05-07-2020, 06:00 AM
(This post was last modified: 05-07-2020, 06:44 PM by Mastramkabeta. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
६.
मैं अपने घर के सामने वाले सोफिया आंटी सब्ज़ी ले रही थी, और मैं छिप के उन्हें देख रहा था, मुझे ये तो नहीं पता चल रहा था की वह उन दोनों में क्या बातें चल रही थी, लेकिन मुझे सोफिया आंटी के चहकते चेहरे को देख के इतना पता चल गया था की कुछ तो वह गड़बड़ है, वो सब्ज़ी वाला बार बार बैगन उठा के सोफिया आंटी को दिखा रहा था और आंटी जोड़ जोड़ से हंस रही थी, और मैं यहाँ अपना लण्ड पायजामा के ऊपर से सहला रहा था, जब से मेरे ऊपर से मेरे अम्मी का हवस उतरा था, सामने वाली सोफिया आंटी मेरा ध्यान बहुत खींच रही थी,
'काश सोफिया आंटी मेरे हाँथ में आ जाये', और मैं अपना लुंड जोड़ से दबाता हूँ, और उधर सोफिया आंटी अपने घर में चली जाती है, और सब्ज़ी वाला जाने लगता है, वो सब्ज़ी वाला काम उम्र का लग रहा था और मैं उसके पास पहुँच जाता हूँ,
'ओए लडके, तू वहा क्या कर रहा था, आंटी के साथ' वो सब्ज़ी वाला डर जाता है,
'भैया मैंने तो कुछ नहीं किया, मैं तो सिर्फ सब्ज़ी बेच रहा था' मैं उसके डर को पहचान लेता हूँ, और उसके कंधे को पकड़ लेता हूँ,
'सेल तू झूट बोल रहा है, मैंने सब देख लिया है तेरी करतूत, क्या कर रहा था बता भी दे, मैं किसी को नहीं बताऊंगा' वो लड़का थोड़ा संभालता है,
'सच बोल रहे हो'
'हाँ , तू बता तो'
'वो भाभी बहुत अच्छी है, बातें करने पे बुरा नहीं मानती' और वो लड़का थोड़ा शर्मा जाता है,
'कैसी बातें' और मैं उसे एक दुकान पे लेजा के दो छोल ड्रिंक खरीद लेता हूँ, और एक उसे दे देता हूँ,
'आप समझो न भइय्या कैसी बातें' मैं थोड़ा हँसाने लगता हूँ,
'तू बताएगा तो ही समझूंगा न, चल बता अभी क्या बोल रहा था'
'मैं बोल रहा था, मेरे बैगन खाने से उनके चेहरे पे चमक आ जाएगी' मैं मुस्का देता हूँ,
'वह रे और उन्होंने बुरा बिलकुल नहीं माना',
'नहीं भइय्या , वैसे भी उनका पति दुबई में सालो रहता है, थोड़ी गरम तो वो खुद रहती होंगी' और ये सुन मेरा दिमाग में तेज़ी आती है,
'उसका सौहार दुबई में रहता है, तुझे कैसे मालूम'
'उन्होंने खुद बताया था'
'उन्होंने तुझे बताया था?, तुझे चुत दे दी क्या वो रंडी'
'कहाँ भइय्या , लेकिन मिल जाये तो मज़ा आ जायेगा, वैसे भी रंडी छोड़ना बहुत महंगा है ' वह आसपास लोग थे, और मैं इशारा से उसे धीरे बोलने के लिए बोलता हूँ,
'तू रंडी चोदता है ',
'हां भइय्या बहुत गर्मी सर पे चढ़ जाती है तब' मैं सोचने लगता हूँ, की क्या मैं भी किसी रंडीखाने चला जउन, लेकिन मैं उस प्लान को रोक देता हूँ,
