर्फ टॉवल लपेटे विजय ने उसे पीछे से बाँहों में भर लिया. और गर्दन पर किस करने लगा. अचानक हुए इस हमले से सुरभि हडबडा गयी. उसके विचारों की श्रंखला टूट गयी.
“ये क्या करते हो विजय चाचाजी घर पर है.”
“ तो क्या हुआ वो यहाँ नहीं आने वाले. दो दिनों से अपनी सेक्सी बीवी से दूर हूँ.”
“और आपने दो दिन और दूरी रखने का प्लान भी बना लिया.”
“वो कैसे?”
“अरे बेडरूम में जब चाचाजी भी होंगे तो दूरी तो रहेगी न.”
“अरे बेबी चाचाजी सो जायेंगे तब आपका काम कर देंगे.”
“वैसे तुम्हे एसी में नहीं सोना हो तो दुसरे बेडरूम में चल कर काम कर सकते है.”
“नहीं तुम तो जानते हो इतनी गर्मी में बिना एसी सोना मेरे लिए मुश्किल है.
“जानता हूँ रानी तभी तो.. वैसे तुमने जो चाचाजी का इतना ख्याल रखा इसके लिए तुम्हारा स्मार्ट फ़ोन पक्का.” सुरभि मुस्कुरायी. अब तुम कपडे चेंज करोगे क्योंकि मुझे पीछे कुछ चुभ रहा है. विजय आज सुबह सुबह ही एक्साइट हो रहा था.
सुरभि ने चाचाजी को बेडरूम में ही खाना दिया फिर वो और विजय डाइनिंग रूम में आ कर खाना खाने लगे विजय सुरभि को देख रहा था जो इस वक़्त एक टाइट सी टी शर्ट और कैपरी में थी.
“क्या देख रहे हो.”
“देख रहा हूँ चाचाजी तुम्हे इस ड्रेस में देख कर क्या सोचते होंगे.”
“क्या सोचते होंगे इससे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता मैं जैसे घर में रहती हूँ वैसे ही रहूंगी किसी की वजह से अपना रूटीन चेंज नहीं कर सकती.”
“अरे मेरा वो मतलब नहीं था. मैं तो कह रहा था कही बुढापे में उनका ईमान न डोल जाए.” विजय ने सुरभि को आँख मारी. विजय आज कुछ ज्यादा ही बोल्ड हो रहा था.
“अरे ईमान डोलेगा भी तो बुढ़ापे में क्या करेंगे वो. ही ही ही और सुनो वो तो गनीमत है मैंने अपनी सेक्सी निकर नहीं पहनी है आज नहीं तो आपके चाचाजी का हार्ट फ़ैल ही हो जाता.”
“देख लो मुझे तो कोई ऐतराज नहीं है.”
“अच्छा अब चाचाजी क्या कहेंगे कही बुरा न मान जाये ये नहीं कहना तुम को.”
“नहीं अब चाचाजी ने तुम्हे पसंद कर लिया है और तुमने हॉस्पिटल में उनकी सेवा भी कर दी है अब तुम्हारे बारे वो सिर्फ अच्छा ही बोलेंगे .”
“वैसे भी वो हमारे बारे में क्या बोलते है इससे क्या फर्क पड़ता है हम लोगों को. “
“हाँ वो तो है.” तभी चाचाजी के रूम से धडाम की आवाज आई और दोनों विजय और सुरभि उस ओर दौड़े.
वह पहुँच कर देखा की चाचाजी टॉयलेट के दरवाजे पर गिरे पडे है. सुरभि और विजय दोनों ने मिलकर उनको उठाया तो चाचाजी कराह उठे . दोनों ने धीरे से उन्हें बिस्तर पर लेटाया.
“क्या हुआ चाचाजी चक्कर आया क्या कैसे गिर गए आप.” विजय ने चिंतित होते हुए पूछा
“नहीं बेटा वो टॉयलेट के गेट पर जो पायदान है शायद उसके नीचे पानी था पैर रखता ही वो फिसल गया. आह्ह्ह पीठ में बड़ी तेज़ लग गयी है शायद.” सुरभि ने देखा वाकई पायदान के नीचे पानी था पर वो पानी कैसे आया वो उसकी समझ नहीं आया क्योंकि वो दो दिन से घर पर ही नहीं थी. उसने तुरंत चाचाजी की ओर देखा तो चाचाजी ने तुरंत उस पर से नज़ारे हटा ली. सुरभि के मुख पर हलकी सी मुस्कराहट आ कर चली गयी जिसे विजय न देख पाया. वो समझ गयी की ये चाचाजी ने जानबूझकर किया है पर क्यों ये समझना अभी बाकी था.
“ओह सॉरी चाचाजी शायद सुबह बाथरूम धोते वक़्त ये पानी इसके नीचे आ गया होगा.” उसने झूठ बोला.
“सुरभि यार तुम्हे ध्यान रखना चाहिए था, चाचाजी के लिए ज्यादा मुसीबात हो सकती थी. चाचाजी दिखाओ कहाँ लगी है आपको.” चाचाजी ने अपनी पीठ के नीचे के हिस्से में बताया. और कुलहो पर जांघो में भी दर्द बताया.
“चाचाजी आप उलटे लेट जाओ, सुरभि चाचाजी की पीठ पर वो ऑइंटमेंट लगा दो इन्हें थोड़ी देर में आराम आ जायेगा.” सुरभि ने गहरी नजर से देखा पर विजय ने नज़रों में ही उससे रिक्वेस्ट की. सुरभि ने बेडरूम की साइड टेबल में रखा फर्स्ट ऐड बॉक्स निकला और उसमें से ऑइंटमेंट निकाली चाचाजी ने अपनी बनियान निकाली और उल्टा लेट गए नीचे उन्होंने धोती पहनी हुई थी जो की उनकी कमर से घुटनों तक थी. सुरभि ने अपनी कोमल ऊँगली के नुकीले नाखुनो को हलके से उनकी पीठ में चुभाया और पुछा
“कहा दर्द है चाचाजी, यहाँ ... यहाँ ओके ठीक है.” सुरभि ने दवाई लगाने लगी तभी विजय का ऑफिस से फ़ोन आ गया ओर वो बहार निकल गया. सुरभि सेक्सी अंदाज में झुकी और चाचाजी के कान पर आ कर धीरे से बोली
“क्यों चाचाजी ये नाटक किसलिए ये दवाई लगवाने के लिए बस.”
“अरे बहु अब कम से कम तुम मुझे अकेला तो नहीं छोडोगी .”
