02-03-2019, 08:21 PM
अगली सुबह
और अब जब मैं झड़ी , तो बाहर आसमान में हलकी लाली हो रही थी।
रात कब की जा चुकी थी।
हम दोनों साथ साथ झड़ते रहे। देर तक।
फिर मैं उन्हें अपनी बाहों में बांधे बांधे सो गयी ,
और देर तक सोती रही।
बेड टी ,गरम गरम चाय की आवाज से नींद खुली।
साढ़े नौ बज रहे थे।
वो चाय की ट्रे के साथ , चाय एकदम वैसी जैसे मुझे पसंद थी , खूब गरम , खूब कड़क। साथ में बिस्किट।
............................
चाय हम दोनों ने बिस्तर पे साथ साथ पी ,और फिर मैंने 'उनका नाश्ता 'कर लिया।
और मैंने बेईमानी नहीं की , उन्हें भी खूब 'रबड़ी मलाई ' खिलाई।
उनके ऊपर चढ़ के , चेहरे पे बैठ के ,फेस सिटिंग ,
सीधे अपनी चूत से , आखिर उन्ही की रबड़ी मलाई थी।
" हे मुझे अभी नींद आ रही है , डेढ़ दो घंटे बाद , ब्रेकफास्ट यही "
मैं सो गयी और वो किचेन में।
११ बजे उन्होंने उठाया ,
आमलेट , एकदम परफेक्ट , टोस्ट और फ्रेश मैंगो जूस।
खाना बनाने में मैंने उनका साथ दिया लेकिन काम सब उन्होंने ही किया।
तीन दिन में वो एकदम परफेक्ट हो गए , किचेन में भी ,बेड पर भी।
मंडे के दिन जब वो आफिस जा रहे थे , हग और किस के साथ मैंने देखा ,
उनके माथे पे बड़ी सी लाल बिंदी अभी भी दमक रही थी।
" अरे ये निकाल दो , घर के लिए ठीक है , लेकिन,… "
और बिंदी मैंने उनके माथे से निकाल दी।
आफ कोर्स मेरी पायल अभी भी उनके पैर में थी , मोज़े के अंदर , देह का हिस्सा बनी।
और मेरी पैंटी भी जो मैंने पिछले दो दिनों से पहनी थी ( और मम्मी कीआइडिया थी ,थोड़ी स्वायल्ड भी हो तो ,और , … मम्मी की बात तो मैं टालती नहीं ) मेरी देह गंध और देह रस की उन्हें याद दिलाती।
" हे लेकिन अब तो तुम जोरू के गुलाम के साथ , तो ,… फिर तो कोई तो सुहाग की निशानी होनी चाहिए न तेरी देह पे , और मैंने अपने पाँव से बिछुआ निकाल
केउन्हें पहना दिया।
सवा बारह बजे उनकी मंडे मीटिंग शुरू होती थी , उस के आधे घंटे पहले से ,… कोई भी फोन ,एस एम एस कोई सोच भी नहीं सकता था।
ठीक बारह बजे मैंने फोन किया। [
आफिस में भी ,
और अब जब मैं झड़ी , तो बाहर आसमान में हलकी लाली हो रही थी।
रात कब की जा चुकी थी।
हम दोनों साथ साथ झड़ते रहे। देर तक।
फिर मैं उन्हें अपनी बाहों में बांधे बांधे सो गयी ,
और देर तक सोती रही।
बेड टी ,गरम गरम चाय की आवाज से नींद खुली।
साढ़े नौ बज रहे थे।
वो चाय की ट्रे के साथ , चाय एकदम वैसी जैसे मुझे पसंद थी , खूब गरम , खूब कड़क। साथ में बिस्किट।
............................
चाय हम दोनों ने बिस्तर पे साथ साथ पी ,और फिर मैंने 'उनका नाश्ता 'कर लिया।
और मैंने बेईमानी नहीं की , उन्हें भी खूब 'रबड़ी मलाई ' खिलाई।
उनके ऊपर चढ़ के , चेहरे पे बैठ के ,फेस सिटिंग ,
सीधे अपनी चूत से , आखिर उन्ही की रबड़ी मलाई थी।
" हे मुझे अभी नींद आ रही है , डेढ़ दो घंटे बाद , ब्रेकफास्ट यही "
मैं सो गयी और वो किचेन में।
११ बजे उन्होंने उठाया ,
आमलेट , एकदम परफेक्ट , टोस्ट और फ्रेश मैंगो जूस।
खाना बनाने में मैंने उनका साथ दिया लेकिन काम सब उन्होंने ही किया।
तीन दिन में वो एकदम परफेक्ट हो गए , किचेन में भी ,बेड पर भी।
मंडे के दिन जब वो आफिस जा रहे थे , हग और किस के साथ मैंने देखा ,
उनके माथे पे बड़ी सी लाल बिंदी अभी भी दमक रही थी।
" अरे ये निकाल दो , घर के लिए ठीक है , लेकिन,… "
और बिंदी मैंने उनके माथे से निकाल दी।
आफ कोर्स मेरी पायल अभी भी उनके पैर में थी , मोज़े के अंदर , देह का हिस्सा बनी।
और मेरी पैंटी भी जो मैंने पिछले दो दिनों से पहनी थी ( और मम्मी कीआइडिया थी ,थोड़ी स्वायल्ड भी हो तो ,और , … मम्मी की बात तो मैं टालती नहीं ) मेरी देह गंध और देह रस की उन्हें याद दिलाती।
" हे लेकिन अब तो तुम जोरू के गुलाम के साथ , तो ,… फिर तो कोई तो सुहाग की निशानी होनी चाहिए न तेरी देह पे , और मैंने अपने पाँव से बिछुआ निकाल
केउन्हें पहना दिया।
सवा बारह बजे उनकी मंडे मीटिंग शुरू होती थी , उस के आधे घंटे पहले से ,… कोई भी फोन ,एस एम एस कोई सोच भी नहीं सकता था।
ठीक बारह बजे मैंने फोन किया। [
आफिस में भी ,