08-07-2020, 12:12 AM
(This post was last modified: 12-07-2020, 02:21 AM by babasandy. Edited 25 times in total. Edited 25 times in total.)
असलम का मोटा लंबा बंबू भी मेरी रुपाली दीदी की गांड के छेद में अपना मक्खन डालने के बाद शांत हो गया था... सोफे पर वह मेरी दीदी के बगल में लेटा हुआ था घायल शेर की तरह... मेरी रूपाली दीदी अभी भी सोफे के ऊपर घोड़ी बनी हुई थी... उनकी गांड की गुलाबी छेद में से सफेद सफेद मलाई टपक टपक के चू रहा था... मेरी प्रियंका दीदी बिस्तर पर पसरी हुई थी निढाल होकर.. उनकी गांड का छेद का भी कचूमर निकल गया था... अपनी दोनों सगी बहनों की गांड की दुर्गति देखने के बाद मेरी हालत पतली हो चुकी थी... हमसे उनकी हालत देखी नहीं जा रही थी... मैं बेबस लाचार होकर कमरे से बाहर निकल गया... और हॉल में जाकर सोफे पर लेट गया...
किसी ने भी मुझ पर ध्यान नहीं दिया... कमरे के अंदर से अभी भी पायल की रुनझुन और चूड़ियों की खन खन जो मेरी रूपाली दीदी और प्रियंका दीदी के साथ कांड की दास्तान बयां कर रहे थे... बीच-बीच में चीखने सिसकने की आवाजें भी आ रही थी... ना जाने मुझे कब नींद आ गई...
जब मेरी आंख खुली तब दिन चढ़ आया था... मेरे जीजू ने मुझे जगाया... मेरी दोनों बहने पहले ही गाड़ी में जाकर बैठ चुकी थी... जुनैद और असलम दोनों काफी थके हुए लग रहे थे... पर दोनों मुझे देख कर मुस्कुरा रहे थे.. जीजू और उन दोनों के बीच में क्या बात हो रही थी मैं सुन नहीं पा रहा था.. पर जाहिर है उन लोगों ने हमें वापस जाने की परमिशन तो दे दी थी.... मैं चुपचाप उठकर वहां से आया और गाड़ी के अंदर आगे की सीट पर बैठ गया... पीछे पलट कर मैंने एक निगाह अपनी दोनों बहनों पर डाली.. मेरी दोनों दीदियों के चेहरे पर थकान थी और आंखों में नींद...
चुदाई की रणभूमि में पटक पटक कर चोद दी गई मेरी दोनों बहनों के चेहरे पर सूख चुका उन दोनों गुंडों का वीर्य चिपका हुआ था... दोनों ही बुरी तरह पस्त हो चुकी है... जाहिर है उन कमीनों ने मेरी बहनों को रात भर सोने नहीं दिया था... थोड़ी देर बाद जीजू आ गय.. और हम लोग वहां से सरपट रवाना हो गए.. मेरी जीजू ड्राइविंग कर रहे थे मैं चुपचाप बैठा हुआ था.... प्रियंका दीदी तो रुपाली दीदी के कंधे पर सो गई थी... और मेरी रूपाली दीदी सुन मुद्रा में गाड़ी की छत की तरफ देख रही थी....
घर पहुंचते ही मेरी प्रियंका दीदी और रूपाली दीदी तो अपने कमरे में जाकर सो गई... मेरी मम्मी ने दरवाजा खोला था, उन्हें तो बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि उनकी दोनों बेटियों के साथ क्या कांड हुआ है आज... जीजू ने मेरी मम्मी को पहले ही बता रखा था कि हम लोग उनके दोस्त की इंगेजमेंट पार्टी में थे...
मेरे चेहरे पर हवाइयां उड़ रही थी... मुझे बिल्कुल समझ नहीं आ रहा था कि आगे क्या होगा...
बेटा क्या हुआ तुझे तू इतना परेशान क्यों लग रहा है... मेरी मम्मी ने मुझसे पूछा..
मेरी और भी हालत पतली हो गई... मैं भला उनको और क्या जवाब देता...
कुछ नहीं मम्मी रात को सोया नहीं ना इसलिए... मैंने कहा..
जाकर तू भी थोड़ा आराम कर ले... रुपाली और प्रियंका भी रात भर नहीं सोई है लगता है.. खूब मस्ती की है तुम लोगों ने... जा सो जा... मम्मी ने मुझे कहा और किचन की तरफ चली गई..
मैं अपने बेडरूम की तरफ जाने लगा..
इधर आ मेरे पास... मुझे तुमसे एक बात करनी है... जीजू ने मुझे कहा..
जब मैं उनके पास गया तो मैंने देखा कि उनकी आंखों में आंसू थे. उन्होंने मुझसे कहा - सुनो जो कुछ भी हुआ उसे एक बुरा सपना समझकर भूल जाओ.. अगर इस बात का पता बाहर किसी को भी चला तो हमारे खानदान की इज्जत मिट्टी में मिल जाएगी...
हां आप बिल्कुल सही कह रहे हो ... मैंने कहा..
मैं अपने कमरे में आकर बिस्तर पर लेट गया... नींद मेरी आंखों से कोसों दूर थी... कल रात की घटनाएं और उसके पहले की भी मेरी आंखों के सामने घूम रही थी...
दोस्तों मुझे आपको बताने में ही यहां पर बिल्कुल भी संकोच नहीं हो रहा है कि मुझे एहसास हो चुका था कि मेरी दोनों बहुत बड़ी छिनाल है... जिस प्रकार मेरी प्रियंका दीदी जुनैद के भारी-भरकम लोड़े को अपनी छोटी सी प्यारी मुनिया में लेकर उछल कूद मचा रही थी, वह भी पहली बार जब उनकी सील टूटी थी जुनैद के लोड़े से, मैं समझ चुका था कि मेरे प्रियंका दीदी बहुत ही कामुक लड़की है..
और मेरी रूपाली दीदी कि क्या ही कहने... पिछले 5 दिनों में 5 मर्दों ने रूपाली दीदी की चुदाई की थी मेरे जीजू के अलावा,, मेरी आंखों के सामने...
मेरा छोटा सा लण्ड पूरी तरह खड़ा हो चुका था.. अपने हाथों से मैंने अपने लण्ड को पकड़ा और जोर जोर से हिलाने लगा... मेरी कामुक कल्पना में मेरी ही अपनी दोनों सगी बहने थी... जुनैद और असलम के द्वारा मेरी बहनों की दर्दनाक चुदाई की फिल्म मेरी आंखों के सामने दौड़ रही थी.. और मैं मुट्ठ मार रहा था... अचानक मेरे लण्ड से एक जबरदस्त पिचकारी निकल कि मेरे मुंह के ऊपर आकर गिरी... खट्टा नमकीन स्वाद मेरे मुंह में भर गया.... मैं अपने लण्ड से निकला हुआ माल खुद ही चाट रहा था....... मुझे स्वाद कुछ ज्यादा बुरा नहीं लगा मैं अच्छे से पी गया अपना ही माल.... तभी मुझे एहसास हुआ कि मेरी बहनों ने तो रात भर असलम और जुनैद के लौंडे की मलाई पि होगी... और उन दोनों के लोड़े से तो मक्खन भी एक कटोरी निकलता है लगभग.. पेट भर गया होगा मेरी दोनों बहनों का...
इतनी अजीबोगरीब सोच वह भी अपनी सगी बहनों के बारे में... मैंने अपने सर को एक झटका दिया.. मेरा छोटा सा लौड़ा भी मुरझा चुका था.. और मेरे मुंह में अभी भी मेरे ही लोड़े के रस का स्वाद था. आज पहली बार मैंने लोड़े का वीर्य पिया था, वह भी खुद का... मैं बहुत देर तक सोता रहा.. पता नहीं कितनी देर में, जब आंख खुली थी तो अंधेरा हो चुका था... मैं उठकर हॉल में आया... मेरी चंदा भाभी किचन में खाना बना रही थी, रूपाली दीदी उनका साथ दे रही थी और मेरी मम्मी टीवी देख रही थी... मेरे जीजू और प्रियंका दीदी चुपचाप बैठे हुए अपने अपने मोबाइल में कुछ देख रहे थे सोफे के ऊपर.. मुन्नी पालने के अंदर सो रही थी गहरी नींद में... मेरे घर का माहौल बिल्कुल नॉर्मल सा लग रहा था, ऐसा लग रहा था जैसे कि कुछ हुआ ही नहीं हो, एक बार तो मुझे झटका सा लगा कि कहीं मैंने कोई बुरा सा सपना तो नहीं देखा था.. लेकिन वह सपना नहीं था . वह एक ऐसी हकीकत थी जो शायद मैं जिंदगी भर नहीं भूल पाऊंगा और मुझे और मेरे परिवार को उसकी कीमत बार-बार चुकानी पड़ेगी शायद... मैं मन ही मन बेहद व्यथित था..