'चल कुछ हुआ उसके साथ तो बताना ' मैंने उस लडके को अपने भरोसे में ले लिया था, और मैं सोचने लगा की, ये आंटी का सौहार दुबई में रहता है, और ये ऐसे सब्ज़ी वाले के सामने खुल के मौज मस्ती वाले बातें कराती है , सायद मैं इसे पता सकता हूँ, मैं वापस अपने मामा के घर पहुंचा और मेरी नज़र वापस सोफिया सुनती के घर के तारा गया, वह पे वो अभी नहीं दिख रही थीं, और मैं घर के अंदर चला जाता हूँ, मेरी अम्मी घर का काम कर रही थी, और झाड़ू लगाने ले लिए झुकी हुई थी, मैं उन्हें देख एक पल के लिए हिल सा गया लेकिन अपने आप को संभल के वहां से अपने कमरे चला गया,
मेरी हवस भरी नज़र जो पहले मेरी अपनी अम्मी पे थी, अब वो सामने वाली आंटी पे था, लेकिन वहां तक कैसे पहुंचू, मैं ये जनता था की सोफिया आंटी अपने सौहार को धोका दे रही है, लेकिन मुझे अहसास होता है, मैंने सोफिया आंटी को पहली बार जब देखा था तो मुझे लगा था की वो मेरी अम्मी है, सायद मैं सोफिया को इस लिए अपने हवस में डूबा चाहता था क्युकी वो मेरी अम्मी जैसी दिखती था, उनका शरीर भी मेरी अम्मी जैसा था, सायद मैं उनके रस्ते अपने अम्मी का ही भाग करना चाहता था|
मुझे समझ में नहीं आ रहा था की सोफिया आंटी को कैसे अपने करीब लाये, पहले तो उनसे हमारा ज्यादा गहरा रिस्ता नहीं था, बस नाम के जान पहचान था, और दूसरा मैं उन्हें चोदना चाहता था, कोई भी गलती बहुत बड़ा तूफ़ान खड़ा कर सकती थी, लेकिन मैं ये जनता था की वो कैसी औरत हैं, और मैं वो प्लान ब्लैकमेल का जो अम्मी पे लगाना चाहता था, अब मैं सोफिया आंटी पे लगाने का प्लान बनाने लगा,
मैं हमेशा सोफिया आंटी के घर पे नज़र रखने लगा, मैं उन्हें रेंज हाटों पकड़ के, उन्हें ब्लैकमैल कर उन्हें अपने निचे लाना चाहता था, मुझे मालूम था सोफिया आंटी बहुत चालू औरत हैं, और मुझे कुछ ही दिनों में मौका मिल गया, वही गाड़ी जिसे मैंने पहले देखा था सोफिया आंटी के घर पे खड़ा था, मैं दुबक के उनके घर में खिड़कियों से झांकने लगा, और वह पे बिस्तर पे बिलकुल नंग्न सोफिया आंटी अपना गांड उठा के लेती हुई थी, और उनके उम्र पीछे से एक आदमी छोड़ रहा था, मैं ार करीब जा उनके बातों पे गौर देने लगा,
.. रिज़वान अब तुम में वो बात नहीं रही, क्या हो गया है तुम्हे, पहले तो तुम मेरा कचूमर निकल देते थे, अब तो तुम अपने भाई जितना भी नहीं कर पाते हो, वो आदमी सोफिया के सौहार का भाई था, मैं ये सुन हैरान हो गया, तभी मुझे हंफ़ने की आवाज़ आयी और मैं वापस ऊपर देखने लगा,
..सोफिया रानी, आआआआह, और सोफिया गुस्सा हो जाती है,
.. हद होता है रिज़वान, चले जाओं यहाँ से पूरा मूड ख़राब कर दिया, इतने दिन बाद मौका मिला था और तुम, मैं सोफिया आंटी के चीख से डर गया,
..सोफिया माफ़ कर दो, आज कल ऑफिस के टेंशन से परेशान हूँ, थोड़ा चुप्पा लगा दो, मैं डुबरा खड़ा हो जाऊंगा, सोफिया आंटी उस आदमी का लुंड पकड़ के एक दो बार ऊपर निचे कराती है, और सीधे अपना मुँह लुंड पे लगा चूसने लगाती है, मैं ये दृस्य देख के दांग रह गया था, और मेरा लुंड भी हिचकोले खाने लगा, और मैं अपना सर और अंदर दाल के देखने लगा,
