30-06-2020, 01:26 PM
Update.....17
एक-एक बूँद आँसू उसके दोनों गालों पर बह निकले। उसने अपने हाथों से अपना चेहरा ढक लिया।
5-6 सेकेण्ड बाद मुस्कुराते हुए हाथ हटाए और बोली- बेटीचोद !
और मेरे गले से लिपट गई।
सानिया की आँख भी गीली हो गई। उसकी नजरों में भी मेरे लिए अब प्यार दिख रहा था। वो बोली- मैं आप दोनों के लिए पानी लाती हूँ !
और वो बाहर चली गई।
जब वो पानी लेकर आई तब मैं कुर्सी पर बैठा था और रागिनी बिस्तर ठीक कर रही थी। हम दोनों अभी भी नंगे ही थे। मेरा लण्ड एक दम शांत और भोला बच्चा बन गया था। पानी आगे करते हुए सानिया बोली- चाचू ! अब आप दोनों सो जाएँ, बारह बजने को हो रहे हैं। अब कल सुबह मैं चाय लाऊँगी आप दोनों के लिए।
फ़िर हँसते हुए कमरे में से भाग गई।
अगली सुबह सानिया ने ही कमरे में आकर मुझे और रागिनी को जगाया। मैने देखा कि सानिया के हाथ की ट्रे में दो गिलास पानी और अखबार है। मैं और रागिनी अभी भी नंगे थे जैसे कि हम रात को सो गए थे। रागिनी पानी पीकर बाथरुम की तरफ़ चल दी और मैंने उसका तकिया उठा कर अपने गोद में रख लिया जिससे मेरे लण्ड को सानिया नहीं देखे। सानिया यह सब देख बड़े कातिलाना अंदाज में मुस्कुराई, फ़िर चाय लाने चली गई।
मैंने अखबार खोल लिया। जब सानिया चाय लेकर आई, तब तक रागिनी भी बाहर आ गई थी और अपने कपड़े जमीन पर से समेट रही थी। सानिया सिर्फ़ एक कप चाय लाई थी, जिसे उसने रागिनी की तरफ़ बढ़ा दिया।
रागिनी ने चाय ली और पूछा- अंकल की और तुम्हारी चाय ?
अब जो सानिया ने कहा उसे सुन कर मेरी नसें गर्म हो गई। बड़ी सेक्सी आवाज में हल्के से फ़ुसफ़ुसा कर सानिया बोली- तुम पीयो चाय, चाचू को आज मैं अपना दूध पिलाऊँगी !
और उसने अपने टॉप को नीचे से पकड़ कर उठाते हुए एक ही लय में अपने सर के उपर से निकाल दिया।
मेरे मुँह से निकल गया- जीयो जान ! क्या मस्त चूचियाँ निकली है तेरी।
सच उसकी संतरे जैसी गोल-गोल गोरी-गोरी चूचियाँ गजब का नजारा पेश कर रही थी और उन पर गुलाबी-गुलाबी लगभग आधे आकार को घेरे हुए चुचक बेमिसाल लग रहे थे। सानिया के बदन के गोरेपन का जवाब नहीं था। वो इसके बाद मेरे बदन पर ही चढ़ आई।
मैंने पहले उसके चेहरे को पकड़ा और फ़िर उसके गुलाबी होठों का रस पीने लगा। उसका बदन हल्का सा गर्म हो रहा था, जैसे बुखार सा चढ़ रहा हो। बन्द आँखों के साथ वो हसीना अब टॉपलेस मेरे बाहों में थी। मैंने रागिनी की तरफ़ देखा। वो मुझे देख मुस्कुरा रही थी और चाय की चुस्की ले रही थी।
मैंने सानिया को अपने बदन से थोड़ा हटाया और फ़िर उसकी दाहिनी चूची का चुचूक मुँह में लेकर उसे चुभलाने लगा। सानिया आँख बंद करके सिसकी भर रही थी और मैं मस्त होकर उसकी चूचियों से खेल रहा था, चूस रहा था।
वो भी मस्त हो रही थी।
मैंने अपने हाथ थोड़ा आगे कर उसकी कैप्री के बटन खोले और फ़िर उसको अपने सामने बिस्तर पर सीधा लिटा दिया। भीतर काली पैन्टी की झलक मुझे मिल रही थी। प्यार से पहले मैंने कैप्री उतार दी। फ़िर मक्खन जैसी जाँघों को सहलाते हुए भीतर की तरफ़ जाँघ पर 2-3 चुम्बन लिए। उसका बदन अब हल्के से काँप गया था। और जब मैं उसकी पैन्टी नीचे कर रहा था तब उसने शर्म से अपना चेहरा अपने हाथों से ढ़क लिया। इस तरह से उसका शर्माना गजब ढ़ा गया।
एक-एक बूँद आँसू उसके दोनों गालों पर बह निकले। उसने अपने हाथों से अपना चेहरा ढक लिया।
5-6 सेकेण्ड बाद मुस्कुराते हुए हाथ हटाए और बोली- बेटीचोद !
