01-03-2019, 06:05 PM
कथा रति विपरीत की
थोड़ी देर में हम पलंग पे थे।
वो नीचे ,मैं ऊपर।
मैं उन्हें चोद रही थी , चुदवा रही थी , दोनों धुआंधार चुदाई का मजा ले रहे थे।
अब वो चुदाई का असली पाठ सीख चुके थे , पहले मुझे झाड़ने का , कम से कम तीन बार मैं झड़ूं फिर उनका नंबर
और लंड के अलावा भी लौंडिया को मजा देने की बहुत सी चीजें हैं , होंठ ,अंगुलियां , उन सबका इस्तेमाल।
तीन बार तो नहीं लेकिन मैं दो बार झड़ी , जब मैं दूसरी बार झड़ी तब वो मेरे साथ.
और क्या मस्त झड़े वो।
बस झड़ते ही रहे , वो जब रुके तो एक बार फिर मेरी चूत चटोरी ने उसे दबोच लिया , निचोड़ लिया ,
फिर तो पूरे सावन की बारिश जैसे एक रात में हो जाय ,
देह उनकी पूरी शिथिल हो गयी थी, आँखे बंद हो गयी थी ,लेकिन लंड उनका , उसका फुव्वारा रुकने का नाम नहीं ले रहा था ,
खूब गाढ़ी थक्केदार मलाई , मुट्ठी भर से तो ज्यादा ही रही होगी।
और मेरी भूखी नदीदी चूत ने न सिर्फ हर बूँद घोंट लिया ,बल्कि निचोड़ के , एक बूँद भी बाहर नहीं जाने दी उसने।
हम लोग बहुत देर तक ऐसे ही पड़े रहे , करवट , एक दूसरे की बाहों में ,बंधे हलके हलके सहलाते और उनका खूंटा मेरे अंदर ही धंसा रहा।
आधे घंटे भी शायद ही गुजरे होंगे और ,इस बार शुरआत उन्होंने ही की ,
मैं सिर्फ लेटे लेटे मुस्कराती रही ,उन्हें उकसाती रही ,मजे लेती रही.
थोड़ी देर में हम पलंग पे थे।
वो नीचे ,मैं ऊपर।
मैं उन्हें चोद रही थी , चुदवा रही थी , दोनों धुआंधार चुदाई का मजा ले रहे थे।
अब वो चुदाई का असली पाठ सीख चुके थे , पहले मुझे झाड़ने का , कम से कम तीन बार मैं झड़ूं फिर उनका नंबर
और लंड के अलावा भी लौंडिया को मजा देने की बहुत सी चीजें हैं , होंठ ,अंगुलियां , उन सबका इस्तेमाल।
तीन बार तो नहीं लेकिन मैं दो बार झड़ी , जब मैं दूसरी बार झड़ी तब वो मेरे साथ.
और क्या मस्त झड़े वो।
बस झड़ते ही रहे , वो जब रुके तो एक बार फिर मेरी चूत चटोरी ने उसे दबोच लिया , निचोड़ लिया ,
फिर तो पूरे सावन की बारिश जैसे एक रात में हो जाय ,
देह उनकी पूरी शिथिल हो गयी थी, आँखे बंद हो गयी थी ,लेकिन लंड उनका , उसका फुव्वारा रुकने का नाम नहीं ले रहा था ,
खूब गाढ़ी थक्केदार मलाई , मुट्ठी भर से तो ज्यादा ही रही होगी।
और मेरी भूखी नदीदी चूत ने न सिर्फ हर बूँद घोंट लिया ,बल्कि निचोड़ के , एक बूँद भी बाहर नहीं जाने दी उसने।
हम लोग बहुत देर तक ऐसे ही पड़े रहे , करवट , एक दूसरे की बाहों में ,बंधे हलके हलके सहलाते और उनका खूंटा मेरे अंदर ही धंसा रहा।
आधे घंटे भी शायद ही गुजरे होंगे और ,इस बार शुरआत उन्होंने ही की ,
मैं सिर्फ लेटे लेटे मुस्कराती रही ,उन्हें उकसाती रही ,मजे लेती रही.