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Adultery हर ख्वाहिश पूरी की
#92
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जैसे-2 मूवी में सेक्स बढ़ता जाराहा था, वहाँ पर बैठे सभी लोग एक्शिटेड होते जा रहे थे, और ना चाहते हुए ही एक दूसरे के साथ खेलने लगते हैं..

रामा दीदी को ये ज़्यादा अच्छा नही लगा या वो ये सब नही करना चाहती होगी सबके सामने तो वो उठकर सोने चली गयी…

सोनू आशा दीदी के साथ चिपका हुआ था, और अपने हाथ इधर-उधर डाल देता, जिसे वो कभी-2 रोक देती जिससे वो अपनी सीमा में ही रहे..

इधर रेखा दीदी ने मेरे उपर हल्ला ही बोल दिया था…! वो मेरे उपर एक तरह से पसर ही गयी थी.. उसके बड़े-2 भारी भरकम चुचे मेरे साइड से दबे हुए थे..

उत्तेजना से मेरा लंड अकड़ गया, जिसे उन्होने अपने हाथ से सहलाना शुरू कर दिया, और मेरा हाथ पकड़ कर अपने मम्मे पर रख लिया..

मेरी सहन शक्ति जबाब देती जा रही थी, धीरे-2 वो वाइल्ड होती जा रही थी, यहाँ तक की उन्होने मेरा एक हाथ अपनी चूत के उपर रख दिया और उसे दबाने सहलाने लगी.. उनकी पाजामी गीली होती जा रही थी..

जब मुझसे और सहन नही हुआ तो मे ये कहकर कि मुझे तो अब नींद आरहि है मे उठ खड़ा हुआ..

दीदी प्यासी सी मेरी ओर देखने लगी और उन्होने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोली – अरे छोटू बैठ ना.. दिन में नींद पूरी कर लेना..

मे – नही दीदी, अब मेरा सर भारी होने लगा है.. अब मेरे से नही बैठा जाएगा..

वो तीनों तो मूवी में ही खोए हुए थे.. इधर जब मेने उनकी बात नही मानी तो उन्होने मुझे ज़ोर का झटका देकर अपने उपर खींच लिया, जिससे मे उनके उपर गिर पड़ा..

झटका अचानक इतना ज़ोर का था कि वो खुद भी गद्दे पर गिर पड़ी और मे उनके उपर..

उन्होने मुझे अपनी बाहों में कस लिया जिसके कारण उनके दोनो गद्दे जैसे चुचे मेरे सीने में दब गये,

मेरा खड़ा लंड उनकी मोटी-मोटी जांघों के बीच फँस गया, जिसे उन्होने अपनी जांघों को और जोरेसे भींच कर दबा दिया.

वो मुझे किस करने ही वाली थी कि मे उनके उपर से उठ खड़ा हुआ, और तेज़ी से वहाँ से निकल गया और सीधा बाथरूम में घुस गया….

मेने बाथरूम में अपनी टंकी रिलीस की और जाकर अपने बिस्तर पर सो गया, जो छत पर पड़ा हुआ था, मेरे बाजू में ही रामा दीदी का बिस्तर था.

रामा दीदी इस समय अपने घुटने मोड़ कर करवट से गहरी नींद में थी, मे भी जाकर उनकी बगल मे लेट गया और जल्दी ही गहरी नींद में चला गया

मे उँचे और घने पेड़ों के बीच स्थित एक साफ पानी से भरे तलब के किनारे खड़ा हुआ था, अचानक मेरी नज़र तालाब में नहाती हुई एक कमसिन लड़की पर पड़ती है..

उसके बदन पर इस समय मात्र एक पतले कड़े की चुनरी जैसी थी, जो वो अपने शरीर पर लपेटे हुए थी, पानी से गीली होने बाद उसके शरीर का वो कपड़ा उसके बदन को ढकने की वजाय और उसके शरीर के उभारों को प्रदर्शित कर रहा था..

