30-06-2020, 01:40 PM
Update......29
आज पहली बार चुदाते समय अम्मी याद आई और आँखों में आँसू आ गए। आसिफ़ बोला- अब चुप भी कर साली रन्डी ! दलाल को बीस हज़ार देकर चलता कर दिया और अब चुदाने में नानी मर रही है? ज्यादा नखरे ना कर और आराम से चुद पहले। ऐसे ही लण्डों की बदौलत तो तू बाज़ार की रानी बनेगी एक दिन।
मैं रोने लगी थी, सोचा था कि सब, चाचू ने जैसे रागिनी को चोदा था, वैसे चोदते हैं।
रागिनी की बात सब याद आई।
पर मुझे रोता देख आसिफ़ प्यार से समझने लगा- देख चुप हो जा, अभी तू नई है, इसलिए तकलीफ़ है, पर तू तो चुदी हुई है पहले से, फ़िर क्यों डर रही है? आम लोगों से मेरा थोड़ा बड़ा है पर अपनी तरह का अनोखा मजा देगा जब भीतर तक धक्के खाएगी तू। पहले मेरे दो-चार धक्के बर्दाश्त कर ! फ़िर खुद से फ़ुदक फ़ुदक कर मरवायेगी अपनी चूत !
सच ! जल्दी ही मेरी बुर उसके इस भारी भरकम लण्ड के धक्के बर्दाश्त कर के एक बार फ़िर पानी छोड़ने लगी और कमरा हच-हच, फ़च-फ़च की आवाज से भर गया।
दस-बारह मिनट मेरी चूत ठोकने के बाद आसिफ़ ने लण्ड बाहर खींचा और कहा- चल चूस अब इसको।
मैं हिचक रही थी क्योंकि लण्ड पर मेरे चूत का गीलापन लगा हुआ था। एक बार चेहरा पास ले गई पर मन न हुआ, बोली- इसमें से कैसी खट्टी सी बू आ रही है।
आसिफ़ हँसा-“अबे, यह बू ही तो खुशबू है, बताया था न तुझे। और यह खट्टी बू तेरी ही मस्त चूत की है। अब आजा बच्ची ! देर ना कर ! अभी तुझे पीछे से ठुकना बाकी है।
मैंने लण्ड मुँह में डाला और खुद की चूत के पानी का स्वाद लिया। पाँच मिनट में बिना कोई चेतावनी के आसिफ़ मेरे मुँह में झड़ गया और बोला- बिना रुके चूसती रह।
उसका लण्ड हल्का सा ढ़ीला हुआ और फ़िर जल्द ही टनटना गया। इस बार आसिफ़ ने मुझे पलट दिया और जैसे कुत्ता कुतिया पर चढ़ कर चोदता है, वैसे मुझे चोदा। हर धक्के पर मस्ती से मैं कराह उठती और वो आवाज सुन एक और धक्का और जोर से देता। ऐसे ही मैं थकने लगी और धीरे-धीरे बिस्तर की तरफ़ झुकने लगी। जल्द ही मैं लगभग बिस्तर पर पेट के बल हो गई, और आसिफ़ मेरे ऊपर लेट मेरी चुदाई करता रहा। मेरे नीचे हो जाने से उसको अब परेशानी हो रही थी धक्का लगाने में, तो बोला- चल अब पलट, सीधी हो। इस बार की ठुकाई में तेरी चूत को भर देता हूँ मणि से।
अब मुझे याद आया कि ऐसा तो मैंने सोचा न था, अब अगर इसके वीर्य से मुझे बच्चा रह गया तो। पर मैं कुछ बोलने की हालत में न थी। बस एक बार अल्लाह को याद किया और सीधी हो कर पैर खोल कर ऊपर उठा दिए। आसिफ़ ने अपने लण्ड को तीन बार मेरे चूत की ऊपर की घुन्डी पर पटका। उसकी चोट मुझे एक अजीब सी मस्ती दे रही थी कि तभी उसने एक झटके में पूरा नौ इन्च भीतर पेल दिया।
मैं अब आआह उउउउह इइइस्स्स हुम्म्म्म्म जैसी आवाज कर रही थी। मैं एक बार और झड़ चुकी थी पर आसिफ़ अपनी धुन में मुझे चोदे जा रहा था। फ़िर 5-6 तगड़े झटके के साथ उसके वीर्य ने मेरी चूत की प्यास बुझा दी। आसिफ़ ने अपना लण्ड भीतर ही घुसा कर रखा था।थोड़ी देर हम दोनों ऐसे ही शान्त पड़ रहे फ़िर उसने अपना लण्ड निकाला और मेरे मुँह में डाल दिया- साफ़ कर चाट कर इसे मेरी कुतिया !
