03-07-2020, 07:48 PM
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ना चाहते हुए भी मेरे हाथ उसके गोल-मटोल चुतड़ों पर फिरसे चले गये और मेने उन्हें अपनी मुट्ठी में कस कर मसल दिया….
उसने अपनी कमर को ज़ोर का झटका देकर अपनी मुनिया को मेरे पप्पू पर रगड़ दिया.. और मेरे होठ चूसने लगी…!
मेरी हालत खराब होने लगी, …मामला कंट्रोल से बाहर होता जा रहा था….
मुझे लगने लगा कि मे कहीं भाभी से किया हुआ वादा ना तोड़ दूं…, तो मेने उसके कंधे पकड़ कर अपने से अलग कर दिया और हौदी से बाहर निकालने लगा…
वो मेरा हाथ पकड़ कर रोकने लगी… अरे भाई रुक… ना… थोड़ी देर और नहाते हैं.. कितना अच्छा लग रहा है…
मे- नही दीदी अब बहुत हो गया… अब और नही… बस इतना ही बहुत है.. इतना कह कर मे बाहर आगया.. ,
वो अपनी लाल-लाल शराबी जैसी आँखों से मुझे देखती रह गयी… ,
मेने मन ही मन कहा - उफ़फ्फ़.. ये दोनो बहने तो भेन्चोद हाथ धोके पीछे ही पड़ गयीं हैं यार…जल्दी निकल लो पतली गली से…कहीं भेन्चोद उल्टा बलात्कार ही ना कर्दे मेरा..…
…………………………………………………………………………..
आज मेरा रिज़ल्ट निकलने वाला था, वैसे तो हमारे यहाँ रोज़ ही न्यूसपेपर आता था, लेकिन मुझसे इंतेज़ार नही हुआ और में सुबह-2 ही अपनी स्कूटी लेकर टाउन की तरफ दौड़ गया और न्यूसपेपर ले आया.
मेरा रिज़ल्ट जैसा भाभी ने प्रॉमिस लिया था, मेरे 85% मार्क्स आए थे, जो अपने कॉलेज में हाइयेस्ट थे…भाभी खुशी से झूम उठी और उन्होने मेरे चेहरे पर चुंम्बानों की बौछार कर दी.
बाबूजी ने मुझे अपने कलेजे से लगा लिया, मेने इसका श्रेय अपनी भाभी को ही दिया, तो बाबूजी ने उन्हें अपनी बेटी की तरह उनका सर अपने सीने से टिका कर आशीर्वाद दिया.
दो सालों की कोशिश के बाद हमारे कॉलेज को डिग्री कॉलेज तक की पर्मिशन मिल गयी थी, तो कॉलेज वालों ने उन सभी बच्चों के गार्जियन से कॉंटॅक्ट किया जो कॉलेज से पास आउट हुए थे.. ताकि उन्हें अड्मिशन मिल सके नये सेमिस्टर के लिए…
मेरी भी इच्छा थी की मे अपने घर ही रहूं.. सो मेने बाबूजी को इस बात के लिए राज़ी कर लिया, हालाँकि बड़े भैया का विचार था कि मे इंजिनियरिंग करूँ.
मे इस बात से खुश था कि चलो अब मुझे अपना घर छोड़ कर नही जाना पड़ेगा.
लेकिन मेरी खुशी अभी अधूरी थी.. जिसका अभी मुझे और कुच्छ दिन इंतजार करना था…और आख़िरकार वो दिन भी आ ही गया………!!!!
आज मेरा जन्म दिन था, चूँकि ये ईवन डे था, तो मेरे भाई तो नही आ सके लेकिन भाभी चाहती थी, मेरे जन्मदिन की खुशी पूरे परिवार के साथ मनाई जाए.. सो उन्होने एक दिन पहले से ही सबको बोल दिया…
पिताजी ने भी पंडितजी को बुलवाके हवन पूजन कराया, और हम सब लोगों ने मिलकर खाना पीना किया… सारा दिन हसी-खुशी में ही निकल गया…
शाम को एक केक मँगवाकर काटा और सबने मुझे जन्मदिन की बधाई और आशीर्वाद के साथ-2 क्षमता अनुसार तोहफे भी दिए…
रात को जब सब अपने-2 घर चले गये, और सारा काम निपटाकर दीदी और भाभी जिसमें चाचियों ने भी सहयोग दिया फारिग हुई..
