30-06-2020, 01:38 PM
Update........28
वकार अब छुटने वाला था, तब वो बोला- तुमको मेरा सारा मणि खा जाना है।
मेरे लिए यह कोई नई बात नहीं थी, पर यह शब्द नया था, शायद पाकिस्तान में वीर्य को मणि बोलते हैं। मुझे तो हिन्दी के शब्द ही आते थे। मैं मुँह खोल कर सामने जमीन पर बैठ गई और वकार ने हाथ से अपना लण्ड हिला-हिला कर पिचकारी मारी। छः बार में सारा वीर्य मेरे मुँह में डाल दिया जिसे मैं चाट गई।
अब उसने मेरा मुँह चूम लिया और बोला- अब जाओ और आसिफ़ से चुदो अच्छे से।
मैं उठी तो आसिफ़ ने मेरी पैन्टी खींच दी, कहा- इतना सा बदन अब्बू से क्यों छुपा रही हो, सब दिखा दो एक बार फ़िर चलना।
मैं उठी और अपना पैन्टी खोल दी। आज सुबह ही जब मुझे चाचू ने बताया तो अपने झाँट को साईड से साफ़ की थी, जिससे 1″ चौड़ी पट्टी में पिछले 5-6 दिन में उगे छोटे-छोटे काले-काले झाँट मेरी गोरी बुर की खूबसूरती को और बढ़ा रहे थे।
मेरी ऐसी मस्त चूत देख दोनों के मुँह से एक साथ आह निकली और फ़िर निकला- सुभानल्लाह !
आसिफ़ बोला- अब चल पहले चोदूँ तुमको वरना अफ़सोस होने लगेगा कि देरी क्यों की।
मैं बोली- पहले बुर को धो लूँ, बहुत गीली हो गई है और रास्ते में आते समय गर्मी से थोड़ा पसीने की भी बदबू आ रही है।
मुझे तो वकार के पसीने की बू याद आ रही थी। पर आसिफ़ की बेकरारी में कोई फ़र्क नहीं पड़ा, बोला- अबे चल, जवानी लौन्डी की बुर के पसीने की बू से यार लोग का लौड़ा ठनक जाता है। अभी तक घर में चुदी है ना, इसीलिए बदबू/खुश्बू की बात करती है। कुतिया की चूत से बदबू कभी नहीं आती। अपने अब्बा के देखते झुका और चूत की फ़ाँक से शुरु करके हलके झाँटों वाली पट्टी तक अपने जीभ से चाट लिया।
मेरा बदन गुदगुदी से भर गया। उसने एक चपत मेरे चूतड़ों पर लगाई और बेडरुम की तरफ़ बढ़ गया।
बिस्तर पर लिटा वो मेरे चूत के पीछे पड़ गया। लगातार जोरदार तरीके से चाटा, या कहिए खाया उस पूरे इलाके को। मेरे मुँह से अजीब-अजीब आवाज निकली, जो पहले नहीं निकली थी और मैं एक बार झड़ी तो उसने पूरी बुर उँगली से खोल चाटा। मैं शान्त हो गई थी। पर आसिफ़ पक्का हरामी था। उसने अब अपनी पैन्ट खोली और पहली बार मैंने उसके लण्ड को देखा। नौ इन्च से कम न था, गहरा भूरा और खूब मोटा। उसकी चमड़ी देख लगा नहीं था कि उसका लण्ड इतना काला होगा। * था, सो खतना किया हुआ था और उसके लण्ड की चमड़ी उसके आधे लण्ड से ज्यादा नहीं पहुँच रही थी।
मैं एक बार झड़ कर शान्त लेटी थी, इतनी मस्ती कभी मिली नहीं थी पहले। शायद माहौल का असर था। पर आसिफ़ का इरादा कुछ और था। उसने बिना कुछ बोले मेरे पैरों को फ़ैलाया और ऊपर चढ़ गया। मैं जब तक कुछ समझूँ उसने मेरे चूत में अपना लण्ड ठांस दिया। दो धक्के में पूरा नौ इन्च भीतर। मैं दर्द से बिलबिला उठी- उईईई माँआँआआँ, छोड़ो मुझे प्लीज !