जाग चुकी थी और रो रही थी... शायद उसे भूख लगी थी... मेरी रूपाली दीदी किचन के अंदर से निकल कर बाहर आई और मुन्नी को अपनी गोद में लेकर उसे चुप कराने की कोशिश करने लगी पर वह रोए जा रही थी... मेरी रूपाली दीदी मुन्नी को लेकर बेडरूम के अंदर चली गई अपना दूध पिलाने के लिए..
मैं चुपचाप शांति से बैठा हुआ तो था पर मेरे मन में तरह-तरह के सवाल उठ रहे थे जिसका मेरे पास कोई भी जवाब नहीं था.. मुझे डर था कि कहीं मेरी मम्मी और चंदा भाभी को भी पता ना चल जाए उस घटना के बारे में... इसलिए वहां पर मेरे जीजू या फिर प्रियंका दीदी से उस घटना के बारे में पूछना मेरे लिए बिल्कुल भी मुनासिब नहीं था..
मैंने सोचा क्यों न रुपाली दीदी से बात की जाएगी इसके बारे में, अकेली होगी अपने बेडरूम में मेरी दीदी.. मैं वहां से उठ अपनी रुपाली दीदी के बेडरूम की तरफ गया... मैं बेडरूम के दरवाजे पर खड़ा था और मेरे सामने अद्भुत नजारा था.. मेरी रूपाली दीदी अपने पलंग पर बैठी हुई थी... उनकी साड़ी का पल्लू उनके सीने से हटकर पलंग के ऊपर पड़ा हुआ था... मेरी दीदी की चोली के ऊपर के दोनों बटन खुले हुए थे.. और उनकी एक चूची उनकी चोली के बाहर निकली हुई थी... जिसका निप्पल मुन्नी के मुंह में था.. मेरी रूपाली दीदी अपने एक हाथ से उस चूची को दबा दबा कर दूध पिला रही थी मुन्नी को... दोस्तों आप सब को मेरी रूपाली दीदी की बड़ी बड़ी गदर आई हुई मस्त दुधारू चुचियों के बारे में तो बता चुका हूं.. मोहल्ला क्या पूरा शहर मेरी बहन की दुधारू चुचियों का दीवाना था...
उनकी दूध की तरह सफेद चूची पर दांत और नाखूनों के निशान देखकर मुझे कल रात की घटना याद आने लगी, किस प्रकार से असलम और जुनेद दोनों ने ही मेरे रूपाली दीदी का दूध निचोड़ निचोड़ के चूसा था... और मेरी दीदी भी तो उनका खूब साथ दे रही थी...
मेरी रूपाली दीदी ने जब मुझे दरवाजे पर खड़ा हुआ पाया तो एक क्षण के लिए चौक उठी... वह पहले से ही अपने ख्यालों में खोई हुई थी...
क्या हुआ अंशुल क्या बात है... आओ मेरे पास... दीदी ने बड़े प्यार से मुझे अपने पास बुलाया..
तुम बड़े परेशान लग रहे हो क्या बात है मुझे बताओ... दीदी ने पूछा..
मुझे अब बिल्कुल भी समझ नहीं आ रहा था कि मैं अपनी बहन से क्या बात करूं.. मेरे मन में तरह-तरह के सवाल थे उनसे कैसे पूछूं.
ऊपर से मेरी रूपाली दीदी ने अपने बदन को ढकने का बिल्कुल भी प्रयास नहीं किया था मेरे वहां मौजूद होने के बावजूद भी... बार-बार चोर नजर से मैं अपनी दीदी के तने हुए हिमालय की चोटियों जैसे दोनों पर्वतों को देख रहा था... मेरी रूपाली दीदी को भी इस बात का एहसास था पर शायद उनके मन में था कि अब तक मैंने जो कुछ भी देखा है उसके आगे या तो कुछ भी नहीं...
अब क्या होगा दीदी.... मेरी लड़खड़ाते हुए अपनी दीदी से पूछा.. मेरा छोटा सा लंड भी अपना सर उठा रहा था...
अब कुछ नहीं होगा अंशुल... अब सब कुछ ठीक हो जाएगा... तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो और अपनी पढ़ाई पर ध्यान दो.. हां इस बात का बिल्कुल ख्याल रखना कि यह बात किसी और को ना पता चले वरना हमारे परिवार की बहुत बदनामी होगी....... दीदी ने कहा...
पर दीदी... अगर उन लोगों ने फिर आपके साथ कुछ करने की कोशिश की तो हम लोग क्या करेंगे.. मेरी जुबान लड़खड़ा रही थी बोलते बोलते...
कुछ नहीं होगा अंशुल, तुम बेकार में चिंता कर रहे हो... असलम ने वादा किया है कि अब वह दोबारा ऐसा कुछ भी नहीं करेंगे... और अगर उन लोगों ने कुछ प्रयास किया भी तो मैं अपने यहां के विधायक मिश्रा जी से शिकायत कर दूंगी.. वह दोनों को गिरफ्तार करवा देंगे..
मेरी रूपाली दीदी ने बड़ी सहायता से कहा..
मिश्रा जी रवि के पिताजी है.. हां दोस्तों रवि जिसने दिनेश के साथ मिलकर मेरी रूपाली दीदी की छत पर बैंड बजाइ थी...
पर दीदी... उसकी वीडियो रिकॉर्डिंग का क्या... वह तो अभी भी उन लोगों के पास होगी... मैंने पूछा...
वह रिकॉर्डिंग अभी मेरे पास है... जब जुनैद और असलम सो गए थे थक कर तब मैंने वह रिकॉर्डिंग निकाल कर अपने पर्स में रख ली थी उस दिन जंगल में भी उन लोगों ने अपने मोबाइल में जो रिकॉर्डिंग की थी उसे भी मैंने डिलीट कर दिया.. वह लोग हमें ब्लैकमेल नहीं कर सकते हैं... तुम्हारे जीजू के साथ मिलकर ही हमने यह प्लान बनाया था... बस बेकार में प्रियंका को भी.... बोलते बोलते मेरी रूपाली दीदी रुक गई..
अपनी बहन की चतुराई पर मुझे बेहद गर्व हुआ... मेरे सर से एक बोझ तो हल्का हुआ था... पर अभी भी बहुत सारी चिंताएं थी..
दीदी.. पर जुनैद के फार्म हाउस पर जो मजदूर काम कर रहे थे उन लोगों ने भी हमें अच्छे से पहचान लिया था... रामू चाचा याद है ना आपको.. जो आपकी शादी में 10 दिनों तक हमारे घर पर ही काम करता रहा था, वह भी मौजूद था वहां फार्म हाउस पर और उसने आपको और मुझे भी अच्छी तरह से पहचान लिया था... मैंने कहा...
हां अंशुल... तुम बिल्कुल सही कह रहे हो.. वहां पर वह बुड्ढा रामू चाचा भी था... और भी कई मजदूर थे जो हमें अच्छी तरह पहचानते हैं... पर तुम अपनी दीदी पर भरोसा रखो.. मैं कुछ ना कुछ ऐसा उपाय करूंगी कि वह लोग हमारा बाल भी बांका नहीं कर सकेंगे... मेरी रूपाली दीदी ने बड़े आत्मविश्वास के साथ कहा और मुन्नी को बेड पर सुला दिया... वह फिर से सो चुकी थी... मेरी दीदी के बुलेट जैसे नुकीले निपल्स देखकर मेरा लंड अपने तेवर दिखा रहा था...
मेरी दीदी का आत्मविश्वास देखकर मुझे उन पर भरोसा होने लगा था पर फिर भी एक बात थी जो मैंने अभी तक अपनी बहन को नहीं बताई थी...
दीदी एक बात और कहना चाहता हूं मैं आपसे.. मैंने कहा..
मेरी रूपाली दीदी अपनी चूची को अपनी चोली के अंदर घुसाने का प्रयास कर रही थी...
