05-07-2020, 11:28 AM
गुप्ता जी भी समझ गये की अब काजल पर सेक्स का भूत चड चुका है..वो उसकी सिसकारी का मतलब अच्छी तरह से जानते थे...वो ऐसी गर्म सिसकारी तभी लेती थी जब वो चुदाई के लिए किसी कुतिया की तरह बिलबिलाने लगती है...उसके बाद तो एक रात में 2 बार भी चुदवाकर उसकी भूख नही मिटती थी..
पर अभी तो किस्स का खेल चल रहा था...उसने काजल और राहुल को जब एक दूसरे को किस्स करते देखा तो अपनी पत्नी को किसी दूसरे मर्द की बाहों में देखकर उसे उतनी जलन नही हुई जितनी वो सोच रहा था...वो शायद इसलिए की वहां का माहौल ही ऐसा बन चुका था...
उसके बाद तो एक-2 करके काजल ने सभी को चूमा...और अंत में अपने पति को भी...
इस तरह से एक हर्डल तो पार कर ही लिया था शशांक ने..
पर दूसरा नही कर पाया...
क्योंकि डिंपल के बाद जब नीरू का नंबर आया तो उसने सॉफ लफ़्ज़ों में बोल दिया की वो किसी को भी स्मूच नही करेगी....लेकिन सुमन और सबा के ज़ोर देने पर...और कपूर साहब के कहने पर उसने सभी के गाल पर एक-2 पप्पी देना स्वीकार कर लिया...
शशांक को अब अगली गेम की प्लानिंग करनी ही थी...
कुछ देर तक अपनी ड्रिंक्स पीने के बाद अगली गेम शुरू हुई..
और इस बार भी पिछला वाला रूल ही था...यानी सबसे छोटे पत्ते वाले की वाइफ शुरूवात करेगी..लेकिन वो क्या करेगी इसका निर्णय सिर्फ़ वही मर्द करेगा जिसका नंबर होगा...यानी सामने वाला उससे कुछ भी करवा सकता है...
सभी लोग समझ चुके थे की इस खेल में अब क्या होने वाला है, अपने-२ मन में सभी ये सोचने लगे की अब क्या करवाया जाए
इस बार शशांक इस गेम को उस पार लेकर जाना चाहता था...और उसकी इस गेम की प्लानिंग ही ऐसी थी की उस पार जाने से उसे कोई भी रोक नही सकता था.
शशांक का शैतानी दिमाग़ अब ये बात तो अच्छी तरह से जानता था की यही वो गेम है जिसके बाद सब पाबंदिया हट जाएँगी, उसके बाद जो वासना का नंगा नाच होगा वहां पर, उसी को देखने और महसूस करने के लिए उसने कई सालों तक मेहनत की थी...और उसकी मेहनत का फल अब जल्द ही मिलने वाला था...
सबा के बाद काजल ने भी उसे काफ़ी इंप्रेस किया था...उसने जैसा सोचा था ना तो सबा ही वैसी निकली और ना ही काजल...एक बार उनकी शर्म का परदा जो हटा था, उसके बाद तो दोनो ऐसे बिहेव कर रही थी जैसे बरसों से ये सब करती आई हो...
शशांक ने सुमन को एक कोने में लेजाकर अगली गेम कैसे खेलनी है ये समझा दिया...सुमन ने सबा और डिंपल को बाद में वही बात समझा दी...वैसे उनके लिए तो शशांक ने सिर्फ़ इतना ही कहलवाया था की अब जो जैसे बोलते जाए, उन्हे बिना किसी झिझक के वैसे ही करते चले जाना है...दोनो समझ गयी की अब वो घमासान चुदाई ज़्यादा दूर नही रह गयी जिसके बारे में उन दोनो ने सोच रखा था..
शशांक जानता था की उस कमरे में बैठे मर्दों में इतनी तो अक्ल है ही की जीतने के बाद कैसे इस खेल का मज़ा लेना है...
बस अगली गेम जल्द ही शुरू हो गयी..
राहुल ने पत्ते बाँटे.
सभी ने अपने-2 पत्ते उठा कर देखे..
शशांक के पास 1,2,3 का सीक़वेंस आया था....जाहिर था की वही सबसे बड़े पत्ते होंगे...और उसके हिसाब से उसका नंबर सबसे लास्ट में आना था...
गुरपाल के पास 2,4,6 आए थे...जो वाकई में काफ़ी छोटे थे...
राहुल के पास 2 का पेयर और बादशाह
गुप्ता जी के पास इक्का,बादशाह और 6 नंबर..
और कपूर साहब के पास बेगम , गुलाम और 8 नंबर..
यानी इस बार भी सबसे पहले गुरपाल से शुरूवात होनी थी...वो अपनी मर्ज़ी से, किसी की भी बीबी से, कुछ भी करवा सकता था...
