03-03-2019, 11:00 AM
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बीसवीं फुहार
![[Image: sixteen-desimaal1.md.jpg]](https://picsbees.com/images/2018/10/30/sixteen-desimaal1.md.jpg)
आँगन में रगड़ाई , दिनेश संग
![[Image: sixteen-male2.md.jpg]](https://picsbees.com/images/2018/10/30/sixteen-male2.md.jpg)
उसने मुझे रूई की तरह धुन दिया।
मैं कितनी बार झड़ी पर जब वह झड़ा तब तक मैं पस्त हो चुकी थी। कुछ देर बाद हल्की ठंडी बयार के साथ मेरी आँख खुली। मेरी चूचियों पर उसके मसलने के, काटने के निशान, फैली हुई जांघों और चूत पर सफेद वीर्य, लग रहा था कि वहां से कोई तूफान गुजर गया हो।
उसने मुझे सहारा देकर उठाया।
हम लोग कुछ देर बातें करते रहे।
बाहर बहुत अच्छी हवा चल रही थी। मैंने उससे कहा कि चलो बाहर चलते हैं। मैंने एक साड़ी ऐसे तैसे लपेट ली और आंगन में उसके साथ आ गयी। सफ़ेद बादल के टुकड़ों से आसमान भरा था और ठंडी पुरवाई चल रही थी। भाभी के घर के आंगन में एक बड़ा सा नीम का पेड़ था उसकी मोटी डाल पर रस्सी का एक झूला पड़ा था।
![[Image: Rain-18-db8d7502efd394f7654efcb0ba911d83.jpg]](https://picsbees.com/images/2018/10/30/Rain-18-db8d7502efd394f7654efcb0ba911d83.jpg)
मैं उसपे बैठ गयी और मैंने, दिनेश से इसरार किया कि मुझे झुलाये। वह मेरे पीछे जमीन पर खड़ा होकर झुला रहा था।
कुछ हवा का झोंका और कुछ उसकी शरारत, मेरा आंचल हट गया और मेरे उभार एकदम खुल गये।
मैंने उन्हें ढकने की कोशिश की पर उसने मना कर दिया और मुझे टापलेश ढंग से ही आंगन में झुलाता रहा।
![[Image: topless-8.md.jpg]](https://picsbees.com/images/2018/10/30/topless-8.md.jpg)
थोड़ी देर में सांवन बूंदियां पड़ने लगी और मैं उठ गयी पर उसने कहा नहीं झुलो ना और मेरे बची खुची साड़ी भी पकड़कर खींच दी और वैसे ही झूले पे बैठा दिया।
रस्सी मेरे कोमल चूतड़ में गड़ रही थी लेकिन उसने कस-कस के पेंग देनी शुरू कर दी। मुझे याद आया कि पूरबी ने जो बताया था कि दिन में मायके आने से पहले उसने अपने साजन के साथ कैसे झूला झुला था।
झुलाते समय कभी दिनेश मेरी चूचियां दबा देता, कभी जांघों के बीच सहला देता। मैंने उसको अपने मन की बात कान में बताई तो वह तुरंत मुझे हटाकर झूले पे आ गया।
पानी की बूंदे अब तेज हो चुकी थीं। दिनेश जब झूले पे बैठा तो उसके टांगों के बीच, खूब लंबा मोटा, विशालकाय खूंटे जैसा, लण्ड… मेरा तो दिल धक्क से रह गया, इतना बड़ा… और कितना… मोटा पर हिम्मत करके मैंने उसे पकड़ लिया और उसे चिढ़ाया- “क्यों, ये आदमी का है, कि गधे का…”
![[Image: sixteen-cutcock2.md.jpg]](https://picsbees.com/images/2018/10/30/sixteen-cutcock2.md.jpg)
मुश्कुराकर वह बोला- “पसंद तो है ना…”
