05-07-2020, 05:59 AM
६.
मेरी प्यारी अम्मी, मेरी प्यारी दुलारी अम्मी, मेरी प्यारी दुलारी सेक्सी अम्मी, आह मैं अपनी अम्मी को सोच सोच के परेशां हो रहा था, जब से मैं मामा के घर आया था, मुझे अम्मी हमेशा दुखी रहती, और वो घर का काम कराती लेकिन कभी भी मैंने अम्मी का वो हूरी रूप नहीं देखा, मैं अम्मी की पीछा हर जगह करने चिप के करने लगा लेकिन मेरी अम्मी कभी भी ऐसा काम नहीं कर रही थी, जो गलत था, हमेशा घर में हमेशा भारी कपडे पहनती थी, और बहार काले नक़ाब और बुरका कर के निकलती, मुझे कुछ ही दिनों में ऐसा लगाने लगा की जो मैंने उस रात देखा था वो सिर्फ मेरा एक वहां था, उस रात की घटना सिर्फ मेरे सोच में थी, और ना की असलियत, क्या वो रात की वहम थी, थकावट मेरा दिमाग मेरा साथ नहीं दिया, क्या था वो, मेरी अम्मी को मैं पिछले दो सप्ताह से मैं किसी बाझ की तरह नज़र रखे हुए था, लेकिन मेरी अम्मी ने एक बार भी ऐसा कोई इशारा नहीं दी की कोई भी गड़बड़ है,
मेरी अम्मी खाना बना रही थी और मेरे मामा सोफे पे बैठ के किसी से बातें कर रहे थे और मेरी नज़र हमारे घर के सामने रहने वाली आंटी पे गयी, जो मैं जनता था की चालू औरत है, मेरी नज़र उनके ऊपर थी, वो भी मेरी अम्मी की तरह एक आम हाउस वाइफ थी, और मेरी नज़र उनपे कपा सूखते हुए गयी, और उनकी मम्मे तर में लचक गए, और अनायास मेरे मुँह से निकला ,
'माशाअल्लाह'
'क्या हुआ बाबू, क्या देख लिया '
मेरी अम्मी मेरे बगल में खड़ी थी, और अंदर से मैं थोड़ा सा डर गया ,
'अम्मी आप कुछ भी तो नहीं'
मेरी अम्मी का नज़र बगल वाली आंटी के ऊपर था और वो थोड़ा सा मुस्का के घर के अंदर चली गयी, मैं ये देख हवस से भर गया और मेरी नज़र फिर सामने वाली आंटी पे जाता है, और मैं वहां पे अम्मी नंगी कड़ी हो, और मैं निचे देखु, और मेरा लुंड किसी तलवार की तरह खड़ा हो गया और मैं अपने प्याज़मा को ऊपर से रगड़ने लगा , और मेरे खयालो मेरी मेरी अम्मी थी, मेरी प्यारी सेक्सी दिलकश अम्मी,
-------------------------------------------------
मेरी अम्मी मेरे अब्बू के नए निकाह के बारे में बिलकुल नहीं सुनना चाहती थी, और कोई उनके सामने ये बात उठता तो वो बहुत गुस्सा हो जाती थी, मैं अंदाज़ा लगाया की अगर मेरी अम्मी गलत है तो वो गलती गुस्से में ही करेगी, और मैं एक प्लान बनाने लगता हूँ, मेरा मकसद मुझे खुद अम्मी को मेरे निचे लाना था, मैं अभी १८ का होने में चार महीने थे, और मैंने चुत की सिर्फ तस्वीर ही देखि थी, यहाँ मैं अपनी अम्मी को अपने निचे का प्लान बना रहा था, और मेरा प्लान भी बहुत आसान था, अपनी अम्मी को अब्बू के नए निकाह का तस्वीर दिखा के गुस्सा दिलवाना, और फिर आशा करना की मेरी अम्मी फिर कोई गलत कदम ले और मैं उस गलती का फायदा उठा के खुद अपनी अम्मी को अपने हवस का सीकर बनाऊ,
मैं अपने दोस्त को फ़ोन कर अपने अब्बू के तस्वीर मंगवा लिया था, ये तस्वीर बहुत ही सादी थी, मेरे अब्बू के चेहरे में वो चमक नहीं थी, जिसे देखने का मैं आदी था, और इस तस्वीर में अब्बू की नयी बेगम का चेहरा ढाका हुआ था, एक पल को वो तस्वीर देख मुझे गुस्सा आ गया लेकिन दूसरे ही पल मुझ पे हवस चढ़ गया और मैं उस तस्वीर को लिफाफे में बंद कर के अम्मी के कमरे में रख दिया, और उसमे झूट मुठ का पता दाल दिया, और मैं अम्मी के ऊपर नज़र रखने लगा, मैं जनता था की अम्मी कुछ न कुछ करेगी, और मैं उसके लिए एक सस्ता सा रोल वाला कैमरा खरी लिया, वो लिफाफा टेबल पे राखी हुई थी, और मेरी अम्मी का नज़र दिन भर उस पे नहीं गया, और मैं व्याकुल हो रहा था,
