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Adultery जोरू का गुलाम उर्फ़ जे के जी
कार्ड 









असल में गुड्डी के लिए मेरी भी तो यही प्लानिंग थी ,

 
हचक हचक कर ,कुतिया की तरह ,
 
जैसे कातिक में देसी कुतीया गरमाती है और खुद कुत्ते ढूंढ ढूंढ कर ,
 












बस वैसे ही फरक सिर्फ ये होगा की वो कुतिया तो सिर्फ  महीने गरमाती है और ये ,... बारहो महीने
 
तीसो दिन ,चौबीसो घंटे गरमाई रहेगी।


 
बात बदलने में तो उनका कोई मुकाबला नहीं ,बोले ,चल गुड्डी अब कार्ड शुरू करते हैं।


 
" एकदम भैय्या। " भैय्या की बहिनी बोलीं।
 
( मुझे दिए गए कार्ड के बारे में ११ लेक्चर वो भूल चुकी थी और मैं भी बीती ताहि भुलाई दे कर के बस अब इसकी कच्ची जवानी के मजे ले रही थी )
 
पत्ते फेंट दिए , बाँट दिए गए।
मुझे लगा ,गुड्डी को मैं आसानी से हरा दूंगी लेकिन वो बित्ते भर की छोरी गजब का मुकाबला कर रही थी
( बाद में उसने राज खोला , खेलती तो वो भी थी ,बचपन से पिकनिक में ,अपनी सहेलियों के साथ लेकिन सिर्फ उसे लगता था की उसके भैय्या को नहीं पसंद है इसलिए इनके सामने बस यही दिखाती थी की वो भी ,... )
 
ताश से ज्यादा जो मैंने मम्मी से सीखा था ताश में बेईमानी , बिना बेईमानी के कहीं ताश का खेल होता है क्याख़ास तौर पर जब सामने  एक जवान होती ननद हो और दांव पर उसके गदराये किशोर जोबन हों ,
 
फिर थोड़ी तांक झाँक , थोड़ी इशारे बाजी इनके साथ और हम दोनों ने मिल के उसे हरा दिया।
 
शर्त बहुत छोटी सी लगाई उन्होंने
 
गुड्डी को मैं ब्लाइंडफोल्ड कर दूँगी और फिर हम दोनों उसे छुएंगे , बस उसे  बताना था ,भैय्या या भाभी और कहाँ छुआ।  सिर्फ दस मिनट।
 
वही ब्लाइंडफोल्ड जो बेडरूम गेम्स में मैं इनके साथ इस्तेमाल करती थी , एकदम से नहीं दिखाई देता।
 
गुड्डी ने चुपचाप बंधवा लिया।
और शुरुआत भी मैंने किया , उसके चम्पई चिकने गालों पर अपनी ऊँगली की टिप बस छुला के हटा ली। एकदम मक्खन।
 
और गोरे इतने की लगता था हाथ लगाओ तो कही मैली हो जाय।
 
फुलझड़ी हंसी ,बोली , भाभी ,गाल।
 
और मेरी देखा देखी उन्होंने भी उसके गाल छू दिए।
 
गुड्डी का चेहरा के पल के लिए ब्लश किया , खूब जोर से फिर हलके से बोली ,
 
" भइया ,गाल। "
 
नाजुकी उसके लब की क्या कहिये
पंखुड़ी एक गुलाब की सी है।




मेरी नदीदी निगाहें उसके थरथराते सनील से होंठों को सहला रही थीं , छु रही थीं।
बस मन कर रहा था , चुपके से एक चुम्मी चुरा लूँ।
 
या डाल दूँ डाका उन होंठों पे जो बस क्या कहूं , एकदम चाशनी से भरे ,
 
 
मिल गये थे एक बार उस के जो मेरे लब से लब
 
उम्र भर होंटो पे अपने हम ज़बान फेरा किए.


 
पहले तो मैंने हलके से अपनी लम्बी ऊँगली का जस्ट टिप उस किशोरी के होंठों पे ,
 
और जब तक उस के लबों से बोल निकले ,
 
' भाभी , होंठ '
 
लब थरथरा रहे थे लेकिन होंठों ने बात कर ली।
 
आखिर मेरे होंठों ने डाका डाल ही दिया गुड्डी के होंठों पे।
 
पहले हलके से लबों ने एक दूसरे को छुआ , दुआ सलाम हुयी ,हाल चाल पूछा और फिर
 
 
में अपनी असलियत पर गयी।
 
गुड्डी के नए जवान हुए होंठगुड्डी के निचले होंठों को दबोच कर मैंने खूब रस चूसा उसका और फिर दोनों होंठों का ,
 
लेकिन वो अपनी पारी का वेट कर रहे थे और उनकी निगाहें उस शोला बदन के गोरे संदली गोल कन्धों से सरकती हुयी , सीधे खुले खुले
 
पहाड़ियों और उन के बीच की घाटी तक।
 
और उन्होंने उस नाजनीन के कंधे को छू लिया।
 
मैंने भी उसके लबों को आजाद कर दिया।
 
" भैय्या ,कन्धा " आजाद लबों ने अपने पुराने यार को छुअन को पहचाना।
 
दूसरे कंधे को मैंने चूम लिया , उस शोख पर डाका तो हम दोनों डाल रहे थे ,हक़ हम दोनों का बराबर का था।
 
" भाभी , कन्धा , ... " वो चिड़िया चहचहाई।
 
 
हम दोनों के छूने का असर किसी भी नशे से ज्यादा हो रहा था।  मैंने उस सारंग नयनी की आँखों में देखा , और आँखों ने उस के मन का राज कह दिया ,
 
उन आंखों की हालत कुछ ऐसी है,
जैसे उठे मैकदे से कोई चूर होकर।
 
और आज तक कोई ननद अपनी भाभी से दिल का राज छुपा  पायी है क्या ,
 
और मेरी उंगलियां सीधे गुड्डी के छोटे छोटे पहाड़ों पर ,ऊँगली ने पहले हलके हलके उन  के चक्कर काटे ,फिर सीधे टिप के ठीक पहले
 
 और बोलते बोलते वो अटक गयी ,
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ANUSHKA IS ASHWIN'S SWEET WIFE - by ashw - 05-04-2019, 06:02 AM
RE: जोरू का गुलाम उर्फ़ जे के जी - by komaalrani - 03-07-2020, 02:19 PM



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