.. आआह सोफिया, आआह , और वो आदमी दुबारा थरथराने लगा, सोफिया आंटी उसे चोर के उठी और गुस्से से उस आदमी को देखि, और वहा से उठ गयी, और उस आदमी का कपड़ा उसके हांथों में देने लगी,
'भागो यहाँ से' और वो आदमी अपना मुँह लटका के कपडे पहन वहान से निकल गया, मैं वही पे अपने खड़े लुंड की वजह से जमा हुआ था , और मैं वह इ बिना सोर किये निकल नहीं सकता था, इसलिए सोफिया आंटी को हटाने का इंतज़ार करने लगा, लेकिन मेरा डर से हालत ख़राब हो गया, और सोफिया आंटी सिहे मेरे खिड़की के तरफ आयी, और मैं अपना सर निचे झुनका लिया,
'क्यों शो अच्छा लगा, मजा आया' मेरा डर से हालत पतला था, सोफिया आंटी ने मुझे देख लिया था, और मैं अपना सर ऊपर कर उन्हें देखने लगा, वो अभी भी नग्न थी, और मेरे गाल को पकड़ लिया ,
'नॉटी बॉय' और उन्होंने मेरे गाल में चुटी कट लिया, मेरा लुंड और खड़ा हो गया , और खून के ऋषव की वजह से मेरा लुंड दुखने लगा था,
'रेहान नाम है न तेरा' मैं अपना सर हाँ में हिलता हूँ,
'अंदर आजाओ, मजे करते हैं' और सोफिया आंटी वहां से हैट जाती है, और मैं लड़खड़ाते दौड़ते हुए सोफिया आंटी के दरवाजे पे पहुँच जाता हूँ, यहाँ पे अब वो गाड़ी जा चुकी थी, और मैं दरवाज़ा ठकठकाते हूँ, लेकिन दरवाजा खुला हुआ था, और मैं अंदर दाखिल हो जाता हूँ, अंदर सोफिया आंटी नग्न चेयर पे बैठ सिगरराते पी रही थी,
'पिओगे'
'नहीं आंटी'
'अरे आजकल के लडके नहीं हो तुम तो, वैसे ये आंटी आंटी क्या लगा रखा है, सोफिया बोलो '
'अच्छा आंटी', सोफिया आंटी , आंटी सोफिया, सोफिया ' और मेरे ऐसे करने पे सोफिया आंटी हँसाने लगाती है, और सिगेरट का एक कस मेरे मुँह पे फेकती है,
'पहले किया है, पेहले बाबू'
'नहीं आंटी, सोफिया आंटी , सोफिया' सोफिया आंटी हँसाने लगाती है, सोफिया आंटी मेरे सिने पे अपना हाथ चलाती है, और मेरे कपडे से घींच के अपने बिस्तर पे ले जाती है, जहाँ पे वो पहले लेती हुई थी, और मेरा पयजामा खोल हवा में उदा देती है, और मेरे खड़े लुंड को देख हँसाने लाती है ,
'अब ये हुई न कोई बात' और सोफिया आंटी बेड के किनारे अपना पैर फैला के लेट गयी और अपने पैर से मुझे खींच के पास ले आयी , मेरा लुंड सोफिया आंटी के चुत के बालों से चुम रहा था ,
'देख क्या रहा है रेहान, दिखा अपने जवानी का ताक़त, घुसा अपना लुंड मेरे चुत में' और सोफिया आंटी अपना पेअर मेरे पीछे से हटा लेती है. और मैं निचे देखने लगता हूँ, सोफिया आंटी का छूट बहुत गरम था, और ऐसा लग रहा था की मेरा लण्ड पे चुत का भाफ लग रहा है, और मेरा लण्ड हिचकोले खा रहा था, मैं अपने खड़े लण्ड को धक्का देता हूँ, लेकिन वो किसी चीज़ से टकरा जाती है,
'आआआआआह क्या कर रहा है, तूने कोई ब्लू फिल्म नहीं देखि क्या, निचे डालते हैं ' और सोफिया आंटी मेरा लण्ड अपने चुत के छेद पे सटा देती है ,