बोलो अंशुल... और क्या बात करना चाहते हो... बोलते हुए मेरे दीदी ने अपनी चुचियों को अपने चोली में एडजस्ट कर दिया.. और अपनी चोली के बटन बंद करने लगी...
दीदी... आप जुनेद के फार्म हाउस पर मेरे साथ गई थी इस बात का पता मेरे अलावा मेरे दोस्त राजू को भी है... मैंने डरते हुए कहा..
राजू को? पर तुमने राजू को यह बात क्यों बताई,.. राजू तो एक नंबर का.... है... उसने तो यह बात पूरे गांव में फैला दी होगी...
मेरी दीदी के माथे पर चिंता की लकीरें उभरने लगी थी..
दीदी.... मैंने राजू को यह बात नहीं बताई.. बल्कि उसे खुद ही पता चला .... मैंने कहा..
पर कैसे.... दीदी ने पूछा...
उस दिन छत पर जब आप रवि और दिनेश के साथ............
उस दिन मैं और राजू वही अंदर वाले कमरे में लूडो खेल रहे थे... मैंने शरमाते हुए बोल ही दिया..
मेरी रूपाली दीदी का चेहरा तो शर्म के मारे लाल हो गया मेरी बात सुनकर... अपनी सगी बहन से इस तरह की बातें करते हुए मेरा लौड़ा भी हिचकोले खा रहा था...
उस दिन फोन पर जब आप जुनैद के साथ बात कर रही थी लाउड स्पीकर ऑन करके तब .......तब राजू में भी सुन ली थी पूरी बात...
मैंने बोल दिया..
मेरी रुपाली दीदी चिंतित होकर कुछ सोचने लगी.... कुछ देर सोचने के बाद दीदी ने कहा...
देख अंशुल... अब हमारे परिवार की इज्जत तुम्हारे हाथ में है.. तुम्हें राजू को समझाना ही होगा... वरना गांव में यह राज किसी को भी पता चला तो हम सबको डूब मरने के अलावा कोई चारा नहीं बचेगा... राजू तो तेरा सबसे अच्छा दोस्त है ना... दीदी ने कहा...
हां दीदी... मेरे मुंह से बस इतना ही निकला..
उसकी बड़ी बहन सरिता दीदी भी मेरी सबसे अच्छी सहेली है.. खुद राजू भी तो मुझे दीदी दीदी कह कर बुलाता है.. उसे समझाओ कि मैं भी उसकी सरिता दीदी की जैसी ही हूं. अगर उसने हमारी इज्जत उछालने की कोशिश की तो हम गांव में किसी को मुंह दिखाने के लायक नहीं रहेंगे... मेरी दीदी ने बेहद चिंतित मुद्रा में कहा..
हां दीदी... मैं राजू से बात करूंगा इस बारे में... मैंने कहा..
हां अंशुल... तुम्हें यह काम करना ही होगा... देखो मुन्नी कैसे सो रही है... बहुत भूख लगी है चलो खाना खाते हैं... दीदी ने कहा और हम लोग उठ कर कमरे से बाहर निकल गए.
रात में खाना खाने के बाद हम सभी लोग अपने अपने कमरों में सोने के लिए चले गए.. मैं अपने बिस्तर पर लेटा करवटें बदल रहा था नींद मेरी आंखों से कोसों दूर थी.. अजीब सी उलझन में फंसा हुआ था मैं मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं राजू से कैसे बात करूंगा इस टॉपिक पर... मुझे एहसास हुआ कि मुझे सूसू लगी हुई है.. मैं उठकर बाथरूम में गया और अपना लौड़ा निकालकर कमोड के अंदर पेशाब करने लगा... पेशाब करने के बाद मैं अपना लौड़ा पेंट के अंदर डालने वाला था मेरी नजर टॉयलेट के अंदर कोने में पड़ी हुई ब्रा और पेंटी के ऊपर गई...
टॉयलेट के अंदर तो बहुत सारी ब्रा पेंटी सूखने के लिए टंकी हुई थी जो अक्सर मेरे घर के बाथरूम के अंदर सूख रही होती है... ज्यादातर मेरी प्रियंका दीदी की... वह अपने अंडर गारमेंट्स बाथरूम के अंदर ही सूखने के लिए डालती है... मेरी चंदा भाभी तो अपने अंडर गारमेंट्स छत पर सूखने के लिए डालती है... छत पर जाने के बाद उन्हें अपने आस-पड़ोस के जवान लड़कों के साथ चालबाजी करने का मौका जो मिल जाता है.. सच कहूं दोस्तों मेरी चंदा भाभी तो छत पर सिर्फ आस पड़ोस पड़ोस के लड़कों का लोड़ा खड़ा करने के लिए जाती है.. कपड़े सुखाना तो सिर्फ एक बहाना होता है उनके लिए..
खैर मैं जिस ब्रा और पेंटी की बात कर रहा हूं... वह मेरी रूपाली दीदी की थी, उस गुलाबी रंग के अंडर गारमेंट्स को मैं देखते ही एक नजर में पहचान गया था.. कल जुनैद के फार्म हाउस पर जब वह औरत मेरी रूपाली दीदी को दुल्हन की तरह सजा रही थी तब उसने मेरी दीदी को वही अंडर गारमेंट्स पहनाए थे.. मैं उनकी ब्रा को उठाकर देखने लगा... बिल्कुल मेरी रूपाली दीदी की 36 साइज की चुचियों के बराबर.. ब्रा की चुचियों वाले भाग में अंदर की तरफ से दूध के धब्बे बने हुए थे... मैंने अपनी बहन की पेंटी भी उठा के बड़े गौर से देखा... पेंटी के योनि वाले भाग पर धब्बे बने हुए थे... बेहद गंदी लग रही थी उनकी वह गुलाबी चड्डी जाहिर है दोस्तों मेरी रूपाली दीदी ने जुनैद के फार्म हाउस से लौटने के बाद अपने अंडर गारमेंट उतार के बाथरूम के कोने में रख दिए थे और नहाने के बाद उनको साफ करना भूल गई थी.
मैं अपनी रूपाली दीदी की पेंटी को अपने चेहरे के पास लेकर आया.. अपनी सगी बहन की चड्डी की कामुक खुशबू का अहसास पाकर में मदहोश होने लगा था... मेरा लौड़ा अकड़ कर खड़ा हो गया और सलामी देने लगा रूपाली दीदी को...
बाथरूम के अंदर इतनी देर तक खड़े रहना मुझे ठीक नहीं लगा.. मैं अपनी दीदी की ब्रा और पेंटी को लेकर अपने बेडरूम के अंदर आ गया.... दरवाजा बंद करने के बाद मैंने अपने सारे कपड़े उतार कर फेंक दिय और बिल्कुल नंगा हो गया... अपनी रूपाली दीदी की मुलायम छोटी सी चड्डी को सूंघते हुए मैं जोर-जोर से मुठ मारने लगा मैं पागलों की तरह अपना लोड़ा ऊपर नीचे अपने हाथों से कर रहा था अपनी सगी बहन की पेंटी को सूंघते हुए.
अजीबोगरीब खुशबू आ रही थी मेरी दीदी की चड्डी के अंदर से.. उस मुलायम सी प्यारी छोटी सी चड्डी म ना सिर्फ मेरी दीदी की गुलाबी मछली का काम रस लगा हुआ था बल्कि जुनैद और असलम के काले काले मोटे लंबे लोड़े की मलाई भी लगी हुई थी जो सूख चुकी थी.
कुछ देर बाद मैंने अपनी दीदी की पेंटी को अपने लोड़े पर रख लिया और पैंटी के ऊपर से ही अपने हाथ से अपने लोड़े को मसलने लगा था .मुझे अद्भुत आनंद का एहसास हो रहा था... मैंने दीदी की ब्रा को अपने बिस्तर के ऊपर रख दिया और उसके ऊपर लेट कर मैं अपनी दीदी की ब्रा को चाटने लगा... ब्रा के दोनों मुलायम कप को अपने हाथों में पकड़ के मैं निपल्स वाले हिस्से को मैं अपनी जीभ से चाटने लगा... एक नई नवेली मां के दूध की खुशबू पाकर मैं पागल हो चुका था.. अपनी रूपाली दीदी की ब्रा को मै ऐसे चूस रहा था मानो मैं उनकी बड़ी बड़ी चूची से दूध पी रहा हूं.. मेरी आंखों के सामने उन सभी खुशनसीब मर्द का चेहरा घूम रहा था जिन्होंने पिछले कुछ दिनों में मेरी रूपाली दीदी का दूध पिया था निचोड़ कर..... और मेरी दीदी को कभी पटक के,कभी घोड़ी बनाकर और कभी अपने लोड़े के ऊपर बिठा के चोदा था...