गुरपाल जानता था की जो वो करवाना चाहता है उसके लिए शायद काजल और नीरू एकदम से तैयार ना हो...इसलिए उसने सबा को बुलाया...उसे भी इसलिए क्योंकि उस कमरे में बैठे सभी ठरकियों को सबा ही सबसे ज़्यादा पसंद है...वो जब अपने हुस्न का दीदार करवाएगी तो सभी की झिझक दूर हो जाएगी...
वो बोला : "मैं चाहता हूँ की सबा भाभी मुझे टिट फकिंग का मज़ा दे...''
अब बोलने को तो वो उसे चोदने की बात भी बोल सकता था, पर पहली ही बार में वो ऐसा करके नीरू को वहां से डराकर भगाना नही चाहता था....
सबा की तो चूत गीली हो गयी ये सुनकर...उसे पता था की गुरपाल का लण्ड काफ़ी बड़ा है, और काला भी, अपने मोटे और सफ़ेद मुम्मो के बीच उसके काले लण्ड को फंसाकर उसे मसलने के नाम से ही सिहर उठी...
वो मटकती हुई आगे आई, उसने अपनी साड़ी का पल्लू नीचे गिराया तो आधे से ज़्यादा मम्मे झाँकते हुए दिखाई दिए...वो गुरपाल के कदमो में बैठ गयी और उसने धीरे-2 अपने ब्लाउस की डोरियाँ खोल दी...
ब्लाउस के नीचे उसने ब्रा तो पहनी ही नही हुई थी...इसलिए डोरी खुलते ही उसके सफेद कबूतर फड़फड़ाते हुए बाहर निकल आए...गुरपाल तब तक अपनी पेंट को खोलकर नीचे खिसका चुका था और अपने हाथ में लंबे और काले लण्ड को मसलकर वो सबा के मुम्मे देख रहा था..
दूर बैठी नीरू और काजल तो सरदारजी के चमकते हथियार को देखकर बेहोश होते-2 बची...अभी तक जो खेल स्मूच तक सीमित था वो नंगेपन पर उतर आया था...सरदारजी को आजतक उन्होने एक अच्छे पड़ोसी की तरह देखा था, हमेशा उसे और इस कमरे में मौजूद हर आदमी को सिर्फ़ भाई साहब बोलकर ही सम्बोधित किया करते थे...लेकिन आज जब उनके लंड को देखा तो दोनो के चेहरे के रंग बदल गये...काजल तो बैठी-2 पनिया गयी...ऐसा लगा उसका सूसू निकल गया है...और नीरू तो उसके काले लंड को देखकर बस यही सोच रही थी की 'क्या इतना लंबा भी होता है किसी का...ये डिंपल का क्या हाल करता होगा..'
पर अभी तो हाल सबा का खराब हो रहा था...इतने करीब से जब कोई गुलाब जामुन और मोटा केला देख ले तो मुँह में पानी आना स्वाभाविक ही है...
सरदरजी के मुँह में भी पानी आ रहा था जब उन्होने लाल निप्पल वाले गोरे मुम्मे देखे सबा के..
सबा ने अपना ब्लाउस पूरा निकाल कर सोफे पर फेंक दिया...अब वो उपर से नंगी होकर अपना यौवन सभी को दिखा रही थी...नीरू अब भी सोच रही थी की क्या वो ऐसा कुछ कर पाएगी...वो भी उन लोगो के सामने जिनके साथ उसका रोज का उतना - बैठना है...पर जब उसने सबा के चेहरे के भाव देखे...और उस कमरे में मोजूद हर औरत और मर्द के चेहरे को देखा तो वो समझ गयी की ऐसा करने में सबा के साथ-2 उन सभी को भी मज़ा आ रहा है...पर वो ये कर पाएगी या नही, वो अभी तक डिसाईड नही कर पा रही थी...पर हाँ , अपनी चूत से निकल रहे गर्म पानी को वो रोकने में असमर्थ हुए जा रही थी...
सबा ने काले नाग को हाथ मे पकड़ा और धीरे-2 उसे पकड़ कर अपने मम्मों के बीच फँसा लिया...और गुरपाल की आँखो में देखकर मुस्कराते हुए उसने उसके लंड को मुम्मो के बीच की दीवारों में मसलते हुए उपर नीचे होना शुरू कर दिया...
वो ऐसा करते हुए अपनी गांड को भी हिरनी की तरह हिला रही थी जिसकी वजह से उसके बिल्कुल पीछे बैठे कपूर साहब का बुरा हाल हो गया...वो तो हमेशा से उसकी चौड़ी गांड के दीवाने रहे थे...काश वो पूरी नंगी होकर ये काम कर रही होती तो उसके लचकते कूल्हे देखकर वो अपना लंड रगड़ लेते...पर उन्हे अब ये आभास हो चुका था की यही हाल चलता रहा तो वो वक़्त भी दूर नही जब उसकी नंगी गांड भी सभी को देखने को मिलेगी...
