28-02-2019, 07:40 PM
(This post was last modified: 28-02-2019, 07:44 PM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
मंझली
मझली का कुछ दिनों में हाईकॉलेज बोर्ड का इम्तहान शुरू होने वाला था। लम्बी हो गयी थी। ५ फिट तो डांक ही रही थी। गोरी गुलाबी देह तो हम तीनो बहनो की थी ,
लेकिन जहां छुटकी पे जवानी बस आ रही थी , मंझली पे उसका कब्ज़ा पूरा था। उभार 30 -31 सी के बीच रहे होंगे और पिछवाड़ा भी भरा भरा था। उसने भी एक पुराना टॉप पहना था , जिसकी ऊपर की बटन पहले से टूटी थी। और टीन ब्रा साफ दिख रही थी।
और इस बार भी बिना इस बात कि परवाह किये कि मम्मी भी खड़ी हैं , उन्होंने साली के गदराते जोबन की नाप जोख शुरू कर दी।
और मम्मी ने मुझे अंकवार में भर लिया , जोर से भींच लिया।
मम्मी मेरे लिए माँ से ज्यादा , बहन की तरह , एक सहेली की तरह थीं।
ये पहली बार था कि होली की तैयारियों में मैं उनके साथ नहीं थी।
शादी के बाद मैं पहली बार मायके आयी थी।
कुछ देर हम दोनों एक दूसरे को ऐसे ही भिंचे खड़े रहे।
फिर वो मेरे कान में बोली ,
" सुन , समधन ने शरबत पिलाया की नहीं। "
मैं खिलखिला उठी। मम्मी भी ना ,…
" हाँ पिलाया था , लेकिन ग्लास में। और सिर्फ उन्होंने ही नहीं , ननद , और जेठानी ने भी " मैं बोली।
" तुम बेवकूफ हो और मेरी समधन , सीधी संकोची। सीधे कुप्पी से पिलाना चाहिए था ' वो बोलीं।
हँसते हुए मैंने पुछा ,"
मम्मी , और आप अपने दामाद को ,"
" एकदम पिलाऊंगी , और सीधे कुप्पी से " मेरी बात काट के वो बोली और जोड़ा बल्कि चटनी भी चखाऊंगी। '
मम्मी ने हँसते हुए कहा।
उधर आँगन में में जीजा साली में धींगामस्ती चल रही थी। इनका हाथ मंझली के उभारो पे था और दूसरी छुटकी के टिकोरों के मजे ले रहा था।
मम्मी ने छेड़ा।
" अरे नए माल के आगे , … जरा इधर भी तो आओ। "
वो आये और मम्मी के पैर छूने को झुके तो मम्मी ने उन्हें पकड़ के उठा लिया और खुद गले लगाती बोलीं ,
"हमारे यहाँ सास दामाद गले मिलते हैं और होली में तो ,… "
जैसे उन्होंने मम्मी की बात समझ कर तुरंत मम्मी को गले लगा के भींच लिया।
मैंने उन्हें चिढ़ाया ,
" मम्मी , आप कि कुछ चीजें बहुत पसंद है "
और जैसे इशारा पा के अपने सीने से मम्मी के भारी भारी बूब्स ( 38 डी डी ) जोर से दबाये और हाथ , मम्मी के चूतड़ सहलाने लगे।
" आनी भी चाहिए "
मम्मी ने भी इन्ही का साथ लेते हुय मुझे झिड़का। और जोर से अपना 'सेण्टर ' उनके ' सेंटर ' पे दबाया। फिर इन्हे चिढाते बोलीं ,
" क्यों मेरा जोरदार है या मेरी समधन का "
" मम्मी , आप दोनों के जोरदार है। दोनों का एक दूसरे से बढ़कर है " वो जोर से दबाते बोले।
" तूझे तो पॉलिटिक्स में होना चाहिए था " मम्मी ने जोर से उनके गाल पिंच कर के बोला बहनो फिर मेरी छोटी को डांटा।
" हे तेरे जीजा खड़े हैं बैठने को तो ,… "
बात काट के मैंने बहनो का साथ दिया , डबल मीनिंग डायलाग में
" अरे मम्मी ससुराल में नहीं खड़े होंगे तो फिर कहाँ होंगे "
मम्मी तो पूरी दलबदलू निकली और बोली
" तेरी बात आधी सही है , खड़े होने का काम तो मेरे दामाद का है ,लेकिन बैठाने का काम तो तेरी बहनो का है ".