मैं अपने ही ख्यालों में खोया हुआ था कि मुझे अपने मोबाइल की घंटी सुनाई थी... मैंने देखा राजू था... मैं अपने ख्यालों की दुनिया से वापस लौट आया था.. मैंने फोन उठा लिया और कहा...
हेलो... मेरी आवाज लड़खड़ा रही थी.. मैं अभी भी मुट्ठ मार रहा था.
कैसा है बहन चोद.... राजू ने मुझसे पूछा.
मैं ठीक हूं. तू बता... मैंने कहा.
मैं भी मस्त हूं साले... तूने मुझे चुटिया बनाया.. अपनी रूपाली दीदी को लेकर चुपचाप अकेले चला जुनेद के अड्डे पर... साले तूने तो कहा था कि तुम मुझे भी अपने साथ लेकर जाएगा.. राजू बोला.
माफ कर दे यार मुझे... मेरे जीजू भी मेरे साथ ही गए थे... तू ही बता मैं तुझे कैसे साथ में लेकर जाता... मैंने बात को संभालने की कोशिश करते हुए कहा...
पर मुझे तभी एहसास हुआ की" मेरे जीजू भी साथ में थे" बता कर बहुत बड़ी गलती कर दी है...
तेरी बहन के लोड़े... साला तेरा जीजा भी तेरे साथ गया था अपनी बीवी को चुदवाने .. साले मुझे तो पहले से ही पता था कि तेरा जीजा बहुत बड़ा गांडू है... दुनिया में ऐसा कौन सा मर्द होगा जो अपनी बीवी को किसी गुंडे के साथ चुदवाने के लिए उसके अड्डे पर लेकर जाएगा वाकई में बहुत बड़ा चुटिया है तेरा जीजा..
तू सच कह रहा है यार.. मेरे जीजू वाकई में नपुंसक हो चुके हैं... मैंने राजू की चापलूसी करते हुए कहा...
पर राजू की बातों से मैं भी शर्मिंदा हो गया था... अगर मेरे जीजू नपुंसक है तो फिर मैं क्या हु... जो अपनी सगी बहन को चुदवाने खुद ही एक गुंडे के पास लेके जाता है...
अच्छा साले.... जब जुनैद तेरी रूपाली दीदी को चोद रहा था तब क्या तेरा जीजा वहां पर खड़े होकर मुट्ठ मारा था... बेहद कामुक लहजे में राजू ने मुझसे पूछा..
नहीं यार उन लोगों ने मेरे जीजू को इतनी शराब पिला दी थी कि वह तो बेहोश हो गए थे... उन्हें तो होश ही नहीं था... मैंने कहा.
उन लोगों ने.... मतलब.... जुनेद के अलावा कोई और भी था क्या वहां पर... राजू ने मुझसे पूछा..
असलम भी था वहां पर.. मैंने धीरे से कहा..
फिर तो दोनों ने मिलकर तेरी रुपाली दीदी का तेल निकाल दिया होगा रात भर में...आआहह... तेरी दीदी को भी तो मजा आ गया होगा..
बोलते हुए राजू की सांसे भारी हो चुकी थी.. वह भी शायद अपने लोड़े को मसल रहा था...
राजू... तूने किसी और को तो नहीं बताई है ना इस कांड के बारे में .तुम मेरे सबसे अच्छे दोस्त हो.. मैं तुम्हारे ऊपर सबसे ज्यादा भरोसा करता हूं.. मेरे घर की इज्जत का सवाल है... अगर गांव में किसी को भी इस बारे में पता चला तो हम लोग डूब के मर जाएंगे शर्म के मारे... तू समझ तो रहा है ना मेरी बात को.... मैंने बड़ी गंभीरता के साथ राजू को कहा... रूपाली दीदी की दी हुई सीख मुझे याद आने लगी थी..
अबे साले क्या तु मुझे पागल समझता है, जो मैं गांव में घूम घूम कर ऐसी बातें लोगों को बताऊंगा... तेरे घर की इज्जत मेरे घर की इज्जत समझ... तेरी रूपाली दीदी मेरी भी...... बोलते बोलते राजू रुक गया था...
आआआहह..सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स.... राजू के मुंह से अजीबोगरीब आवाजें निकल रही थी...
आआआहह साले तू भी तो बता मुझे ठीक से... क्या-क्या किया था उन दोनों गुंडों ने तेरी दीदी के साथ... पूरी बात बता मुझे... तेरी रुपाली दीदी उनकी अड्डे पर क्या पहन कर गई थी...
राजू कामुक होकर पूछ रहा था.
मेरी दीदी उस दिन एक लाल रंग का लहंगा और चोली पहन के उनके पास गई थी... मेरी आंखों के सामने में कल रात का पूरा दृश्य घूमने लगा. मेरा लंड एक बार फिर से अकड़ के खड़ा हो गया.. मेरे लोड़े के ऊपर मेरी रूपाली दीदी की पेंटी झूल रही थी..
आह्ह … बहन के लोड़े..आह्ह … तेरी रूपाली दीदी तो पूरी दुल्हन बन कर गई थी उन गुंडों के पास..आह्ह … साली.. तेरी छम्मक छल्लो दीदी तो पूरी माल लग रही होगी लहंगा चोली में.. राजू सिसकते हुए बोल रहा था और अपना लोड़ा हिला रहा था...
हां यार तू बिल्कुल सही कह रहा है.. वैसे भी रूपाली दीदी बेहद खूबसूरत है.... मैंने कहा...
खूबसूरत ही नहीं साले, मुझे तो लगता है कि तेरी रुपाली दीदी बहुत बड़ी चुडक्कड़ औरत है... तूने तो देखा था उस दिन तेरे घर की छत के ऊपर ही खुलेआम नंगी होकर...आआआअ... रवि और दिनेश के साथ..आआआअ... चोदम पट्टी कर रही थी... साले आगे बता ना क्या किया उन गुंडों ने तेरी बहना के साथ.... राजू ने पूछा..
उन लोगों ने जब मेरी दीदी को देखा तब वह लोग पागल हो गए.. असलम में मेरी भांजी को अपनी बाहों में ले लिया मेरी दीदी की गोद में से लेकर.. और जुनैद मेरी रूपाली दीदी का हाथ पकड़कर उन्हें अपने बेडरूम में ले गया... फिर असलम ने मुन्नी को मेरी गोद में दे दिया... मैं राजू को कहानियां सुना रहा था और अपना लोड़ा हिला रहा था...
फिर क्या किया और लोगों ने साले बता ना... तू अपनी भांजी को अपनी गोद में लिए हुए खड़ा था और वह दोनों गुंडे तेरी दीदी के बदन को नोच रहे थे.. और तेरा गांडू जीजा... वह मादरजात क्या कर रहा था.... राजू ने पूछा..
नहीं यार उन लोगों ने सबसे पहले तो खूब जी भर के दारु पी और मेरे जीजा जी को भी पिलाया... मेरे जीजू तो बेहोश हो गए दो तीन पैग पीने के बाद... पर दोनों का स्टैमिना बहुत था... पीने के बाद दोनों ने मेरी रूपाली दीदी के साथ छेड़खानी करनी शुरू कर दी.. मेरी दीदी को पलंग के ऊपर लिटा कर चूमने चाटने लगे.... मैं जोर-जोर से मेरे लोड़े को हिलाते हुए धीरे-धीरे बोल रहा था..
-“आआऽ उम्म्म्ऊह्ह… अह्ह… साले उन दोनों का लंड तो पूरा खड़ा हो गया होगा ना... तेरी बहना के लहंगा चोली तो फाड़ के फेंक दी होगी उन लोगों ने.... वैसे भी तेरे रूपाली दीदी के बदन पर कपड़े अच्छे नहीं लगे होंगे उन लोगों को....
नहीं यार ऐसा नहीं हुआ... असलम मेरी दीदी की चोली को खींचना शुरू कर दिया था... पर मेरी रूपाली दीदी ने खुद ही अपनी चोली अपने हाथों से खोल दी.. मैंने राजू को बताया..