अचानक मुझे देख कर वो लड़की पानी में खड़ी हो जाती है, जिससे उसके कमर से उपर का भाग दिखाई पड़ने लगता है…

पतले गीले कपड़े से उसके गोल –गोल ठोस उरोज साफ-साफ दिखाई दे रहे थे, ब्राउन कलर के अंगूर के दाने जैसे उसके निपल पानी के ठंडे पानी से भीगने के बाद एकदम कड़े होकर उस कपड़े से बाहर निकलने के लिए जैसे व्याकुल हो उठे हों..

मे एकटक उसकी सुंदरता में खोगया, गोरी चिट्टी वो लड़की मेरी तरफ देख कर मंद-मंद मुस्करा रही थी..

अचानक धीरे-2 वो पानी से बाहर आने लगी, मे जड़वत किसी पत्थर की मूरत की तरह वहीं खड़ा उसका इंतेज़ार कर रहा था…

वो बाहर निकल कर ठीक मेरे सामने आकर खड़ी होगयि और उसने अपने गीले कड़क उरोज मेरे सीने में गढ़ा दिए.. और फिर अपने शरीर को उपर-नीचे करके अपने निप्प्लो को मेरे सीने से रगड़ने लगी..

मेरी आँखों में झाँकते हुए उसने अपना हाथ नीचे ले जाकर मेरे लंड पर रख दिया और उसे सहलाने लगी…

उत्तेजना मेरे सर चढ़ कर बोलने लगी थी, मेने उसे अपनी बाहों में कस लिया और उसके होठों को चूस्ते हुए उसके उरोजो को मसल्ने लगा…

वो ज़ोर-ज़ोर से मेरे लंड को मसले जा रही थी… अब उसने मेरा लिंग अपनी यौनी के उपर रगड़ना शुरू कर दिया…

मात्र एक झीने से कपड़े और वो भी पूरी तरह पानी से गीला होने के कारण मेरा लंड उसकी यौनी को अच्छे से फील कर रहा था…

मेने उसके गोल-मटोल कलश जैसे कुल्हों को अपने हाथों में कस लिया और अपनी कमर को एक झटका दिया…

उस झीने कपड़े समेत मेरा लिंग उसकी यौनी में प्रवेश करने लगा…मे अपनी कमर को और ज़्यादा उसकी तरफ पुश करने लगा… उसके चेहरे पर दर्द के भाव बढ़ते जा रहे थे…

मुझे लगा जैसे मेरा लंड पानी छोड़ देगा, मेने उसकी पीड़ा की परवाह ना करते हुए अपना लिंग और अंदर करना चाहा कि किसी ने मुझे झकझोर दिया…

हड़बड़ा कर मेने अपनी आँखें खोली तो देखा दीदी मेरे उपर झुकी हुई मुझे ज़ोर-ज़ोर से हिला रही थी…

छोटू उठ जा अब देख कितनी धूप तेज हो गयी है, पसीने से तर हो गया है.. फिर भी सो रहा है…

मे उठकर बैठ गया… मुझे अभी भी ऐसा फील होरहा था, जैसे ये सब सपना नही हक़ीकत में मेरे साथ हो रहा था….

मेरा लंड पूरी तरह अकड़ कर शॉर्ट को फाडे दे रहा था, एक सेकेंड और मेरी आँख नही खुली होती तो वो पिचकारी छोड़ चुका होता…

दीदी की नज़र मेरे शॉर्ट पर ही थी, जब मेने उसकी निगाहों का पीछा किया तब मुझे एहसास हुआ, और मेने अपनी जांघे भींच कर उसे छुपाने की कोशिश की..

दीदी झेंप गयी और नज़र नीची करके मुस्कराते हुए वहाँ से भाग गयी.. और सीधी के पास जाकर पलट कर बोली- अब सपने से बाहर आ गया हो तो नीचे आजा.. भाभी बुला रही हैं…!

