30-06-2020, 01:41 PM
Update...... 30
करीब डेढ़ घंटे से मैं लगातार चुद रही थी। अब मुझे लगा कि हाँ, यह अनुभव हमेशा याद रखने वाला है।
मैं उठी और सिर्फ़ सलवार और शमीज पहन ली। तभी रुम-सर्विस खाना ले आया। दोनों वेटरों के लिए यह सब देखना नई बात नहीं थी।
मेरी सलवार और शमीज के बीच से करीब 5″ के सपाट पेट पर उन वेटरों की नज़र बार-बार जा रही थी। 20-22 साल के नौजवान वेटरों को दिखा कर जमीन पर पड़ी हुई अपनी ब्रा और पैन्टी उठाई। मेरे झुकने से उनको मेरी सुन्दर चूचियों की झलक मिल गई।
चूत में जो वीर्य भरा हुआ था अब हल्के-हल्के बाहर आने लगा था। मैंने सब को दिखा कर अपनी सलवार की मियानी से अपनी चूत को पौंछा और फ़िर गीली हुई मियानी को देख कहा- भीतर निकाल दिया, देख लीजिए, कपड़े खराब हो गए।
वकार हँस दिया- अरे बच्ची, अगर पेट से रह जायेगी तो पूरा ताजमहल बिगड़ जायेगा और तू कपड़े की चिन्ता कर रही है।
बेशर्म बूढ़ा मेरी फ़िगर की बात कर रहा था। मुझे अब उन दोनों के साथ मजा आ रहा था। आसिफ़ मेरे बदन की खूब तारीफ़ कर रहा था और उसका बाप मजे लेकर सुन रहा था, फ़िर पूछा- तुझे मजा आया ना बेटा इसको चोद कर?
आसिफ़ खुशी से बोला- बहुत अब्बा, चूत तो बिल्कुल कसी हुई है। पर लौन्डिया मस्त है, आँखों से आँसू निकल आए जब दो ही धक्कों में पेल दिया था पूरा भीतर। यह रान्ड साली इतनी सुन्दर है कि मैं बेकाबू हो गया। पर क्या मस्त चुदी अब्बा, अम्मीजान की कसम मजा आ गया।
हम सब ने साथ खाना खाया और वकार ने कहा कि मैं दो घन्टे आराम कर लूँ। क्योंकि शाम की चाय के पहले वह मुझे चोदेगा और फ़िर रात में तो मुझे लगातार चुदना है। मैं भी आराम से बेड पर जा कर आराम करने लगी और मुझे नींद आ गई।
करीब साढ़े चार बजे मुझे लगा कि कोई मेरा चेहरा सहला रहा है, तो हड़बड़ा कर उठी।
वकार बिल्कुल नंगा मेरी बगल में लेटा हुआ था। मुझे जगा हुआ देख वो मेरे मुँह को चूमने लगा और फ़िर अपने मुँह से ढ़ेर सारा थूक मेरे मुँह में गिरा दिया। मैं इसके लिए तैयार नहीं थी, पर वो मेरी हकबकाहट देख खुश हुआ और बोला- निगल ले मेरा थूक, जब मेरा मणि खा सकती है तो मेरे थूक से क्या परेशानी।
मुझे अब समझ आ या कि मैं तो उसके लिए एक रन्डी थी, और मुझे वही करना था जो वो कहे।
मैं जब य्हूक निगल गई तो वो मेरे ऊपर चढ़ कर लेट गया, मुझे अपने बदन से पूरी तरह से दबा कर और फ़िर से मेरे होंठ चूसने शुरु कर दिए। फ़िर पलट गया और वो नीचे था, मैं ऊपर ! होंठ से होंठ मिले हुए।
तभी वो मेरे चूतड़ सहलाने लगा और फ़िर अचानक मेरी सलवार की मियानी पकड़ कर उसे एक झटके से करीब 4″ फ़ाड़ दिया।
मैं चौंक गई- हाय अल्लाह, अब मैं घर कैसे जाउँगी?
मैं एकदम से परेशान हो गई और बिस्तर पर बैठ गई। वकार मेरी बेचैनी देख हँस पड़ा, बोला- क्यों ? फ़टी सलवार पहन कर जाना, अम्मा खुश होएगी। इतना सज धज के आई है तो तेरी अम्मी को पता तो चले कि बेटी सही से चुदी, क्यों?