'अम्मी आपके लिए पोस्ट आया था, क्या था उसमे' मेरी अम्मी रात को खाने के बाद मेरे बाल सहला रही थी, और वही पे लेती हुई थी,
'अरे मैं तो काम में भूल ही गयी थी रेहान वो लिफाफा बढ़ाना' और मैं वो लिफाफा अपने अम्मी के तरफ बढ़ा देता हूँ, मेरी अम्मी वो लिफाफा लेके खोलने लगाती है, और मेरा सरीर कांपने लगता और मैं वह से खड़ा हो बहार भाग जाता हूँ,
'अम्मी मैं बाथरूम जा रहा हूँ' मेरी अम्मी अपना सर हां में हिला के वो लिफाफा खोलने लगाती हैं, और मैं वही पे दरवाजे के बगल में बैठ अंदर का नज़ारा देखने लगता हूँ, मुझे अम्मी की प्रतिकिर्या देखनी थी, और मुझे अंदर से डर भी लग रहा था, मेरी अम्मी का नज़र उस तस्वीर पे जाता है, और उनके चेहरे से जैसे जो थोड़ी बहुत रौनक थी, वो भी कहीं गायब हो जाती है, और मेरी अम्मी अपना सीना पकड़ के उस तस्वीर को घूरते रहती है, और फिर मेरी अम्मी के आँखों से अंशु की एक कतरा बहते हुए दिखी और मैं अंदर से हिल गया, मैंने अपनी ही अम्मी को अपने हवस के लिए कितना दुःख दे दिया, उनकी दुखती राग पे अपने हाथ रख दिया, उनके अंशु ने मुझे झकझोर के रख दिया, और मेरे भी आँशु आ गए और मैं किसी पराजित सैनिक की तरग बहार जा के बैठ गया और रोने लगा, मेरा सारा हवस उस अंशु ने जैसे गायब कर दिया था, मैं एक चीज़ समाज गया की, मेरी अम्मी कोई महज़बी हो या सहर की बीबी, मैं कभी उनपे आंख उठा के नहीं देख सकता था, और मैं काफी देर के बाद वापस निचे आता हूँ, मेरी अम्मी रट हुए सू गयी थी, उनके अंशु से वो तस्वीर भी बह रहा था, मैं वो तस्वीरर अम्मी के हाथ से ले के फाड् देता हूँ, और अपने अम्मी के बगल में लेट जाता हूँ, मेरे अंदर का हवस मेरी अम्मी के प्रति उस दिन ख़तम हो गया, और मैं एक मादरचोद बनाने से बच गया|
मेरी प्यारी अम्मी, मेरी प्यारी दुलारी अम्मी, मेरी प्यारी दुलारी सेक्सी अम्मी, आह मैं अपनी अम्मी को सोच सोच के परेशां हो रहा था, जब से मैं मामा के घर आया था, मुझे अम्मी हमेशा दुखी रहती, और वो घर का काम कराती लेकिन कभी भी मैंने अम्मी का वो हूरी रूप नहीं देखा, मैं अम्मी की पीछा हर जगह करने चिप के करने लगा लेकिन मेरी अम्मी कभी भी ऐसा काम नहीं कर रही थी, जो गलत था, हमेशा घर में हमेशा भारी कपडे पहनती थी, और बहार काले नक़ाब और बुरका कर के निकलती, मुझे कुछ ही दिनों में ऐसा लगाने लगा की जो मैंने उस रात देखा था वो सिर्फ मेरा एक वहां था, उस रात की घटना सिर्फ मेरे सोच में थी, और ना की असलियत, क्या वो रात की वहम थी, थकावट मेरा दिमाग मेरा साथ नहीं दिया, क्या था वो, मेरी अम्मी को मैं पिछले दो सप्ताह से मैं किसी बाझ की तरह नज़र रखे हुए था, लेकिन मेरी अम्मी ने एक बार भी ऐसा कोई इशारा नहीं दी की कोई भी गड़बड़ है,
मेरी अम्मी खाना बना रही थी और मेरे मामा सोफे पे बैठ के किसी से बातें कर रहे थे और मेरी नज़र हमारे घर के सामने रहने वाली आंटी पे गयी, जो मैं जनता था की चालू औरत है, मेरी नज़र उनके ऊपर थी, वो भी मेरी अम्मी की तरह एक आम हाउस वाइफ थी, और मेरी नज़र उनपे कपा सूखते हुए गयी, और उनकी मम्मे तर में लचक गए, और अनायास मेरे मुँह से निकला ,
'माशाअल्लाह'
'क्या हुआ बाबू, क्या देख लिया '
मेरी अम्मी मेरे बगल में खड़ी थी, और अंदर से मैं थोड़ा सा डर गया ,
'अम्मी आप कुछ भी तो नहीं'
मेरी अम्मी का नज़र बगल वाली आंटी के ऊपर था और वो थोड़ा सा मुस्का के घर के अंदर चली गयी, मैं ये देख हवस से भर गया और मेरी नज़र फिर सामने वाली आंटी पे जाता है, और मैं वहां पे अम्मी नंगी कड़ी हो, और मैं निचे देखु, और मेरा लुंड किसी तलवार की तरह खड़ा हो गया और मैं अपने प्याज़मा को ऊपर से रगड़ने लगा , और मेरे खयालो मेरी मेरी अम्मी थी, मेरी प्यारी सेक्सी दिलकश अम्मी,
