01-03-2019, 06:02 PM
स्वर्ग द्वार
असली टारगेट ,' स्वर्ग द्वार 'का रास्ता।
बिना कुछ कहे उनके होंठ वहां पहुंच गए थे और छोटे छोटे चुम्बन सीधे मेरी गांड के चारो ओर ,
' चाट ,जोर जोर से चाट। "
मैं ने बोला और बिना रुके उनके हाथ जो अब प्यार से मेरे चूतड़ सहला रहे थे , उन्होंने अब ताकत लगा के उन्हें फैला दिया और जीभ सीधे गांड के मुहाने पे।
और नीचे से ऊपर , नीचे से ऊपर ,बार बार ,
मैं गिनगीना रही थी, काँप रही थी , मस्त हो रही थी , फिर मेरे बिना कहे उन्होंने वो किया ,जो मैं इन्तजार कर रही थी ,चाह रही थी ,
उनके जीभ की टिप , पहले गांड के छेद को चाटती रही खोदती रही , फिर अंदर।
" ओह्ह हाँ , हान्न्न्न्न्न्न ,और , और, प्लीज ऐसे ही बहुत अच्छा लग रहा है , और अंदर घुसेड़ो न ,प्लीज ,… "
मेरे मुंह से सिसकियाँ निकल रही थीं।
और अब जो मुझे अच्छा लगता था , बस उन्हें भी वही अच्छा लगता था , जोर से उन्होंने दोनों हाथों से मेरे गांड को पूरी ताकत से फैलाया और , पूरी ताकत से जीभऔर अंदर ,
" ओह्ह हाँ , साल्ले , मादरचोद , चाट चाट ऐसे ही चाट , चल अगर मुझे खुश कर दिया न तो तेरी माँ की भी गांड भी ऐसे हीचटवाउंगी तुझसे , उसके चूतड़ तो जगत मसहूर है एकदम बड़े बड़े , चाट साल्ले मादरचोद , और अंदर , हाँ ,…हाँ , … गांडभी मरवाउंगी तेरी माँ की , पहले चटवाउंगी अपने सामने , ओह्ह बहुत अच्छा , प्लीज और थोड़ा सा , और थोड़ा सा , हाँहांआआअ , ओह्ह ओह्ह्ह्ह्ह मादर , बहन के भंडुए ,ओह्ह अहह "
गूई,लिसलिसी सी , लिथड़ी चिपकी जीभ की टिप अब वहां पहुँच गयी थी , और मेरी पूरी देह में गिनगिनी हो रही थी ,
जोर से दोनों हाथों से मैंने पलंग को पकड़ रखा था ,मस्ती से मेरी आँखे बंद हो रही , यही तो मैं चाहती थी ,
कुछ भी गर्हित ,वर्जित न हो हम दोनों के बीच में , नो होल्ड्स बार्ड ,
और मैंने भी अपनी मस्त गांड के छेद को जोर से पीछे धक्का दे उनके मुंह पे एकदम चिपका दिया।
उन्होंने भी दुगने जोश से ,
वो गुई गुई सी लिसलिसी सी , और वो भी , जैसे कोई चम्मच से करोच रहा हो , गांड के अंदर की दीवारों पे उनकी जीभ रगड़ रगड़ के , गोल गोल
जैसे जैसे मेरी गालियां बढ़ रही थी वैसी ही उनकी गांड के अंदर की चटाई ,
" मादरचोद,मेरी सास के यार , ओह्ह चाट साले चाट तेरी बहना की भी गांड मरवाउंगी तुझसे , अपने सामने , बहुत कसीहोगी उस छिनार की हचक हचक के मारना उस की गांड , चाट मादरचोद। "
और जीभ का जोर दुगुना होगया ,
थोड़ी देर में हम पलंग पे थे।
असली टारगेट ,' स्वर्ग द्वार 'का रास्ता।
बिना कुछ कहे उनके होंठ वहां पहुंच गए थे और छोटे छोटे चुम्बन सीधे मेरी गांड के चारो ओर ,
' चाट ,जोर जोर से चाट। "
मैं ने बोला और बिना रुके उनके हाथ जो अब प्यार से मेरे चूतड़ सहला रहे थे , उन्होंने अब ताकत लगा के उन्हें फैला दिया और जीभ सीधे गांड के मुहाने पे।
और नीचे से ऊपर , नीचे से ऊपर ,बार बार ,
मैं गिनगीना रही थी, काँप रही थी , मस्त हो रही थी , फिर मेरे बिना कहे उन्होंने वो किया ,जो मैं इन्तजार कर रही थी ,चाह रही थी ,
उनके जीभ की टिप , पहले गांड के छेद को चाटती रही खोदती रही , फिर अंदर।
" ओह्ह हाँ , हान्न्न्न्न्न्न ,और , और, प्लीज ऐसे ही बहुत अच्छा लग रहा है , और अंदर घुसेड़ो न ,प्लीज ,… "
मेरे मुंह से सिसकियाँ निकल रही थीं।
और अब जो मुझे अच्छा लगता था , बस उन्हें भी वही अच्छा लगता था , जोर से उन्होंने दोनों हाथों से मेरे गांड को पूरी ताकत से फैलाया और , पूरी ताकत से जीभऔर अंदर ,
" ओह्ह हाँ , साल्ले , मादरचोद , चाट चाट ऐसे ही चाट , चल अगर मुझे खुश कर दिया न तो तेरी माँ की भी गांड भी ऐसे हीचटवाउंगी तुझसे , उसके चूतड़ तो जगत मसहूर है एकदम बड़े बड़े , चाट साल्ले मादरचोद , और अंदर , हाँ ,…हाँ , … गांडभी मरवाउंगी तेरी माँ की , पहले चटवाउंगी अपने सामने , ओह्ह बहुत अच्छा , प्लीज और थोड़ा सा , और थोड़ा सा , हाँहांआआअ , ओह्ह ओह्ह्ह्ह्ह मादर , बहन के भंडुए ,ओह्ह अहह "
गूई,लिसलिसी सी , लिथड़ी चिपकी जीभ की टिप अब वहां पहुँच गयी थी , और मेरी पूरी देह में गिनगिनी हो रही थी ,
जोर से दोनों हाथों से मैंने पलंग को पकड़ रखा था ,मस्ती से मेरी आँखे बंद हो रही , यही तो मैं चाहती थी ,
कुछ भी गर्हित ,वर्जित न हो हम दोनों के बीच में , नो होल्ड्स बार्ड ,
और मैंने भी अपनी मस्त गांड के छेद को जोर से पीछे धक्का दे उनके मुंह पे एकदम चिपका दिया।
उन्होंने भी दुगने जोश से ,
वो गुई गुई सी लिसलिसी सी , और वो भी , जैसे कोई चम्मच से करोच रहा हो , गांड के अंदर की दीवारों पे उनकी जीभ रगड़ रगड़ के , गोल गोल
जैसे जैसे मेरी गालियां बढ़ रही थी वैसी ही उनकी गांड के अंदर की चटाई ,
" मादरचोद,मेरी सास के यार , ओह्ह चाट साले चाट तेरी बहना की भी गांड मरवाउंगी तुझसे , अपने सामने , बहुत कसीहोगी उस छिनार की हचक हचक के मारना उस की गांड , चाट मादरचोद। "
और जीभ का जोर दुगुना होगया ,
थोड़ी देर में हम पलंग पे थे।