उस हरामी को कहाँ पता थी कि मेरे अम्मीजान को जरा भी अंदाजा न था कि बेटी रन्डी बन चुद रही है। पर ऐसी मजबूरी में मेरी आँख फ़िर नम होने लगी, तभी वह बोला- अरे खुश हो जा, तुझे नये कपड़े में विदा कर देंगे। आसिफ़ को भेजा है, तेरे लिए नये कपड़े लेने। इससे अच्छे कपड़े में घर जाना।
मेरे चेहरे को अपने हाथ में पकड़ बड़े प्यार से पूछा- अब तो खुश है तू। देख अगर तू दुखी होगी तो चोदने का मजा कम हो जाएगा। अरे तू इतनी हसीन है, जवान है कि तेरे साथ शरारत करने का मन बन गया। अब हँस भी दे।
उसके ऐसे मनाने से मुझे दिल से खुशी हुई और मैं मुस्कुरा दी।
वो भी मुस्कुराया- जवान लौन्डिया को कपड़े फ़ाड़ कर चोदने में जो मजा है वो किसी चीज में नहीं है।
और मेरे छाती पर हाथ रख मेरी शमीज को भी चीर दिया। मेरी दोनों चूचियों को देख हल्के से उन पर चपत लगाया तो वो हल्के से हिल गए। उनके हिलते देख वो खुशी से बोला- देख कैसे ये कबूतर मचल रहे हैं और 3-4 चपत और लगा दए। इसके बाद उसने मुझे पूरी तरह से नंगा कर दिया और मेरी चूत चूसने लगा। धीरे-धीरे मुझमें मस्ती छाने लगी और तब मुझे मस्त देख बुढ़्ढ़ा मेरे पैरों के बीच आ अपना लण्ड मेरी चूत में घुसा कर धक्के लगाने लगा। बीच-बीच में चूची पर चपत भी लगा रहा था और मैं मस्त थी।
थोड़ी देर बाद वो लेट गया और मुझे ऊपर से उसके लण्ड की सवारी करनी पड़ी। 2-3 मिनट बाद वो फ़िर मुझे नीचे लिटा दिया और ऊपर से मुझे चोदने लगा। वो अब तेजी से धक्के लगा रहा था और मैं मस्त हो गई थी। तभी लगा वो झड़ रहा है। 4-5 झटके के बाद उसका माल मेरी चूत में निकल गया। वो मेरे ऊपर लेट मुझे चूमने लगा फ़िर उठा और बोला- जाओ, अब हाथ मुँह धो लो। खाकर सो गई थी सो मुँह से हलकी बास आ रही है।
करीब डेढ़ घंटे से मैं लगातार चुद रही थी। अब मुझे लगा कि हाँ, यह अनुभव हमेशा याद रखने वाला है।
मैं उठी और सिर्फ़ सलवार और शमीज पहन ली। तभी रुम-सर्विस खाना ले आया। दोनों वेटरों के लिए यह सब देखना नई बात नहीं थी।
मेरी सलवार और शमीज के बीच से करीब 5″ के सपाट पेट पर उन वेटरों की नज़र बार-बार जा रही थी। 20-22 साल के नौजवान वेटरों को दिखा कर जमीन पर पड़ी हुई अपनी ब्रा और पैन्टी उठाई। मेरे झुकने से उनको मेरी सुन्दर चूचियों की झलक मिल गई।
चूत में जो वीर्य भरा हुआ था अब हल्के-हल्के बाहर आने लगा था। मैंने सब को दिखा कर अपनी सलवार की मियानी से अपनी चूत को पौंछा और फ़िर गीली हुई मियानी को देख कहा- भीतर निकाल दिया, देख लीजिए, कपड़े खराब हो गए।
वकार हँस दिया- अरे बच्ची, अगर पेट से रह जायेगी तो पूरा ताजमहल बिगड़ जायेगा और तू कपड़े की चिन्ता कर रही है।
बेशर्म बूढ़ा मेरी फ़िगर की बात कर रहा था। मुझे अब उन दोनों के साथ मजा आ रहा था। आसिफ़ मेरे बदन की खूब तारीफ़ कर रहा था और उसका बाप मजे लेकर सुन रहा था, फ़िर पूछा- तुझे मजा आया ना बेटा इसको चोद कर?