पर अभी तो किस्स का खेल चल रहा था...उसने काजल और राहुल को जब एक दूसरे को किस्स करते देखा तो अपनी पत्नी को किसी दूसरे मर्द की बाहों में देखकर उसे उतनी जलन नही हुई जितनी वो सोच रहा था...वो शायद इसलिए की वहां का माहौल ही ऐसा बन चुका था...
उसके बाद तो एक-2 करके काजल ने सभी को चूमा...और अंत में अपने पति को भी...
इस तरह से एक हर्डल तो पार कर ही लिया था शशांक ने..
पर दूसरा नही कर पाया...
क्योंकि डिंपल के बाद जब नीरू का नंबर आया तो उसने सॉफ लफ़्ज़ों में बोल दिया की वो किसी को भी स्मूच नही करेगी....लेकिन सुमन और सबा के ज़ोर देने पर...और कपूर साहब के कहने पर उसने सभी के गाल पर एक-2 पप्पी देना स्वीकार कर लिया...
शशांक को अब अगली गेम की प्लानिंग करनी ही थी...
कुछ देर तक अपनी ड्रिंक्स पीने के बाद अगली गेम शुरू हुई..
और इस बार भी पिछला वाला रूल ही था...यानी सबसे छोटे पत्ते वाले की वाइफ शुरूवात करेगी..लेकिन वो क्या करेगी इसका निर्णय सिर्फ़ वही मर्द करेगा जिसका नंबर होगा...यानी सामने वाला उससे कुछ भी करवा सकता है...
सभी लोग समझ चुके थे की इस खेल में अब क्या होने वाला है, अपने-२ मन में सभी ये सोचने लगे की अब क्या करवाया जाए
इस बार शशांक इस गेम को उस पार लेकर जाना चाहता था...और उसकी इस गेम की प्लानिंग ही ऐसी थी की उस पार जाने से उसे कोई भी रोक नही सकता था.
शशांक का शैतानी दिमाग़ अब ये बात तो अच्छी तरह से जानता था की यही वो गेम है जिसके बाद सब पाबंदिया हट जाएँगी, उसके बाद जो वासना का नंगा नाच होगा वहां पर, उसी को देखने और महसूस करने के लिए उसने कई सालों तक मेहनत की थी...और उसकी मेहनत का फल अब जल्द ही मिलने वाला था...
सबा के बाद काजल ने भी उसे काफ़ी इंप्रेस किया था...उसने जैसा सोचा था ना तो सबा ही वैसी निकली और ना ही काजल...एक बार उनकी शर्म का परदा जो हटा था, उसके बाद तो दोनो ऐसे बिहेव कर रही थी जैसे बरसों से ये सब करती आई हो...
शशांक ने सुमन को एक कोने में लेजाकर अगली गेम कैसे खेलनी है ये समझा दिया...सुमन ने सबा और डिंपल को बाद में वही बात समझा दी...वैसे उनके लिए तो शशांक ने सिर्फ़ इतना ही कहलवाया था की अब जो जैसे बोलते जाए, उन्हे बिना किसी झिझक के वैसे ही करते चले जाना है...दोनो समझ गयी की अब वो घमासान चुदाई ज़्यादा दूर नही रह गयी जिसके बारे में उन दोनो ने सोच रखा था..
शशांक जानता था की उस कमरे में बैठे मर्दों में इतनी तो अक्ल है ही की जीतने के बाद कैसे इस खेल का मज़ा लेना है...
बस अगली गेम जल्द ही शुरू हो गयी..
राहुल ने पत्ते बाँटे.
सभी ने अपने-2 पत्ते उठा कर देखे..
शशांक के पास 1,2,3 का सीक़वेंस आया था....जाहिर था की वही सबसे बड़े पत्ते होंगे...और उसके हिसाब से उसका नंबर सबसे लास्ट में आना था...
गुरपाल के पास 2,4,6 आए थे...जो वाकई में काफ़ी छोटे थे...
राहुल के पास 2 का पेयर और बादशाह
गुप्ता जी के पास इक्का,बादशाह और 6 नंबर..
और कपूर साहब के पास बेगम , गुलाम और 8 नंबर..
यानी इस बार भी सबसे पहले गुरपाल से शुरूवात होनी थी...वो अपनी मर्ज़ी से, किसी की भी बीबी से, कुछ भी करवा सकता था...