“ओह्ह अकेलापन लग रहा था हमारे चाचाजी को.” बोलते हुए सुरभि ने शरारत की और अपना हाथ चाचाजी की धोती में घुसा दिया और उनकी गांड को सहलाने लगी.
“बोलो तो थोड़ी दवाई अन्दर लगा दूं डांस करने लगोगे.” चाचाजी जानते थे अगर ऑइंटमेंट उनकी गांड में लगा तो बहुत तकलीफ होगी पर फिर भी बोले.”
“हमे तो सिर्फ अपनी बेटी को ख़ुशी देनी है अगर वो इससे खुश होती है तो ऐसे ही सही.”
“अरे चाचाजी आप मुझे ख़ुशी ठीक हो कर दे सकते हो बीमार बन कर नहीं कहते हुए उसने हाथ बहार निकल लिया और थोड़ी से दवाई उनकी पीठ पर लगा दी.”
“बेटी विजय को ऑफिस नहीं जाना क्या अगर नहीं जाना तो तू ही उससे थोड़ी देर के लिए कहीं भेज दे मैं तुझे इस मस्त पलंग पर चोदना चाहता हूँ.”
“अरे ऐसे कैसे मैं ...”तभी विजय अन्दर आ गए और बोला
”लग गयी दवाई”.
“हाँ.” सुरभि उठते हुए बोली
“चाचाजी अब आप टॉयलेट अकेले नहीं जायेंगे दरवाजे तक आपको सुरभि या मैं छोड़ेंगे.” चाचाजी ने सर हिलाया.
“सुनिए लंच तो हो गया क्यों न चाचाजी के लिए वो नेचुरल वाली आइसक्रीम हो जाये.” सुरभि ने कहा तो चाचाजी के लौड़े में हलचल होने लगी.
“हां यार वैसे तुम ये चाचाजी के लिए बोल रही हो या अपने लिए.”
“ही! ही!.. हाँ मुझे तो पसंद है ही पर चाचाजी को भी हॉस्पिटल के खाने से बोरियत हो गयी होगी इसलिए मैंने बोला और फिर कल तो तुम ऑफिस चले जाओगे.”
“अरे मैं तो मजाक कर रहा था मैं अभी ले कर आता हूँ.” सुरभि जानती थी की विजय को कम से कम आधा घंटा लगने वाला है. उसे अपने इस कृत्य पर शर्म भी आ रही थी पर वो भी आपनी चूत की डिमांड के आगे बेबस थी. विजय के जाते ही उसने दरवाजा बंद किया और बेडरूम में आ गयी. जैसे ही वो अन्दर पहुंची हैरान रह गयी क्योंकि चाचाजी ने अपनी धोती उतार फेंकी थी और वो अपने तन्तानाये लंड को सहला रहे थे
“कितना टाइम है हमारे पास “
“25 मिनट “
“तो फिर खड़ी क्या लंड को निहार रही है जल्दी नंगी हो कर इधर आ.” चाचाजी ने निर्देश दिया तो सुरभि के सारे कपडे एक मिनट में फर्श पर पडे थे वो चाचाजी की टांगो की ओर से बिस्तर पर चडी और उनको चुमते चुमते उनके लंड तक पहुंची उसने बड़े प्यार से उनके लंड को हाथ में ले कर सहलाया फिर हलके से किस किया फिर थोडा सा मुह में भरा थोड़ी से चुस्की ली फिर आगे बड गयी चाचाजी पीठ के बल लेते आनंद के सागर में गोते खाने लगा
“वाह बेटी मस्त करती हो तुम.”
“अरे चाचाजी पीठ पर दवाई लगी थी सारी बिस्तर में पोंछ दी आपने.”
“अरे अभी तो बिस्तर पर बहुत माल गिरेगा उसे कैसे बचाएगी.” कहते हुए चाचाजी ने जोर से सुरभि को अपनी ओर खींचा जिससे सुरभि उनके ऊपर आ गिरी और उसके मादक बूब्स चाचाजी के छाती से टकरा कर पिस गए.
“अह्ह्ह बड़ी जवानी छा रही है.” सुरभि चंचलता से बोली.. अब वो चाचाजी को अपने प्रेमी तरह ट्रीट कर रही थी.
चाचाजी अपने दोनों हाथ उसकी गांड पर ले जा कर जोर से मसलते हुए बोले अरे तेरी जवानी को देख कर तो 100 साल का बुड्डा भी जवान हो जाए मैं तो अभी 60 का भी नहीं हुआ.” उनका लंड सुरभि की चूत को ठोकरे मारने लगा. फिर उन्होंने एक झटके में करवट बदलते हुए सुरभि को अपने नीचे कर दिया और उसे बेतहाशा चूमने लगे.
चूमते हुए उन्होंने कस कर उसके बूब्स को दबा दिया , सुरभि के मुह से आह निकल गयी. चाचाजी का ये जंगलीपन ही सुरभि को बहुत पसंद था. चाचाजी ने अपना हाथ नीचे ले जा कर उसकी चूत को टटोला तो उनकी उंगलियाँ उसकी चूत के रस से भीग गयी.
“तुम तो बड़ी जल्दी टपकने लगती हो.” चाचाजी के मुह से यह सुनकर सुरभि शर्मा के पानी हो गयी.
“जल्दी कर लो चाचाजी टाइम नहीं है ज्यादा.” सुरभि को बोलना ही पड़ा. हाँ बेटी चल जरा लंड को ठीक से सेट तो कर दे. सुरभि ने तुरंत अपना हाथ नीचे ले जा कर उनके थरथराते लुंड को पकड़ कर अपनी चूत के मुहाने पर टिका दिया. उसके टिकाते ही चाचाजी ने धक्का लगा कर एक शॉट में आधा लंड प्रवेश करा दिया सुरभि के मुह से फिर आह निकलने लगी आज तीसरे दिन लगातार सुरभि चाचाजी से चुदवा रही थी पर अभी भी उनका लंड उसके लिए बहुत भारी था उसके रोम रोम में लंड के घर्षण से रोमांच भर रहा था. चाचाजी ने थोडा रुक कर एक जोरदार शॉट मारा और पूरा लंड उसकी चूत में समां गया. उन्होंने फिर लय के साथ सुरभि की चूत का मर्दन करना शुरू किया जिससे सुरभि के आनंद की सीमा ना रही
“आह्ह्ह चाचाजी बहुत अच्छाह आह्ह्ह्ह .”