हम तीनो बहने हँसते हँसते लोट पोट हो गए।
छुटकी उनका सामान ले के , मेरे कमरे में गयी।
मैं मम्मी के साथ किचेन में और मंझली उन्हें बिठाने में लग गयी।
मझली का कुछ दिनों में हाईकॉलेज बोर्ड का इम्तहान शुरू होने वाला था। लम्बी हो गयी थी। ५ फिट तो डांक ही रही थी। गोरी गुलाबी देह तो हम तीनो बहनो की थी ,
लेकिन जहां छुटकी पे जवानी बस आ रही थी , मंझली पे उसका कब्ज़ा पूरा था। उभार 30 -31 सी के बीच रहे होंगे और पिछवाड़ा भी भरा भरा था। उसने भी एक पुराना टॉप पहना था , जिसकी ऊपर की बटन पहले से टूटी थी। और टीन ब्रा साफ दिख रही थी।
और इस बार भी बिना इस बात कि परवाह किये कि मम्मी भी खड़ी हैं , उन्होंने साली के गदराते जोबन की नाप जोख शुरू कर दी।
और मम्मी ने मुझे अंकवार में भर लिया , जोर से भींच लिया।
मम्मी मेरे लिए माँ से ज्यादा , बहन की तरह , एक सहेली की तरह थीं।
ये पहली बार था कि होली की तैयारियों में मैं उनके साथ नहीं थी।
शादी के बाद मैं पहली बार मायके आयी थी।
कुछ देर हम दोनों एक दूसरे को ऐसे ही भिंचे खड़े रहे।
फिर वो मेरे कान में बोली ,
" सुन , समधन ने शरबत पिलाया की नहीं। "
मैं खिलखिला उठी। मम्मी भी ना ,…
" हाँ पिलाया था , लेकिन ग्लास में। और सिर्फ उन्होंने ही नहीं , ननद , और जेठानी ने भी " मैं बोली।
" तुम बेवकूफ हो और मेरी समधन , सीधी संकोची। सीधे कुप्पी से पिलाना चाहिए था ' वो बोलीं।
हँसते हुए मैंने पुछा ,"
मम्मी , और आप अपने दामाद को ,"
" एकदम पिलाऊंगी , और सीधे कुप्पी से " मेरी बात काट के वो बोली और जोड़ा बल्कि चटनी भी चखाऊंगी। '
मम्मी ने हँसते हुए कहा।
उधर आँगन में में जीजा साली में धींगामस्ती चल रही थी। इनका हाथ मंझली के उभारो पे था और दूसरी छुटकी के टिकोरों के मजे ले रहा था।
मम्मी ने छेड़ा।
" अरे नए माल के आगे , … जरा इधर भी तो आओ। "
वो आये और मम्मी के पैर छूने को झुके तो मम्मी ने उन्हें पकड़ के उठा लिया और खुद गले लगाती बोलीं ,
"हमारे यहाँ सास दामाद गले मिलते हैं और होली में तो ,… "
जैसे उन्होंने मम्मी की बात समझ कर तुरंत मम्मी को गले लगा के भींच लिया।
मैंने उन्हें चिढ़ाया ,
" मम्मी , आप कि कुछ चीजें बहुत पसंद है "
और जैसे इशारा पा के अपने सीने से मम्मी के भारी भारी बूब्स ( 38 डी डी ) जोर से दबाये और हाथ , मम्मी के चूतड़ सहलाने लगे।
" आनी भी चाहिए "
मम्मी ने भी इन्ही का साथ लेते हुय मुझे झिड़का। और जोर से अपना 'सेण्टर ' उनके ' सेंटर ' पे दबाया। फिर इन्हे चिढाते बोलीं ,
" क्यों मेरा जोरदार है या मेरी समधन का "
" मम्मी , आप दोनों के जोरदार है। दोनों का एक दूसरे से बढ़कर है " वो जोर से दबाते बोले।
" तूझे तो पॉलिटिक्स में होना चाहिए था " मम्मी ने जोर से उनके गाल पिंच कर के बोला बहनो फिर मेरी छोटी को डांटा।
" हे तेरे जीजा खड़े हैं बैठने को तो ,… "
बात काट के मैंने बहनो का साथ दिया , डबल मीनिंग डायलाग में
" अरे मम्मी ससुराल में नहीं खड़े होंगे तो फिर कहाँ होंगे "
मम्मी तो पूरी दलबदलू निकली और बोली
" तेरी बात आधी सही है , खड़े होने का काम तो मेरे दामाद का है ,लेकिन बैठाने का काम तो तेरी बहनो का है ".
हम तीनो बहने हँसते हँसते लोट पोट हो गए।
छुटकी उनका सामान ले के , मेरे कमरे में गयी।
मैं मम्मी के साथ किचेन में और मंझली उन्हें बिठाने में लग गयी।