03-07-2020, 06:35 PM
५.
'आपको मुझसे दिकत है या उनसे आप पहले ये फैसला कर लीजिये' मैं अपने ममजान को चीख के पूछा, और मेरी अम्मी हमारे इस झगड़े में बिच बचाओ कर रही थी,
'बेटा तेरा मामा कुछ ज्यादा ही गुस्से वाला है, जाने दे ना , अब तो तू यहाँ आ गया है, अब सब ठीक है ' मेरा मामा का गुस्से से सर लाल हो गया था,
'क्या ठीक है दीदी, पहले तो......' मेरी अम्मी इसपे जोड़ से चीखती है,
'रहीम जाने दो, बाबू आया है, तुम उसका स्वागत करो बस, अभी तुम बहुत छोटे हो'
'पर दीदी जो मैं बोल रहा हूँ वो सब सच है, तुम्हारा सौहार एक धोकेबाज़ है, और फिर भी तुम उसके साथ वापस जाने के लिए मन गयी' मैं ये सुन खुस हो गया, और फिर दुखी भी, एक तैतरफ मेरे परिवार का दुबारा एक होने का खुसी था, और मुझे ये भी मालूम था अब कुछ भी पहले जैसा नहीं होगा, मेरी अम्मी वहा से अपने कमरे में चली जाती है, और मैं भी उनके साथ उनके कमरे में जा उनसे हाल चाल पूछने लगता हूँ, मैं अम्मी से बात कर रहा था और वो मुझसे मुस्का के बाटे कर रही थी, लेकिन मैं देख सकता था की ये मुस्कान झूटी थी, मेरी अम्मी का दुःख उनके आँखों में साफ़ साफ़ दिख रहा था,
'बेटा जा के कुछ खा लो'
'अच्छा अम्मी' मैं वहा से निकल खाने के लिए किचन में घुस गया वह पे सुबह का कुछ खाना बचा हुआ था, मैं उसे खाने लगा, खाना ठंडा था और उस ठन्डे खाने ने मुझे याद दिलाया की, अभी इसी वक़्त मेरे अब्बू दूसरे निकाह पे बैठे हुए हैं, और मेरे अंदर गुस्सा भर आया और मैं खाना घर से बहार फेक दिया, और मैं अपने अम्मी के कमरे में चला गया, मेरी अम्मी सो रही थी,
और मेरी नज़र सीधे अम्मी के बड़े बड़े गोलाकार गांड पे अटक गयी, इतने परेशानी के समय में, मेरे अंदर के गुस्से के बावजूद, मेरी नज़र अम्मी के तरबूजे जैसे तसरीफ पे अटक गयी, और मेरे आंख के सामने एक पल के लिए उस रात की तस्वीर आयी, और मैं जैसे सम्मोहित हो गया और अपनी ही अम्मी के पास किसी जिन्न के जैसे जाने लगा, मेरे आँखों के सामने सिर्फ मेरी अम्मी के बड़े गोल गांड थी, और मैं हर चीज़ अपने हवस में भुला चूका था, मैं अम्मी के बिलकुल नज़दीक आ गया और मेरी अम्मी का रसदार गांड मेरे से एक हाथ की दूरी पे था, मैं अम्मी के सरीर की खुसबू को सूंघ पा रहा था, और मैं अपना हाथ अपने अम्मी के गांड के तरफ बढ़ने लगा,
'रेहान कहा है तू, इधर आ मेरा बाबू ' मेरी कान में मेरे नानाजान का आवाज़ आया और मेरा सम्मोहन टुटा, मैं अपनी अम्मी के एक हाथ की दूरी पे था, मैं वहां से झट से अपने नानाजान से मिलाने चला जाता हूँ,
मेरी अम्मी हर वक़्त दुखी ही दिखती थी, लेकिन मुझे मेरी अम्मी का रंडी वाला रूप मालूम था, उनके गांड की वो लचक, उनके कमर की धलए, मैं उनके पागलपन को अपने आँखोने से देखा था, और जिस तरफ मेरी अम्मी उस रात चुदवा रही थी, मुझे ये तो समझ में आ गया था की ये उनका पहला बार नहीं था, क्युकी ऐसी तो मैंने सिर्फ ब्लू फिल्म में देखि थी, जैसे अम्मी कर रही थी, उस फिल्म की हेरोइन कई मर्दो से पागलो की तरह चुदवा रही थी, उस हेरोइन का पागलपन और मेरी अम्मी का लगभग एक जैसा ही था,
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अब्बू का निकाह का एक महीने होने को था, और मेरी हवस मेरे अपने अम्मी के लिए किसी सैतान की तरह भढने लगा था, मेरी गन्दी नज़र हमेशा उनपे रहती, और मेरी अम्मी हमेशा दुखी ही रहती, मेरी अम्मी ने अब्बू का दूसरा निकाह तो मान लिया था, लेकिन उनके लिए अब्बू का दिया हुआ धोखा पचाना बहुत मुश्किल हो रहा था, और मैं अम्मी के घर पे ही रहने लगा था, और वह पे अब्बू और उनकी नयी बेगम रह रही थी, लेकिन उससे ज्यादा मुझे अम्मी का वो हूरी रूप देखना था, मैं अपने अम्मी को नंगे हातों कांड करते हुए पकड़ना चाहता था, ताकि मैं खुद ही उनकी ब्लैकमेल कर सकू, मेरे हवस ने मुझे काफी झुका दिया था, मैं हमेशा उनके सपनो में खोया रहता था, और मैं कोई मौका ढूंढ रहा था,