आसिफ़ खुशी से बोला- बहुत अब्बा, चूत तो बिल्कुल कसी हुई है। पर लौन्डिया मस्त है, आँखों से आँसू निकल आए जब दो ही धक्कों में पेल दिया था पूरा भीतर। यह रान्ड साली इतनी सुन्दर है कि मैं बेकाबू हो गया। पर क्या मस्त चुदी अब्बा, अम्मीजान की कसम मजा आ गया।
हम सब ने साथ खाना खाया और वकार ने कहा कि मैं दो घन्टे आराम कर लूँ। क्योंकि शाम की चाय के पहले वह मुझे चोदेगा और फ़िर रात में तो मुझे लगातार चुदना है। मैं भी आराम से बेड पर जा कर आराम करने लगी और मुझे नींद आ गई।
करीब साढ़े चार बजे मुझे लगा कि कोई मेरा चेहरा सहला रहा है, तो हड़बड़ा कर उठी।
वकार बिल्कुल नंगा मेरी बगल में लेटा हुआ था। मुझे जगा हुआ देख वो मेरे मुँह को चूमने लगा और फ़िर अपने मुँह से ढ़ेर सारा थूक मेरे मुँह में गिरा दिया। मैं इसके लिए तैयार नहीं थी, पर वो मेरी हकबकाहट देख खुश हुआ और बोला- निगल ले मेरा थूक, जब मेरा मणि खा सकती है तो मेरे थूक से क्या परेशानी।
मुझे अब समझ आ या कि मैं तो उसके लिए एक रन्डी थी, और मुझे वही करना था जो वो कहे।
मैं जब य्हूक निगल गई तो वो मेरे ऊपर चढ़ कर लेट गया, मुझे अपने बदन से पूरी तरह से दबा कर और फ़िर से मेरे होंठ चूसने शुरु कर दिए। फ़िर पलट गया और वो नीचे था, मैं ऊपर ! होंठ से होंठ मिले हुए।
तभी वो मेरे चूतड़ सहलाने लगा और फ़िर अचानक मेरी सलवार की मियानी पकड़ कर उसे एक झटके से करीब 4″ फ़ाड़ दिया।
मैं चौंक गई- हाय अल्लाह, अब मैं घर कैसे जाउँगी?
मैं एकदम से परेशान हो गई और बिस्तर पर बैठ गई। वकार मेरी बेचैनी देख हँस पड़ा, बोला- क्यों ? फ़टी सलवार पहन कर जाना, अम्मा खुश होएगी। इतना सज धज के आई है तो तेरी अम्मी को पता तो चले कि बेटी सही से चुदी, क्यों?
उस हरामी को कहाँ पता थी कि मेरे अम्मीजान को जरा भी अंदाजा न था कि बेटी रन्डी बन चुद रही है। पर ऐसी मजबूरी में मेरी आँख फ़िर नम होने लगी, तभी वह बोला- अरे खुश हो जा, तुझे नये कपड़े में विदा कर देंगे। आसिफ़ को भेजा है, तेरे लिए नये कपड़े लेने। इससे अच्छे कपड़े में घर जाना।
मेरे चेहरे को अपने हाथ में पकड़ बड़े प्यार से पूछा- अब तो खुश है तू। देख अगर तू दुखी होगी तो चोदने का मजा कम हो जाएगा। अरे तू इतनी हसीन है, जवान है कि तेरे साथ शरारत करने का मन बन गया। अब हँस भी दे।
उसके ऐसे मनाने से मुझे दिल से खुशी हुई और मैं मुस्कुरा दी।
वो भी मुस्कुराया- जवान लौन्डिया को कपड़े फ़ाड़ कर चोदने में जो मजा है वो किसी चीज में नहीं है।
और मेरे छाती पर हाथ रख मेरी शमीज को भी चीर दिया। मेरी दोनों चूचियों को देख हल्के से उन पर चपत लगाया तो वो हल्के से हिल गए। उनके हिलते देख वो खुशी से बोला- देख कैसे ये कबूतर मचल रहे हैं और 3-4 चपत और लगा दए। इसके बाद उसने मुझे पूरी तरह से नंगा कर दिया और मेरी चूत चूसने लगा। धीरे-धीरे मुझमें मस्ती छाने लगी और तब मुझे मस्त देख बुढ़्ढ़ा मेरे पैरों के बीच आ अपना लण्ड मेरी चूत में घुसा कर धक्के लगाने लगा। बीच-बीच में चूची पर चपत भी लगा रहा था और मैं मस्त थी।
थोड़ी देर बाद वो लेट गया और मुझे ऊपर से उसके लण्ड की सवारी करनी पड़ी। 2-3 मिनट बाद वो फ़िर मुझे नीचे लिटा दिया और ऊपर से मुझे चोदने लगा। वो अब तेजी से धक्के लगा रहा था और मैं मस्त हो गई थी। तभी लगा वो झड़ रहा है। 4-5 झटके के बाद उसका माल मेरी चूत में निकल गया। वो मेरे ऊपर लेट मुझे चूमने लगा फ़िर उठा और बोला- जाओ, अब हाथ मुँह धो लो। खाकर सो गई थी सो मुँह से हलकी बास आ रही है।