क्या कसी हुई चूत है बेटी लंड को मज़ा आ जाता है. बेटी कभी ऐसा लंड लिया है अपनी इस मतवाली चूत में आःह्ह्ह.”
“नहीं विजय के अलावा नहीं आह्ह्ह करिए करते रहिये.”
“ ऐसा मजा दिया है कभी विजय ने.”
“कभी नहीं आह्ह्ह जोर से करिए चाचाजी.”
“बेटी चुदाई के वक़्त गन्दी बाते करने से मजा बढता है करिए नहीं ...चोदिये, चूत, लंड ऐसे शब्दों का प्रयोग किया करो.”
“आह चाचाजी विजय आ जायेगा जल्दी जल्दी चोदिये आह .”
“ह्म्म्म ले बेटी तू कह रही है तो ये ले, और ले, और ले, जोर से ले.” चाचाजी ने अपनी स्पीड बड़ाई और दोनों आनंद के सागर में गोते खाने लगे. जब तक विजय की घर में एंट्री हुई चाचाजी ने अपनी धोती और बनियान पहन ली थी. सुरभि ने भी अपने कपडे पहन लिए थे और वो रसोई में काम करने लगी थी सब कुछ नार्मल था लग ही नहीं रहा था की कुछ मिनट पहले ही यहाँ भीषण चुदाई हुई है.
उसके बाद पूरा दिन समान्य रहा कोई जिक्र के लायक गतिविधि नहीं हुई. विजय यह देख कर खुश था की चाचाजी और सुरभि अब काफी खुल कर एक दुसरे से बात कर रहे है. रात के खाने के बाद सुरभि ने अपनी nighty पहन ली थी जो की वो रोज़ पहनती है nighty केवल घुटनों तक आती थी और स्लीवेलेस थी उस ड्रेस में उसको देखते ही मर्दों का लंड खड़ा होना स्वाभाविक था. विजय थोडा सा परेशान हुआ जब उसने सुरभि को उस ड्रेस में देखा पर वो सुबह बड़ी बड़ी बातें कर चुका था इसलिए वो कुछ बोला नहीं पर उसको तब सुकून मिला जब चाचाजी ने कोई रिएक्शन ही नहीं दिया वो ऐसे रियेक्ट कर रहे थे जैसे सब नार्मल था. जब एक दो बार सुरभि चाचाजी के पास से आ कर चली गयी तो विजय ने सोचा की वो खामखाँ ही चिंतित हो रहा था. चाचाजी जानते थे की विजय उनकी ओर देख रहा है इसलिए उनके लंड में हलचल मचते हुए भी उन्होंने कोई रिएक्शन नहीं दी. वो तो सुरभि को ऐसे ही रूप में देखना चाहते थे. तीनो बेडरूम में आ गए थे. एसी चालू था इसलिए दरवाज़ा बंद कर लिया था टॉयलेट के तरफ वाले कोने में चाचाजी, बीच में विजय और दुसरे कोने पर सुरभि लेट गए थे. दोपहर को सबने आराम कर लिया था इसलिए नींद किसी को नहीं आ रही थी. विजय अपना लैपटॉप ले कर ऑफिस के काम में व्यस्त हो गया था और सुरभि भी अपने whatsapp मेसेज पड़ रही थी.
“अरे बेटा विजय कोई फिल्म ही लगा दे अभी नींद तो नहीं आ रही है. तुम दोनों तो अपने अपने काम में बिजी हो गए हो.”
“हाँ चाचाजी लगा देता हूँ पर मुझे तो ऑफिस का काम निपटाना है कल सुबह रिपोर्ट सबमिट करनी है.”
“कोई बात नहीं बेटा तुम अपना काम करो हम और सुरभि बेटी फिल्म देख लेंगे, और सुरभि बेटी अपना मोबाइल इस्तेमाल ही करना है तो एक दो वो क्या कहते सेल्फी, हमारे साथ भी ले लो.
“ हाँ सुरभि ये बात सही है चाचाजी की फोटो ले लो यादगार रहेगी.” विजय बोलते हुए ब्लू रे डिस्क पर फिल्म लगाने उठ गया. सुरभि अपनी सेक्सी नाईटी में चाचाजी की तरफ खिसक गयी. उसकी नाईटी जांघो तक ऊपर सरक गयी थी पर जिन चाचाजी ने उसे तीन दिन में तीन बार चोद लिया हो उनसे कैसी शर्म. हाँ विजय को जरूर अजीब लग रहा था हालांकि पता नहीं क्यों चाचाजी के सामने ऐसे सेक्सी कपड़ो में सुरभि को देख कर न जाने क्यों उसका ख़ुद का लंड भी हिलोरे ले रहा था. उसने खामोशियाँ फिल्म की डिस्क लगा दी सुरभि बोली
“अरे ये फिल्म तो डरावनी है न, तुम तो जानते हो रात को मुझे डर लगेगा.” विजय मुस्कुराया और बोला.
“अरे घर में दो दो मर्दों के होते हुए तुझे डर लगेगा क्या.”
“अरे बेटी डरावनी फिल्मो को देखने का अलग ही मज़ा है. हाँ विजय यही रहने दे. बेटी पहले ले ले. सुरभि बिलकुल चाचाजी के पास आ कर लगभग उन पर चढ़ गयी. विजय का तो देख कर लौड़ा खड़ा हो गया सुरभि मुह बना बना कर चाचाजी के साथ सेल्फी ले रही थी उसकी नंगी जांघ चाचाजी के नागी बाँहों से टच हो रही थी. पर वो एकदम से बेपरवाह थी. चाचाजी के धोती में हलचल मच चुकी थी विजय का लंड तो हिल ही रहा था. उसे पहली बार ये एहसास हो रहा था की सुरभि को किसी दुसरे के सामने expose करने से उसे मज़ा आ रहा है. अब वो आ कर सुरभि की जगह पर बैठ कर अपने लैपटॉप पर काम करने लगा इस तरह सुरभि अब चाचाजी और उसके बीच में आ गयी. थोड़ी देर फोटो लेने के बाद तीनो फिल्म देखने लगे. हालाँकि विजय को रिपोर्ट पूरी करनी थी इसलिए उसका मूवी में ध्यान कम था. फोटो लेने के बाद भी सुरभि चाचाजी से ज्यादा दूर नहीं खिसकी. वो थोडा सा विजय की तरफ हुई पर फिर भी उसका झुकाव चाचाजी की ओर ही था. चाचाजी के पास हॉट सुरभि और फिल्म भी रोमांटिक चल रही थी. विजय ने भी कुछ देर काम कर के लैपटॉप रख दिया और वो भी थोडा सुरभि की तरफ आ गया. सुरभि उसको फ्री हुआ देख कर उसके पास आ गयी और उसके कंधे पर पाना सर रख दिया. विजय चाचाजी की उपस्तिथि में पहले तो थोडा सकपकाया पर फिर उसने भी पडे ही प्यार से सुरभि के इर्द गिर्द अपनी बाहें लपेट दी. चाचाजी बोले
“बेटा तुम्हारा काम हो गया है तो लाइट बंद कर दो.”