'मारो धक्का' और मैं एक धक्का मरता हूँ, और सोफिया आंटी के गीले चूत में मेरा लण्ड फिसलता हुआ पूरा एक बार में ही घुस जाता है, मुझसे उनकी चूत की गरमी बदस्त नहीं होती है, और मैं एक ही बार में झड़ने लगता हूँ,
' आआआआआह आंटी कुछ निकल रहा है' मुझे अंदर से डर था की आंटी मुझपे गुस्सा हो जाएँगी, जैसे वो अपने सौहार के भाई पे हुई थी, लेकिन सोडिया आंटी मुस्का के मुझे देख रही थी, और मेरे अंदर से थोड़ा डर ख़तम हुआ,
'कैसा लगा पहला बार, मजा आया'
'हां आंटी कितना गरम था' और सोफिया आंटी हँसाने लगाती हैं और वहां से उठ जाती हैं, और मैं वही पे जोड़ जोड़ से हांफने लगता हूँ, मेरे सामने एक बार के लिए अम्मी का चेहरा आता है, लेकिन फिर सोफिया आंटी का चेहरा उनके बगल में आता है, और मैं वही सोफिया आंटी के बिस्तर में सो जाता हूँ,
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मेरी आँख जब खुलती है तो चारो था, और मुझे मालूम नहीं था की कितना बज रहा है, और वह पे सोफिया आंटी कहीं नहीं दिख रही थी, मैं उनके घर से अपने घर को जाने लगता हूँ,
मेरे घर के सामने वही सबज़ी वाला ठेला लगा हुआ था, जो सोफिया आंटी के सामने मैंने पिछले दिनों देखा था, और मैं एक पल को डर गया की क्या मेरी अम्मी भी सोफिया आंटी की तरह, लेकिन जब मैं नज़दीक गया तो वह पे मेरी अम्मी, और मामा कुछ सब्ज़ी ले रहे थे, वो सब्ज़ी वाला मुझे देख आंख मरता है,
'कहा गया था रेहान सब कितना परेशान थे '
'वो अम्मी मैं थोड़ा घूमने निकल गया था'
'बता के जाना चाहिए न, चलो घर में नाहा धो लो, खाना निकल देती हूँ' और मेरी अम्मी और मामा घर में घुस गए, मैं अंदर जा ही रहा था की मेरे कंधे पे सब्ज़ी वाले का हाँथ आता है,
'भइय्या, ये आपकी अम्मी थीं '
'हाँ '
'आपकी अम्मी बहुत अच्छी हैं, और बहुत प्यारी भी' और वो सब्ज़ी वाला लडक वहां से झट से भाग गया, मुझे पूछने तक का मौका नहीं मिला की आखिर वो कहना क्या चाहता है, लेकिन मैं उसकी इस बात से काफी परेशान हो गया,
मैं धो कर खाना खाने लगा और मेरा मामा वहीँ पे बैठे हुए थे, मेरे नज़र में नान नानी नहीं आ रहे थे,
..मां नाना नहीं कहाँ गए, दिख नहीं रहे हैं , मामा मेरी और देखते हैं,
..वो तेरे अब्बू के घर हैं, तुझे और तेरे अम्मी के लिए बातें करने गए हैं, और मामा छत को देखने लगते हैं, अब मैं सही में डर गया, मेरी अम्मी आज दिन भर घर में अकेली थी, मुझे याद आया वो रात उस दिन भी अम्मी ने अपने आप को अकेला समझा था घर पे, और उस सब्ज़ी वाले की अजीब बात, मैं जल्दी से खा के अम्मी के कमरे में जाता हूँ, और चीज़ो की जांच करने लगता हूँ, और मेरी नज़र वही बिस्तर के निचे चार इस्तेमाल हुई कंडोम पे जाती हैं, और मैं वही पे बैठ जाता हूँ, जब मैं उस चालू सोफिया को चोद के सो रहा था तब वो सब्ज़ी वाला चालू आयेशा को चोद रहा था और मैं कमज़ोर दिल से बाहर आया, एक बार को मेरा दिल किया की मैं अम्मी को इस बारे से झगड़ा करूँ , लेकिन मेरी इतनी हिम्मत नहीं हो रही थी,