दीदी चाची के साथ उनके घर चली गयी.. कुच्छ देर बाद आने का बोल कर तब भाभी ने मुझे अकेले में बधाई दी और बोली – देवर जी ! 11 बजे मेरे कमरे में आ जाना आपको स्पेशल गिफ्ट देना है…!!
उनके शब्दों ने मेरे कानों में जैसे शहद ही घोल दिया हो… मेरा मन मयूर की तरह नाच उठा और मेने आवेश में आकर भाभी को गोद में उठा लिया और सारे आँगन में लेकर नाचने लगा….
भाभी खिल-खिला रही थी और बार-2 मुझे उतारने के लिए बोल रही थी.. फिर मेने उनको एक चारपाई पर बड़े प्यार से बिठा दिया.. और उनके गालों के डिंपल को चूमकर बोला –
थॅंक यू भाभी आपको अपना प्रॉमिस पूरा करने के लिए.. मे बता नही सकता कि आज मे कितना खुश हूँ…?
भाभी – अपनी थोड़ी बहुत खुशी आनेवाले समय के लिए भी बचा कर रखो मेरे प्यारे देवर राजा…
आज बहुत कुच्छ सीखना और करना है तुम्हें… और मुस्करा कर वो अपने कमरे में चली गयी….!
रात 11 बजे मे भाभी के कमरे में पहुँचा… वो एक फ्रंट ओपन वन पीस गाउन में अपनी ड्रेसिंग टेबल के सामने बैठी थी.. मेरी आहट सुन कर वो खड़ी हो गयी और जैसे ही वो मेरी ओर पलटी…..
मे उन्हें देखता ही रह गया… हल्के से मेक-अप से ही उनका चेहरा कुंदन की तरह दमक रहा था.. पतले -2 होठों पर हल्के लाल रंग की लिपीसटिक,
माथे पर छोटी सी बिंदी, आँखों में हल्का- 2 काजल कमर तक के खुले बालों के बीच मानो घने काले बादलों के बीच अचानक चाँद निकल आया हो.
सुराइदार गर्दन में मात्र एक मन्गल्सुत्र जो उनकी घाटी के बीचो-बीच, उसके काले मोतियो के दाने उनके गोरे बदन को और चार चाँद लगा रहे थे.
झीने कपड़े का गाउन जो सामने उनकी नाभि के उपर मात्र एक डोरी से बँधा था.
उभारों की वजह से गाउन के दोनो छोरो के बीच उनकी चोटियों की ढलान कमरे में फैली हल्की दूधिया बल्ब की लाइट से साफ चमक रही थी.
वो इस समय साक्षात रति का स्वरूप लग रही थी जो किसी भी महायोगी के अंदर सोए कामदेव को जगाने में सक्षम थी. मे उनके इस रूप में जैसे खो सा गया…
भाभी ने मेरी नाक पकड़ कर हिलाई.. और बोली – ओ मेरे अनाड़ी आशिक़ ! कहाँ खो गये..?
मे जैसे नींद से जागा… ! और मेरे मुँह से अपने आप निकल गया… ब्यूटिफुल..! मुझे तो पता ही नही था कि मेरी भाभी इतनी सुंदर हैं…
क्यों मस्का लगा रहे हो..! हँसते हुए कहा उन्होने तो उनके गोरे-गोरे गालों के डिंपल इतने मादक लगे कि मुझसे रहा नही गया, और मेने उनके डिम्पलो को चूम लिया…
सॉरी भाभी ! मेने आपकी बिना पर्मिशन लिए आपके डिंपल चूम लिए…लेकिन ये सच है, कि आप बहुत सुंदर लग रही हो…
भाभी – आज तुम्हें खुली छूट है… आज तुम मेरे साथ अबतक तुमने जो भी सोचा हो मेरे लिए वो सब कर सकते हो…
मे – सच भाभी ! कुच्छ भी.. !
वो मुस्कराते हुए बोली – हां कुच्छ भी…. ये सुनते ही मेने उन्हें अपनी बाहों में कस लिया… आइ लव यू भाभी….