“हाँ चाचाजी.” बोलते हुए लाइट बंद कर दी जिसके बाद सिर्फ टीवी की रौशनी ही कमरे में रह गयी और विजय और सुरभि एक दुसरे से और क्लोज हो गए.फिल्म के सेक्सी गाने को देख कर विजय का लंड खड़ा हो गया सुरभि ने देख कर धीरे से उस पर हाथ रख दिया. विजय ने चाचाजी की तरफ देखा जो के फिल्म देखने में मशगूल थे और सेक्सी सीन देख कर अपना लौड़ा सहला रहे थे. विजय धीरे से सुरभि के कान में फुसफुसाया
“चाचाजी का अभी भी खड़ा होता है. फिल्म देख कर उन्हें मज़ा आ रहा है .”
“तुम चाचाजी को छोड़ो और अपने इस पप्पू को देखो कही बाहर न आ जाये.” विजय ने हलके से उसकी जांघ पर हाथ रखा और शरारत करते हुए चाचाजी से आँख बचा कर एक हाथ उसकी nighty के अन्दर ले गया और उसके अचरज का ठिकाना नहीं रहा जब उसने देखा की रोज़ की तरह सुरभि ने चड्डी नहीं पहनी है. अरे रोज़ तो घर में वो दोनों अकेले रहते है तब तो ठीक है पर अब इतनी ऊँची nighty में फिर भी चड्डी नहीं पहनी और फिर भी चाचाजी के ऊपर चढ़ कर सेल्फी ले रही थी सुरभि को जरा भी डर नहीं है.
“अरे तुमने आज भी चड्डी नहीं पहनी.” विजय धीरे से बोला
“वो तो मैंने कहा था न मैं अपना रूटीन नहीं बदलूंगी.”
“अगर चाचाजी को दिख जाती तुम्हारी तो.,”
“दिख जाये तो दिख जाए, क्या होगा, बेचारे को बुढ़ापे में एक सुख मिल जायेगा और क्या.” सुरभि हलके से हंसी और उसके लंड को दबा दिया. विजय ने ऊँगली उसकी चूत में डाल कर निकाली तो उसकी ऊँगली भीग गयी थी. सुरभि के इस बोल्ड रूप से तीनो को ही मज़े आ रहे थे. चाचाजी भी चुपके चुपके उन लोगों की हरकतें देख रहे थे पर दिखा ऐसा रहे थे की फिल्म में गहन ध्यान है.
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[b]जब सुबह चाचाजी की नींद खुली तो उन्होंने सुरभि को उठाया. सुरभि अपनी हालत देखकर जल्दी से उठी और कपडे ले कर फ्रेश होने बाथरूम चली गयी. चाचाजी खुमारी में उसी तरह पडे हुए रात को हुई चुदाई के बारे में सोचने लगा. जब वो अपनी बिमारी के लिए जयपुर आया था तब उसने सपने में भी नहीं सोचा था की उसे सुरभि जैसी शानदार एवन माल चोदने को मिलेगा, हालांकि जब उसने पहली बार सुरभि को देखा था तब उसका मन डोला जरुर था पर फिर भी उसने ये कल्पना भी न की थी.
सुबह डॉक्टर के विजिट से पहले ही विजय हॉस्पिटल पहुँच गया था. डिस्चार्ज की सभी फॉर्मेलिटी पूरी करने के बाद विजय सुरभि और चाचाजी नीचे आये. ज्योति भी ड्यूटी ऑफ होने के बावजूद चाचाजी को विदा करने की लिए रुकी हुई थी. चाचाजी ने सबके सामने उसे प्यार से गले लगाया और माथे को चूमा. सभी उनका पिता सामान प्यार समझा रहे थे पर ज्योति और सुरभि को सब पता था. विजय ने गाडी स्टार्ट की तो सुरभि आगे उसके पास बैठने लगी पर चाचाजी बोले बेटी तुम यहाँ पीछे ही आ जाओ मुझे खांसी आएगी तो पानी तो पिला दोगी. विजय भी तुरंत बोला
“ हाँ सुरभि तुम पीछे ही बैठ जाओ” सुरभि जानती थी चाचाजी को कोई खांसी नहीं है पर वो कुछ न बोली और पीछे बैठ गयी. उसके बैठते ही चाचाजी ने उसकी जांघ पर हाथ रह दिया पर उनके चेहरे के भाव बिलकुल सामान्य थे. सुरभि थोडा चौंकी जरूर पर फिर उसने भी अपने को समान्य रखा क्योंकि विजय को रियर मिरर में दिख सकता था.
“बेटा सुरभि बेटी ने बहुत सेवा की मेरी... बहुत लकी हो तुम जो ऐसी सुन्दर सेक.. और सुशील बीवी मिली है तुम्हे.” उनके मुह से सेक्सी निकलते निकलते बचा. विजय भी खुश था की आखिर स्मार्ट फ़ोन के लालच में सुरभि ने उनका बहुत ख्याल रखा.
“हाँ चाचाजी सुरभि काफी अच्छी है.”
“बेटा मेरी आज शाम की टिकट करा देना में बस में निकल जाऊँगा.” चाचाजी ने पत्ता फेंका
“अरे चाचाजी आज कैसे जायेंगे आप. अभी हॉस्पिटल से छुट्टी मिली है पूरी तरह से ठीक नहीं हुए हैं आप. अभी अपनी बहु से पूरी सेवा नहीं करवाई है आपने.” चाचाजी ने सुरभि की तरफ देखा और मुस्कुरा दिए, बोले
“अरे बेटा ज्यादा सेवा करवाऊंगा तो सुरभि बेटी कही नाराज़ न हो जाए.” चाचाजी कुटिलता से मुस्कुराये
“नहीं चाचाजी आपकी सेवा से मैं कैसे नाराज हो सकती हूँ आप जब तक ठीक नहीं हो जाते तब तक यही रहेंगे बस.” सुरभि को बोलना ही पड़ा.