मैं अपने घर के सामने वाले सोफिया आंटी सब्ज़ी ले रही थी, और मैं छिप के उन्हें देख रहा था, मुझे ये तो नहीं पता चल रहा था की वह उन दोनों में क्या बातें चल रही थी, लेकिन मुझे सोफिया आंटी के चहकते चेहरे को देख के इतना पता चल गया था की कुछ तो वह गड़बड़ है, वो सब्ज़ी वाला बार बार बैगन उठा के सोफिया आंटी को दिखा रहा था और आंटी जोड़ जोड़ से हंस रही थी, और मैं यहाँ अपना लण्ड पायजामा के ऊपर से सहला रहा था, जब से मेरे ऊपर से मेरे अम्मी का हवस उतरा था, सामने वाली सोफिया आंटी मेरा ध्यान बहुत खींच रही थी,
'काश सोफिया आंटी मेरे हाँथ में आ जाये', और मैं अपना लुंड जोड़ से दबाता हूँ, और उधर सोफिया आंटी अपने घर में चली जाती है, और सब्ज़ी वाला जाने लगता है, वो सब्ज़ी वाला काम उम्र का लग रहा था और मैं उसके पास पहुँच जाता हूँ,
'ओए लडके, तू वहा क्या कर रहा था, आंटी के साथ' वो सब्ज़ी वाला डर जाता है,
'भैया मैंने तो कुछ नहीं किया, मैं तो सिर्फ सब्ज़ी बेच रहा था' मैं उसके डर को पहचान लेता हूँ, और उसके कंधे को पकड़ लेता हूँ,
'सेल तू झूट बोल रहा है, मैंने सब देख लिया है तेरी करतूत, क्या कर रहा था बता भी दे, मैं किसी को नहीं बताऊंगा' वो लड़का थोड़ा संभालता है,
'सच बोल रहे हो'
'हाँ , तू बता तो'
'वो भाभी बहुत अच्छी है, बातें करने पे बुरा नहीं मानती' और वो लड़का थोड़ा शर्मा जाता है,
'कैसी बातें' और मैं उसे एक दुकान पे लेजा के दो छोल ड्रिंक खरीद लेता हूँ, और एक उसे दे देता हूँ,
'आप समझो न भइय्या कैसी बातें' मैं थोड़ा हँसाने लगता हूँ,
'तू बताएगा तो ही समझूंगा न, चल बता अभी क्या बोल रहा था'
'मैं बोल रहा था, मेरे बैगन खाने से उनके चेहरे पे चमक आ जाएगी' मैं मुस्का देता हूँ,
'वह रे और उन्होंने बुरा बिलकुल नहीं माना',
'नहीं भइय्या , वैसे भी उनका पति दुबई में सालो रहता है, थोड़ी गरम तो वो खुद रहती होंगी' और ये सुन मेरा दिमाग में तेज़ी आती है,
'उसका सौहार दुबई में रहता है, तुझे कैसे मालूम'
'उन्होंने खुद बताया था'
'उन्होंने तुझे बताया था?, तुझे चुत दे दी क्या वो रंडी'
'कहाँ भइय्या , लेकिन मिल जाये तो मज़ा आ जायेगा, वैसे भी रंडी छोड़ना बहुत महंगा है ' वह आसपास लोग थे, और मैं इशारा से उसे धीरे बोलने के लिए बोलता हूँ,
'तू रंडी चोदता है ',
'हां भइय्या बहुत गर्मी सर पे चढ़ जाती है तब' मैं सोचने लगता हूँ, की क्या मैं भी किसी रंडीखाने चला जउन, लेकिन मैं उस प्लान को रोक देता हूँ,