जबाब में उन्होने भी मेरी पीठ पर अपने हाथों को कसते हुए कहा – आइ लव यू माइ स्वीट देवर… मेरे सोना… तुम नही जानते, इस पल का में वर्षों से इंतेज़ार कर रही थी…
हम दोनो के बीच की सारी दूरियाँ आज ख़तम होती जा रही थी, दोनो एकदुसरे से इस कदर चिपके हुए थे कि हवा भी पास नही हो सकती थी…
उनके उरोज मेरे चौड़े सीने में धँस रहे थे.. उनका सर मेरे कंधे पर था और वो अपनी आँखें बंद किए मेरे सीने में अपना चेहरा छुपाये इस अद्वितीय मिलन का आनंद ले रही थी.
ना जाने आज मेरी वासना कहीं कोने में पड़ी सिसक रही थी, उनके अर्धनग्न शरीर के आलिंगन के बाद भी मेरा पप्पू आराम से पड़ा सो रहा था.. शायद उसे आज किसी बात की चिंता नही थी..
वो तो आज पूरी तरह अस्वस्त था की उसका नंबर आना ही आना है…और आज उसके और उसकी सखी के बीच कोई दीवार नही आनेवाली…..!
जब बहुत देर तक मे ऐसे ही उनको अपने से चिपकाए खड़ा रहा तो, भाभी को लगा, कि ये तो इस काम में अनाड़ी है, मुझे ही पहल करनी होगी..
सो उन्होने अपना चेहरा मेरे सीने से हटाया और मेरे सर को अपने हाथों के बीच लेकर उन्होने मेरे माथे से चूमना शुरू किया, फिर गाल, चिन, उसके बाद वो अपने गालों को मेरी दाढ़ी जिस पर हल्के-2 रोएँ जैसे आते जा रहे थे सहलाने लगी..
मे बस बुत बना उनकी पीठ पर अपने हाथ रखे खड़ा था, अपने गालों को मेरी शुरू हो रही दाढ़ी के दोनो तरफ से रगड़ने के बाद वो मेरे होठों पर आ गयी और अपने होठों को मेरे होठों से बस दो इंच दूर रखकर मेरी आँखों में झाँकते हुए बोली –
सुनो मेरे अनाड़ी देवर, अब मे जैसे- 2 तुम्हारे साथ करूँ ठीक तुम भी वैसे ही करना.. और ये बोल कर उन्होने मेरे होठों का चुंबन लेकर अपने होठ अलग कर लिए.. और मेरी तरफ देखने लगी…
ना चाहते हुए भी मेरे हाथ उसके गोल-मटोल चुतड़ों पर फिरसे चले गये और मेने उन्हें अपनी मुट्ठी में कस कर मसल दिया….
उसने अपनी कमर को ज़ोर का झटका देकर अपनी मुनिया को मेरे पप्पू पर रगड़ दिया.. और मेरे होठ चूसने लगी…!
मेरी हालत खराब होने लगी, …मामला कंट्रोल से बाहर होता जा रहा था….
मुझे लगने लगा कि मे कहीं भाभी से किया हुआ वादा ना तोड़ दूं…, तो मेने उसके कंधे पकड़ कर अपने से अलग कर दिया और हौदी से बाहर निकालने लगा…
वो मेरा हाथ पकड़ कर रोकने लगी… अरे भाई रुक… ना… थोड़ी देर और नहाते हैं.. कितना अच्छा लग रहा है…
मे- नही दीदी अब बहुत हो गया… अब और नही… बस इतना ही बहुत है.. इतना कह कर मे बाहर आगया.. ,
वो अपनी लाल-लाल शराबी जैसी आँखों से मुझे देखती रह गयी… ,
मेने मन ही मन कहा - उफ़फ्फ़.. ये दोनो बहने तो भेन्चोद हाथ धोके पीछे ही पड़ गयीं हैं यार…जल्दी निकल लो पतली गली से…कहीं भेन्चोद उल्टा बलात्कार ही ना कर्दे मेरा..…
…………………………………………………………………………..
आज मेरा रिज़ल्ट निकलने वाला था, वैसे तो हमारे यहाँ रोज़ ही न्यूसपेपर आता था, लेकिन मुझसे इंतेज़ार नही हुआ और में सुबह-2 ही अपनी स्कूटी लेकर टाउन की तरफ दौड़ गया और न्यूसपेपर ले आया.
मेरा रिज़ल्ट जैसा भाभी ने प्रॉमिस लिया था, मेरे 85% मार्क्स आए थे, जो अपने कॉलेज में हाइयेस्ट थे…भाभी खुशी से झूम उठी और उन्होने मेरे चेहरे पर चुंम्बानों की बौछार कर दी.
