30-06-2020, 01:38 PM
Update....27
मैंने पजामा नीचे खींच दिया। उसका लण्ड लगभग सिकुड़ा हुआ था, करीब 5″। थैली भी ढीली थी, पर बड़ी थी और उसके भीतर का दोनों गोटी साफ़ दिख रहा था फ़ूली हुई। लण्ड के चारों तरफ़ बड़ी-बड़ी झाँटे थी और उसमें से कई बाल सफ़ेद थे। लण्ड का सुपारा भी थोड़ा सफ़ेद रंगत लिए था।
मैंने लण्ड हाथ में लिया और मुँह में डाल चूसने लगी। वकार का वो इलाका हल्के पसीने की खुश्बू या बदबू से भरा था, पर मुझे तो ये सब कहना नहीं था। धीरे-धीरे लण्ड में ताव आने लगा। जब वो 6″ का हो गया तब वकार बोला- बेटा अब तुम भी कपड़े हल्के कर लो। तुम्हारे तराशे हुए बदन को देख यह साला जल्दी निपट जायेगा।
मैं उठी और कुर्ते के ऊपर के दो बटन खोल कर उसको अपने सर के ऊपर से निकाल दिया। फ़िर मैंने अपनी सलवार को खोला और अपने पैरों से बाहर कर दिया।
वकार सब देख रहा था। मैंने अब अपनी सफ़ेद शमीज भी उतार दी। फ़िर पहली बार वकार से नज़र मिलाई। अभी मेरे बदन पर एक सफ़ेद ब्रा और काली पैन्टी थी। मैंने अपना हाथ पीछे किया और ब्रा का हुक छुआ हीं था कि वकार बोला- अब रहने दो, कुछ आसिफ़ के सामने खोलना।
मैं रुक गई और एक बार फ़िर उसका लण्ड चूसने लगी। वो अब मेरे पीठ और चूचियों पर अपने हाथ घुमा रहा था। मेरा बदन हल्की सिहरन से भर रहा था और चूत भी गीली हो रही थी। वो मेरे लण्ड चूसने की कला की दाद देता और मैं और जोर से चूसती।
तभी आसिफ़ आ गया और पास आकर मेरी ब्रा का हुक खोल दिया, जिसके बाद उसके अब्बा का हाथ अब मेरे चुचूक से खेलने लगा और मैं सिसक उठी।
वकार यह देख आसिफ़ से बोला-“बहुत ताज़ा माल दिया है सूरी इस बार, पूरा पैसा वसूल।
वकार अब छुटने वाला था, तब वो बोला- तुमको मेरा सारा मणि खा जाना है।
मेरे लिए यह कोई नई बात नहीं थी, पर यह शब्द नया था, शायद पाकिस्तान में वीर्य को मणि बोलते हैं। मुझे तो हिन्दी के शब्द ही आते थे। मैं मुँह खोल कर सामने जमीन पर बैठ गई और वकार ने हाथ से अपना लण्ड हिला-हिला कर पिचकारी मारी। छः बार में सारा वीर्य मेरे मुँह में डाल दिया जिसे मैं चाट गई।
अब उसने मेरा मुँह चूम लिया और बोला- अब जाओ और आसिफ़ से चुदो अच्छे से।
मैंने पजामा नीचे खींच दिया। उसका लण्ड लगभग सिकुड़ा हुआ था, करीब 5″। थैली भी ढीली थी, पर बड़ी थी और उसके भीतर का दोनों गोटी साफ़ दिख रहा था फ़ूली हुई। लण्ड के चारों तरफ़ बड़ी-बड़ी झाँटे थी और उसमें से कई बाल सफ़ेद थे। लण्ड का सुपारा भी थोड़ा सफ़ेद रंगत लिए था।
मैंने लण्ड हाथ में लिया और मुँह में डाल चूसने लगी। वकार का वो इलाका हल्के पसीने की खुश्बू या बदबू से भरा था, पर मुझे तो ये सब कहना नहीं था। धीरे-धीरे लण्ड में ताव आने लगा। जब वो 6″ का हो गया तब वकार बोला- बेटा अब तुम भी कपड़े हल्के कर लो। तुम्हारे तराशे हुए बदन को देख यह साला जल्दी निपट जायेगा।
मैं उठी और कुर्ते के ऊपर के दो बटन खोल कर उसको अपने सर के ऊपर से निकाल दिया। फ़िर मैंने अपनी सलवार को खोला और अपने पैरों से बाहर कर दिया।
वकार सब देख रहा था। मैंने अब अपनी सफ़ेद शमीज भी उतार दी। फ़िर पहली बार वकार से नज़र मिलाई। अभी मेरे बदन पर एक सफ़ेद ब्रा और काली पैन्टी थी। मैंने अपना हाथ पीछे किया और ब्रा का हुक छुआ हीं था कि वकार बोला- अब रहने दो, कुछ आसिफ़ के सामने खोलना।
मैं रुक गई और एक बार फ़िर उसका लण्ड चूसने लगी। वो अब मेरे पीठ और चूचियों पर अपने हाथ घुमा रहा था। मेरा बदन हल्की सिहरन से भर रहा था और चूत भी गीली हो रही थी। वो मेरे लण्ड चूसने की कला की दाद देता और मैं और जोर से चूसती।
तभी आसिफ़ आ गया और पास आकर मेरी ब्रा का हुक खोल दिया, जिसके बाद उसके अब्बा का हाथ अब मेरे चुचूक से खेलने लगा और मैं सिसक उठी।
वकार यह देख आसिफ़ से बोला-“बहुत ताज़ा माल दिया है सूरी इस बार, पूरा पैसा वसूल।
वकार अब छुटने वाला था, तब वो बोला- तुमको मेरा सारा मणि खा जाना है।
मेरे लिए यह कोई नई बात नहीं थी, पर यह शब्द नया था, शायद पाकिस्तान में वीर्य को मणि बोलते हैं। मुझे तो हिन्दी के शब्द ही आते थे। मैं मुँह खोल कर सामने जमीन पर बैठ गई और वकार ने हाथ से अपना लण्ड हिला-हिला कर पिचकारी मारी। छः बार में सारा वीर्य मेरे मुँह में डाल दिया जिसे मैं चाट गई।
अब उसने मेरा मुँह चूम लिया और बोला- अब जाओ और आसिफ़ से चुदो अच्छे से।