“बेटा मैं जानता हूँ तुम्हारा दिल बहुत बड़ा है पर फिर भी मैं दो दिन से ज्यादा हरगिज नहीं रुक पाउँगा क्योंकि दो दिन बाद मेरी कोर्ट में एक जमीन के मामले में डेट है. इसलिए तुम लोग इतना जोर दे रहे हो तो दो दिन रुक सकता हूँ.”
“ठीक है चाचाजी.” कोर्ट की बात सुन कर विजय ने भी ज्यादा जोर नहीं दिया. थोड़ी देर में वो लोग घर पहुँच गए.
घर पर चाचाजी के आराम का इंतजाम दुसरे बेडरूम में कर दिया था पर विजय ने कहा
“सुरभि चाचाजी को अपने बेडरूम में रहने दो वहां एसी है उनको वहां ठीक रहेगा. विजय जानता था की सुरभि को भी एसी के बिना सोने की आदत नहीं है फिर भी डरते डरते उसने बोला. जब वो बोल रहा था सुरभि बड़ी बड़ी आँखों से उसे घूर रही थी. पर चाचाजी के सामने वो कुछ न बोल सकी. पर चाचाजी बोले
“ अरे बेटा नहीं तुम दो दिनों के बाद आये हो बेटी को तुमसे बातें करनी होगी तुम लोग अपने बेडरूम में ही सो जाओ में वहां सो जाऊंगा मुझे कोई तकलीफ नहीं होगी.” सुरभि ने सोचा ‘थैंक गॉड चाचाजी में तो अक्कल है कम से कम.”
“नहीं चाचाजी आपको आराम रहेगा इस बेडरूम में अटैच्ड टॉयलेट है आपको आराम रहेगा.”
“देखो अगर मुझे उसमे आराम करना है तो तुम दोनों भी उसी बेडरूम में आ जाना तुम्हारा बेड बहुत बड़ा है हम तीनो लोग आराम से आ जायेंगे.”
“अरे नहीं चाचाजी आपको तकलीफ....”
“कोई तकलीफ नहीं अगर में इस रूम में आराम करूँगा तो सिर्फ इसी शर्त पर की तुम दोनों भी इसी में रहोगे.”
“ठीक है चाचाजी. सुरभि चाचाजी की दवाई वगेरह इसी कमरे में लगा दो.” सुरभि को कुछ तस्सली मिली पर उसे डर ये भी था की कही चाचाजी विजय के सामने कुछ हरकत न करे. विजय के पीछे तो वो जरुर करेंगे इसका उसे विश्वास था. ये सोच कर ही उसके चेहरे पर मुस्कराहट आ गयी.
चाचाजी को बेडरूम में सेट करके विजय नहाने चला गया और सुरभि खाना बनाने में लग गयी.
चाचा उस बेडरूम में लेटे हुए सोच रहा था की कब उसे मौका मिलेगा जब वो सुरभि को उसी के बेडरूम में चोदेगा. सुरभि भी खाना बनाते बनाते अपने पिछले दो दिनों के बारे में सोच रही थी. कितनी बेशरम हो गयी थी वो कितना मज़ा आया चाचाजी से चुदवा कर पिछले 4 सालो में एक भी दिन विजय ने उसे ऐसे नहीं चोदा की उसे आनंद की अनुभूति हो. चाचाजी ने दो दिनों में ही उसे असली सेक्स से परिचय करवा दिया. चाचाजी के जाने के बाद वो अपने आप को कैसे संभालेगी. वो सोच ही रही थी की सिर्फ टॉवल लपेटे विजय ने उसे पीछे से बाँहों में भर लिया. और गर्दन पर किस करने लगा. अचानक हुए इस हमले से सुरभि हडबडा गयी. उसके विचारों की श्रंखला टूट गयी.
“ये क्या करते हो विजय चाचाजी घर पर है.”
“ तो क्या हुआ वो यहाँ नहीं आने वाले. दो दिनों से अपनी सेक्सी बीवी से दूर हूँ.”
“और आपने दो दिन और दूरी रखने का प्लान भी बना लिया.”
“वो कैसे?”
“अरे बेडरूम में जब चाचाजी भी होंगे तो दूरी तो रहेगी न.”
“अरे बेबी चाचाजी सो जायेंगे तब आपका काम कर देंगे.”
“वैसे तुम्हे एसी में नहीं सोना हो तो दुसरे बेडरूम में चल कर काम कर सकते है.”
“नहीं तुम तो जानते हो इतनी गर्मी में बिना एसी सोना मेरे लिए मुश्किल है.
“जानता हूँ रानी तभी तो.. वैसे तुमने जो चाचाजी का इतना ख्याल रखा इसके लिए तुम्हारा स्मार्ट फ़ोन पक्का.” सुरभि मुस्कुरायी. अब तुम कपडे चेंज करोगे क्योंकि मुझे पीछे कुछ चुभ रहा है. विजय आज सुबह सुबह ही एक्साइट हो रहा था.
सुरभि ने चाचाजी को बेडरूम में ही खाना दिया फिर वो और विजय डाइनिंग रूम में आ कर खाना खाने लगे विजय सुरभि को देख रहा था जो इस वक़्त एक टाइट सी टी शर्ट और कैपरी में थी.
“क्या देख रहे हो.”
“देख रहा हूँ चाचाजी तुम्हे इस ड्रेस में देख कर क्या सोचते होंगे.”
“क्या सोचते होंगे इससे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता मैं जैसे घर में रहती हूँ वैसे ही रहूंगी किसी की वजह से अपना रूटीन चेंज नहीं कर सकती.”
“अरे मेरा वो मतलब नहीं था. मैं तो कह रहा था कही बुढापे में उनका ईमान न डोल जाए.” विजय ने सुरभि को आँख मारी. विजय आज कुछ ज्यादा ही बोल्ड हो रहा था.
“अरे ईमान डोलेगा भी तो बुढ़ापे में क्या करेंगे वो. ही ही ही और सुनो वो तो गनीमत है मैंने अपनी सेक्सी निकर नहीं पहनी है आज नहीं तो आपके चाचाजी का हार्ट फ़ैल ही हो जाता.”
“देख लो मुझे तो कोई ऐतराज नहीं है.”
“अच्छा अब चाचाजी क्या कहेंगे कही बुरा न मान जाये ये नहीं कहना तुम को.”
“नहीं अब चाचाजी ने तुम्हे पसंद कर लिया है और तुमने हॉस्पिटल में उनकी सेवा भी कर दी है अब तुम्हारे बारे वो सिर्फ अच्छा ही बोलेंगे .”