'चल कुछ हुआ उसके साथ तो बताना ' मैंने उस लडके को अपने भरोसे में ले लिया था, और मैं सोचने लगा की, ये आंटी का सौहार दुबई में रहता है, और ये ऐसे सब्ज़ी वाले के सामने खुल के मौज मस्ती वाले बातें कराती है , सायद मैं इसे पता सकता हूँ, मैं वापस अपने मामा के घर पहुंचा और मेरी नज़र वापस सोफिया सुनती के घर के तारा गया, वह पे वो अभी नहीं दिख रही थीं, और मैं घर के अंदर चला जाता हूँ, मेरी अम्मी घर का काम कर रही थी, और झाड़ू लगाने ले लिए झुकी हुई थी, मैं उन्हें देख एक पल के लिए हिल सा गया लेकिन अपने आप को संभल के वहां से अपने कमरे चला गया,
मेरी हवस भरी नज़र जो पहले मेरी अपनी अम्मी पे थी, अब वो सामने वाली आंटी पे था, लेकिन वहां तक कैसे पहुंचू, मैं ये जनता था की सोफिया आंटी अपने सौहार को धोका दे रही है, लेकिन मुझे अहसास होता है, मैंने सोफिया आंटी को पहली बार जब देखा था तो मुझे लगा था की वो मेरी अम्मी है, सायद मैं सोफिया को इस लिए अपने हवस में डूबा चाहता था क्युकी वो मेरी अम्मी जैसी दिखती था, उनका शरीर भी मेरी अम्मी जैसा था, सायद मैं उनके रस्ते अपने अम्मी का ही भाग करना चाहता था|
मुझे समझ में नहीं आ रहा था की सोफिया आंटी को कैसे अपने करीब लाये, पहले तो उनसे हमारा ज्यादा गहरा रिस्ता नहीं था, बस नाम के जान पहचान था, और दूसरा मैं उन्हें चोदना चाहता था, कोई भी गलती बहुत बड़ा तूफ़ान खड़ा कर सकती थी, लेकिन मैं ये जनता था की वो कैसी औरत हैं, और मैं वो प्लान ब्लैकमेल का जो अम्मी पे लगाना चाहता था, अब मैं सोफिया आंटी पे लगाने का प्लान बनाने लगा,
मैं हमेशा सोफिया आंटी के घर पे नज़र रखने लगा, मैं उन्हें रेंज हाटों पकड़ के, उन्हें ब्लैकमैल कर उन्हें अपने निचे लाना चाहता था, मुझे मालूम था सोफिया आंटी बहुत चालू औरत हैं, और मुझे कुछ ही दिनों में मौका मिल गया, वही गाड़ी जिसे मैंने पहले देखा था सोफिया आंटी के घर पे खड़ा था, मैं दुबक के उनके घर में खिड़कियों से झांकने लगा, और वह पे बिस्तर पे बिलकुल नंग्न सोफिया आंटी अपना गांड उठा के लेती हुई थी, और उनके उम्र पीछे से एक आदमी छोड़ रहा था, मैं ार करीब जा उनके बातों पे गौर देने लगा,
.. रिज़वान अब तुम में वो बात नहीं रही, क्या हो गया है तुम्हे, पहले तो तुम मेरा कचूमर निकल देते थे, अब तो तुम अपने भाई जितना भी नहीं कर पाते हो, वो आदमी सोफिया के सौहार का भाई था, मैं ये सुन हैरान हो गया, तभी मुझे हंफ़ने की आवाज़ आयी और मैं वापस ऊपर देखने लगा,
..सोफिया रानी, आआआआह, और सोफिया गुस्सा हो जाती है,
.. हद होता है रिज़वान, चले जाओं यहाँ से पूरा मूड ख़राब कर दिया, इतने दिन बाद मौका मिला था और तुम, मैं सोफिया आंटी के चीख से डर गया,
..सोफिया माफ़ कर दो, आज कल ऑफिस के टेंशन से परेशान हूँ, थोड़ा चुप्पा लगा दो, मैं डुबरा खड़ा हो जाऊंगा, सोफिया आंटी उस आदमी का लुंड पकड़ के एक दो बार ऊपर निचे कराती है, और सीधे अपना मुँह लुंड पे लगा चूसने लगाती है, मैं ये दृस्य देख के दांग रह गया था, और मेरा लुंड भी हिचकोले खाने लगा, और मैं अपना सर और अंदर दाल के देखने लगा,
