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Adultery हर ख्वाहिश पूरी की
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भाभी मेरी नज़रों का स्पर्श अपने शरीर पर फील करके उनकी नज़रें शर्म से झुक गयी और वो अपने निचले होठ को दाँतों से काटती हुई फर्श की ओर देखने लगी...

मे हौले से उनके पीछे जाकर खड़ा हो गया, और उनकी कमर में अपने बाहें लपेट कर अपने से सटा लिया, मेरा लंड उनकी कमर पर ठोकर मारने लगा.

उनके कंधे को चूमते हुए माने कहा – मुझे आज अपने बड़े भैया से जलन हो रही है.. मेरी बात सुन उन्होने मेरी तरफ सवालिया नज़रों से देखा, इससे पहले की वो कुच्छ कहती.. मेने आगे कहा.-. काश आप मेरी होती.. !

वो – तो अभी में किसकी बाहों में हूँ…?

मे – मेरा मतलब था, कि आप हमेशा के लिए सिर्फ़ और सिर्फ़ मेरी होती.. सच कहता हूँ भाभी…
आपके इस रूप लावण्य से मे चाह कर भी नही निकल सकता...मानो कोई अजंता की मूरत सजीव होकर मेरी बाहों में है..

अपनी तारीफ सुनकर भाभी मन ही मन गद-गद हो उठी और मेरे गालों से अपने गालों को सहलाते हुए बोली –
मे हमेशा ही तुम्हारी रहूंगी लल्लाजी… अपनी मर्यादाओं को निभाते हुए भी मेरा प्रेम तुम्हारे लिए हमेशा बना रहेगा…

अब देखना ये होगा कि तुम मुझे कब तक इसी तरह प्रेम करते रहोगो..?

मे झट से बोल पड़ा – मरते दम तक…! मे आपको ता-उम्र यूँही चाहता रहूँगा..

मेरी बात सुन वो पलट गयी, और किसी दीवानी की तरह मेरे पूरे चेहरे पर चुंबनों की झड़ी लगा दी…

मे भी उनका भरपूर साथ देने लगा, उन्होने मेरे हाथ पकड़कर अपने स्तनों पर रख दिए जिन्हें मेने हौले से सहला दिया..
अहह…. देवर्जी….. इन्हें मूह में लेकर चूसो मेरे रजाअजीीीइ…. इनका दूध आज तुम्हारे लिए है…

भाभी की बात सुन मेने अपना मूह उनके एक निपल से अड़ा दिया और चुकुर-2 करके उनका दूध चूसने लगा… बड़ा ही टेस्टी दूध था भाभी का, मीठा… वो मेरे सर को अपने हाथ से सहला रही थी अपनी आँखें बंद किए हुए…

एक हाथ से मे उनके दूसरे स्तन को सहला रहा था, कभी-2 उनके कड़क हो चुके निपल को दबा देता.. जिसके कारण उनके मूह से सिसकी… ईीीइसस्स्स्शह…. निकल जाती..

कुच्छ देर बाद मे दूसरे स्तन को चूसने लगा, और पहले वाले को हाथ से सहलाता रहा.... मेने चूस-चूस कर, मसल-मसल कर उनके दोनो स्तनों को लाल कर दिया..

भाभी के हाथ का दबाब अपने सर पर पाकर मे नीचे की ओर बढ़ा और उनके पेट और नाभि को चाटता हुआ, उनके रस कलश पर पहुँचा…

मे अपने घुटनों पर बैठकर उनके यौनी प्रदेश को निहारने लगा.. और अपने दोनो हाथों से उनकी मोटी-मोटी जांघों को सहलाते हुए अंदर की ओर लाया,

मेरे हाथों का स्पर्श अपनी जांघों के अंदुरूनी भाग पर पाकर उनकी जांघे अपने आप चौड़ी हो गयी..

अब उनका यौनी प्रदेश और अच्छे से दिख रहा था… उनकी मुनिया से बूँद-2 करके रस टपक रहा था, जिसे मेने अपनी उंगली पर रख कर चखा,

एक खट्टा-मीठा सा स्वाद मेरी जीभ को अच्छा लगा, और मेने एक बार अपने हाथ से उसको सहला कर अपने होठ उनकी यौनी पर रख दिए…

मेरे होठों का स्पर्श अपनी यौनी पर पाकर भाभी के मूह से एक मीठी सी सिसकी निकल गयी…..ईीीइसस्स्स्शह……उफफफफफ्फ़………आअहह….. द.द.ए.व.ए.रजीीइईई….चातूओ…ईससीईई…..प्लेआस्ीई….

मेने पहले भी कभी उनकी बात नही टाली थी… तो अब तो रस का खजाना मेरे सामने था… सो मेने उनकी यौनी की दोनो पुट्टियों समेत पूरी यौनी को अपने मूह में भर लिया और चूसने लगा…

भाभी के दोनो हाथ मेरे बालों को सहला रहे थे, उनके मूह से लगातार कुच्छ ना कुच्छ निकल रहा था.. कुच्छ देर पूरी यौनी को चुसवाने के बाद भाभी बोली-

ल्लाल्लाजीीइई…..इसको खोल के देखो… और अपनी जीभ अंदर डालके चाटो…प्लेआस्ीई…
आअहह….हान्न्न…ऐसी..हिी…हइईए…माआ…उफफफ्फ़…. और जोर्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर….स.ईईईईई…..हाइईईईईईईईईईईईई…….उसस्सुउुउऊहह….खा जाऊ…हरंजड़ीइइ..कूऊ…

हाए… देखो…उपर एक नाक जैसी उठी हुई होगी उसको चूसूऊ…. हान्न्न.. यहीयिइ….एसस्स….बहुत अच्छे….अब अपनी उंगली डाल दो अंदर… हइईए…पूरी घुसाऊओ….डरो मत….आहह…. डालडो….हाआंन्न…..अब ज़ोर-ज़ोर से अंदर-बाहर करूऊ…..तेज़ी सीई…. हइई…राम्म्म्मम….ऑश….उूउउ….मीई…तूओ…गाइिईई…ल्ल्ल्लाअल्ल्लाअज्जजििइईई……..