आह्ह... मस्त चुडक्कड़ है तेरी रूपाली दीदी... हाय रे अंशुल.. तेरी बहना ने खुद ही अपनी चोली खोल दी उन दोनों गुंडों के सामने.. तेरी दीदी ने तो वैसे ब्रा पहनी हुई थी या नहीं.. राजू बोला..
नहीं यार मेरी रूपाली दीदी ने ब्रा नहीं पहनी थी.. पहले ही मना किया होगा मेरी दीदी को ब्रा पहन के आने से जुनैद ने.. मैंने जवाब दिया...
किसी ने भी मुझ पर ध्यान नहीं दिया... कमरे के अंदर से अभी भी पायल की रुनझुन और चूड़ियों की खन खन जो मेरी रूपाली दीदी और प्रियंका दीदी के साथ कांड की दास्तान बयां कर रहे थे... बीच-बीच में चीखने सिसकने की आवाजें भी आ रही थी... ना जाने मुझे कब नींद आ गई...
जब मेरी आंख खुली तब दिन चढ़ आया था... मेरे जीजू ने मुझे जगाया... मेरी दोनों बहने पहले ही गाड़ी में जाकर बैठ चुकी थी... जुनैद और असलम दोनों काफी थके हुए लग रहे थे... पर दोनों मुझे देख कर मुस्कुरा रहे थे.. जीजू और उन दोनों के बीच में क्या बात हो रही थी मैं सुन नहीं पा रहा था.. पर जाहिर है उन लोगों ने हमें वापस जाने की परमिशन तो दे दी थी.... मैं चुपचाप उठकर वहां से आया और गाड़ी के अंदर आगे की सीट पर बैठ गया... पीछे पलट कर मैंने एक निगाह अपनी दोनों बहनों पर डाली.. मेरी दोनों दीदियों के चेहरे पर थकान थी और आंखों में नींद...
चुदाई की रणभूमि में पटक पटक कर चोद दी गई मेरी दोनों बहनों के चेहरे पर सूख चुका उन दोनों गुंडों का वीर्य चिपका हुआ था... दोनों ही बुरी तरह पस्त हो चुकी है... जाहिर है उन कमीनों ने मेरी बहनों को रात भर सोने नहीं दिया था... थोड़ी देर बाद जीजू आ गय.. और हम लोग वहां से सरपट रवाना हो गए.. मेरी जीजू ड्राइविंग कर रहे थे मैं चुपचाप बैठा हुआ था.... प्रियंका दीदी तो रुपाली दीदी के कंधे पर सो गई थी... और मेरी रूपाली दीदी सुन मुद्रा में गाड़ी की छत की तरफ देख रही थी....
घर पहुंचते ही मेरी प्रियंका दीदी और रूपाली दीदी तो अपने कमरे में जाकर सो गई... मेरी मम्मी ने दरवाजा खोला था, उन्हें तो बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि उनकी दोनों बेटियों के साथ क्या कांड हुआ है आज... जीजू ने मेरी मम्मी को पहले ही बता रखा था कि हम लोग उनके दोस्त की इंगेजमेंट पार्टी में थे...
मेरे चेहरे पर हवाइयां उड़ रही थी... मुझे बिल्कुल समझ नहीं आ रहा था कि आगे क्या होगा...
बेटा क्या हुआ तुझे तू इतना परेशान क्यों लग रहा है... मेरी मम्मी ने मुझसे पूछा..
मेरी और भी हालत पतली हो गई... मैं भला उनको और क्या जवाब देता...
कुछ नहीं मम्मी रात को सोया नहीं ना इसलिए... मैंने कहा..
जाकर तू भी थोड़ा आराम कर ले... रुपाली और प्रियंका भी रात भर नहीं सोई है लगता है.. खूब मस्ती की है तुम लोगों ने... जा सो जा... मम्मी ने मुझे कहा और किचन की तरफ चली गई..
मैं अपने बेडरूम की तरफ जाने लगा..
इधर आ मेरे पास... मुझे तुमसे एक बात करनी है... जीजू ने मुझे कहा..
जब मैं उनके पास गया तो मैंने देखा कि उनकी आंखों में आंसू थे. उन्होंने मुझसे कहा - सुनो जो कुछ भी हुआ उसे एक बुरा सपना समझकर भूल जाओ.. अगर इस बात का पता बाहर किसी को भी चला तो हमारे खानदान की इज्जत मिट्टी में मिल जाएगी...
हां आप बिल्कुल सही कह रहे हो ... मैंने कहा..
मैं अपने कमरे में आकर बिस्तर पर लेट गया... नींद मेरी आंखों से कोसों दूर थी... कल रात की घटनाएं और उसके पहले की भी मेरी आंखों के सामने घूम रही थी...
दोस्तों मुझे आपको बताने में ही यहां पर बिल्कुल भी संकोच नहीं हो रहा है कि मुझे एहसास हो चुका था कि मेरी दोनों बहुत बड़ी छिनाल है... जिस प्रकार मेरी प्रियंका दीदी जुनैद के भारी-भरकम लोड़े को अपनी छोटी सी प्यारी मुनिया में लेकर उछल कूद मचा रही थी, वह भी पहली बार जब उनकी सील टूटी थी जुनैद के लोड़े से, मैं समझ चुका था कि मेरे प्रियंका दीदी बहुत ही कामुक लड़की है..
और मेरी रूपाली दीदी कि क्या ही कहने... पिछले 5 दिनों में 5 मर्दों ने रूपाली दीदी की चुदाई की थी मेरे जीजू के अलावा,, मेरी आंखों के सामने...
मेरा छोटा सा लण्ड पूरी तरह खड़ा हो चुका था.. अपने हाथों से मैंने अपने लण्ड को पकड़ा और जोर जोर से हिलाने लगा... मेरी कामुक कल्पना में मेरी ही अपनी दोनों सगी बहने थी... जुनैद और असलम के द्वारा मेरी बहनों की दर्दनाक चुदाई की फिल्म मेरी आंखों के सामने दौड़ रही थी.. और मैं मुट्ठ मार रहा था... अचानक मेरे लण्ड से एक जबरदस्त पिचकारी निकल कि मेरे मुंह के ऊपर आकर गिरी... खट्टा नमकीन स्वाद मेरे मुंह में भर गया.... मैं अपने लण्ड से निकला हुआ माल खुद ही चाट रहा था....... मुझे स्वाद कुछ ज्यादा बुरा नहीं लगा मैं अच्छे से पी गया अपना ही माल.... तभी मुझे एहसास हुआ कि मेरी बहनों ने तो रात भर असलम और जुनैद के लौंडे की मलाई पि होगी... और उन दोनों के लोड़े से तो मक्खन भी एक कटोरी निकलता है लगभग.. पेट भर गया होगा मेरी दोनों बहनों का...
इतनी अजीबोगरीब सोच वह भी अपनी सगी बहनों के बारे में... मैंने अपने सर को एक झटका दिया.. मेरा छोटा सा लौड़ा भी मुरझा चुका था.. और मेरे मुंह में अभी भी मेरे ही लोड़े के रस का स्वाद था. आज पहली बार मैंने लोड़े का वीर्य पिया था, वह भी खुद का... मैं बहुत देर तक सोता रहा.. पता नहीं कितनी देर में, जब आंख खुली थी तो अंधेरा हो चुका था... मैं उठकर हॉल में आया... मेरी चंदा भाभी किचन में खाना बना रही थी, रूपाली दीदी उनका साथ दे रही थी और मेरी मम्मी टीवी देख रही थी... मेरे जीजू और प्रियंका दीदी चुपचाप बैठे हुए अपने अपने मोबाइल में कुछ देख रहे थे सोफे के ऊपर.. मुन्नी पालने के अंदर सो रही थी गहरी नींद में... मेरे घर का माहौल बिल्कुल नॉर्मल सा लग रहा था, ऐसा लग रहा था जैसे कि कुछ हुआ ही नहीं हो, एक बार तो मुझे झटका सा लगा कि कहीं मैंने कोई बुरा सा सपना तो नहीं देखा था.. लेकिन वह सपना नहीं था . वह एक ऐसी हकीकत थी जो शायद मैं जिंदगी भर नहीं भूल पाऊंगा और मुझे और मेरे परिवार को उसकी कीमत बार-बार चुकानी पड़ेगी शायद... मैं मन ही मन बेहद व्यथित था..
