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Adultery बीवी की पार्टी
#27
राजेश के ऐसा करते ही रेनू ओवरएग्ज़्साइट्मेंट मे एक बार फिर से झड जाती है. इस बार रेनू राजेश के लंड पर झड रही थी. रेनू से अब खड़ा नहीं रहा जा रहा था. वो झड़ती हुई अपनी टांगे खोले ही नीचे बैठने लगती है लेकिन राजेश उसकी बाजू पकड़े उसे खड़ा रखता है.

राजेश:- रेनू देखो तुम्हारी चूत अपने रस से मेरे लौड़े को कैसे नहला रही है

रेनू राजेश के मूह से ऐसी बात सुन कर फिर से शरमा जाती है..

अब रेनू एक बार फिर से खड़ी होने की कोशिश करती है. कैसे जैसे रेनू खड़ी होती है लेकिन राजेश फिर से रेनू को आगे की ओर झुका देता है.

रेनू आगे झुकते हुए गिरने वाली होती है लेकिन राजेश रेनू को पकड़े रखता है. रेनू अभी सम्भल ही रही थी कि राजेश उसकी चूत पर अपना लंड घिसने लगता है. राजेश पीछे से धक्के मारने लगता है. राजेश के धक्कों से रेनू की चूत फड्फडा रही थी. रेनू को एक अद्भुत मज़ा आ रहा था लेकिन उसका शरीर बिल्कुल कमजोर था. रेनू काँप रही थी और राजेश उसकी चूत के उपर से अपना लंड रगड़ रहा था.

एक बार फिर से रेनू गरम हो गयी थी और धीरे-धीरे अपने ऑर्गॅज़म की तरफ बढ़ने लगी थी. रेनू राजेश को बार बार मना कर रही थी.

रेनू: रुक जाओ.. प्लीज़ रुक जाओ.. में बर्दाश्त नहीं कर सकती..

लेकिन राजेश बिना रेनू की एक बात सुने लगातार रेनू की चूत पर धक्के मार रहा था. करीब 3-4 मिनिट बाद रेनू की टांगे एक बार फिर से काँपने लगी उसका बदन अकड़ने लगा. रेनू अपनी गर्दन उपर की ओर करके एक लंबी आहह भरते हुए राजेश के लंड पर झड़ने लगी.

रेनू के झड़ने के बाद राजेश रेनू को धीरे-धीरे अपनी पकड़ से आज़ाद कर देता है. रेनू आज़ाद होने के साथ ही धीरे-धीरे नीचे फर्श पर बैठ जाती है.

रेनू बहुत ज़्यादा थक चुकी थी तो राजेश बेड के दूसरी साइड जाकर पानी का ग्लास लाकर अपने हाथ से रेनू को पानी पिलाता है. रेनू राजेश के हाथों से पानी पी रही थी. रेनू राजेश को ऐसे पानी पिला रहा था जिसे देख कर रेनू को राजेश पर बहुत प्यार आता है. पानी पीने के बाद रेनू राजेश से..


रेनू: पहले खुद मेरी हालत ऐसी करते हो फिर प्यार जताते हो. आख़िर कैसे आदमी हो तुम. में तुम्हे कभी सोचती हूँ कि समझने लगी हूँ तो कभी तुम बिल्कुल समझ के बाहर हो जाते हो..
 
राजेश: तू सिर्फ़ इतना समझ ले कि मैं  तुझे बहुत प्यार करता हूँ.

रेनू: आख़िर ये कैसा प्यार है. तुम मुझसे प्यार करते हो लेकिन मैं तो एक शादी शुदा औरत हूँ और तुम भी तो शादी शुदा आदमी हो.

राजेश: तो क्या हुआ. मैं तुमसे प्यार करता हूँ और दिव्या से भी बहुत प्यार करता हूँ. एक आदमी शादी तो एक औरत से कर सकता है लेकिन प्यार तो कई औरतों से कर सकता है. क्या शादी का मतलब ये है की मैं तुम्हे चोद नहीं सकता? 

रेनू राजेश की डाइरेक्ट बात सुन कर पानी पानी हो जाती है. नीचे से तो थी ही पानी पीकर अंदर से भी हो गयी थी. राजेश की बात सुन कर वो बिल्कुल शर्म से नहा जाती है..

तभी राजेश पानी का ग्लास वापस रख कर रेनू के पास आता है और अपना लंड रेनू के होंटो के पास ले जाता है.

राजेश: चल मूह खोल और साबित कर मुझसे प्यार करती है कि नही.

रेनू: अपना मुह दूसरी ओर कर लेती है..

राजेश रेनू को अपना मूह दूसरी ओर करते देख अपने लंड से उसके गाल पर स्लॅप मारता है. और अपना लंड धीरे-धीरे रेनू के गोरे गालों पर रगड़ ने लगता है पर रेनू मुह नहीं खोलती.

धीरे-धीरे राजेश अपना लंड रेनू के होंटो के बाहर रगड़ता हुआ बोलता है.. चल मूह खोल और रेनू धीरे-धीरे राजेश के दबाव मे अपना मूह खोलने लगती है कि राजेश का सुपाडा रेनू के मूह मे घप से घुस जाता है.

हालाँकि राजेश का बड़ा सा चूत ख़ाता पीता लंड रेनू के मूह मे बड़ी मुश्किल से घुस पा रहा था फिर भी रेनू के गरम मूह मे राजेश अपने लंड का सुपाडा डालने मे सफल हो गया था..

अब राजेश धीरे-धीरे अपनी कमर हिला कर रेनू का मूह चोदने लगता है और रेनू अपने हाथों से राजेश का हलब्बी  लंड पकड़ कर अपने मूह मे चूस रही थी.