गुरपाल जानता था की जो वो करवाना चाहता है उसके लिए शायद काजल और नीरू एकदम से तैयार ना हो...इसलिए उसने सबा को बुलाया...उसे भी इसलिए क्योंकि उस कमरे में बैठे सभी ठरकियों को सबा ही सबसे ज़्यादा पसंद है...वो जब अपने हुस्न का दीदार करवाएगी तो सभी की झिझक दूर हो जाएगी...
वो बोला : "मैं चाहता हूँ की सबा भाभी मुझे टिट फकिंग का मज़ा दे...''
अब बोलने को तो वो उसे चोदने की बात भी बोल सकता था, पर पहली ही बार में वो ऐसा करके नीरू को वहां से डराकर भगाना नही चाहता था....
सबा की तो चूत गीली हो गयी ये सुनकर...उसे पता था की गुरपाल का लण्ड काफ़ी बड़ा है, और काला भी, अपने मोटे और सफ़ेद मुम्मो के बीच उसके काले लण्ड को फंसाकर उसे मसलने के नाम से ही सिहर उठी...
वो मटकती हुई आगे आई, उसने अपनी साड़ी का पल्लू नीचे गिराया तो आधे से ज़्यादा मम्मे झाँकते हुए दिखाई दिए...वो गुरपाल के कदमो में बैठ गयी और उसने धीरे-2 अपने ब्लाउस की डोरियाँ खोल दी...
ब्लाउस के नीचे उसने ब्रा तो पहनी ही नही हुई थी...इसलिए डोरी खुलते ही उसके सफेद कबूतर फड़फड़ाते हुए बाहर निकल आए...गुरपाल तब तक अपनी पेंट को खोलकर नीचे खिसका चुका था और अपने हाथ में लंबे और काले लण्ड को मसलकर वो सबा के मुम्मे देख रहा था..
दूर बैठी नीरू और काजल तो सरदारजी के चमकते हथियार को देखकर बेहोश होते-2 बची...अभी तक जो खेल स्मूच तक सीमित था वो नंगेपन पर उतर आया था...सरदारजी को आजतक उन्होने एक अच्छे पड़ोसी की तरह देखा था, हमेशा उसे और इस कमरे में मौजूद हर आदमी को सिर्फ़ भाई साहब बोलकर ही सम्बोधित किया करते थे...लेकिन आज जब उनके लंड को देखा तो दोनो के चेहरे के रंग बदल गये...काजल तो बैठी-2 पनिया गयी...ऐसा लगा उसका सूसू निकल गया है...और नीरू तो उसके काले लंड को देखकर बस यही सोच रही थी की 'क्या इतना लंबा भी होता है किसी का...ये डिंपल का क्या हाल करता होगा..'
पर अभी तो हाल सबा का खराब हो रहा था...इतने करीब से जब कोई गुलाब जामुन और मोटा केला देख ले तो मुँह में पानी आना स्वाभाविक ही है...
सरदरजी के मुँह में भी पानी आ रहा था जब उन्होने लाल निप्पल वाले गोरे मुम्मे देखे सबा के..
सबा ने अपना ब्लाउस पूरा निकाल कर सोफे पर फेंक दिया...अब वो उपर से नंगी होकर अपना यौवन सभी को दिखा रही थी...नीरू अब भी सोच रही थी की क्या वो ऐसा कुछ कर पाएगी...वो भी उन लोगो के सामने जिनके साथ उसका रोज का उतना - बैठना है...पर जब उसने सबा के चेहरे के भाव देखे...और उस कमरे में मोजूद हर औरत और मर्द के चेहरे को देखा तो वो समझ गयी की ऐसा करने में सबा के साथ-2 उन सभी को भी मज़ा आ रहा है...पर वो ये कर पाएगी या नही, वो अभी तक डिसाईड नही कर पा रही थी...पर हाँ , अपनी चूत से निकल रहे गर्म पानी को वो रोकने में असमर्थ हुए जा रही थी...
सबा ने काले नाग को हाथ मे पकड़ा और धीरे-2 उसे पकड़ कर अपने मम्मों के बीच फँसा लिया...और गुरपाल की आँखो में देखकर मुस्कराते हुए उसने उसके लंड को मुम्मो के बीच की दीवारों में मसलते हुए उपर नीचे होना शुरू कर दिया...
वो ऐसा करते हुए अपनी गांड को भी हिरनी की तरह हिला रही थी जिसकी वजह से उसके बिल्कुल पीछे बैठे कपूर साहब का बुरा हाल हो गया...वो तो हमेशा से उसकी चौड़ी गांड के दीवाने रहे थे...काश वो पूरी नंगी होकर ये काम कर रही होती तो उसके लचकते कूल्हे देखकर वो अपना लंड रगड़ लेते...पर उन्हे अब ये आभास हो चुका था की यही हाल चलता रहा तो वो वक़्त भी दूर नही जब उसकी नंगी गांड भी सभी को देखने को मिलेगी...