.. आआह सोफिया, आआह , और वो आदमी दुबारा थरथराने लगा, सोफिया आंटी उसे चोर के उठी और गुस्से से उस आदमी को देखि, और वहा से उठ गयी, और उस आदमी का कपड़ा उसके हांथों में देने लगी,
'भागो यहाँ से' और वो आदमी अपना मुँह लटका के कपडे पहन वहान से निकल गया, मैं वही पे अपने खड़े लुंड की वजह से जमा हुआ था , और मैं वह इ बिना सोर किये निकल नहीं सकता था, इसलिए सोफिया आंटी को हटाने का इंतज़ार करने लगा, लेकिन मेरा डर से हालत ख़राब हो गया, और सोफिया आंटी सिहे मेरे खिड़की के तरफ आयी, और मैं अपना सर निचे झुनका लिया,
'क्यों शो अच्छा लगा, मजा आया' मेरा डर से हालत पतला था, सोफिया आंटी ने मुझे देख लिया था, और मैं अपना सर ऊपर कर उन्हें देखने लगा, वो अभी भी नग्न थी, और मेरे गाल को पकड़ लिया ,
'नॉटी बॉय' और उन्होंने मेरे गाल में चुटी कट लिया, मेरा लुंड और खड़ा हो गया , और खून के ऋषव की वजह से मेरा लुंड दुखने लगा था,
'रेहान नाम है न तेरा' मैं अपना सर हाँ में हिलता हूँ,
'अंदर आजाओ, मजे करते हैं' और सोफिया आंटी वहां से हैट जाती है, और मैं लड़खड़ाते दौड़ते हुए सोफिया आंटी के दरवाजे पे पहुँच जाता हूँ, यहाँ पे अब वो गाड़ी जा चुकी थी, और मैं दरवाज़ा ठकठकाते हूँ, लेकिन दरवाजा खुला हुआ था, और मैं अंदर दाखिल हो जाता हूँ, अंदर सोफिया आंटी नग्न चेयर पे बैठ सिगरराते पी रही थी,
'पिओगे'
'नहीं आंटी'
'अरे आजकल के लडके नहीं हो तुम तो, वैसे ये आंटी आंटी क्या लगा रखा है, सोफिया बोलो '
'अच्छा आंटी', सोफिया आंटी , आंटी सोफिया, सोफिया ' और मेरे ऐसे करने पे सोफिया आंटी हँसाने लगाती है, और सिगेरट का एक कस मेरे मुँह पे फेकती है,
'पहले किया है, पेहले बाबू'
'नहीं आंटी, सोफिया आंटी , सोफिया' सोफिया आंटी हँसाने लगाती है, सोफिया आंटी मेरे सिने पे अपना हाथ चलाती है, और मेरे कपडे से घींच के अपने बिस्तर पे ले जाती है, जहाँ पे वो पहले लेती हुई थी, और मेरा पयजामा खोल हवा में उदा देती है, और मेरे खड़े लुंड को देख हँसाने लाती है ,
'अब ये हुई न कोई बात' और सोफिया आंटी बेड के किनारे अपना पैर फैला के लेट गयी और अपने पैर से मुझे खींच के पास ले आयी , मेरा लुंड सोफिया आंटी के चुत के बालों से चुम रहा था ,
'देख क्या रहा है रेहान, दिखा अपने जवानी का ताक़त, घुसा अपना लुंड मेरे चुत में' और सोफिया आंटी अपना पेअर मेरे पीछे से हटा लेती है. और मैं निचे देखने लगता हूँ, सोफिया आंटी का छूट बहुत गरम था, और ऐसा लग रहा था की मेरा लण्ड पे चुत का भाफ लग रहा है, और मेरा लण्ड हिचकोले खा रहा था, मैं अपने खड़े लण्ड को धक्का देता हूँ, लेकिन वो किसी चीज़ से टकरा जाती है,
'आआआआआह क्या कर रहा है, तूने कोई ब्लू फिल्म नहीं देखि क्या, निचे डालते हैं ' और सोफिया आंटी मेरा लण्ड अपने चुत के छेद पे सटा देती है ,
'मारो धक्का' और मैं एक धक्का मरता हूँ, और सोफिया आंटी के गीले चूत में मेरा लण्ड फिसलता हुआ पूरा एक बार में ही घुस जाता है, मुझसे उनकी चूत की गरमी बदस्त नहीं होती है, और मैं एक ही बार में झड़ने लगता हूँ,