अभी थोडा सा लंड ही रेनू के मूह मे था लेकिन 3-4 मिनिट की मुख चुदाई के बाद राजेश अच्छे से रेनू का मूह चोद रहा था..

रेनू के मूह में राजेश का लंड ठीक से जा भी नही पा रहा था. हालाँकि कभी-कभी मनीष रेनू को अपना लंड चूसने के लिए ज़ोर ज़बरदस्ती करता था इसलिए रेनू को लंड चूसने से परहेज हो ऐसा भी नही था. लेकिन राजेश के लंड का साइज़ रेनू के मुँह के लिए बहुत ज़्यादा था. अभी भी रेनू को राजेश के लंड के सुपाडे से ज़्यादा लंड मूह मे लेने में दिक्कत हो रही थी. लेकिन राजेश अब बहुत बैचैन हो चुका था..

राजेश रेनू के सर के पीछे हाथ ले जा कर अपनी कमर से हल्के-हल्के धक्के लगाने लगता है. जब रेनू के जबड़े में दर्द होने लगा तो वो पीछे होने लगी लेकिन राजेश ने रेनू के सर को पकड़ कर एक बार ज़ोर से धक्का मारा कि राजेश का 3.5-4 इंच लंड रेनू के मूह मे चला गया. राजेश के धक्का देते ही रेनू उउउम्म्म्म ह्म करके उंघने लगती है.

राजेश अपना लंड हल्का सा बाहर निकाल कर फिर से उतना ही लंड वापस अंदर डाल देता है. रेनू का जबड़ा बुरी तरह से दुख रहा था तो रेनू अपना मूह ढीला छोड़ देती थी जिस से कभी-कभी रेनू के दाँत राजेश के लंड को लगने लगे. जिस से राजेश के लंड मे दर्द होने लगा तो राजेश ने अपना लंड रेनू के मूह से बाहर निकाल लिया. रेनू एक बार आराम से बैठ कर अपने जबड़े को रिलॅक्स करने लगती है. और राजेश अपने लंड को देखने लगता है. राजेश के लंड पर रेनू की लिपस्टिक लगी हुई थी और कहीं-कहीं पर रेनू के दाँत भी लगे हुए थे. कि रेनू खुद को रिलॅक्स करके राजेश की ओर देखते हुए बोलती है..

रेनू: जानवर कहीं केपता भी है मेरा मूह दुखने लगा था. और तुम ज़बरदस्ती..

राजेश रेनू की बात काटते हुए..

राजेश: जानवर कहीं की तुझे पता भी है मुझे कितना दर्द हो रहा है..

रेनू राजेश के मूह से जानवर सुन कर राजेश की ओर गुस्से से देखने लगती है. राजेश अपना लंड रेनू को दिखाने लगता है..

राजेश: देखो तुम्हारे दाँतों के निशान. कितना जल रहा है तुझे इसकी सज़ा तो मिलेगी.

रेनू राजेश के लंड की ओर देखती है तो उसे अपनी लिपस्टिक राजेश के लंड के चारों ओर दिखती है. वो भी उसके आधे से कम लंड पर थी. जिसका मतलब सॉफ था कि रेनू ने अभी तक राजेश का आधा लंड भी मूह मे नहीं लिया था कि उसका जबड़ा दुखने लगा. रेनू राजेश के हलब्बी लंड  को देख कर यही सोच रही थी कि वो इसे चूत में कैसे ले पाऊंगी. इसे तो मूह में भी नहीं ले पा रही हूँ ठीक से..

राजेश एक बार फिर से रेनू के पास जाकर रेनू के मूह के पास अपना लंड करता है कि. रेनू अपना मूह दूसरी ओर कर लेती है..


राजेश: देखो रेनू इस वक़्त में बिल्कुल भी खेलने के मूड मे नहीं हूँ. फटाफट इसे ठंडा करो नहीं तो..

रेनू राजेश की बात को बीच मे काट कर..

रेनू: मुझसे नहीं होगा. ये मेरे मूह में नहीं जाएगा राजेश. आपका बहुत बड़ा है. आप समझते क्यूँ नहीं.

राजेश: अगर तू मूह मे नहीं लेगी तो फिर इसे चूत में डाल देता हूँ. वैसे भी अभी नहीं तो 10-15 मिनिट मे तो डालना है ही..

रेनू: (डर कर) नहीं नहीं बिल्कुल भी नहीं राजेश मैं इसे नहीं ले पाऊंगी. मुझे माफ़ करदो. आप समझने की कोशिश करो. आपका ये बहुत बड़ा है.

चटाअक्ककककककक…… राजेश एक ज़ोर दार झापड़ रेनू के गाल पर जड़ देता है.

राजेश: साली कब से प्यार से समझा रहा हूँ लेकिन तुझको समझ ही नहीं आता. बहन की लोडी नाटक किए जा रही है. चल मूह खोल चुपचाप और इस बार नाटक किया ना तो मूह में नहीं गान्ड मे डाल दूँगा समझी.

रेनू राजेश के चान्टे से बोखला जाती है. चान्टा भी धीरे से नहीं था राजेश की उंगलियाँ रेनू के गालों पर देखी जा सकती थी.

रेनू की आँखों मे आँसू आजाते है. रेनू रोते हुए..

रेनू: मुझसे नहीं होगा. मुझे माफ़ करदो..

राजेश की आँखें इस वक़्त बुरी तरह से लाल हो चुकी थी. राजेश पर रेनू के आँसुओं का कोई फ़र्क नहीं पड़ रहा था. उसे तो बस किसी भी तरह अपनी हवस शांत करनी थी. राजेश आगे बढ़ता है और रेनू के बालों को पकड़ कर बोलता है मूह खोल अपना नहीं तो...
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