जाग चुकी थी और रो रही थी... शायद उसे भूख लगी थी... मेरी रूपाली दीदी किचन के अंदर से निकल कर बाहर आई और मुन्नी को अपनी गोद में लेकर उसे चुप कराने की कोशिश करने लगी पर वह रोए जा रही थी... मेरी रूपाली दीदी मुन्नी को लेकर बेडरूम के अंदर चली गई अपना दूध पिलाने के लिए..
मैं चुपचाप शांति से बैठा हुआ तो था पर मेरे मन में तरह-तरह के सवाल उठ रहे थे जिसका मेरे पास कोई भी जवाब नहीं था.. मुझे डर था कि कहीं मेरी मम्मी और चंदा भाभी को भी पता ना चल जाए उस घटना के बारे में... इसलिए वहां पर मेरे जीजू या फिर प्रियंका दीदी से उस घटना के बारे में पूछना मेरे लिए बिल्कुल भी मुनासिब नहीं था..
मैंने सोचा क्यों न रुपाली दीदी से बात की जाएगी इसके बारे में, अकेली होगी अपने बेडरूम में मेरी दीदी.. मैं वहां से उठ अपनी रुपाली दीदी के बेडरूम की तरफ गया... मैं बेडरूम के दरवाजे पर खड़ा था और मेरे सामने अद्भुत नजारा था.. मेरी रूपाली दीदी अपने पलंग पर बैठी हुई थी... उनकी साड़ी का पल्लू उनके सीने से हटकर पलंग के ऊपर पड़ा हुआ था... मेरी दीदी की चोली के ऊपर के दोनों बटन खुले हुए थे.. और उनकी एक चूची उनकी चोली के बाहर निकली हुई थी... जिसका निप्पल मुन्नी के मुंह में था.. मेरी रूपाली दीदी अपने एक हाथ से उस चूची को दबा दबा कर दूध पिला रही थी मुन्नी को... दोस्तों आप सब को मेरी रूपाली दीदी की बड़ी बड़ी गदर आई हुई मस्त दुधारू चुचियों के बारे में तो बता चुका हूं.. मोहल्ला क्या पूरा शहर मेरी बहन की दुधारू चुचियों का दीवाना था...
उनकी दूध की तरह सफेद चूची पर दांत और नाखूनों के निशान देखकर मुझे कल रात की घटना याद आने लगी, किस प्रकार से असलम और जुनेद दोनों ने ही मेरे रूपाली दीदी का दूध निचोड़ निचोड़ के चूसा था... और मेरी दीदी भी तो उनका खूब साथ दे रही थी...
मेरी रूपाली दीदी ने जब मुझे दरवाजे पर खड़ा हुआ पाया तो एक क्षण के लिए चौक उठी... वह पहले से ही अपने ख्यालों में खोई हुई थी...
क्या हुआ अंशुल क्या बात है... आओ मेरे पास... दीदी ने बड़े प्यार से मुझे अपने पास बुलाया..
तुम बड़े परेशान लग रहे हो क्या बात है मुझे बताओ... दीदी ने पूछा..
मुझे अब बिल्कुल भी समझ नहीं आ रहा था कि मैं अपनी बहन से क्या बात करूं.. मेरे मन में तरह-तरह के सवाल थे उनसे कैसे पूछूं.
ऊपर से मेरी रूपाली दीदी ने अपने बदन को ढकने का बिल्कुल भी प्रयास नहीं किया था मेरे वहां मौजूद होने के बावजूद भी... बार-बार चोर नजर से मैं अपनी दीदी के तने हुए हिमालय की चोटियों जैसे दोनों पर्वतों को देख रहा था... मेरी रूपाली दीदी को भी इस बात का एहसास था पर शायद उनके मन में था कि अब तक मैंने जो कुछ भी देखा है उसके आगे या तो कुछ भी नहीं...
अब क्या होगा दीदी.... मेरी लड़खड़ाते हुए अपनी दीदी से पूछा.. मेरा छोटा सा लंड भी अपना सर उठा रहा था...
अब कुछ नहीं होगा अंशुल... अब सब कुछ ठीक हो जाएगा... तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो और अपनी पढ़ाई पर ध्यान दो.. हां इस बात का बिल्कुल ख्याल रखना कि यह बात किसी और को ना पता चले वरना हमारे परिवार की बहुत बदनामी होगी....... दीदी ने कहा...
पर दीदी... अगर उन लोगों ने फिर आपके साथ कुछ करने की कोशिश की तो हम लोग क्या करेंगे.. मेरी जुबान लड़खड़ा रही थी बोलते बोलते...
कुछ नहीं होगा अंशुल, तुम बेकार में चिंता कर रहे हो... असलम ने वादा किया है कि अब वह दोबारा ऐसा कुछ भी नहीं करेंगे... और अगर उन लोगों ने कुछ प्रयास किया भी तो मैं अपने यहां के विधायक मिश्रा जी से शिकायत कर दूंगी.. वह दोनों को गिरफ्तार करवा देंगे..
मेरी रूपाली दीदी ने बड़ी सहायता से कहा..
मिश्रा जी रवि के पिताजी है.. हां दोस्तों रवि जिसने दिनेश के साथ मिलकर मेरी रूपाली दीदी की छत पर बैंड बजाइ थी...
पर दीदी... उसकी वीडियो रिकॉर्डिंग का क्या... वह तो अभी भी उन लोगों के पास होगी... मैंने पूछा...
वह रिकॉर्डिंग अभी मेरे पास है... जब जुनैद और असलम सो गए थे थक कर तब मैंने वह रिकॉर्डिंग निकाल कर अपने पर्स में रख ली थी उस दिन जंगल में भी उन लोगों ने अपने मोबाइल में जो रिकॉर्डिंग की थी उसे भी मैंने डिलीट कर दिया.. वह लोग हमें ब्लैकमेल नहीं कर सकते हैं... तुम्हारे जीजू के साथ मिलकर ही हमने यह प्लान बनाया था... बस बेकार में प्रियंका को भी.... बोलते बोलते मेरी रूपाली दीदी रुक गई..
अपनी बहन की चतुराई पर मुझे बेहद गर्व हुआ... मेरे सर से एक बोझ तो हल्का हुआ था... पर अभी भी बहुत सारी चिंताएं थी..
दीदी.. पर जुनैद के फार्म हाउस पर जो मजदूर काम कर रहे थे उन लोगों ने भी हमें अच्छे से पहचान लिया था... रामू चाचा याद है ना आपको.. जो आपकी शादी में 10 दिनों तक हमारे घर पर ही काम करता रहा था, वह भी मौजूद था वहां फार्म हाउस पर और उसने आपको और मुझे भी अच्छी तरह से पहचान लिया था... मैंने कहा...
हां अंशुल... तुम बिल्कुल सही कह रहे हो.. वहां पर वह बुड्ढा रामू चाचा भी था... और भी कई मजदूर थे जो हमें अच्छी तरह पहचानते हैं... पर तुम अपनी दीदी पर भरोसा रखो.. मैं कुछ ना कुछ ऐसा उपाय करूंगी कि वह लोग हमारा बाल भी बांका नहीं कर सकेंगे... मेरी रूपाली दीदी ने बड़े आत्मविश्वास के साथ कहा और मुन्नी को बेड पर सुला दिया... वह फिर से सो चुकी थी... मेरी दीदी के बुलेट जैसे नुकीले निपल्स देखकर मेरा लंड अपने तेवर दिखा रहा था...
मेरी दीदी का आत्मविश्वास देखकर मुझे उन पर भरोसा होने लगा था पर फिर भी एक बात थी जो मैंने अभी तक अपनी बहन को नहीं बताई थी...
दीदी एक बात और कहना चाहता हूं मैं आपसे.. मैंने कहा..
मेरी रूपाली दीदी अपनी चूची को अपनी चोली के अंदर घुसाने का प्रयास कर रही थी...
बोलो अंशुल... और क्या बात करना चाहते हो... बोलते हुए मेरे दीदी ने अपनी चुचियों को अपने चोली में एडजस्ट कर दिया.. और अपनी चोली के बटन बंद करने लगी...
दीदी... आप जुनेद के फार्म हाउस पर मेरे साथ गई थी इस बात का पता मेरे अलावा मेरे दोस्त राजू को भी है... मैंने डरते हुए कहा..
राजू को? पर तुमने राजू को यह बात क्यों बताई,.. राजू तो एक नंबर का.... है... उसने तो यह बात पूरे गांव में फैला दी होगी...