मेरे किशोर गोरे-गोरे हाथों की गरमी पाकर वह एकदम खड़ा हो गया था और अब इत्ता फूल गया था कि मेरी मुट्ठी में नहीं समा पा रहा था। मैंने उसे कस के खींचा तो ऊपर का चमड़ा हट गया और पूरा सुपाड़ा खुल गया।
जैसे एकदम गुस्से में हो… लाल लाल… खूब बड़े पहाडी आलू जैसा।
मैंने बात बदलकर पूछा- “तुम मेरे पीछे से क्यों आये… मेरा मतलब है…”
“इसलिये मेरी जान…” मेरे गाल चूमते हुये वो बोला- “कि कहीं तुम उसे देखकर डर ना जाओ, और फिर… इसका क्या होता…”
बात उसकी सही थी… किसी लड़की का भी दिल दहल जाता… पर एक बार लेने के बाद कौन मना कर सकता था। मैं उसका लण्ड पकड़कर सहला, मसल रही थी पर सुपाड़ा उसी तरह खुला हुआ था।
“आओ ना…” अब वह बेताब हो रहा था। उसने मेरी दोनों टांगें खूब अच्छी तरह फैलाकर मुझे झूले पे अपनी गोद में बिठा लिया। मेरे चूतड़ उसकी जांघों पे थे और उसका बेताब सुपाड़ा मेरी चूत को रगड़ रहा था।
मैंने दोनों हाथों से कसकर झूले की रस्सी पकड़ ली। उसने अपने दोनों मजबूत हाथों में पकड़कर मुझे अपनी ओर कसकर खींचा और मेरे रसीले गाल कसकर काट लिये। मेरे उभरे जोबन उसकी चौड़ी छाती से कस के दब गये थे। मेरी टांगें उसकी कमर के दोनों ओर फैलीं थी इसलिये चूत का मुँह वैसे ही थोड़ा फैला था।
![[Image: Fucking-sitting-tumblr-p6ec4psaav1wbcwmvo1-400.gif]](https://i.ibb.co/261KX8v/Fucking-sitting-tumblr-p6ec4psaav1wbcwmvo1-400.gif)
उसने अपने एक हाथ से मेरे भगोष्ठों को खूब जबरन फैलाया और फिर अपना सुपाड़ा सेंटर करके कस के मेरे चूतड़ पकड़कर धक्का दिया। मैंने भी हिम्मत करके रस्सी पकड़कर अपनी कमर को जोर से उसकी ओर पुश किया… एक हाथ कमर पे और दूसरा मेरे चूतड़ को पकड़कर उसने पूरी ताकत से धक्का दिया और दो-तीन बार में मेरी कसी चूत पूरा सुपाड़ा गप्प कर गयी।
![[Image: fucking-hard-bw-G.gif]](https://i.ibb.co/vLQMZ3c/fucking-hard-bw-G.gif)
हवा तेज हो चली थी, इसलिये बौछार खूब कस-कसकर हम लोगों की देह पे पड़ रही थी।
नीम का पेड़ भी झूम रहा था, और आंगन की उंची दीवालों के पार, हरे-हरे पेड़ खूब कसकर झूम रहे थे, घने काले बादल उमड़ घुमड़ रहे थे
![[Image: rain-erotic-d7539f4b14ddebb78b97a43906707a88.gif]](https://i.ibb.co/ZHzqkTQ/rain-erotic-d7539f4b14ddebb78b97a43906707a88.gif)
और मौसम की इस मस्ती में भीगते हुये, दिनेश खूब जोर से पेंग लगाता, जब झूला ऊपर जाता तो वो लण्ड थोड़ा बाहर खींच लेता और जैसे ही वह नीचे आता, वह पूरी ताकत से कस के धक्के के साथ लण्ड अंदर करता, और मैं भी अपनी ओर से धक्का लगाकर उसका पूरा साथ देती।
![[Image: Fucking-G-ruff-tumblr_pffr6i0SmZ1vz5sogo1_500.gif]](https://picsbees.com/images/2018/10/30/Fucking-G-ruff-tumblr_pffr6i0SmZ1vz5sogo1_500.gif)
झूले पे इस तरह झूलते, बारिश में भीगते, चुदाई का मजा लेते, हम दोनों एक दूसरे को चूम रहे थे, दबा रहे थे।