भाभी ने पूरी ताक़त से मेरे सर को अपनी चूत पर दबा दिया, और फलफालकर झड़ने लगी… ढेर सारा… गाढ़ा-गाढ़ा.. मट्ठा सा.. उनकी चूत से निकलने लगा…

मेने अपना मूह हटाना चाहा… तो वो बोली… नही पी जाओ इसे… तुम्हारे लिए अच्छा रहेगा..

मे उनका सारा चूतरस पी गया… भाभी की टाँगें काँप रही थी, अब उनसे खड़े रहना मुश्किल होता जा रहा था…

लल्ला जी मुझे पलंग पर ले चलो…प्लेआसीए…

मेने उन्हें अपनी गोद में उठा लिया, उन्होने अपनी बाहें मेरे गले में लपेट दी.. और मेरे मूह पर लगे अपने कामरस को चाटते हुए बोली – कैसा था स्वाद मेरे रस का..?

मे – अह्ह्ह्ह… भाभी.. पुछो मत… ऐसा टेस्ट आज तक किसी चीज़ का नही मिला मुझे.. वो मेरे से और चिपक गयी और मेरे गाल पर ज़ोर से काट लिया..

मेरी चीख निकल गयी और उनके दाँतों के निशान मेरे गाल पर छप गये, जिसे वो अपनी जीभ से चाटने लगी…

मेने भाभी को पलग पर लिटा दिया और खुद भी उनकी बगल में लेटकर उनके बदन पर अपना हाथ फिराने लगा.

भाभी – तुम सीधे लेट जाओ लल्ला… अब मेरी बारी है, तुम्हें वो सुख देने की जिसका तुमने इतने दिन इंतजार किया है, जिसे देने का मेने तुमसे वादा किया था… देखना आज तुम्हारी वर्जिनिटी कितने प्यार से लेती हूँ..

जब मे सीधा लेट गया, तो भाभी अपनी गोल-मटोल 36 इंची गांद लेकर, पैरों को मेरे दोनो तरफ करके, मेरे लंड के पास जांघों पर बैठ गयी..

मेरा लंड अपनी सहेली को अपने सामने इतने नज़दीक पाकर खुशी से ठुमके लगाने लगा..

उसके झटके देखकर भाभी को हँसी आ गयी और बोली – देखा देवर जी.. तुम्हारा ये सिपाही अपनी सहेली को देखकर कैसे ठुमके लगा रहा है…

मे – क्यों ना लगाए, बेचारे को अब तक तो वो घूँघट में ही मिली थी, आज पहली बार मुखड़ा देखने को जो मिला है, खुश तो होगा ही.. हहहे… और हम दोनो ही हँसने लगे…!

फिर भाभी ने अपने हाथ मेरी छाती पर टिका दिए, और उसे सहलाते हुए वो मेरे उपर झुकती चली गयी… मेरे होठों को अपने मूह में लेकर चूसने लगी…

उनके निपल मेरे सीने से रब कर रहे थे, जिसके कारण मेरे पूरे शरीर में सुर-सुराहट सी होने लगी…..

भाभी आगे-पीछे होकर अपनी चुचियों को मेरे सीने से घिस रही थी, जिस के कारण उनकी रसभरी भी अपने प्रियतम को गले मिलने लगी,

और अपने गीले होठों की मसाज देते हुए मानो कह रही ही.. आजा मेरे प्यारे समा जा मुझमें…

हम दोनो फिर एक बार भट्टी की तरह तपने लगे.. अब मुझसे रहा नही जा रहा था, सो बोल पड़ा – आहह… भाभी… कुच्छ करो अब… जल्दी से…

उन्होने भी अब देर करना उचित नही समझा, मेरे उपर झुके हुए ही उन्होने मेरे लंड को अपनी मुट्ठी में लिया और अपनी रस से भरी गागर के छोटे से मूह पर रख कर अपनी कमर को हल्के से दबा दिया…

गीली चूत में मेरा चौथाई लंड समा गया..

लेकिन चूत की दीवारों की रगड़ से मेरे सुपाडे से चिपकी हुई स्किन टूटने लगी..

जिसकी वजह से मेरे अंदर एक तेज दर्द की लहर दौड़ गयी.. और मेरे मूह से चीख निकल गयी…

आईईईई……माआ….! भाभी…रूको… मेरा लंड फट गया लगता है… उठो ज़रा देखने दो… आहह…

लेकिन भाभी को पता था कि ऐसा कुच्छ देर के लिए होगा.. सो वो अपनी चूत मेरे लंड पर दबाए हुए बैठी रही और अपनी एक चुचि पकड़ कर मेरे मूह में ठुंसदी…
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RE: हर ख्वाहिश पूरी की - by nitya.bansal3 - 09-07-2020, 06:22 PM



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