और मेरे गले से लिपट गई।
सानिया की आँख भी गीली हो गई। उसकी नजरों में भी मेरे लिए अब प्यार दिख रहा था। वो बोली- मैं आप दोनों के लिए पानी लाती हूँ !
और वो बाहर चली गई।
जब वो पानी लेकर आई तब मैं कुर्सी पर बैठा था और रागिनी बिस्तर ठीक कर रही थी। हम दोनों अभी भी नंगे ही थे। मेरा लण्ड एक दम शांत और भोला बच्चा बन गया था। पानी आगे करते हुए सानिया बोली- चाचू ! अब आप दोनों सो जाएँ, बारह बजने को हो रहे हैं। अब कल सुबह मैं चाय लाऊँगी आप दोनों के लिए।
फ़िर हँसते हुए कमरे में से भाग गई।
अगली सुबह सानिया ने ही कमरे में आकर मुझे और रागिनी को जगाया। मैने देखा कि सानिया के हाथ की ट्रे में दो गिलास पानी और अखबार है। मैं और रागिनी अभी भी नंगे थे जैसे कि हम रात को सो गए थे। रागिनी पानी पीकर बाथरुम की तरफ़ चल दी और मैंने उसका तकिया उठा कर अपने गोद में रख लिया जिससे मेरे लण्ड को सानिया नहीं देखे। सानिया यह सब देख बड़े कातिलाना अंदाज में मुस्कुराई, फ़िर चाय लाने चली गई।
मैंने अखबार खोल लिया। जब सानिया चाय लेकर आई, तब तक रागिनी भी बाहर आ गई थी और अपने कपड़े जमीन पर से समेट रही थी। सानिया सिर्फ़ एक कप चाय लाई थी, जिसे उसने रागिनी की तरफ़ बढ़ा दिया।
रागिनी ने चाय ली और पूछा- अंकल की और तुम्हारी चाय ?
अब जो सानिया ने कहा उसे सुन कर मेरी नसें गर्म हो गई। बड़ी सेक्सी आवाज में हल्के से फ़ुसफ़ुसा कर सानिया बोली- तुम पीयो चाय, चाचू को आज मैं अपना दूध पिलाऊँगी !
और उसने अपने टॉप को नीचे से पकड़ कर उठाते हुए एक ही लय में अपने सर के उपर से निकाल दिया।
मेरे मुँह से निकल गया- जीयो जान ! क्या मस्त चूचियाँ निकली है तेरी।
सच उसकी संतरे जैसी गोल-गोल गोरी-गोरी चूचियाँ गजब का नजारा पेश कर रही थी और उन पर गुलाबी-गुलाबी लगभग आधे आकार को घेरे हुए चुचक बेमिसाल लग रहे थे। सानिया के बदन के गोरेपन का जवाब नहीं था। वो इसके बाद मेरे बदन पर ही चढ़ आई।
मैंने पहले उसके चेहरे को पकड़ा और फ़िर उसके गुलाबी होठों का रस पीने लगा। उसका बदन हल्का सा गर्म हो रहा था, जैसे बुखार सा चढ़ रहा हो। बन्द आँखों के साथ वो हसीना अब टॉपलेस मेरे बाहों में थी। मैंने रागिनी की तरफ़ देखा। वो मुझे देख मुस्कुरा रही थी और चाय की चुस्की ले रही थी।
मैंने सानिया को अपने बदन से थोड़ा हटाया और फ़िर उसकी दाहिनी चूची का चुचूक मुँह में लेकर उसे चुभलाने लगा। सानिया आँख बंद करके सिसकी भर रही थी और मैं मस्त होकर उसकी चूचियों से खेल रहा था, चूस रहा था।
वो भी मस्त हो रही थी।
मैंने अपने हाथ थोड़ा आगे कर उसकी कैप्री के बटन खोले और फ़िर उसको अपने सामने बिस्तर पर सीधा लिटा दिया। भीतर काली पैन्टी की झलक मुझे मिल रही थी। प्यार से पहले मैंने कैप्री उतार दी। फ़िर मक्खन जैसी जाँघों को सहलाते हुए भीतर की तरफ़ जाँघ पर 2-3 चुम्बन लिए। उसका बदन अब हल्के से काँप गया था। और जब मैं उसकी पैन्टी नीचे कर रहा था तब उसने शर्म से अपना चेहरा अपने हाथों से ढ़क लिया। इस तरह से उसका शर्माना गजब ढ़ा गया।