मुझे बड़ी शर्म सी महसूस हुई, फिर कुच्छ देर बैठ कर अपने मन को इधर-उधर करने की कोशिश की लेकिन कोई फ़ायदा नही हुआ..

फिर उठकर फर्स्ट फ्लोर पर बने बाथरूम में घुस गया और पेसाब की धार मारी तब जाकर कुच्छ शांति मिली……..

चाय नाश्ता करने के बाद मेने अपनी गुड़िया रानी को गोद में लिया और भाभी को बोलकर बड़ी चाची के घर की तरफ निकल गया…

मेने उनके घर के अंदर जैसे ही पैर रखा, सामने ही वरान्डे में रेखा दीदी चारपाई पर बैठी अपने बेटे को दूध पिला रही थी,

उनका पपीते जैसा एक बोबा, कुर्ते के बाहर निकला हुआ था और उसका कागज़ी बादाम जैसा निपल उनके बेटे के मुँह में लगा हुआ था, और वो चुकुर-2 करके उसे चूस रहा था..

मेरे कदमों की आहट सुन कर उन्होने उसे ढकना चाहा, लेकिन जैसे ही उनकी नज़र मेरे उपर पड़ी.. तो उन्होने अपनी कमीज़ और उपर कर ली जिससे उनका पूरा पपीता मेरे सामने आगया….

मे – दीदी क्या हो रहा है…? और उनके पास बैठ कर उनके बेटे के सर पर हाथ फिराया और उनके बेटे से बोला – अले-अले..मम्मा.. का दुद्दु पी रहा है मेरा भांजा…

दीदी ने जलती नज़रों से मुझे देखा लेकिन मेरी बात का कोई जबाब नही दिया..

मेने उनके पास बैठ के रूचि के गाल पर किस किया और उसे खिलाने लगा…वो बार-2 मेरा ध्यान अपनी ओर करने के लिए सस्सिईइ….आअहह…काट मत… जैसी आवाज़ें करने लगी.. लेकिन मे अपनी गुड़िया से ही खेलता रहा…

फिर जब उनकी एक तरफ की टंकी खाली हो गयी, तो उसे पलट कर दूसरे बोबे की तरफ किया और अपनी कमीज़ उठा कर उसको भी नंगा करके निपल उसके मुँह में दे दिया.. लेकिन पहले वाले को ढकने की कोशिश भी नही की..

अब उनकी कमीज़ उनके दोनो चुचियों के उपर टिकी हुई थी…मे कनखियों से उनको देख रहा था, और अपनी भतीजी से खेलता रहा…

वो मन ही मन भुन-भूना रही थी.. फिर मे बिना उनकी तरफ देखे ही बोला – दीदी घर में और कोई नही है…? उन्होने फिर भी सीधे -2 मेरी बात का कोई जबाब नही दिया और मुझे सुनकर अपने बेटे से बातें करने लगी.

ले बेटा ठूंस ले पेट भरके… यहाँ और कोई नही है, जो तेरी भूख शांत करे..

लेकिन बेटा तो दूध पीना बंद करके कब का सो चुका था.. तो उसको उन्होने साइड में सुला दिया और झटके से अपनी कमीज़ नीचे करके अपने पपीतों को ढक लिया.

मे – चल रूचि.. अपना चलते हैं.. यहाँ तो कोई दिख नही रहा.. तो फिर अपन भी यहाँ बैठ के क्या करेंगे…

वो मेरी बात सुनकर और ज़्यादा खीज गयी और पीछे से मेरे गले को अपने एक बाजू से लपेट लिया… और बोली – कमीने तुझे मे इतनी बड़ी यहाँ बैठी दिखाई नही दी.. जो कह रहा है कि यहाँ कोई नही है..
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RE: हर ख्वाहिश पूरी की - by nitya.bansal3 - 03-07-2020, 06:57 PM



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