![[Image: sixteen-desimaal1.md.jpg]](https://picsbees.com/images/2018/10/30/sixteen-desimaal1.md.jpg)
आँगन में रगड़ाई , दिनेश संग
![[Image: sixteen-male2.md.jpg]](https://picsbees.com/images/2018/10/30/sixteen-male2.md.jpg)
उसने मुझे रूई की तरह धुन दिया।
मैं कितनी बार झड़ी पर जब वह झड़ा तब तक मैं पस्त हो चुकी थी। कुछ देर बाद हल्की ठंडी बयार के साथ मेरी आँख खुली। मेरी चूचियों पर उसके मसलने के, काटने के निशान, फैली हुई जांघों और चूत पर सफेद वीर्य, लग रहा था कि वहां से कोई तूफान गुजर गया हो।
उसने मुझे सहारा देकर उठाया।
हम लोग कुछ देर बातें करते रहे।
बाहर बहुत अच्छी हवा चल रही थी। मैंने उससे कहा कि चलो बाहर चलते हैं। मैंने एक साड़ी ऐसे तैसे लपेट ली और आंगन में उसके साथ आ गयी। सफ़ेद बादल के टुकड़ों से आसमान भरा था और ठंडी पुरवाई चल रही थी। भाभी के घर के आंगन में एक बड़ा सा नीम का पेड़ था उसकी मोटी डाल पर रस्सी का एक झूला पड़ा था।
![[Image: Rain-18-db8d7502efd394f7654efcb0ba911d83.jpg]](https://picsbees.com/images/2018/10/30/Rain-18-db8d7502efd394f7654efcb0ba911d83.jpg)
मैं उसपे बैठ गयी और मैंने, दिनेश से इसरार किया कि मुझे झुलाये। वह मेरे पीछे जमीन पर खड़ा होकर झुला रहा था।
कुछ हवा का झोंका और कुछ उसकी शरारत, मेरा आंचल हट गया और मेरे उभार एकदम खुल गये।
मैंने उन्हें ढकने की कोशिश की पर उसने मना कर दिया और मुझे टापलेश ढंग से ही आंगन में झुलाता रहा।
![[Image: topless-8.md.jpg]](https://picsbees.com/images/2018/10/30/topless-8.md.jpg)
थोड़ी देर में सांवन बूंदियां पड़ने लगी और मैं उठ गयी पर उसने कहा नहीं झुलो ना और मेरे बची खुची साड़ी भी पकड़कर खींच दी और वैसे ही झूले पे बैठा दिया।
रस्सी मेरे कोमल चूतड़ में गड़ रही थी लेकिन उसने कस-कस के पेंग देनी शुरू कर दी। मुझे याद आया कि पूरबी ने जो बताया था कि दिन में मायके आने से पहले उसने अपने साजन के साथ कैसे झूला झुला था।
झुलाते समय कभी दिनेश मेरी चूचियां दबा देता, कभी जांघों के बीच सहला देता। मैंने उसको अपने मन की बात कान में बताई तो वह तुरंत मुझे हटाकर झूले पे आ गया।
पानी की बूंदे अब तेज हो चुकी थीं। दिनेश जब झूले पे बैठा तो उसके टांगों के बीच, खूब लंबा मोटा, विशालकाय खूंटे जैसा, लण्ड… मेरा तो दिल धक्क से रह गया, इतना बड़ा… और कितना… मोटा पर हिम्मत करके मैंने उसे पकड़ लिया और उसे चिढ़ाया- “क्यों, ये आदमी का है, कि गधे का…”
![[Image: sixteen-cutcock2.md.jpg]](https://picsbees.com/images/2018/10/30/sixteen-cutcock2.md.jpg)
मुश्कुराकर वह बोला- “पसंद तो है ना…”
मेरे किशोर गोरे-गोरे हाथों की गरमी पाकर वह एकदम खड़ा हो गया था और अब इत्ता फूल गया था कि मेरी मुट्ठी में नहीं समा पा रहा था। मैंने उसे कस के खींचा तो ऊपर का चमड़ा हट गया और पूरा सुपाड़ा खुल गया।