'आपको मुझसे दिकत है या उनसे आप पहले ये फैसला कर लीजिये' मैं अपने ममजान को चीख के पूछा, और मेरी अम्मी हमारे इस झगड़े में बिच बचाओ कर रही थी,
'बेटा तेरा मामा कुछ ज्यादा ही गुस्से वाला है, जाने दे ना , अब तो तू यहाँ आ गया है, अब सब ठीक है ' मेरा मामा का गुस्से से सर लाल हो गया था,
'क्या ठीक है दीदी, पहले तो......' मेरी अम्मी इसपे जोड़ से चीखती है,
'रहीम जाने दो, बाबू आया है, तुम उसका स्वागत करो बस, अभी तुम बहुत छोटे हो'
'पर दीदी जो मैं बोल रहा हूँ वो सब सच है, तुम्हारा सौहार एक धोकेबाज़ है, और फिर भी तुम उसके साथ वापस जाने के लिए मन गयी' मैं ये सुन खुस हो गया, और फिर दुखी भी, एक तैतरफ मेरे परिवार का दुबारा एक होने का खुसी था, और मुझे ये भी मालूम था अब कुछ भी पहले जैसा नहीं होगा, मेरी अम्मी वहा से अपने कमरे में चली जाती है, और मैं भी उनके साथ उनके कमरे में जा उनसे हाल चाल पूछने लगता हूँ, मैं अम्मी से बात कर रहा था और वो मुझसे मुस्का के बाटे कर रही थी, लेकिन मैं देख सकता था की ये मुस्कान झूटी थी, मेरी अम्मी का दुःख उनके आँखों में साफ़ साफ़ दिख रहा था,
'बेटा जा के कुछ खा लो'
'अच्छा अम्मी' मैं वहा से निकल खाने के लिए किचन में घुस गया वह पे सुबह का कुछ खाना बचा हुआ था, मैं उसे खाने लगा, खाना ठंडा था और उस ठन्डे खाने ने मुझे याद दिलाया की, अभी इसी वक़्त मेरे अब्बू दूसरे निकाह पे बैठे हुए हैं, और मेरे अंदर गुस्सा भर आया और मैं खाना घर से बहार फेक दिया, और मैं अपने अम्मी के कमरे में चला गया, मेरी अम्मी सो रही थी,
और मेरी नज़र सीधे अम्मी के बड़े बड़े गोलाकार गांड पे अटक गयी, इतने परेशानी के समय में, मेरे अंदर के गुस्से के बावजूद, मेरी नज़र अम्मी के तरबूजे जैसे तसरीफ पे अटक गयी, और मेरे आंख के सामने एक पल के लिए उस रात की तस्वीर आयी, और मैं जैसे सम्मोहित हो गया और अपनी ही अम्मी के पास किसी जिन्न के जैसे जाने लगा, मेरे आँखों के सामने सिर्फ मेरी अम्मी के बड़े गोल गांड थी, और मैं हर चीज़ अपने हवस में भुला चूका था, मैं अम्मी के बिलकुल नज़दीक आ गया और मेरी अम्मी का रसदार गांड मेरे से एक हाथ की दूरी पे था, मैं अम्मी के सरीर की खुसबू को सूंघ पा रहा था, और मैं अपना हाथ अपने अम्मी के गांड के तरफ बढ़ने लगा,
'रेहान कहा है तू, इधर आ मेरा बाबू ' मेरी कान में मेरे नानाजान का आवाज़ आया और मेरा सम्मोहन टुटा, मैं अपनी अम्मी के एक हाथ की दूरी पे था, मैं वहां से झट से अपने नानाजान से मिलाने चला जाता हूँ,
मेरी अम्मी हर वक़्त दुखी ही दिखती थी, लेकिन मुझे मेरी अम्मी का रंडी वाला रूप मालूम था, उनके गांड की वो लचक, उनके कमर की धलए, मैं उनके पागलपन को अपने आँखोने से देखा था, और जिस तरफ मेरी अम्मी उस रात चुदवा रही थी, मुझे ये तो समझ में आ गया था की ये उनका पहला बार नहीं था, क्युकी ऐसी तो मैंने सिर्फ ब्लू फिल्म में देखि थी, जैसे अम्मी कर रही थी, उस फिल्म की हेरोइन कई मर्दो से पागलो की तरह चुदवा रही थी, उस हेरोइन का पागलपन और मेरी अम्मी का लगभग एक जैसा ही था,
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अब्बू का निकाह का एक महीने होने को था, और मेरी हवस मेरे अपने अम्मी के लिए किसी सैतान की तरह भढने लगा था, मेरी गन्दी नज़र हमेशा उनपे रहती, और मेरी अम्मी हमेशा दुखी ही रहती, मेरी अम्मी ने अब्बू का दूसरा निकाह तो मान लिया था, लेकिन उनके लिए अब्बू का दिया हुआ धोखा पचाना बहुत मुश्किल हो रहा था, और मैं अम्मी के घर पे ही रहने लगा था, और वह पे अब्बू और उनकी नयी बेगम रह रही थी, लेकिन उससे ज्यादा मुझे अम्मी का वो हूरी रूप देखना था, मैं अपने अम्मी को नंगे हातों कांड करते हुए पकड़ना चाहता था, ताकि मैं खुद ही उनकी ब्लैकमेल कर सकू, मेरे हवस ने मुझे काफी झुका दिया था, मैं हमेशा उनके सपनो में खोया रहता था, और मैं कोई मौका ढूंढ रहा था,