“वैसे भी वो हमारे बारे में क्या बोलते है इससे क्या फर्क पड़ता है हम लोगों को. “
“हाँ वो तो है.” तभी चाचाजी के रूम से धडाम की आवाज आई और दोनों विजय और सुरभि उस ओर दौड़े.
वह पहुँच कर देखा की चाचाजी टॉयलेट के दरवाजे पर गिरे पडे है. सुरभि और विजय दोनों ने मिलकर उनको उठाया तो चाचाजी कराह उठे . दोनों ने धीरे से उन्हें बिस्तर पर लेटाया.
“क्या हुआ चाचाजी चक्कर आया क्या कैसे गिर गए आप.” विजय ने चिंतित होते हुए पूछा
“नहीं बेटा वो टॉयलेट के गेट पर जो पायदान है शायद उसके नीचे पानी था पैर रखता ही वो फिसल गया. आह्ह्ह पीठ में बड़ी तेज़ लग गयी है शायद.” सुरभि ने देखा वाकई पायदान के नीचे पानी था पर वो पानी कैसे आया वो उसकी समझ नहीं आया क्योंकि वो दो दिन से घर पर ही नहीं थी. उसने तुरंत चाचाजी की ओर देखा तो चाचाजी ने तुरंत उस पर से नज़ारे हटा ली. सुरभि के मुख पर हलकी सी मुस्कराहट आ कर चली गयी जिसे विजय न देख पाया. वो समझ गयी की ये चाचाजी ने जानबूझकर किया है पर क्यों ये समझना अभी बाकी था.
“ओह सॉरी चाचाजी शायद सुबह बाथरूम धोते वक़्त ये पानी इसके नीचे आ गया होगा.” उसने झूठ बोला.
“सुरभि यार तुम्हे ध्यान रखना चाहिए था, चाचाजी के लिए ज्यादा मुसीबात हो सकती थी. चाचाजी दिखाओ कहाँ लगी है आपको.” चाचाजी ने अपनी पीठ के नीचे के हिस्से में बताया. और कुलहो पर जांघो में भी दर्द बताया.
“चाचाजी आप उलटे लेट जाओ, सुरभि चाचाजी की पीठ पर वो ऑइंटमेंट लगा दो इन्हें थोड़ी देर में आराम आ जायेगा.” सुरभि ने गहरी नजर से देखा पर विजय ने नज़रों में ही उससे रिक्वेस्ट की. सुरभि ने बेडरूम की साइड टेबल में रखा फर्स्ट ऐड बॉक्स निकला और उसमें से ऑइंटमेंट निकाली चाचाजी ने अपनी बनियान निकाली और उल्टा लेट गए नीचे उन्होंने धोती पहनी हुई थी जो की उनकी कमर से घुटनों तक थी. सुरभि ने अपनी कोमल ऊँगली के नुकीले नाखुनो को हलके से उनकी पीठ में चुभाया और पुछा
“कहा दर्द है चाचाजी, यहाँ ... यहाँ ओके ठीक है.” सुरभि ने दवाई लगाने लगी तभी विजय का ऑफिस से फ़ोन आ गया ओर वो बहार निकल गया. सुरभि सेक्सी अंदाज में झुकी और चाचाजी के कान पर आ कर धीरे से बोली
“क्यों चाचाजी ये नाटक किसलिए ये दवाई लगवाने के लिए बस.”
“अरे बहु अब कम से कम तुम मुझे अकेला तो नहीं छोडोगी .”
“ओह्ह अकेलापन लग रहा था हमारे चाचाजी को.” बोलते हुए सुरभि ने शरारत की और अपना हाथ चाचाजी की धोती में घुसा दिया और उनकी गांड को सहलाने लगी.
“बोलो तो थोड़ी दवाई अन्दर लगा दूं डांस करने लगोगे.” चाचाजी जानते थे अगर ऑइंटमेंट उनकी गांड में लगा तो बहुत तकलीफ होगी पर फिर भी बोले.”
“हमे तो सिर्फ अपनी बेटी को ख़ुशी देनी है अगर वो इससे खुश होती है तो ऐसे ही सही.”
“अरे चाचाजी आप मुझे ख़ुशी ठीक हो कर दे सकते हो बीमार बन कर नहीं कहते हुए उसने हाथ बहार निकल लिया और थोड़ी से दवाई उनकी पीठ पर लगा दी.”
“बेटी विजय को ऑफिस नहीं जाना क्या अगर नहीं जाना तो तू ही उससे थोड़ी देर के लिए कहीं भेज दे मैं तुझे इस मस्त पलंग पर चोदना चाहता हूँ.”
“अरे ऐसे कैसे मैं ...”तभी विजय अन्दर आ गए और बोला
”लग गयी दवाई”.
“हाँ.” सुरभि उठते हुए बोली
“चाचाजी अब आप टॉयलेट अकेले नहीं जायेंगे दरवाजे तक आपको सुरभि या मैं छोड़ेंगे.” चाचाजी ने सर हिलाया.
“सुनिए लंच तो हो गया क्यों न चाचाजी के लिए वो नेचुरल वाली आइसक्रीम हो जाये.” सुरभि ने कहा तो चाचाजी के लौड़े में हलचल होने लगी.
“हां यार वैसे तुम ये चाचाजी के लिए बोल रही हो या अपने लिए.”
“ही! ही!.. हाँ मुझे तो पसंद है ही पर चाचाजी को भी हॉस्पिटल के खाने से बोरियत हो गयी होगी इसलिए मैंने बोला और फिर कल तो तुम ऑफिस चले जाओगे.”
“अरे मैं तो मजाक कर रहा था मैं अभी ले कर आता हूँ.” सुरभि जानती थी की विजय को कम से कम आधा घंटा लगने वाला है. उसे अपने इस कृत्य पर शर्म भी आ रही थी पर वो भी आपनी चूत की डिमांड के आगे बेबस थी. विजय के जाते ही उसने दरवाजा बंद किया और बेडरूम में आ गयी. जैसे ही वो अन्दर पहुंची हैरान रह गयी क्योंकि चाचाजी ने अपनी धोती उतार फेंकी थी और वो अपने तन्तानाये लंड को सहला रहे थे
“कितना टाइम है हमारे पास “
“25 मिनट “
“तो फिर खड़ी क्या लंड को निहार रही है जल्दी नंगी हो कर इधर आ.” चाचाजी ने निर्देश दिया तो सुरभि के सारे कपडे एक मिनट में फर्श पर पडे थे वो चाचाजी की टांगो की ओर से बिस्तर पर चडी और उनको चुमते चुमते उनके लंड तक पहुंची उसने बड़े प्यार से उनके लंड को हाथ में ले कर सहलाया फिर हलके से किस किया फिर थोडा सा मुह में भरा थोड़ी से चुस्की ली फिर आगे बड गयी चाचाजी पीठ के बल लेते आनंद के सागर में गोते खाने लगा
“वाह बेटी मस्त करती हो तुम.”