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मेरी अम्मी मेरे अब्बू के नए निकाह के बारे में बिलकुल नहीं सुनना चाहती थी, और कोई उनके सामने ये बात उठता तो वो बहुत गुस्सा हो जाती थी, मैं अंदाज़ा लगाया की अगर मेरी अम्मी गलत है तो वो गलती गुस्से में ही करेगी, और मैं एक प्लान बनाने लगता हूँ, मेरा मकसद मुझे खुद अम्मी को मेरे निचे लाना था, मैं अभी १८ का होने में चार महीने थे, और मैंने चुत की सिर्फ तस्वीर ही देखि थी, यहाँ मैं अपनी अम्मी को अपने निचे का प्लान बना रहा था, और मेरा प्लान भी बहुत आसान था, अपनी अम्मी को अब्बू के नए निकाह का तस्वीर दिखा के गुस्सा दिलवाना, और फिर आशा करना की मेरी अम्मी फिर कोई गलत कदम ले और मैं उस गलती का फायदा उठा के खुद अपनी अम्मी को अपने हवस का सीकर बनाऊ,
मैं अपने दोस्त को फ़ोन कर अपने अब्बू के तस्वीर मंगवा लिया था, ये तस्वीर बहुत ही सादी थी, मेरे अब्बू के चेहरे में वो चमक नहीं थी, जिसे देखने का मैं आदी था, और इस तस्वीर में अब्बू की नयी बेगम का चेहरा ढाका हुआ था, एक पल को वो तस्वीर देख मुझे गुस्सा आ गया लेकिन दूसरे ही पल मुझ पे हवस चढ़ गया और मैं उस तस्वीर को लिफाफे में बंद कर के अम्मी के कमरे में रख दिया, और उसमे झूट मुठ का पता दाल दिया, और मैं अम्मी के ऊपर नज़र रखने लगा, मैं जनता था की अम्मी कुछ न कुछ करेगी, और मैं उसके लिए एक सस्ता सा रोल वाला कैमरा खरी लिया, वो लिफाफा टेबल पे राखी हुई थी, और मेरी अम्मी का नज़र दिन भर उस पे नहीं गया, और मैं व्याकुल हो रहा था,
'अम्मी आपके लिए पोस्ट आया था, क्या था उसमे' मेरी अम्मी रात को खाने के बाद मेरे बाल सहला रही थी, और वही पे लेती हुई थी,
'अरे मैं तो काम में भूल ही गयी थी रेहान वो लिफाफा बढ़ाना' और मैं वो लिफाफा अपने अम्मी के तरफ बढ़ा देता हूँ, मेरी अम्मी वो लिफाफा लेके खोलने लगाती है, और मेरा सरीर कांपने लगता और मैं वह से खड़ा हो बहार भाग जाता हूँ,
'अम्मी मैं बाथरूम जा रहा हूँ' मेरी अम्मी अपना सर हां में हिला के वो लिफाफा खोलने लगाती हैं, और मैं वही पे दरवाजे के बगल में बैठ अंदर का नज़ारा देखने लगता हूँ, मुझे अम्मी की प्रतिकिर्या देखनी थी, और मुझे अंदर से डर भी लग रहा था, मेरी अम्मी का नज़र उस तस्वीर पे जाता है, और उनके चेहरे से जैसे जो थोड़ी बहुत रौनक थी, वो भी कहीं गायब हो जाती है, और मेरी अम्मी अपना सीना पकड़ के उस तस्वीर को घूरते रहती है, और फिर मेरी अम्मी के आँखों से अंशु की एक कतरा बहते हुए दिखी और मैं अंदर से हिल गया, मैंने अपनी ही अम्मी को अपने हवस के लिए कितना दुःख दे दिया, उनकी दुखती राग पे अपने हाथ रख दिया, उनके अंशु ने मुझे झकझोर के रख दिया, और मेरे भी आँशु आ गए और मैं किसी पराजित सैनिक की तरग बहार जा के बैठ गया और रोने लगा, मेरा सारा हवस उस अंशु ने जैसे गायब कर दिया था, मैं एक चीज़ समाज गया की, मेरी अम्मी कोई महज़बी हो या सहर की बीबी, मैं कभी उनपे आंख उठा के नहीं देख सकता था, और मैं काफी देर के बाद वापस निचे आता हूँ, मेरी अम्मी रट हुए सू गयी थी, उनके अंशु से वो तस्वीर भी बह रहा था, मैं वो तस्वीरर अम्मी के हाथ से ले के फाड् देता हूँ, और अपने अम्मी के बगल में लेट जाता हूँ, मेरे अंदर का हवस मेरी अम्मी के प्रति उस दिन ख़तम हो गया, और मैं एक मादरचोद बनाने से बच गया|