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Adultery हर ख्वाहिश पूरी की
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मे बस बुत बना उनकी पीठ पर अपने हाथ रखे खड़ा था, अपने गालों को मेरी शुरू हो रही दाढ़ी के दोनो तरफ से रगड़ने के बाद वो मेरे होठों पर आ गयी और अपने होठों को मेरे होठों से बस दो इंच दूर रखकर मेरी आँखों में झाँकते हुए बोली –

सुनो मेरे अनाड़ी देवर, अब मे जैसे- 2 तुम्हारे साथ करूँ ठीक तुम भी वैसे ही करना.. और ये बोल कर उन्होने मेरे होठों का चुंबन लेकर अपने होठ अलग कर लिए.. और मेरी तरफ देखने लगी…

उनकी कही बात याद आते ही, मेने भी उनके होठों का चुंबन कर दिया, फिर तो भाभी मेरे होठों पर टूट पड़ी, और मेरे होठों को चूसने लगी, मे भी उनकी तरह ही कोशिश करने लगा और मेरे हिस्से उनका निचला होठ आया, और मे उसे पूरी लगन के साथ चूसने लगा.

भाभी मेरे उपर के होठ को चूस रही थी.. फिर कुच्छ देर बाद वो अपनी जीभ मेरे मुँह में डालने लगी, तो मेने भी अपना मुँह खोल दिया और हम दोनो की जीभ आपस में टकरा गयी और अब वो दोनो एक-दूसरे के साथ खिलवाड़ करने लगी.

5-6 मिनिट यही चलता रहा, एकदुसरे की जीभ का स्पर्श मुझे अंदर तक गुदगुदा रहा था, और एक स्वीट सी मादकता छाती जा रही थी…

उसके बाद भाभी ने किस तोड़ दिया और मेरी टीशर्ट निकाल दी, और अपने होठों से मेरे गले को चूमती हुई मेरे सीने तक आ गयी…

मेरी छाती पर भी हल्के-2 रोँये आते जा रहे थे, उनकी जीभ जब मेरे नये आरहे बालों पर फिराने लगी तो मेरी आँखें अपने आप बंद होती चली गयी, और मेरी उत्तेजना में इज़ाफा होने लगा, मेरा शरीर एक अजीब सी उत्तेजना से काँपने लगा.

फिर जैसे ही उनकी जीभ ने मेरे मक्खी साइज़ निपल से टच किया.. मेरे मुँह से स्वतः ही एक सिसकी निकल गयी.. जिसे सुनकर भाभी ने मेरे चेहरे की तरफ देखा,

मेरे लाल हो चुके चेहरे और अधखुली आँखों को देखकर उनके चेहरे पर मुस्कान आ गयी…

इसी तरह उन्होने मेरी दोनो निपल को देर तक चाटा, फिर जब वो कुच्छ बाहर को निकल आए, तो अपने दाँतों से हल्के-2 उनको खरोंछने लगी… मेरा शरीर गुदगुदाहट और रोमांच से भर गया, और मे अपने पंजों पर खड़ा हो गया…

मेरा पप्पू लगाम तोड़ते बैल्ल की तरह खड़ा होकर फूँकारने लगा…

भाभी ने यहीं बस नही की और वो मेरे पेट को चूमती चाटती हुई नीचे की ओर बढ़ गई और मेरी नाभि को जीभ से सहला दिया…

मेरे पास शब्द नही थे कि मे इस आनंद को किस तरह बयान करूँ…अब मेरे सामने अपने पंजों पर बैठ गयी, और मेरा लोवर अंडरवेर के साथ खींच कर पैरों पर कर दिया…

भाभी ने जैसे ही मेरा अंडरवेर नीचे किया, पप्पू ने उच्छल कर उनकी ठोडी पर अटॅक कर दिया,

भाभी ने मुस्करा कर उसको प्यार से एक चपत लगाई और बोली – कमीने, अपनी सहेली की मालकिन पर ही अटॅक करता है… ठहर.. मे बताती हूँ तुझे…

उन्होने उसे अपनी मुट्ठी में क़ैद कर लिया और धीरे से मसल्ने लगी.. फिर हल्का सा उसका टोपा खोलकर बोली – चल तेरी पहली ग़लती माफ़, आ तुझे प्यार दूं.. और उन्होने उसे चूम लिया…

मज़े में मेरी आहह… निकल गयी, दूसरे हाथ से वो मेरे टट्टों को सहला रही थी, फिर उन्होने लंड को उपर करके उन्दोनो को अपने मुँह में भर लिया और पपोर्ने लगी…

कुच्छ देर मेरे आंडों को चूसने के बाद उन्होने मेरे अधखुले सुपाडे को अपने होठों में क़ैद कर लिया और धीरे-2 उसको अंदर और अंदर लेने लगी, लेकिन उस्दिन वाली ग़लती इस बार नही की और एक हाथ से उसकी जड़ में पकड़े रखा..