मेरी दीदी के माथे पर चिंता की लकीरें उभरने लगी थी..
दीदी.... मैंने राजू को यह बात नहीं बताई.. बल्कि उसे खुद ही पता चला .... मैंने कहा..
पर कैसे.... दीदी ने पूछा...
उस दिन छत पर जब आप रवि और दिनेश के साथ............
उस दिन मैं और राजू वही अंदर वाले कमरे में लूडो खेल रहे थे... मैंने शरमाते हुए बोल ही दिया..
मेरी रूपाली दीदी का चेहरा तो शर्म के मारे लाल हो गया मेरी बात सुनकर... अपनी सगी बहन से इस तरह की बातें करते हुए मेरा लौड़ा भी हिचकोले खा रहा था...
उस दिन फोन पर जब आप जुनैद के साथ बात कर रही थी लाउड स्पीकर ऑन करके तब .......तब राजू में भी सुन ली थी पूरी बात...
मैंने बोल दिया..
मेरी रुपाली दीदी चिंतित होकर कुछ सोचने लगी.... कुछ देर सोचने के बाद दीदी ने कहा...
देख अंशुल... अब हमारे परिवार की इज्जत तुम्हारे हाथ में है.. तुम्हें राजू को समझाना ही होगा... वरना गांव में यह राज किसी को भी पता चला तो हम सबको डूब मरने के अलावा कोई चारा नहीं बचेगा... राजू तो तेरा सबसे अच्छा दोस्त है ना... दीदी ने कहा...
हां दीदी... मेरे मुंह से बस इतना ही निकला..
उसकी बड़ी बहन सरिता दीदी भी मेरी सबसे अच्छी सहेली है.. खुद राजू भी तो मुझे दीदी दीदी कह कर बुलाता है.. उसे समझाओ कि मैं भी उसकी सरिता दीदी की जैसी ही हूं. अगर उसने हमारी इज्जत उछालने की कोशिश की तो हम गांव में किसी को मुंह दिखाने के लायक नहीं रहेंगे... मेरी दीदी ने बेहद चिंतित मुद्रा में कहा..
हां दीदी... मैं राजू से बात करूंगा इस बारे में... मैंने कहा..
हां अंशुल... तुम्हें यह काम करना ही होगा... देखो मुन्नी कैसे सो रही है... बहुत भूख लगी है चलो खाना खाते हैं... दीदी ने कहा और हम लोग उठ कर कमरे से बाहर निकल गए.
रात में खाना खाने के बाद हम सभी लोग अपने अपने कमरों में सोने के लिए चले गए.. मैं अपने बिस्तर पर लेटा करवटें बदल रहा था नींद मेरी आंखों से कोसों दूर थी.. अजीब सी उलझन में फंसा हुआ था मैं मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं राजू से कैसे बात करूंगा इस टॉपिक पर... मुझे एहसास हुआ कि मुझे सूसू लगी हुई है.. मैं उठकर बाथरूम में गया और अपना लौड़ा निकालकर कमोड के अंदर पेशाब करने लगा... पेशाब करने के बाद मैं अपना लौड़ा पेंट के अंदर डालने वाला था मेरी नजर टॉयलेट के अंदर कोने में पड़ी हुई ब्रा और पेंटी के ऊपर गई...
टॉयलेट के अंदर तो बहुत सारी ब्रा पेंटी सूखने के लिए टंकी हुई थी जो अक्सर मेरे घर के बाथरूम के अंदर सूख रही होती है... ज्यादातर मेरी प्रियंका दीदी की... वह अपने अंडर गारमेंट्स बाथरूम के अंदर ही सूखने के लिए डालती है... मेरी चंदा भाभी तो अपने अंडर गारमेंट्स छत पर सूखने के लिए डालती है... छत पर जाने के बाद उन्हें अपने आस-पड़ोस के जवान लड़कों के साथ चालबाजी करने का मौका जो मिल जाता है.. सच कहूं दोस्तों मेरी चंदा भाभी तो छत पर सिर्फ आस पड़ोस पड़ोस के लड़कों का लोड़ा खड़ा करने के लिए जाती है.. कपड़े सुखाना तो सिर्फ एक बहाना होता है उनके लिए..
खैर मैं जिस ब्रा और पेंटी की बात कर रहा हूं... वह मेरी रूपाली दीदी की थी, उस गुलाबी रंग के अंडर गारमेंट्स को मैं देखते ही एक नजर में पहचान गया था.. कल जुनैद के फार्म हाउस पर जब वह औरत मेरी रूपाली दीदी को दुल्हन की तरह सजा रही थी तब उसने मेरी दीदी को वही अंडर गारमेंट्स पहनाए थे.. मैं उनकी ब्रा को उठाकर देखने लगा... बिल्कुल मेरी रूपाली दीदी की 36 साइज की चुचियों के बराबर.. ब्रा की चुचियों वाले भाग में अंदर की तरफ से दूध के धब्बे बने हुए थे... मैंने अपनी बहन की पेंटी भी उठा के बड़े गौर से देखा... पेंटी के योनि वाले भाग पर धब्बे बने हुए थे... बेहद गंदी लग रही थी उनकी वह गुलाबी चड्डी जाहिर है दोस्तों मेरी रूपाली दीदी ने जुनैद के फार्म हाउस से लौटने के बाद अपने अंडर गारमेंट उतार के बाथरूम के कोने में रख दिए थे और नहाने के बाद उनको साफ करना भूल गई थी.
मैं अपनी रूपाली दीदी की पेंटी को अपने चेहरे के पास लेकर आया.. अपनी सगी बहन की चड्डी की कामुक खुशबू का अहसास पाकर में मदहोश होने लगा था... मेरा लौड़ा अकड़ कर खड़ा हो गया और सलामी देने लगा रूपाली दीदी को...
बाथरूम के अंदर इतनी देर तक खड़े रहना मुझे ठीक नहीं लगा.. मैं अपनी दीदी की ब्रा और पेंटी को लेकर अपने बेडरूम के अंदर आ गया.... दरवाजा बंद करने के बाद मैंने अपने सारे कपड़े उतार कर फेंक दिय और बिल्कुल नंगा हो गया... अपनी रूपाली दीदी की मुलायम छोटी सी चड्डी को सूंघते हुए मैं जोर-जोर से मुठ मारने लगा मैं पागलों की तरह अपना लोड़ा ऊपर नीचे अपने हाथों से कर रहा था अपनी सगी बहन की पेंटी को सूंघते हुए.
अजीबोगरीब खुशबू आ रही थी मेरी दीदी की चड्डी के अंदर से.. उस मुलायम सी प्यारी छोटी सी चड्डी म ना सिर्फ मेरी दीदी की गुलाबी मछली का काम रस लगा हुआ था बल्कि जुनैद और असलम के काले काले मोटे लंबे लोड़े की मलाई भी लगी हुई थी जो सूख चुकी थी.
कुछ देर बाद मैंने अपनी दीदी की पेंटी को अपने लोड़े पर रख लिया और पैंटी के ऊपर से ही अपने हाथ से अपने लोड़े को मसलने लगा था .मुझे अद्भुत आनंद का एहसास हो रहा था... मैंने दीदी की ब्रा को अपने बिस्तर के ऊपर रख दिया और उसके ऊपर लेट कर मैं अपनी दीदी की ब्रा को चाटने लगा... ब्रा के दोनों मुलायम कप को अपने हाथों में पकड़ के मैं निपल्स वाले हिस्से को मैं अपनी जीभ से चाटने लगा... एक नई नवेली मां के दूध की खुशबू पाकर मैं पागल हो चुका था.. अपनी रूपाली दीदी की ब्रा को मै ऐसे चूस रहा था मानो मैं उनकी बड़ी बड़ी चूची से दूध पी रहा हूं.. मेरी आंखों के सामने उन सभी खुशनसीब मर्द का चेहरा घूम रहा था जिन्होंने पिछले कुछ दिनों में मेरी रूपाली दीदी का दूध पिया था निचोड़ कर..... और मेरी दीदी को कभी पटक के,कभी घोड़ी बनाकर और कभी अपने लोड़े के ऊपर बिठा के चोदा था...
मैं अपने ही ख्यालों में खोया हुआ था कि मुझे अपने मोबाइल की घंटी सुनाई थी... मैंने देखा राजू था... मैं अपने ख्यालों की दुनिया से वापस लौट आया था.. मैंने फोन उठा लिया और कहा...