वकार अब छुटने वाला था, तब वो बोला- तुमको मेरा सारा मणि खा जाना है।
मेरे लिए यह कोई नई बात नहीं थी, पर यह शब्द नया था, शायद पाकिस्तान में वीर्य को मणि बोलते हैं। मुझे तो हिन्दी के शब्द ही आते थे। मैं मुँह खोल कर सामने जमीन पर बैठ गई और वकार ने हाथ से अपना लण्ड हिला-हिला कर पिचकारी मारी। छः बार में सारा वीर्य मेरे मुँह में डाल दिया जिसे मैं चाट गई।
अब उसने मेरा मुँह चूम लिया और बोला- अब जाओ और आसिफ़ से चुदो अच्छे से।
मैं उठी तो आसिफ़ ने मेरी पैन्टी खींच दी, कहा- इतना सा बदन अब्बू से क्यों छुपा रही हो, सब दिखा दो एक बार फ़िर चलना।
मैं उठी और अपना पैन्टी खोल दी। आज सुबह ही जब मुझे चाचू ने बताया तो अपने झाँट को साईड से साफ़ की थी, जिससे 1″ चौड़ी पट्टी में पिछले 5-6 दिन में उगे छोटे-छोटे काले-काले झाँट मेरी गोरी बुर की खूबसूरती को और बढ़ा रहे थे।
मेरी ऐसी मस्त चूत देख दोनों के मुँह से एक साथ आह निकली और फ़िर निकला- सुभानल्लाह !
आसिफ़ बोला- अब चल पहले चोदूँ तुमको वरना अफ़सोस होने लगेगा कि देरी क्यों की।
मैं बोली- पहले बुर को धो लूँ, बहुत गीली हो गई है और रास्ते में आते समय गर्मी से थोड़ा पसीने की भी बदबू आ रही है।
मुझे तो वकार के पसीने की बू याद आ रही थी। पर आसिफ़ की बेकरारी में कोई फ़र्क नहीं पड़ा, बोला- अबे चल, जवानी लौन्डी की बुर के पसीने की बू से यार लोग का लौड़ा ठनक जाता है। अभी तक घर में चुदी है ना, इसीलिए बदबू/खुश्बू की बात करती है। कुतिया की चूत से बदबू कभी नहीं आती। अपने अब्बा के देखते झुका और चूत की फ़ाँक से शुरु करके हलके झाँटों वाली पट्टी तक अपने जीभ से चाट लिया।
मेरा बदन गुदगुदी से भर गया। उसने एक चपत मेरे चूतड़ों पर लगाई और बेडरुम की तरफ़ बढ़ गया।
बिस्तर पर लिटा वो मेरे चूत के पीछे पड़ गया। लगातार जोरदार तरीके से चाटा, या कहिए खाया उस पूरे इलाके को। मेरे मुँह से अजीब-अजीब आवाज निकली, जो पहले नहीं निकली थी और मैं एक बार झड़ी तो उसने पूरी बुर उँगली से खोल चाटा। मैं शान्त हो गई थी। पर आसिफ़ पक्का हरामी था। उसने अब अपनी पैन्ट खोली और पहली बार मैंने उसके लण्ड को देखा। नौ इन्च से कम न था, गहरा भूरा और खूब मोटा। उसकी चमड़ी देख लगा नहीं था कि उसका लण्ड इतना काला होगा। * था, सो खतना किया हुआ था और उसके लण्ड की चमड़ी उसके आधे लण्ड से ज्यादा नहीं पहुँच रही थी।
मैं एक बार झड़ कर शान्त लेटी थी, इतनी मस्ती कभी मिली नहीं थी पहले। शायद माहौल का असर था। पर आसिफ़ का इरादा कुछ और था। उसने बिना कुछ बोले मेरे पैरों को फ़ैलाया और ऊपर चढ़ गया। मैं जब तक कुछ समझूँ उसने मेरे चूत में अपना लण्ड ठांस दिया। दो धक्के में पूरा नौ इन्च भीतर। मैं दर्द से बिलबिला उठी- उईईई माँआँआआँ, छोड़ो मुझे प्लीज !