“अरे चाचाजी पीठ पर दवाई लगी थी सारी बिस्तर में पोंछ दी आपने.”
“अरे अभी तो बिस्तर पर बहुत माल गिरेगा उसे कैसे बचाएगी.” कहते हुए चाचाजी ने जोर से सुरभि को अपनी ओर खींचा जिससे सुरभि उनके ऊपर आ गिरी और उसके मादक बूब्स चाचाजी के छाती से टकरा कर पिस गए.
“अह्ह्ह बड़ी जवानी छा रही है.” सुरभि चंचलता से बोली.. अब वो चाचाजी को अपने प्रेमी तरह ट्रीट कर रही थी.
चाचाजी अपने दोनों हाथ उसकी गांड पर ले जा कर जोर से मसलते हुए बोले अरे तेरी जवानी को देख कर तो 100 साल का बुड्डा भी जवान हो जाए मैं तो अभी 60 का भी नहीं हुआ.” उनका लंड सुरभि की चूत को ठोकरे मारने लगा. फिर उन्होंने एक झटके में करवट बदलते हुए सुरभि को अपने नीचे कर दिया और उसे बेतहाशा चूमने लगे.
चूमते हुए उन्होंने कस कर उसके बूब्स को दबा दिया , सुरभि के मुह से आह निकल गयी. चाचाजी का ये जंगलीपन ही सुरभि को बहुत पसंद था. चाचाजी ने अपना हाथ नीचे ले जा कर उसकी चूत को टटोला तो उनकी उंगलियाँ उसकी चूत के रस से भीग गयी.
“तुम तो बड़ी जल्दी टपकने लगती हो.” चाचाजी के मुह से यह सुनकर सुरभि शर्मा के पानी हो गयी.
“जल्दी कर लो चाचाजी टाइम नहीं है ज्यादा.” सुरभि को बोलना ही पड़ा. हाँ बेटी चल जरा लंड को ठीक से सेट तो कर दे. सुरभि ने तुरंत अपना हाथ नीचे ले जा कर उनके थरथराते लुंड को पकड़ कर अपनी चूत के मुहाने पर टिका दिया. उसके टिकाते ही चाचाजी ने धक्का लगा कर एक शॉट में आधा लंड प्रवेश करा दिया सुरभि के मुह से फिर आह निकलने लगी आज तीसरे दिन लगातार सुरभि चाचाजी से चुदवा रही थी पर अभी भी उनका लंड उसके लिए बहुत भारी था उसके रोम रोम में लंड के घर्षण से रोमांच भर रहा था. चाचाजी ने थोडा रुक कर एक जोरदार शॉट मारा और पूरा लंड उसकी चूत में समां गया. उन्होंने फिर लय के साथ सुरभि की चूत का मर्दन करना शुरू किया जिससे सुरभि के आनंद की सीमा ना रही
“आह्ह्ह चाचाजी बहुत अच्छाह आह्ह्ह्ह .”
क्या कसी हुई चूत है बेटी लंड को मज़ा आ जाता है. बेटी कभी ऐसा लंड लिया है अपनी इस मतवाली चूत में आःह्ह्ह.”
“नहीं विजय के अलावा नहीं आह्ह्ह करिए करते रहिये.”
“ ऐसा मजा दिया है कभी विजय ने.”
“कभी नहीं आह्ह्ह जोर से करिए चाचाजी.”
“बेटी चुदाई के वक़्त गन्दी बाते करने से मजा बढता है करिए नहीं ...चोदिये, चूत, लंड ऐसे शब्दों का प्रयोग किया करो.”
“आह चाचाजी विजय आ जायेगा जल्दी जल्दी चोदिये आह .”
“ह्म्म्म ले बेटी तू कह रही है तो ये ले, और ले, और ले, जोर से ले.” चाचाजी ने अपनी स्पीड बड़ाई और दोनों आनंद के सागर में गोते खाने लगे. जब तक विजय की घर में एंट्री हुई चाचाजी ने अपनी धोती और बनियान पहन ली थी. सुरभि ने भी अपने कपडे पहन लिए थे और वो रसोई में काम करने लगी थी सब कुछ नार्मल था लग ही नहीं रहा था की कुछ मिनट पहले ही यहाँ भीषण चुदाई हुई है.
उसके बाद पूरा दिन समान्य रहा कोई जिक्र के लायक गतिविधि नहीं हुई. विजय यह देख कर खुश था की चाचाजी और सुरभि अब काफी खुल कर एक दुसरे से बात कर रहे है. रात के खाने के बाद सुरभि ने अपनी nighty पहन ली थी जो की वो रोज़ पहनती है nighty केवल घुटनों तक आती थी और स्लीवेलेस थी उस ड्रेस में उसको देखते ही मर्दों का लंड खड़ा होना स्वाभाविक था. विजय थोडा सा परेशान हुआ जब उसने सुरभि को उस ड्रेस में देखा पर वो सुबह बड़ी बड़ी बातें कर चुका था इसलिए वो कुछ बोला नहीं पर उसको तब सुकून मिला जब चाचाजी ने कोई रिएक्शन ही नहीं दिया वो ऐसे रियेक्ट कर रहे थे जैसे सब नार्मल था. जब एक दो बार सुरभि चाचाजी के पास से आ कर चली गयी तो विजय ने सोचा की वो खामखाँ ही चिंतित हो रहा था. चाचाजी जानते थे की विजय उनकी ओर देख रहा है इसलिए उनके लंड में हलचल मचते हुए भी उन्होंने कोई रिएक्शन नहीं दी. वो तो सुरभि को ऐसे ही रूप में देखना चाहते थे. तीनो बेडरूम में आ गए थे. एसी चालू था इसलिए दरवाज़ा बंद कर लिया था टॉयलेट के तरफ वाले कोने में चाचाजी, बीच में विजय और दुसरे कोने पर सुरभि लेट गए थे. दोपहर को सबने आराम कर लिया था इसलिए नींद किसी को नहीं आ रही थी. विजय अपना लैपटॉप ले कर ऑफिस के काम में व्यस्त हो गया था और सुरभि भी अपने whatsapp मेसेज पड़ रही थी.