जैसे एकदम गुस्से में हो… लाल लाल… खूब बड़े पहाडी आलू जैसा।
मैंने बात बदलकर पूछा- “तुम मेरे पीछे से क्यों आये… मेरा मतलब है…”
“इसलिये मेरी जान…” मेरे गाल चूमते हुये वो बोला- “कि कहीं तुम उसे देखकर डर ना जाओ, और फिर… इसका क्या होता…”
बात उसकी सही थी… किसी लड़की का भी दिल दहल जाता… पर एक बार लेने के बाद कौन मना कर सकता था। मैं उसका लण्ड पकड़कर सहला, मसल रही थी पर सुपाड़ा उसी तरह खुला हुआ था।
“आओ ना…” अब वह बेताब हो रहा था। उसने मेरी दोनों टांगें खूब अच्छी तरह फैलाकर मुझे झूले पे अपनी गोद में बिठा लिया। मेरे चूतड़ उसकी जांघों पे थे और उसका बेताब सुपाड़ा मेरी चूत को रगड़ रहा था।
मैंने दोनों हाथों से कसकर झूले की रस्सी पकड़ ली। उसने अपने दोनों मजबूत हाथों में पकड़कर मुझे अपनी ओर कसकर खींचा और मेरे रसीले गाल कसकर काट लिये। मेरे उभरे जोबन उसकी चौड़ी छाती से कस के दब गये थे। मेरी टांगें उसकी कमर के दोनों ओर फैलीं थी इसलिये चूत का मुँह वैसे ही थोड़ा फैला था।
![[Image: Fucking-sitting-tumblr-p6ec4psaav1wbcwmvo1-400.gif]](https://i.ibb.co/261KX8v/Fucking-sitting-tumblr-p6ec4psaav1wbcwmvo1-400.gif)
उसने अपने एक हाथ से मेरे भगोष्ठों को खूब जबरन फैलाया और फिर अपना सुपाड़ा सेंटर करके कस के मेरे चूतड़ पकड़कर धक्का दिया। मैंने भी हिम्मत करके रस्सी पकड़कर अपनी कमर को जोर से उसकी ओर पुश किया… एक हाथ कमर पे और दूसरा मेरे चूतड़ को पकड़कर उसने पूरी ताकत से धक्का दिया और दो-तीन बार में मेरी कसी चूत पूरा सुपाड़ा गप्प कर गयी।
![[Image: fucking-hard-bw-G.gif]](https://i.ibb.co/vLQMZ3c/fucking-hard-bw-G.gif)
हवा तेज हो चली थी, इसलिये बौछार खूब कस-कसकर हम लोगों की देह पे पड़ रही थी।
नीम का पेड़ भी झूम रहा था, और आंगन की उंची दीवालों के पार, हरे-हरे पेड़ खूब कसकर झूम रहे थे, घने काले बादल उमड़ घुमड़ रहे थे
![[Image: rain-erotic-d7539f4b14ddebb78b97a43906707a88.gif]](https://i.ibb.co/ZHzqkTQ/rain-erotic-d7539f4b14ddebb78b97a43906707a88.gif)
और मौसम की इस मस्ती में भीगते हुये, दिनेश खूब जोर से पेंग लगाता, जब झूला ऊपर जाता तो वो लण्ड थोड़ा बाहर खींच लेता और जैसे ही वह नीचे आता, वह पूरी ताकत से कस के धक्के के साथ लण्ड अंदर करता, और मैं भी अपनी ओर से धक्का लगाकर उसका पूरा साथ देती।
![[Image: Fucking-G-ruff-tumblr_pffr6i0SmZ1vz5sogo1_500.gif]](https://picsbees.com/images/2018/10/30/Fucking-G-ruff-tumblr_pffr6i0SmZ1vz5sogo1_500.gif)
झूले पे इस तरह झूलते, बारिश में भीगते, चुदाई का मजा लेते, हम दोनों एक दूसरे को चूम रहे थे, दबा रहे थे।
![[Image: sixteen-tumblr_na1d43OmWj1tp8drro1_1280.md.jpg]](https://picsbees.com/images/2018/10/30/sixteen-tumblr_na1d43OmWj1tp8drro1_1280.md.jpg)