बाबूजी ने मुझे अपने कलेजे से लगा लिया, मेने इसका श्रेय अपनी भाभी को ही दिया, तो बाबूजी ने उन्हें अपनी बेटी की तरह उनका सर अपने सीने से टिका कर आशीर्वाद दिया.
दो सालों की कोशिश के बाद हमारे कॉलेज को डिग्री कॉलेज तक की पर्मिशन मिल गयी थी, तो कॉलेज वालों ने उन सभी बच्चों के गार्जियन से कॉंटॅक्ट किया जो कॉलेज से पास आउट हुए थे.. ताकि उन्हें अड्मिशन मिल सके नये सेमिस्टर के लिए…
मेरी भी इच्छा थी की मे अपने घर ही रहूं.. सो मेने बाबूजी को इस बात के लिए राज़ी कर लिया, हालाँकि बड़े भैया का विचार था कि मे इंजिनियरिंग करूँ.
मे इस बात से खुश था कि चलो अब मुझे अपना घर छोड़ कर नही जाना पड़ेगा.
लेकिन मेरी खुशी अभी अधूरी थी.. जिसका अभी मुझे और कुच्छ दिन इंतजार करना था…और आख़िरकार वो दिन भी आ ही गया………!!!!
आज मेरा जन्म दिन था, चूँकि ये ईवन डे था, तो मेरे भाई तो नही आ सके लेकिन भाभी चाहती थी, मेरे जन्मदिन की खुशी पूरे परिवार के साथ मनाई जाए.. सो उन्होने एक दिन पहले से ही सबको बोल दिया…
पिताजी ने भी पंडितजी को बुलवाके हवन पूजन कराया, और हम सब लोगों ने मिलकर खाना पीना किया… सारा दिन हसी-खुशी में ही निकल गया…
शाम को एक केक मँगवाकर काटा और सबने मुझे जन्मदिन की बधाई और आशीर्वाद के साथ-2 क्षमता अनुसार तोहफे भी दिए…
रात को जब सब अपने-2 घर चले गये, और सारा काम निपटाकर दीदी और भाभी जिसमें चाचियों ने भी सहयोग दिया फारिग हुई..
दीदी चाची के साथ उनके घर चली गयी.. कुच्छ देर बाद आने का बोल कर तब भाभी ने मुझे अकेले में बधाई दी और बोली – देवर जी ! 11 बजे मेरे कमरे में आ जाना आपको स्पेशल गिफ्ट देना है…!!
उनके शब्दों ने मेरे कानों में जैसे शहद ही घोल दिया हो… मेरा मन मयूर की तरह नाच उठा और मेने आवेश में आकर भाभी को गोद में उठा लिया और सारे आँगन में लेकर नाचने लगा….
भाभी खिल-खिला रही थी और बार-2 मुझे उतारने के लिए बोल रही थी.. फिर मेने उनको एक चारपाई पर बड़े प्यार से बिठा दिया.. और उनके गालों के डिंपल को चूमकर बोला –
थॅंक यू भाभी आपको अपना प्रॉमिस पूरा करने के लिए.. मे बता नही सकता कि आज मे कितना खुश हूँ…?
भाभी – अपनी थोड़ी बहुत खुशी आनेवाले समय के लिए भी बचा कर रखो मेरे प्यारे देवर राजा…
आज बहुत कुच्छ सीखना और करना है तुम्हें… और मुस्करा कर वो अपने कमरे में चली गयी….!
रात 11 बजे मे भाभी के कमरे में पहुँचा… वो एक फ्रंट ओपन वन पीस गाउन में अपनी ड्रेसिंग टेबल के सामने बैठी थी.. मेरी आहट सुन कर वो खड़ी हो गयी और जैसे ही वो मेरी ओर पलटी…..
मे उन्हें देखता ही रह गया… हल्के से मेक-अप से ही उनका चेहरा कुंदन की तरह दमक रहा था.. पतले -2 होठों पर हल्के लाल रंग की लिपीसटिक,
माथे पर छोटी सी बिंदी, आँखों में हल्का- 2 काजल कमर तक के खुले बालों के बीच मानो घने काले बादलों के बीच अचानक चाँद निकल आया हो.
सुराइदार गर्दन में मात्र एक मन्गल्सुत्र जो उनकी घाटी के बीचो-बीच, उसके काले मोतियो के दाने उनके गोरे बदन को और चार चाँद लगा रहे थे.