' आआआआआह आंटी कुछ निकल रहा है' मुझे अंदर से डर था की आंटी मुझपे गुस्सा हो जाएँगी, जैसे वो अपने सौहार के भाई पे हुई थी, लेकिन सोडिया आंटी मुस्का के मुझे देख रही थी, और मेरे अंदर से थोड़ा डर ख़तम हुआ,
'कैसा लगा पहला बार, मजा आया'
'हां आंटी कितना गरम था' और सोफिया आंटी हँसाने लगाती हैं और वहां से उठ जाती हैं, और मैं वही पे जोड़ जोड़ से हांफने लगता हूँ, मेरे सामने एक बार के लिए अम्मी का चेहरा आता है, लेकिन फिर सोफिया आंटी का चेहरा उनके बगल में आता है, और मैं वही सोफिया आंटी के बिस्तर में सो जाता हूँ,
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मेरी आँख जब खुलती है तो चारो था, और मुझे मालूम नहीं था की कितना बज रहा है, और वह पे सोफिया आंटी कहीं नहीं दिख रही थी, मैं उनके घर से अपने घर को जाने लगता हूँ,
मेरे घर के सामने वही सबज़ी वाला ठेला लगा हुआ था, जो सोफिया आंटी के सामने मैंने पिछले दिनों देखा था, और मैं एक पल को डर गया की क्या मेरी अम्मी भी सोफिया आंटी की तरह, लेकिन जब मैं नज़दीक गया तो वह पे मेरी अम्मी, और मामा कुछ सब्ज़ी ले रहे थे, वो सब्ज़ी वाला मुझे देख आंख मरता है,
'कहा गया था रेहान सब कितना परेशान थे '
'वो अम्मी मैं थोड़ा घूमने निकल गया था'
'बता के जाना चाहिए न, चलो घर में नाहा धो लो, खाना निकल देती हूँ' और मेरी अम्मी और मामा घर में घुस गए, मैं अंदर जा ही रहा था की मेरे कंधे पे सब्ज़ी वाले का हाँथ आता है,
'भइय्या, ये आपकी अम्मी थीं '
'हाँ '
'आपकी अम्मी बहुत अच्छी हैं, और बहुत प्यारी भी' और वो सब्ज़ी वाला लडक वहां से झट से भाग गया, मुझे पूछने तक का मौका नहीं मिला की आखिर वो कहना क्या चाहता है, लेकिन मैं उसकी इस बात से काफी परेशान हो गया,
मैं धो कर खाना खाने लगा और मेरा मामा वहीँ पे बैठे हुए थे, मेरे नज़र में नान नानी नहीं आ रहे थे,
..मां नाना नहीं कहाँ गए, दिख नहीं रहे हैं , मामा मेरी और देखते हैं,
..वो तेरे अब्बू के घर हैं, तुझे और तेरे अम्मी के लिए बातें करने गए हैं, और मामा छत को देखने लगते हैं, अब मैं सही में डर गया, मेरी अम्मी आज दिन भर घर में अकेली थी, मुझे याद आया वो रात उस दिन भी अम्मी ने अपने आप को अकेला समझा था घर पे, और उस सब्ज़ी वाले की अजीब बात, मैं जल्दी से खा के अम्मी के कमरे में जाता हूँ, और चीज़ो की जांच करने लगता हूँ, और मेरी नज़र वही बिस्तर के निचे चार इस्तेमाल हुई कंडोम पे जाती हैं, और मैं वही पे बैठ जाता हूँ, जब मैं उस चालू सोफिया को चोद के सो रहा था तब वो सब्ज़ी वाला चालू आयेशा को चोद रहा था और मैं कमज़ोर दिल से बाहर आया, एक बार को मेरा दिल किया की मैं अम्मी को इस बारे से झगड़ा करूँ , लेकिन मेरी इतनी हिम्मत नहीं हो रही थी,