भाभी अपने मुँह को आगे-पीछे करके उसको चूसने लगी.. मेरा हाल बहाल होने लगा, और अपने-आप मेरी कमर भी आगे पीछे होने लगी, एक तरह से में उनके मुँह को चोद रहा था……



मेरे हाथ उनके सर पर थे, वो मेरी आँखों में देख रही थी और चेहरे पर एक शरारती मुस्कान थी…

मे अपने चरम पर पहुँचने ही वाला था कि उन्होने लंड चूसना बंद कर दिया… मेरे चेहरे पर असीम आश्चर्य के भाव आ गये..

तो मेने पुच्छ ही लिया…

रुक क्यों गयी भाभी… और करो ना… ! मेरा निकलने वाला था…!

वो शरारत के साथ इठलाती हुई बोली – क्यों करूँ ? मे तुम्हारी नौकर हूँ..?

मेरा तो कलपद हो गया था यार !, उनकी बातें सुन कर और झांट सुलग गयी.. लेकिन फिर भी मे उनसे और चूसने के लिए मिन्नतें करने लगा… तो वो बोली…

लल्लाजी ! आज इसकी पहली धार मुझे अपने अंदर लेनी है, ये कह कर वो पलट गयी, और अपनी पीठ और मदमस्त गांद मेरे से सटा दी…

मेने उनके कान के नीचे गले पर चूमकर कहा – आप बहुत शरारती हो भाभी..

वो – यही शरारातें एक-दूसरे को और नज़दीक लाती हैं… मेरे भोले देवर्जी..

मे – तो अब में क्या करूँ…?

मेरी बात सुनकर वो झट से अलग हो गयी और मेरी तरफ मूह करके मेरा हाथ पकड़ लिया और अपने गाउन की डोरी पर रख दिया…

मेने उनके गाउन की डोरी खींच दी, और मेरी आँखों के सामने वो नज़ारा आ गया, जिसकी मेने अभी तक कल्पना भी नही की थी..

सामने से वो बिल्कुल नंगी थी.. मेने झपट कर उनका गाउन निकाल कर दूर फेंक दिया और दो कदम पीछे होकर उनके शरीर की सुंदरता को देखने लगा…

दूधिया बल्ब की रोशनी में नाहया उनका गोरा बदन किसी संगेमरमर की मूरत की तरह मेरे सामने था, मानो अजंता की कोई मूरत सजीव हो उठी हो…

सुराइदार गर्दन के नीचे उनके गोल-सुडौल गोरे-2 स्तन मानो कलई के दो मुरादाबादी लोटे चिपके हों उनकी छाती पर, जिनके सिरे पर दो कागज़ी बादाम लगा दिए हों जैसे… ऐसे दो उठे हुए निपल , हल्के भूरे रंग के..

नीचे एकदम सपाट पेट जिसमें एक गहरी सी नाभि.. हल्का सा उठा हुआ उनका पेडू, जो शायद प्रेग्नेन्सी के बाद हो गया था…

कूर्वी कमर के नीचे दो केले जैसी चिकनी गोल-गोल, मांसल जांघें, जिनके बीच दुनिया की सबसे अनमोल चीज़, परमात्मा की सफल कारीगरी,

जिसपर एक बाल नही, एकदम चिकनी चूत जो कामरस से भीगकार और ज़्यादा चमक रही थी…

जो योनि पहली दफ़ा अपने पति के सामने किसी जंगली झाड़ियों से घिरी हुई थी, वही आज आपने नये, अनाड़ी प्रेमी, उसके देवर के लिए एकदम चम चमा रही थी…जैसे कुच्छ घंटों पहले ही साफ की गयी हो…

भाभी मेरी नज़रों का स्पर्श अपने शरीर पर फील करके उनकी नज़रें शर्म से झुक गयी और वो अपने निचले होठ को दाँतों से काटती हुई फर्श की ओर देखने लगी...
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RE: हर ख्वाहिश पूरी की - by nitya.bansal3 - 09-07-2020, 06:18 PM



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