और प्रोफ़ेसर जमील अहमद खान की प्यारी इकलौती बेटी बीस हज़ार लेकर एक रन्डी की तरह चुदाने के बाद अब लण्ड पर लगे हुए वीर्य को चाट रही थी।
तभी बाहर से वकार ने आवाज लगाई- अब खत्म करो भाई ! एक से ज्यादा बज गए, खाना आ जायेगा अब। थोड़ा आराम भी करो खाने से पहले।
आज पहली बार चुदाते समय अम्मी याद आई और आँखों में आँसू आ गए। आसिफ़ बोला- अब चुप भी कर साली रन्डी ! दलाल को बीस हज़ार देकर चलता कर दिया और अब चुदाने में नानी मर रही है? ज्यादा नखरे ना कर और आराम से चुद पहले। ऐसे ही लण्डों की बदौलत तो तू बाज़ार की रानी बनेगी एक दिन।
मैं रोने लगी थी, सोचा था कि सब, चाचू ने जैसे रागिनी को चोदा था, वैसे चोदते हैं।
रागिनी की बात सब याद आई।
पर मुझे रोता देख आसिफ़ प्यार से समझने लगा- देख चुप हो जा, अभी तू नई है, इसलिए तकलीफ़ है, पर तू तो चुदी हुई है पहले से, फ़िर क्यों डर रही है? आम लोगों से मेरा थोड़ा बड़ा है पर अपनी तरह का अनोखा मजा देगा जब भीतर तक धक्के खाएगी तू। पहले मेरे दो-चार धक्के बर्दाश्त कर ! फ़िर खुद से फ़ुदक फ़ुदक कर मरवायेगी अपनी चूत !
सच ! जल्दी ही मेरी बुर उसके इस भारी भरकम लण्ड के धक्के बर्दाश्त कर के एक बार फ़िर पानी छोड़ने लगी और कमरा हच-हच, फ़च-फ़च की आवाज से भर गया।
दस-बारह मिनट मेरी चूत ठोकने के बाद आसिफ़ ने लण्ड बाहर खींचा और कहा- चल चूस अब इसको।
मैं हिचक रही थी क्योंकि लण्ड पर मेरे चूत का गीलापन लगा हुआ था। एक बार चेहरा पास ले गई पर मन न हुआ, बोली- इसमें से कैसी खट्टी सी बू आ रही है।
आसिफ़ हँसा-“अबे, यह बू ही तो खुशबू है, बताया था न तुझे। और यह खट्टी बू तेरी ही मस्त चूत की है। अब आजा बच्ची ! देर ना कर ! अभी तुझे पीछे से ठुकना बाकी है।
मैंने लण्ड मुँह में डाला और खुद की चूत के पानी का स्वाद लिया। पाँच मिनट में बिना कोई चेतावनी के आसिफ़ मेरे मुँह में झड़ गया और बोला- बिना रुके चूसती रह।
उसका लण्ड हल्का सा ढ़ीला हुआ और फ़िर जल्द ही टनटना गया। इस बार आसिफ़ ने मुझे पलट दिया और जैसे कुत्ता कुतिया पर चढ़ कर चोदता है, वैसे मुझे चोदा। हर धक्के पर मस्ती से मैं कराह उठती और वो आवाज सुन एक और धक्का और जोर से देता। ऐसे ही मैं थकने लगी और धीरे-धीरे बिस्तर की तरफ़ झुकने लगी। जल्द ही मैं लगभग बिस्तर पर पेट के बल हो गई, और आसिफ़ मेरे ऊपर लेट मेरी चुदाई करता रहा। मेरे नीचे हो जाने से उसको अब परेशानी हो रही थी धक्का लगाने में, तो बोला- चल अब पलट, सीधी हो। इस बार की ठुकाई में तेरी चूत को भर देता हूँ मणि से।
अब मुझे याद आया कि ऐसा तो मैंने सोचा न था, अब अगर इसके वीर्य से मुझे बच्चा रह गया तो। पर मैं कुछ बोलने की हालत में न थी। बस एक बार अल्लाह को याद किया और सीधी हो कर पैर खोल कर ऊपर उठा दिए। आसिफ़ ने अपने लण्ड को तीन बार मेरे चूत की ऊपर की घुन्डी पर पटका। उसकी चोट मुझे एक अजीब सी मस्ती दे रही थी कि तभी उसने एक झटके में पूरा नौ इन्च भीतर पेल दिया।
मैं अब आआह उउउउह इइइस्स्स हुम्म्म्म्म जैसी आवाज कर रही थी। मैं एक बार और झड़ चुकी थी पर आसिफ़ अपनी धुन में मुझे चोदे जा रहा था। फ़िर 5-6 तगड़े झटके के साथ उसके वीर्य ने मेरी चूत की प्यास बुझा दी। आसिफ़ ने अपना लण्ड भीतर ही घुसा कर रखा था।थोड़ी देर हम दोनों ऐसे ही शान्त पड़ रहे फ़िर उसने अपना लण्ड निकाला और मेरे मुँह में डाल दिया- साफ़ कर चाट कर इसे मेरी कुतिया !
और प्रोफ़ेसर जमील अहमद खान की प्यारी इकलौती बेटी बीस हज़ार लेकर एक रन्डी की तरह चुदाने के बाद अब लण्ड पर लगे हुए वीर्य को चाट रही थी।
तभी बाहर से वकार ने आवाज लगाई- अब खत्म करो भाई ! एक से ज्यादा बज गए, खाना आ जायेगा अब। थोड़ा आराम भी करो खाने से पहले।