10-07-2020, 01:51 AM
राजेश (मुस्कुराता हुआ): तुम दूसरी कहा हो तुम तो अपनी ही हो और मैं तो खूबसूरत औरतों के साथ ऐसे ही करता हूँ मेरी जान.
रेनू: मैं नहीं हूँ आपकी जान…. आपकी जान आपकी बीवी दिव्या है …
राजेश: इस वक़्त तो मुझे तो तुम चाहिए..
रेनू शरमाते हुए … क्यूँ… मुझमे ऐसा क्या है..
राजेश रेनू का सवाल सुन कर रेनू की और आगे बढ़ते हुए बोलता है तुम मे ऐसा क्या है..
राजेश को आगे बढ़ता देख रेनू भी धीरे धीरे पीछे की ओर चलने लगती है..
तभी रेनू के पीछे दीवार आ जाती है.. रेनू एक दम से रुक जाती है… उसके चेहरे पर थोड़ी सी हवस, थोड़ा सा डर और थोड़ी सी शर्म तीनो का मिला जुला रंग देखा जा सकता था …
राजेश रेनू के होंटो को छूते हुए बोलता है " तुम्हारे ये गुलाबी होंठ मुझे मदमस्त कर देते है. तुम्हारी ये आँखे मुझे मेरे होने का एहसास दिलाती है. तुम्हारे ये लंबे घने बाल मुझे तुम्हारी ओर खींच लाने वाली रस्सी जैसे लगते है." ऐसा बोलते हुए राजेश रेनू के होंठो को किस करने को झुकता है कि रेनू तुरंत अपनी गर्दन घुमा लेती है.
रेनू: उफ़ इतनी फिल्मी बाते… ऐसा कह कर रेनू मुस्स्कुराने लगती है..
राजेश: "अच्छा अगर ये सब फिल्मी है तो और सुनो. तुम्हारा ये दूध जैसा गोरा रंग मुझे तुम में डूब जाने को मजबूर करता है. तुम्हारी ये पतली क़मर मेरे दिल को झूमने को मजबूर कर देती है. तुम्हारी ये बड़ी बड़ी चूंचियाँ मुझे मेरे भूखे होने का एहसास दिलाती है और इनमे आने वाला दूध में बेसबरों की तरह पीना चाहता हूँ"
रेनू राजेश के मूह से अपने हुस्न ख़ास तौर पर अपने बूब्स की तारीफ़ और उनके लिए उसकी तड़प सुन कर और मचल उठती है. उसके मूह से एक सिसकी निकल जाती है और नतीजा दवा उस पर और हावी हो जाती है और रेनू की बुर से पानी बहने लगता है..
रेनू खुद को संभालते हुए..
रेनू: आप अकाउंटेंट है या कोई सडक छाप पोएट…अब आप जाइये. मनीष कभी भी आ जायेगा.
राजेश उसकी बात अनसुनी करके रेनू के चेहरे को पकड़ कर उसकी आँखों मे देखने लगता है… और धीरे धीरे अपने होंठ रेनू के होंठो पर रख देता है..
रेनू: मैं नहीं हूँ आपकी जान…. आपकी जान आपकी बीवी दिव्या है …
राजेश: इस वक़्त तो मुझे तो तुम चाहिए..
रेनू शरमाते हुए … क्यूँ… मुझमे ऐसा क्या है..
राजेश रेनू का सवाल सुन कर रेनू की और आगे बढ़ते हुए बोलता है तुम मे ऐसा क्या है..
राजेश को आगे बढ़ता देख रेनू भी धीरे धीरे पीछे की ओर चलने लगती है..
तभी रेनू के पीछे दीवार आ जाती है.. रेनू एक दम से रुक जाती है… उसके चेहरे पर थोड़ी सी हवस, थोड़ा सा डर और थोड़ी सी शर्म तीनो का मिला जुला रंग देखा जा सकता था …
राजेश रेनू के होंटो को छूते हुए बोलता है " तुम्हारे ये गुलाबी होंठ मुझे मदमस्त कर देते है. तुम्हारी ये आँखे मुझे मेरे होने का एहसास दिलाती है. तुम्हारे ये लंबे घने बाल मुझे तुम्हारी ओर खींच लाने वाली रस्सी जैसे लगते है." ऐसा बोलते हुए राजेश रेनू के होंठो को किस करने को झुकता है कि रेनू तुरंत अपनी गर्दन घुमा लेती है.
रेनू: उफ़ इतनी फिल्मी बाते… ऐसा कह कर रेनू मुस्स्कुराने लगती है..
राजेश: "अच्छा अगर ये सब फिल्मी है तो और सुनो. तुम्हारा ये दूध जैसा गोरा रंग मुझे तुम में डूब जाने को मजबूर करता है. तुम्हारी ये पतली क़मर मेरे दिल को झूमने को मजबूर कर देती है. तुम्हारी ये बड़ी बड़ी चूंचियाँ मुझे मेरे भूखे होने का एहसास दिलाती है और इनमे आने वाला दूध में बेसबरों की तरह पीना चाहता हूँ"
रेनू राजेश के मूह से अपने हुस्न ख़ास तौर पर अपने बूब्स की तारीफ़ और उनके लिए उसकी तड़प सुन कर और मचल उठती है. उसके मूह से एक सिसकी निकल जाती है और नतीजा दवा उस पर और हावी हो जाती है और रेनू की बुर से पानी बहने लगता है..
रेनू खुद को संभालते हुए..
रेनू: आप अकाउंटेंट है या कोई सडक छाप पोएट…अब आप जाइये. मनीष कभी भी आ जायेगा.
राजेश उसकी बात अनसुनी करके रेनू के चेहरे को पकड़ कर उसकी आँखों मे देखने लगता है… और धीरे धीरे अपने होंठ रेनू के होंठो पर रख देता है..