झीने कपड़े का गाउन जो सामने उनकी नाभि के उपर मात्र एक डोरी से बँधा था.
उभारों की वजह से गाउन के दोनो छोरो के बीच उनकी चोटियों की ढलान कमरे में फैली हल्की दूधिया बल्ब की लाइट से साफ चमक रही थी.
वो इस समय साक्षात रति का स्वरूप लग रही थी जो किसी भी महायोगी के अंदर सोए कामदेव को जगाने में सक्षम थी. मे उनके इस रूप में जैसे खो सा गया…
भाभी ने मेरी नाक पकड़ कर हिलाई.. और बोली – ओ मेरे अनाड़ी आशिक़ ! कहाँ खो गये..?
मे जैसे नींद से जागा… ! और मेरे मुँह से अपने आप निकल गया… ब्यूटिफुल..! मुझे तो पता ही नही था कि मेरी भाभी इतनी सुंदर हैं…
क्यों मस्का लगा रहे हो..! हँसते हुए कहा उन्होने तो उनके गोरे-गोरे गालों के डिंपल इतने मादक लगे कि मुझसे रहा नही गया, और मेने उनके डिम्पलो को चूम लिया…
सॉरी भाभी ! मेने आपकी बिना पर्मिशन लिए आपके डिंपल चूम लिए…लेकिन ये सच है, कि आप बहुत सुंदर लग रही हो…
भाभी – आज तुम्हें खुली छूट है… आज तुम मेरे साथ अबतक तुमने जो भी सोचा हो मेरे लिए वो सब कर सकते हो…
मे – सच भाभी ! कुच्छ भी.. !
वो मुस्कराते हुए बोली – हां कुच्छ भी…. ये सुनते ही मेने उन्हें अपनी बाहों में कस लिया… आइ लव यू भाभी….
जबाब में उन्होने भी मेरी पीठ पर अपने हाथों को कसते हुए कहा – आइ लव यू माइ स्वीट देवर… मेरे सोना… तुम नही जानते, इस पल का में वर्षों से इंतेज़ार कर रही थी…
हम दोनो के बीच की सारी दूरियाँ आज ख़तम होती जा रही थी, दोनो एकदुसरे से इस कदर चिपके हुए थे कि हवा भी पास नही हो सकती थी…
उनके उरोज मेरे चौड़े सीने में धँस रहे थे.. उनका सर मेरे कंधे पर था और वो अपनी आँखें बंद किए मेरे सीने में अपना चेहरा छुपाये इस अद्वितीय मिलन का आनंद ले रही थी.
ना जाने आज मेरी वासना कहीं कोने में पड़ी सिसक रही थी, उनके अर्धनग्न शरीर के आलिंगन के बाद भी मेरा पप्पू आराम से पड़ा सो रहा था.. शायद उसे आज किसी बात की चिंता नही थी..
वो तो आज पूरी तरह अस्वस्त था की उसका नंबर आना ही आना है…और आज उसके और उसकी सखी के बीच कोई दीवार नही आनेवाली…..!
जब बहुत देर तक मे ऐसे ही उनको अपने से चिपकाए खड़ा रहा तो, भाभी को लगा, कि ये तो इस काम में अनाड़ी है, मुझे ही पहल करनी होगी..
सो उन्होने अपना चेहरा मेरे सीने से हटाया और मेरे सर को अपने हाथों के बीच लेकर उन्होने मेरे माथे से चूमना शुरू किया, फिर गाल, चिन, उसके बाद वो अपने गालों को मेरी दाढ़ी जिस पर हल्के-2 रोएँ जैसे आते जा रहे थे सहलाने लगी..
मे बस बुत बना उनकी पीठ पर अपने हाथ रखे खड़ा था, अपने गालों को मेरी शुरू हो रही दाढ़ी के दोनो तरफ से रगड़ने के बाद वो मेरे होठों पर आ गयी और अपने होठों को मेरे होठों से बस दो इंच दूर रखकर मेरी आँखों में झाँकते हुए बोली –
सुनो मेरे अनाड़ी देवर, अब मे जैसे- 2 तुम्हारे साथ करूँ ठीक तुम भी वैसे ही करना.. और ये बोल कर उन्होने मेरे होठों का चुंबन लेकर अपने होठ अलग कर लिए.. और मेरी तरफ देखने लगी…