“अरे बेटा विजय कोई फिल्म ही लगा दे अभी नींद तो नहीं आ रही है. तुम दोनों तो अपने अपने काम में बिजी हो गए हो.”
“हाँ चाचाजी लगा देता हूँ पर मुझे तो ऑफिस का काम निपटाना है कल सुबह रिपोर्ट सबमिट करनी है.”
“कोई बात नहीं बेटा तुम अपना काम करो हम और सुरभि बेटी फिल्म देख लेंगे, और सुरभि बेटी अपना मोबाइल इस्तेमाल ही करना है तो एक दो वो क्या कहते सेल्फी, हमारे साथ भी ले लो.
“ हाँ सुरभि ये बात सही है चाचाजी की फोटो ले लो यादगार रहेगी.” विजय बोलते हुए ब्लू रे डिस्क पर फिल्म लगाने उठ गया. सुरभि अपनी सेक्सी नाईटी में चाचाजी की तरफ खिसक गयी. उसकी नाईटी जांघो तक ऊपर सरक गयी थी पर जिन चाचाजी ने उसे तीन दिन में तीन बार चोद लिया हो उनसे कैसी शर्म. हाँ विजय को जरूर अजीब लग रहा था हालांकि पता नहीं क्यों चाचाजी के सामने ऐसे सेक्सी कपड़ो में सुरभि को देख कर न जाने क्यों उसका ख़ुद का लंड भी हिलोरे ले रहा था. उसने खामोशियाँ फिल्म की डिस्क लगा दी सुरभि बोली
“अरे ये फिल्म तो डरावनी है न, तुम तो जानते हो रात को मुझे डर लगेगा.” विजय मुस्कुराया और बोला.
“अरे घर में दो दो मर्दों के होते हुए तुझे डर लगेगा क्या.”
“अरे बेटी डरावनी फिल्मो को देखने का अलग ही मज़ा है. हाँ विजय यही रहने दे. बेटी पहले ले ले. सुरभि बिलकुल चाचाजी के पास आ कर लगभग उन पर चढ़ गयी. विजय का तो देख कर लौड़ा खड़ा हो गया सुरभि मुह बना बना कर चाचाजी के साथ सेल्फी ले रही थी उसकी नंगी जांघ चाचाजी के नागी बाँहों से टच हो रही थी. पर वो एकदम से बेपरवाह थी. चाचाजी के धोती में हलचल मच चुकी थी विजय का लंड तो हिल ही रहा था. उसे पहली बार ये एहसास हो रहा था की सुरभि को किसी दुसरे के सामने expose करने से उसे मज़ा आ रहा है. अब वो आ कर सुरभि की जगह पर बैठ कर अपने लैपटॉप पर काम करने लगा इस तरह सुरभि अब चाचाजी और उसके बीच में आ गयी. थोड़ी देर फोटो लेने के बाद तीनो फिल्म देखने लगे. हालाँकि विजय को रिपोर्ट पूरी करनी थी इसलिए उसका मूवी में ध्यान कम था. फोटो लेने के बाद भी सुरभि चाचाजी से ज्यादा दूर नहीं खिसकी. वो थोडा सा विजय की तरफ हुई पर फिर भी उसका झुकाव चाचाजी की ओर ही था. चाचाजी के पास हॉट सुरभि और फिल्म भी रोमांटिक चल रही थी. विजय ने भी कुछ देर काम कर के लैपटॉप रख दिया और वो भी थोडा सुरभि की तरफ आ गया. सुरभि उसको फ्री हुआ देख कर उसके पास आ गयी और उसके कंधे पर पाना सर रख दिया. विजय चाचाजी की उपस्तिथि में पहले तो थोडा सकपकाया पर फिर उसने भी पडे ही प्यार से सुरभि के इर्द गिर्द अपनी बाहें लपेट दी. चाचाजी बोले
“बेटा तुम्हारा काम हो गया है तो लाइट बंद कर दो.”
“हाँ चाचाजी.” बोलते हुए लाइट बंद कर दी जिसके बाद सिर्फ टीवी की रौशनी ही कमरे में रह गयी और विजय और सुरभि एक दुसरे से और क्लोज हो गए.फिल्म के सेक्सी गाने को देख कर विजय का लंड खड़ा हो गया सुरभि ने देख कर धीरे से उस पर हाथ रख दिया. विजय ने चाचाजी की तरफ देखा जो के फिल्म देखने में मशगूल थे और सेक्सी सीन देख कर अपना लौड़ा सहला रहे थे. विजय धीरे से सुरभि के कान में फुसफुसाया
“चाचाजी का अभी भी खड़ा होता है. फिल्म देख कर उन्हें मज़ा आ रहा है .”
“तुम चाचाजी को छोड़ो और अपने इस पप्पू को देखो कही बाहर न आ जाये.” विजय ने हलके से उसकी जांघ पर हाथ रखा और शरारत करते हुए चाचाजी से आँख बचा कर एक हाथ उसकी nighty के अन्दर ले गया और उसके अचरज का ठिकाना नहीं रहा जब उसने देखा की रोज़ की तरह सुरभि ने चड्डी नहीं पहनी है. अरे रोज़ तो घर में वो दोनों अकेले रहते है तब तो ठीक है पर अब इतनी ऊँची nighty में फिर भी चड्डी नहीं पहनी और फिर भी चाचाजी के ऊपर चढ़ कर सेल्फी ले रही थी सुरभि को जरा भी डर नहीं है.
“अरे तुमने आज भी चड्डी नहीं पहनी.” विजय धीरे से बोला
“वो तो मैंने कहा था न मैं अपना रूटीन नहीं बदलूंगी.”
“अगर चाचाजी को दिख जाती तुम्हारी तो.,”
“दिख जाये तो दिख जाए, क्या होगा, बेचारे को बुढ़ापे में एक सुख मिल जायेगा और क्या.” सुरभि हलके से हंसी और उसके लंड को दबा दिया. विजय ने ऊँगली उसकी चूत में डाल कर निकाली तो उसकी ऊँगली भीग गयी थी. सुरभि के इस बोल्ड रूप से तीनो को ही मज़े आ रहे थे. चाचाजी भी चुपके चुपके उन लोगों की हरकतें देख रहे थे पर दिखा ऐसा रहे थे की फिल्म में गहन ध्यान है.
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to be continued...... Friends keep commenting please........