हेलो... मेरी आवाज लड़खड़ा रही थी.. मैं अभी भी मुट्ठ मार रहा था.
कैसा है बहन चोद.... राजू ने मुझसे पूछा.
मैं ठीक हूं. तू बता... मैंने कहा.
मैं भी मस्त हूं साले... तूने मुझे चुटिया बनाया.. अपनी रूपाली दीदी को लेकर चुपचाप अकेले चला जुनेद के अड्डे पर... साले तूने तो कहा था कि तुम मुझे भी अपने साथ लेकर जाएगा.. राजू बोला.
माफ कर दे यार मुझे... मेरे जीजू भी मेरे साथ ही गए थे... तू ही बता मैं तुझे कैसे साथ में लेकर जाता... मैंने बात को संभालने की कोशिश करते हुए कहा...
पर मुझे तभी एहसास हुआ की" मेरे जीजू भी साथ में थे" बता कर बहुत बड़ी गलती कर दी है...
तेरी बहन के लोड़े... साला तेरा जीजा भी तेरे साथ गया था अपनी बीवी को चुदवाने .. साले मुझे तो पहले से ही पता था कि तेरा जीजा बहुत बड़ा गांडू है... दुनिया में ऐसा कौन सा मर्द होगा जो अपनी बीवी को किसी गुंडे के साथ चुदवाने के लिए उसके अड्डे पर लेकर जाएगा वाकई में बहुत बड़ा चुटिया है तेरा जीजा..
तू सच कह रहा है यार.. मेरे जीजू वाकई में नपुंसक हो चुके हैं... मैंने राजू की चापलूसी करते हुए कहा...
पर राजू की बातों से मैं भी शर्मिंदा हो गया था... अगर मेरे जीजू नपुंसक है तो फिर मैं क्या हु... जो अपनी सगी बहन को चुदवाने खुद ही एक गुंडे के पास लेके जाता है...
अच्छा साले.... जब जुनैद तेरी रूपाली दीदी को चोद रहा था तब क्या तेरा जीजा वहां पर खड़े होकर मुट्ठ मारा था... बेहद कामुक लहजे में राजू ने मुझसे पूछा..
नहीं यार उन लोगों ने मेरे जीजू को इतनी शराब पिला दी थी कि वह तो बेहोश हो गए थे... उन्हें तो होश ही नहीं था... मैंने कहा.
उन लोगों ने.... मतलब.... जुनेद के अलावा कोई और भी था क्या वहां पर... राजू ने मुझसे पूछा..
असलम भी था वहां पर.. मैंने धीरे से कहा..
फिर तो दोनों ने मिलकर तेरी रुपाली दीदी का तेल निकाल दिया होगा रात भर में...आआहह... तेरी दीदी को भी तो मजा आ गया होगा..
बोलते हुए राजू की सांसे भारी हो चुकी थी.. वह भी शायद अपने लोड़े को मसल रहा था...
राजू... तूने किसी और को तो नहीं बताई है ना इस कांड के बारे में .तुम मेरे सबसे अच्छे दोस्त हो.. मैं तुम्हारे ऊपर सबसे ज्यादा भरोसा करता हूं.. मेरे घर की इज्जत का सवाल है... अगर गांव में किसी को भी इस बारे में पता चला तो हम लोग डूब के मर जाएंगे शर्म के मारे... तू समझ तो रहा है ना मेरी बात को.... मैंने बड़ी गंभीरता के साथ राजू को कहा... रूपाली दीदी की दी हुई सीख मुझे याद आने लगी थी..
अबे साले क्या तु मुझे पागल समझता है, जो मैं गांव में घूम घूम कर ऐसी बातें लोगों को बताऊंगा... तेरे घर की इज्जत मेरे घर की इज्जत समझ... तेरी रूपाली दीदी मेरी भी...... बोलते बोलते राजू रुक गया था...
आआआहह..सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स.... राजू के मुंह से अजीबोगरीब आवाजें निकल रही थी...
आआआहह साले तू भी तो बता मुझे ठीक से... क्या-क्या किया था उन दोनों गुंडों ने तेरी दीदी के साथ... पूरी बात बता मुझे... तेरी रुपाली दीदी उनकी अड्डे पर क्या पहन कर गई थी...
राजू कामुक होकर पूछ रहा था.
मेरी दीदी उस दिन एक लाल रंग का लहंगा और चोली पहन के उनके पास गई थी... मेरी आंखों के सामने में कल रात का पूरा दृश्य घूमने लगा. मेरा लंड एक बार फिर से अकड़ के खड़ा हो गया.. मेरे लोड़े के ऊपर मेरी रूपाली दीदी की पेंटी झूल रही थी..
आह्ह … बहन के लोड़े..आह्ह … तेरी रूपाली दीदी तो पूरी दुल्हन बन कर गई थी उन गुंडों के पास..आह्ह … साली.. तेरी छम्मक छल्लो दीदी तो पूरी माल लग रही होगी लहंगा चोली में.. राजू सिसकते हुए बोल रहा था और अपना लोड़ा हिला रहा था...
हां यार तू बिल्कुल सही कह रहा है.. वैसे भी रूपाली दीदी बेहद खूबसूरत है.... मैंने कहा...
खूबसूरत ही नहीं साले, मुझे तो लगता है कि तेरी रुपाली दीदी बहुत बड़ी चुडक्कड़ औरत है... तूने तो देखा था उस दिन तेरे घर की छत के ऊपर ही खुलेआम नंगी होकर...आआआअ... रवि और दिनेश के साथ..आआआअ... चोदम पट्टी कर रही थी... साले आगे बता ना क्या किया उन गुंडों ने तेरी बहना के साथ.... राजू ने पूछा..
उन लोगों ने जब मेरी दीदी को देखा तब वह लोग पागल हो गए.. असलम में मेरी भांजी को अपनी बाहों में ले लिया मेरी दीदी की गोद में से लेकर.. और जुनैद मेरी रूपाली दीदी का हाथ पकड़कर उन्हें अपने बेडरूम में ले गया... फिर असलम ने मुन्नी को मेरी गोद में दे दिया... मैं राजू को कहानियां सुना रहा था और अपना लोड़ा हिला रहा था...
फिर क्या किया और लोगों ने साले बता ना... तू अपनी भांजी को अपनी गोद में लिए हुए खड़ा था और वह दोनों गुंडे तेरी दीदी के बदन को नोच रहे थे.. और तेरा गांडू जीजा... वह मादरजात क्या कर रहा था.... राजू ने पूछा..
नहीं यार उन लोगों ने सबसे पहले तो खूब जी भर के दारु पी और मेरे जीजा जी को भी पिलाया... मेरे जीजू तो बेहोश हो गए दो तीन पैग पीने के बाद... पर दोनों का स्टैमिना बहुत था... पीने के बाद दोनों ने मेरी रूपाली दीदी के साथ छेड़खानी करनी शुरू कर दी.. मेरी दीदी को पलंग के ऊपर लिटा कर चूमने चाटने लगे.... मैं जोर-जोर से मेरे लोड़े को हिलाते हुए धीरे-धीरे बोल रहा था..
-“आआऽ उम्म्म्ऊह्ह… अह्ह… साले उन दोनों का लंड तो पूरा खड़ा हो गया होगा ना... तेरी बहना के लहंगा चोली तो फाड़ के फेंक दी होगी उन लोगों ने.... वैसे भी तेरे रूपाली दीदी के बदन पर कपड़े अच्छे नहीं लगे होंगे उन लोगों को....
नहीं यार ऐसा नहीं हुआ... असलम मेरी दीदी की चोली को खींचना शुरू कर दिया था... पर मेरी रूपाली दीदी ने खुद ही अपनी चोली अपने हाथों से खोल दी.. मैंने राजू को बताया..
आह्ह... मस्त चुडक्कड़ है तेरी रूपाली दीदी... हाय रे अंशुल.. तेरी बहना ने खुद ही अपनी चोली खोल दी उन दोनों गुंडों के सामने.. तेरी दीदी ने तो वैसे ब्रा पहनी हुई थी या नहीं.. राजू बोला..
नहीं यार मेरी रूपाली दीदी ने ब्रा नहीं पहनी थी.. पहले ही मना किया होगा मेरी दीदी को ब्रा पहन के आने से जुनैद ने.. मैंने जवाब दिया...