01-03-2019, 05:59 PM
गिफ्ट
और वह अभी उस से उबर भी नहीं पाये थे की मेरी दूसरी गिफ्ट
…..
मैंने एक सिल्कन सारोंग सी लपेट रखी थी , वो एक झटके में खुल के मेरे हाथ में और अगले पल , उनके चेहरे पे।
वो ख़ुशी से निहाल हो गए , लेकिन असली गिफ्ट तो अभी बाकी थी।
मेरी गुलाबी चुन्मुनिया सिर्फ एक छोटे से गुलाबी थांग में छुपी थी , छुपी कम खुली ज्यादा।
आगे से दो अंगुल की पट्टी , लेसी मेरी पुत्तियों से चिपकी ,उन्हें दबोचे , लेकिन पीछे से तो बस एक पतले धागे सी , मेरी नितम्बों के दरार के बीच छुपी,
और मैं अब नीचे थी , पलंग को दोनों हाथों से पकडे , अपने पिछवाड़े से उन्हें ललचाती ,अपने नितम्बों से उन्हें ललचाती , लुभाती।
चूतड़ के मामले में मैं एकदम अपनी मम्मी पे गयी थी। उनकी एकलौती बिटिया होने के नाते बहुत कुछ इन्हेरिट किया था मैंने , लेकिन सबसे बढ़कर , यही
दीर्घ नितम्बा , लम्बे सुरु की तरह पैरों और २६ इन्च की कटीली पतली कमरिया पे , एकदम कड़े कड़े , भरे हुए ३५ + के हिप्स कुछ ज्यादा ही जानमारु लगते थे , और अब जब मैं निहरी हुयी तो दो कटे तरबूजों की तरह ,
परफेक्ट शेप भी साइज भी ,
मैं जान रही थी ,उनकी क्या हालत हो रही होगी और ऊपर से मुड़ कर जो मैंने उन्हें आँख मारी और अपनी लम्बी उँगलियों से अपने चूतड़ को सहला के , थोड़ा फैलाके पूछा ,
" बोल चाहिए "
" हाँ , हाँ एकदम प्लीज दो न ,प्लीज "
उनकी हालत खराब हो रही थी।
ही वाज जस्ट सैलीवेटिंग विद लस्ट।
" लो न "
बड़ी अदा से मैं बोली और फिर सामने देखने लगी। [/
अगले ही पल मेरे दोनों चूतड़ों पर चुम्मियों की बारिस होने लगी और साथ में लिकिंग भी ,
सच में लिप सर्विस में माहिर थे वो।
कुछ देर के बाद बिना कुछ बोले मेरे हाथों ने फिर मेरे चूतड़ों को फैलाया , हलके से थांग को सरकाया , और फिर सीधे असली टारगेट ,
' स्वर्ग द्वार 'का रास्ता।
बिना कुछ कहे उनके होंठ वहां पहुंच गए थे और छोटे छोटे चुम्बन सीधे मेरी गांड के चारो ओर ,
और वह अभी उस से उबर भी नहीं पाये थे की मेरी दूसरी गिफ्ट
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मैंने एक सिल्कन सारोंग सी लपेट रखी थी , वो एक झटके में खुल के मेरे हाथ में और अगले पल , उनके चेहरे पे।
वो ख़ुशी से निहाल हो गए , लेकिन असली गिफ्ट तो अभी बाकी थी।
मेरी गुलाबी चुन्मुनिया सिर्फ एक छोटे से गुलाबी थांग में छुपी थी , छुपी कम खुली ज्यादा।
आगे से दो अंगुल की पट्टी , लेसी मेरी पुत्तियों से चिपकी ,उन्हें दबोचे , लेकिन पीछे से तो बस एक पतले धागे सी , मेरी नितम्बों के दरार के बीच छुपी,
और मैं अब नीचे थी , पलंग को दोनों हाथों से पकडे , अपने पिछवाड़े से उन्हें ललचाती ,अपने नितम्बों से उन्हें ललचाती , लुभाती।
चूतड़ के मामले में मैं एकदम अपनी मम्मी पे गयी थी। उनकी एकलौती बिटिया होने के नाते बहुत कुछ इन्हेरिट किया था मैंने , लेकिन सबसे बढ़कर , यही
दीर्घ नितम्बा , लम्बे सुरु की तरह पैरों और २६ इन्च की कटीली पतली कमरिया पे , एकदम कड़े कड़े , भरे हुए ३५ + के हिप्स कुछ ज्यादा ही जानमारु लगते थे , और अब जब मैं निहरी हुयी तो दो कटे तरबूजों की तरह ,
परफेक्ट शेप भी साइज भी ,
मैं जान रही थी ,उनकी क्या हालत हो रही होगी और ऊपर से मुड़ कर जो मैंने उन्हें आँख मारी और अपनी लम्बी उँगलियों से अपने चूतड़ को सहला के , थोड़ा फैलाके पूछा ,
" बोल चाहिए "
" हाँ , हाँ एकदम प्लीज दो न ,प्लीज "
उनकी हालत खराब हो रही थी।
ही वाज जस्ट सैलीवेटिंग विद लस्ट।
" लो न "
बड़ी अदा से मैं बोली और फिर सामने देखने लगी। [/
अगले ही पल मेरे दोनों चूतड़ों पर चुम्मियों की बारिस होने लगी और साथ में लिकिंग भी ,
सच में लिप सर्विस में माहिर थे वो।
कुछ देर के बाद बिना कुछ बोले मेरे हाथों ने फिर मेरे चूतड़ों को फैलाया , हलके से थांग को सरकाया , और फिर सीधे असली टारगेट ,
' स्वर्ग द्वार 'का रास्ता।
बिना कुछ कहे उनके होंठ वहां पहुंच गए थे और छोटे छोटे चुम्बन सीधे मेरी गांड के चारो ओर ,